Friday, April 01, 2011

वो जो जीते हैं साँसों के बिना


चण्डीगढ़ का एक नाम पत्थरों का शहर भी है. वहां की भागदौड़ वाली अति व्यस्त जिंदगी में किसके अस समाया है. फिर भी वहां कुछ लोग बसते हैं जिनके कारण वहां कला जगत सक्रिय रहता है. वहां कोई न कोई शाम आयोजित होती है, कभी शायरी की, कभी डांस की, कभी गजल गायन की. और कभी किसी न किसी पुस्तक के विमोचन की. कला के इस निरंतर प्रवाह को बनाये रखने में जो लोग चुपचाप अपन योगदान देते हैं उनमें एक नाम अलका सैनी का भी है. अलका सैनी पूरी तरह से लेखन को समर्पित है.आप उनकी  कलम का कमाल कभी कहानी में देख सकते हैं, कभी समीक्षा में, कभी किसी रिपोर्ट में और कभी कविता में. पंजाब स्क्रीन से उनका लगाव वक्त के साथ साथ घर होता जा रहा है. अपने व्यस्त समय के बावजूद वह कुछ न कुछ अवश्य नया लिख कर भेजती हैं. इस बार उन्होंने भेजा है कविता का रंग. दो कवितायेँ हैं. आपको यह रंग कैसा लगा, क्या महसूस हुआ अपने विचार अवश्य भेजिएगा. --रेक्टर कथूरिया 

"इक रात की दुल्हन "

 इक रात की दुल्हन ,राहें हैं  मेरी ठहरी- ठहरी 
हृदय समुन्द्र सा विशाल,आँखें "झील"सी गहरी, 

ना ही मेरा कोई रास्ता, ना ही  कोई किनारा 
चाहकर  बह ना पाऊं बनकर  नदी की धारा, 

ना ही मेरी कोई मंजिल, ना मुझ तक कोई  आए 
पुरवई  हवाएँ  समुन्द्र का  पैगाम देकर जाएँ, 

मै इक रैन बसेरा, हृदय में किसी के ना डेरे 
हुस्न मेरा हर रात को नव  छटा बिखेरे ,

हर कोई मेरे रूप सलोने के गुण गाए 
चाहत मेरी  की गहराई का कोई पार ना पाए 

अनेकों सैलानी हर दिन आके मन अपना बहलाए 
जल मेरा फिर भी किसी की प्यास बुझा  ना पाए, 

काली खुश्क रातों में जिस्म वीरानों में भटकता   
पलकों से मेरी जलते  घावों का लहू टपकता, 

मेरे दिल का  हर टुकड़ा दर्द की इक दास्ताँ 
तूफानों में घिरा है मेरे भू-स्थल का  गुलिस्ताँ ,

रूह  मेरी क़यामत  की उस रात को तरस जाए  
जब  मन मंदिर के देवता मेरा हर आंसू  अपनाए, 

सदियों से बैठी हूँ बनकर श्वास- हीन  धारा 
इक रात की दुल्हन,मन  आस्मां सा ठहरा..   
--अलका सैनी

"उस प्यार भरे दिल का क्या कहना "

वो जो जलते हैं चिरागों के बिना
अँधेरे में धुएँ के बगैर ,
उस प्यार भरे दिल का क्या कहना..... 

शमा तो पिघलती है परवाने के बिना 
चाँद में चांदनी के बगैर ,
उस प्यार भरे दिल का क्या कहना ....

वो जो आते हैं ख़्वाबों में नींदों के बिना 
दिल पर दस्तक दिए बगैर, 
उस प्यार भरे दिल का क्या कहना ...

वो जो जीते हैं साँसों के बिना 
इक दूजे में सिमटे बगैर ,
उस प्यार भरे दिल का क्या कहना ....

वो जो मरते हैं रोज क़यामत के बिना 
सीने में  धड़कन के बगैर ,
उस प्यार भरे दिल का क्या कहना 
--अलका सैनी

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