Sunday, April 25, 2010
साईं तुम को नमन
हम किसी को क्षमा करें या माफ़ करें बात एक ही है. अलग से दिखने वाले इन दो शब्दों में जो एक और बात है वह यह है कि इन दोनों में ही मा शब्द का सदउपयोग हुआ है जिसे सुनने के बाद मां की याद आती है. वैसे इन का अर्थ भी मां से ही संबंधित है.क्यूंकि गलती का अहसास करवाने का एक तरीका तो है दंड देना. इस तरीके ने बहुत सा रक्त बहाया होगा. गलती करने वाले को अपनी गलती का अहसास हुआ या नहीं इसे आज भी दावे से नहीं कहा जा सकता. लेकिन इसका दूसरा तरीका है जो मां की ममता से होकर जाता है. गलती का अहसास भी करवाना और उस पर ममता उड़ेलते हुए उसे क्षमा भी कर देना. इस आशय का बहुत ही सुंदर संदेश मुझे भेजा नरेश कुमार जी ने. संगीत की दुनिया के साथ बहुत ही गहराई से जुड़े हुए नरेश कुमार साईं भक्ति की महमा को भी लोगों तक लगातार पहुंचा रहे हैं. साईं तुम को नमन नाम की एक एल्बम 19 सितम्बर 2009 को रलीज हुई थी और अब बिक्री के नए रिकार्ड कायम कर रही है. इस सुरीली और यादगारी एल्बम में अनूप जलोटा, सुरेश वाडकर, साधना सरगम, मोहम्मद अज़ीज़, सुमीत टपू , पारस जैन (शिर्डी वाले) और हितेश की आवाजों का जादू भी मौजूद है. दावा किया गया है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी धार्मिक एल्बम को मूवी क्वालिटी की तरह सजा संवार कर तैयार किया गया. --रैक्टर कथूरिया
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