वर्ष 1989 में शुरू हुई लव परेड आज एक हादसे का शिकार हो गयी. लव परेड की भगदड़ में कम से कम 19 व्यक्ति मारे गए और कम से कम 342 घायल हो गए हैं. इस खबर के बाद दुनिया भर में दुःख की लहर दौड़ गयी. जिन जिन लोगों के रिश्तेदार और मित्र जर्मनी में हैं उनके लिए तो यह खबर चिंता और तनाव का सैलाब लेकर आई.लोग बार बार जर्मनी फोन करते लेकिन हर बार तकरीबन यही जवाब मिलता सभी चैनल व्यस्त हैं....थोड़ी देर बाद प्रयास कीजिये. इस जवाब से उनकी चिंता और बढ़ जाती. वे फिर प्रयास करते...फिर वही जवाब मिलता. इस हालत में लोग उन लोगों से भी सम्पर्क करते जिनके कुछ सम्पर्क जर्मनी में हैं. टीवी के साथ लोग आन लाइन समाचार स्रोतों को भी देखते. कभी एक वैबसाईट तो कभी दूसरी.
प्रेम, संगीत और नाच गाने का एक शानदार और जानदार प्रतीक बन चुकी इस गरिमामय परेड का आयोजन जब पहली बार 1989 में हुआ तो उस समय इसमें केवल 150 लोग शामिल हुए थे लेकिन धीरे धीरे इसका जादू लगातार बढ़ता गया. दूसरे साल इसमें दो हजार लोग शामिल हुए, तीसरे साल तीन हजार लोग, चौथे वर्ष छह हजार लोग पांचवें बरस 15 हजार और छठी बार अर्थात 1994 में एक लाख दस हजार लोग शामिल हुए. उस बरस इसका मोटो था लव टू लव. हादसे का शिकार हुई इस बार कि इस परेड का मोटो था आर्ट ऑफ़ लव. हर बार लोगों की संख्या तेज़ी से इस परेड में शामिल होने लगी. इस बार इसका आलम यह था कि इसमें 14 लाख से भी अधिक लोग शामिल हुए. इस परेड के मार्ग में एक सुरंग भी आती थी पर इसका स्थान बहुत तंग था.प्रशासन को भी इतनी उम्मीद नहीं थी कि लोग इस बार इतनी अधिक संख्या में आयेंगे.
इनके नियंत्रण के लिए तैनात 1200 पुलिस कर्मी बहुत ही कम पड़ गए.जिस स्थान से परेड गुज़र रही थी वह स्थान ज्यादा से ज्यादा पांच लाख लोगों कि भीड़ ही सहन कर सकता था लेकिन परेड में शामिल थे 14 लाख लोग. गौरतलब है पहले पहल इसका आयोजन होता था केवल बर्लिन में. प्रथम लव परेड बर्लिन की दीवार टूटने से बस कुछ थोडा आ पहले ही आयोजित हुई थी.वहां के लोग खुश थे कि आपसी प्रेम, सौहार्द और मिलन के दरम्यान रूकावट बनी हुई इस दीवार को तोड़ने की खबर आई है.
उस ख़ुशी और जनून की दीवानगी इस परेड के रूप में आज भी जिंदा है.इस जोशीली और रंगीली परेड के आयोजन में रूस, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, ब्राजील और स्पेन भी पूरी तरह सहयोग करते हैं. दुनिया के कोने कोने से संगीत और डांस के प्रेमी इस परेड में पहुंचते हैं. आज भी इस दीवानगी की हालत यह थी कि मुख्य द्वार पर भगदड़ के करण इतना बड़ा हादसा हो चुका था लेकिन परेड के दूसरे कोने पर इसकी कोई खबर नहीं थी. लोग हादसे के बाद भी संगीत और नाच-गाने में मस्त थे. अब देखना यह होगा कि इस हादसे का असर अगली बार की परेड पर कुछ नकारात्मक पड़ेगा या फिर या जर्मनी के लोग अपने जोश और जनून को कायम रखते हुए इस परेड में और भी बढ़ चढ़ कर शामिल होंगें...रेक्टर कथूरिया.
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