में समझा था कि बस आज 17 नवम्बर है और आज ईद का त्यौहार है. बाद में यह भी पता चला कि आज का पंचांग भी कुछ ख़ास है. यह सब एक टिप्पणी में दर्ज था. टिप्पणी में कुछ इस प्रकार लिखा था,"आज स्वाति नक्षत्र है ! शुकल पक्ष के शुरुआती दिन हैं ! आज वोह आ चुका ..जिस का उस को बेसब्री से इंतजार था ..अति उत्सुक है वोह अपने प्रियतम के दीदार के लिए ..प्यार में गुम होकर मरने को तैयार.तड़प तड़प कर यह जान त्याग देगा उस निष्ठुर आशिक के लिए ! जो मूक रहता है चुप बिलकुल चुप....जी दोस्तों यह सच्ची प्रेम कहानी है चाँद और चौकोर की. चाँद पूछता तक नहीं और चौकोर उसके वियोग में, उसकी चाहत में, प्यार में जान गँवा बैठता है..." यह टिप्पणी पढ़ी तो मुझे पता चला कि आज के दिन की अहमीयत तो कुछ और भी है. टिप्पणी फेसबुक पर किसी मित्र ने किसी मित्र की वाल पर की थी. इसे देखा तो याद आ गया एक बहुत पुराना गीत...चाँद को क्या मालूम चाहता है उसे कोई चौकोर. टिप्पणी के अंत में कुछ यह भी लिखा था यहाँ यह मूल्यांकन करना गलत होगा कि दोनों में से सुंदर कौन है. साथ ही यह निवेदन भी था कि आओ मिल कर प्यार भरा संसार बनाएं दोस्तों त्यागो निष्ठुरता.....! यह दर्द भरा निवेदन किया है फेसबुक पर साई दरबार के नाम से सक्रिय पवन दत्ता ने.
यह पवन दत्ता संगीत और फिल्मों की दुनिया के बहुत से ऐसे राज़ जानता है जो आम तौर पर सभी को मालुम नहीं हुआ करते.
तीन बेटियों का पिता है पर उसकी आवाज़ में आज भी एक जवानी है. बात जसपिंदर नरूला की चले, आबिदा परवीन की, मोहम्मद रफ़ी की, पुष्पा हंस की, हंस राज हंस की या किसी और की उसके पास यादगारी बातों का एक खजाना है. इस खजाने में बहुत सी यादें सीधा सीधा उसके साथ भी जुडी हुई हैं. पवन ने बताया कि एक जसपिंदर नरूला और उनका परिवार एक ही कार में सवार थे. उन्होंने कहा कि जसपिंदर माता की वह वाली भेंट सुनायो. जसपिंदर उस समय किसी ऐसी पार्टी से लौट रही थी जहां नॉन-वैज भी खाया गया था. जसपिंदर ने गाने से मना कर दिया. बहुत बार कहने पर भी जब वह नहीं मानी तो पवन ने खुद ही मेहँदी हसन की गाई हुई एक गज़ल जानबूझ कर बेसुरेपन से गानी शुरू कर दी. जसपिंदर ने सुना तो उसे गुस्सा आ गया और बोली इसे ऐसे नहीं ऐसे गाया जाता है और इस तरह सभी ने उसकी आवाज़ में वह गज़ल सुनी.
आज के इस कारोबारी युग में जब खून पानी बन चुका है और दिल पत्थर के हो चुके हैं उस दौर में भी वह जज़्बात की बात करता है. किसी का दुःख दर्द पता चलने पर उसकी मदद के लिए तड़पता है. तड़प भी उनके लिए जिन्हें उसने कभी देखा तक भी नहीं होता. लोग उसकी इस भावुकता का फायदा उठाने से भी नहीं चूकते पर वह कहता है चलो कोई बात नहीं. हर महीने शिर्डी जा कर साईं के दरबार में सजदा करना उसके सब से ज़रूरी कामों में एक है. उसकी आवाज़ में एक सोज़ है, एक दर्द है वह कभी इसका कारण नहीं बताता पर लगता है कि उसने बहुत कुछ झेला है. अभी हाल ही में मैंने उसे टेलीफोन पर सुना...
आएगी आएगी आएगी...
किसी को हमारी याद आएगी...
दुनिया में कौन हमारा है....
तकदीर का इक सहारा है..
किश्ती भी है टूटी टूटी..
और कितनी दूर किनारा है !!
आप उनकी वाल पर जा अकते हैं केवल यहां क्लिक करके. आपको वहां जा कर कैसा लगा इस पर आप अपने विचार यहां भी भेज सकते हैं कुमैन्ट बाक्स में भी और ईमेल से भी. --रेक्टर कथूरिया (फोटो साभार : सुन ले यार)
4 comments:
pyar bhara sansar jaroor banega
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
यार रेक्टर जी तुस्सी अपनी झोली में क्या क्या संगेठे बैठे हो| सर जी तुसी ग्रेट हो| पवन दत्ता जी की बातें सुन कर मन भावुक हो गया| उन तक हमारी ये दो पंक्तियाँ ज़रूर पहुँचा देना:-
हम न जीतों में हैं, न हारों में,
हम तो बस हैं निबाहने वाले|
अब खुशी की कमी नहीं खलती,
इतने सारे हैं चाहने वाले||
बहुत सुन्दर संस्मरण..पर शायद उनकी वाल का लिंक गलत हो गया है|
राणा जी आपने सही कहा..बहुत बड़ी गलती थी जो आपने सुधार दी...इस के लिए आपका आभारी हूँ....!
नवीन जी यह सब आपकी और योगराज जी की संगत का असर है....!
संजय चौरसिया जी सही कहा ....अवश्य बनेगा....
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