Sunday, February 13, 2011

तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या.....!


दूरदर्शन पर फ़िल्मी गीतों का कार्यक्रम रंगोली मुझे हमेशां से ही पसंद था और आज भी ये प्रोग्राम दिल को लुभाता है. शायद वजह है उसमें दिए जाने वाले पुराने गीत, उनका थोडा सा विवरण, फिल्म का नाम, गायक का नाम, शायर का नाम और सब से बढ़ कर गीत के बोल जो साथ साथ नीचे लिखे नज़र भी आते हैं. इन सब खूबीयों के बावजूद ज़िन्दगी की भाग दौड़ इसे नियमत नहीं देखने देती. लेकिन आज सुबह याद आया तो उंगलियां अपने आप रिमोट पर थिरकीं और सामने चल रहा था डी डी नैशनल पर रंगोली. इसकी शानदार पेशकारी  में एक नयी जान डालने वाली श्वेता तिवारी जिसने कभी कसौटी ज़िन्दगी की नाम के धारावाहिक में भी अभिनय की नयी बुलंदियों को छूआ था. वही प्रेरणा यानी कि शवेता तिवारी 14 फरवरी अर्थात  वेलेंटाईन  डे की तरफ  इशारा करते हुए कह रही थी कि चलो शुक्र है वर्ष में एक दिन तो इस इज़हार के लिए सुनिश्चित हुआ. उसने पुराने ज़माने के उस दौर की चर्चा भी की कि जब लोग सारी सारी उम्र इज़हार की बात सोचते ही रह जाते और उनकी महबूब या महबूबा किसी और के साथ विवाह बंधन में बंध जाते.  कोई माने या न माने पर ऐसा बहुत से लोगों के साथ हुआ होगा. 
उस समय के दस्तूर और चलन अलग थे.अगर कोई कहता था कि जब प्यार किया तो डरना क्या... तो लोग उसे कुछ अलग सी नजरों से देखते.थे लेकिन अब तकरीबन वही बात सारा ज़माना कह रहा है....प्यार किया कोई चोरी नहीं की छुप छुप आहें भरना क्या...मुझे एक और गज़ल याद आ रही है जिसे कई गायिक गायिकायों  ने बहुत ही अच्छे अंदाज़ से गाया... उसमें बहुत से शेयर याद रहते हैं, दिल दिमाग में उतर जाते हैं ..उनमें एक शेयर है...:
कोई जुर्म नहीं इश्क जो दुनिया से छुपाये....
हमने तुम्हे चाहा है हजारों में कहेंगे.....!
इस सब का ख्याल मुझे आया अनु श्री की एक छोटी सी पोस्ट देख कर. अनु ने सवाल उठाया है कि 
प्रेम दिवस पर इतनी दिखावट...! 
सचमुच प्रेम है या सिर्फ बनावट...? 
सिर्फ एक दिन इतनी सारी लगावट..?
आपका क्या विचार हैः तो आप ही बतायेंगे लेकिन मुझे याद आया एक गीत जो बहुत देर पहले सुना था.....उसकी कुछ पंक्तियाँ थीं...
मोहब्बत जो करते हैं वो; मोहब्बत जताते नहीं
धडकनें अपने दिल कि कभी किसी को सुनाते नहीं...!
मज़ा क्या रहा जब कि खुद कर दिया हो 
मोहब्बत का इज़हार अपनी जुबां से.....! 
लीजिये आप भी सुनिये कश्मीर की कली फिल्म का यह यादगारी गीत..इशारो इशारों   से दिल लेने वाले...!  
हमारी दुया है कि आपको आपका प्यार ज़रूर मिले पर कभी कभी हालात और किस्मत दरम्यान में आ जाते हैं.....उस हालत में बहुत शक्ति मिलती है इन पंक्तियों से...: 
तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या....
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं...
खुशबू आती रहे फूल खिलते रहे....
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं...!
चांद मिलता नहीं सब को संसार में...;
है दिया ही बहुत रौशनी के लिए...!
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ;
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए...!
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं ;
प्यार सब कुछ नहीं ज़िन्दगी के लिए...!
सन 1968 में आई फिल्म सरस्वती चन्द्र का यह गीत बहुत मकबूल हुआ था. इसे लिखा था इन्दीवर ने और अपनी खूबसूरत आवाज़ दी थी सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने.  इस गीत को सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें..! वैसे आप इस दिन पर क्या सोचते हैं अवश्य बताएं.आपके विचारों कि इंतज़ार रहेगी....:-रेक्टर कथूरिया 

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