दुनिया में अशांति बढ़ रही है, जुर्म भी बढ़ रहा है और पाप भी. चारो तरफ निराशा ही निराशा है. अन्धेरा ही अन्धेरा है. पर इस नाज़ुक हालत में एक आशा की किरण जगाई है स्वामी आत्म योगी ने. आज राम नवमी के पावन अवसर पर उन्होंने अपना यह आशवासन दोहराया है कि अब राम राज्य निकट है. राम राज्य के जल्द आने की भविष्यवाणी करते हुए उन्होंने अयोध्या में बुधवार 24 मार्च 2010 को सुबह 9 बजे एक विशेष बैठक भी की. उन्होंने स्पष्ट किया की राम चेतना का विस्तार करके दुनिया में से राजनीतक प्रदूषण को पूरी तरह जड़ से समाप्त किया जा सकता है. गौरतलब है कि भगवान राम के अस्तित्व की चर्चा अंग्रेजी में अक्सर होती रही है. राम राज्य मुद्रा भी आ चुकी है. इस विशेष बैठक में स्वामी आत्म योगी के कई पैरोकार और सभी ग्रुपों के बहुत से सदस्य भी मौजूद थे. इस मौके पर दूर बैठे सदस्यों से भी कहा गया कि वे अपने अपने स्थानों पर रहते हुए भगवान राम की चरण पादुकाएं स्थापित करके कम से कम दस मिनट के लिए संकीर्तन के साथ उनकी पूजा करें. गौरतलब है की राम राज्य फाऊंडेशन को हॉल ही में हैदराबाद में पंजीकृत किया गया था पंजीकर्ण के बाद स्वामी आत्म योगी की देखरेख में ही तमिलनाडु, कर्णाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली और चंडीगढ़ चैपटरों की स्थापना भी की गयी. लम्बे समय से सरगरम इन संगठनों की चर्चा पहले भी होती रही है. --रैक्टर कथूरिया
7 comments:
अच्छा है फिर सीता माता किसी धोबी के बुराई करने पर जंगल में भेज दी जाएंगी या ऐसा नहीं होगा इस बार...??
आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है......मुझे यकीन है की राम राज्य के पक्षधर आपकी बात का जवाब अवश्य देंगें...!!
काश ये स्वामी गण कुछ सकारात्मक काम करते ,इन्हें कौन समझाए कि राम राज्य में सभी मेहनत करते थे ,चरण पादुकाएं पूजने से अनाज नहीं उत्पन्न होते न ही किसी भूखे को रोटी -रोजगार मिलता है ,
खैर.........
अलका जी आप तो एक लम्बे अंतराल के बाद आयीं... आपका स्वागत है..
आपके विचार भी स्वामी जी तक पहुंचाए जा रहे हैं..
...मुझे विशवास है की वह आपकी शंकायों और आशंकायों को अवश्य ही दूर करेंगे....!
@दीनबंधुजी,
आपकी आशंका उचित है पर सीता और राम का व्यव्हार उनकी रूचि अवं आवश्कताओं से जनित था | जो सीता के साथ व्यव्हार हुआ वह समाज को अशोभनीय लग सकता है पर सीता और राम दोनों की पूर्ण सहमति पर ही संभव था. बड़े आदर्शों के लिए छोटे स्वार्थों की तिलांजलि देना दोनों को आवश्यक लगा होगा | नहीं तो आज राम राज्य नहीं रसिया राम प्रसिद्ध होते. समय की आवश्यकता के अनुसार कठोर निर्णय लेने की क्षमता धैर्यवान लोग ही कर सकते यही राम का आदर्श है | साधारण आदमी तो परिवार के दायरे में इतना घिरा होता है क़ि उसे समाज क़ी उपेक्षा करते देखा जाता है|
@ alka sarwat
आपकी आशंका उचित है पर यह इसी तरह बचकानी है जैसे बच्चे आपस में लड़ते है कि मैं बड़े होकर डाक्टर बनूँगा या इंजिनीयर या आर्मी में जाऊंगा और कौन सा काम श्रेष्ठ है | जिस तरह देश को डॉक्टर, इंजिनीयर, राजनीतिज्ञ, पुलिस वाले सभी चाहिए उसी तरह कर्मयोगी, ज्ञानयोगी, भक्तियोगी सभी मानवता को श्रेष्ठता कि ओर ले जाते हैं जिसे जो रुचे वह उचित मार्ग अपना सकता है |
स्वामी जी,
नमस्कार.
ब्लाग पर आने के लिए आपने अपनी सभी व्यस्ततायों के बावजूद समय निकाला.....
इसके लिए आपका आभारी हूँ...
सुधि पाठकों की शंकायों आशंकायों का निवारण करने से बात और स्पष्ट हुयी...
आपका बहुत बहुत धन्यवाद....!
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