Saturday, September 29, 2018

अवैध संबंधों की इजाजत देना खतरनाक: शाही इमाम पंजाब

Sep 29, 2018, 12:43 PM
भारतीय संस्कृति और धर्म हरगिज़ इसकी इजाज़त नहीं देते
जामा मस्जिद ने खुल कर कहा:पति-पत्नी एक दूसरे के सार्थी 
लुधियाना: 29 सितंबर 2018 (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
पति-पत्नी के संबंधों और उनकी पवित्रता की बचने के लिए जामा मस्जिद ने खुल कर स्टैंड ले लिए है। हाल ही में आये फैसले को आड़े हाथों लेते हए शाही इमाम ने भारतीय संस्कृति की याद भी दिलाई है। यहां एक विशेष मीडिया मीट में पत्रकारों से उन्होंने इस संबंध में विस्तार से चर्चा की। 
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 497 को असंवैधानिक बताते हुए पति पत्नी के रिश्ते की व्याख्या करते हुए जो कहा है कि महिला पति की सम्पत्ति नहीं, यह व्याख्या भारतीय संस्कृति से मेल नहीं खाती, यह बात आज यहां ऐतिहासिक जामा मस्जिद लुधियाना में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कही। शाही इमाम ने कहा की पति पत्नी एक दूसरे के सार्थी हैं दोनों का एक दूसरे पर विश्वास ही घर की शांति और पूंजी है जिससे यह दोनों हर मुश्किल का मुकाबला दृढ़ता से करते हैं। उन्होने कहा कि  भारतीय संस्कृति और धर्म हरगिज़ इसकी इजाज़त नहीं देते, इसलिए सर्वोच्य न्यालय को इस पर दोबारा विचार करना चाहिए। उन्होंने ने कहा कि इस फैसले से देश में महिलाओं की पीड़ा और बढऩे वाली है, शाही इमाम मौलाना हबीब ने कहा कि अंग्रेजी सम्राजी सरकार की गुलामी से देश को स्वतंत्र कराने के लिए कुर्बानी इसलिए नहीं दी थी कि पश्चिम की सभ्यता को आदेश के जरिए थोपने की कोशिश की जाए। शाही इमाम ने सभी धर्मो के उच्च गुरुओं से भी अपील की है कि इस फैसले को बदलने के लिए सरकार को कहें। शाही इमाम ने कहा की देश में कानून बनाना संसद का काम है सर्वोच्य न्यालय को तीन तलाक के कानून की तरह इसको भी संसद में विचार के बाद कानून बनाने के लिए कहना चाहिए था, उन्होंने कहा कि ऐसी सभी धाराओं को बदलने से पहले राष्ट्रीय स्तर पर जनता की भी राय लेनी चाहिए। उन्होंने ने कहा कि हैरत है कि एक तरफ यह कहा जाता है कि तीन तलाक नहीं दी जा सकती और दूसरी ओर शादी शुदा जोड़ों को अवैध संबंध बनाने की इजाजत दी जा रही है। एक सवाल का जवाब देते हुए शाही इमाम ने कहा कि मस्जिद और नमाजियों का रिश्ता अटूट है इस पर बहस की कोई जरुरत नहीं। इस अवसर पर नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी लुधियानवी, मुफ्ती जमालुदीन, कारी इब्राहिम, मौलाना महबूब आलम, शाह नवाज अहमद और शाही इमाम के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम आदि मौजूद थे।

Thursday, September 27, 2018

अब यह कहने का वक्त आ गया है कि ‘पति महिला का स्वामी नहीं है

व्याभिचार आपराधिक कृत्य नहीं होना चाहिए
नयी दिल्ली: 27 सितंबर 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
सम्बन्धों के मामले में स्वछंदता और स्वतन्त्रता चाहने वालों के लिए लिए शायद यह खबर खुशखबरी लेकर आई है। अब व्याभिचार शायद अधिकार बन गया है। जो स्वदेशी, संस्कृति और समाजिक बन्धनों से अभी भी प्रेम करते हैं उनके लिए शायद यह दुखद होगा। व्याभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को इससे संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया और कहा कि यह महिलाओं की व्यक्तिकता को ठेस पहुंचाता है और इस प्रावधान ने महिलाओं को ‘‘पतियों की संपत्ति’’ बना दिया था। इस सम्पति से याद आ रही है प्रोफेसर मोहन सिंह जी की एक कविता-"जायदाद"। कहा जाता है अपनी यह रचना उन्होंने जानीमानी लेखिका अमृता प्रीतम पर लिखी थी जिसे वह मन ही मन चाहते थे।चना की आरम्भिक पंक्तियों का उल्लेख यहाँ आवश्यक लग रहा है जिनका हिंदी अनुवाद है: 
दरवाज़े पर चुप खड़ी थी जायदाद
पास मालिक उसका
सामने आशिक उसका---
इस काव्य रचना में दरवाजे में खड़ी महिला का मालिक अर्थात पति उसके कंधे को पकड़ कर कहता है -
मेरी है यह सम्पति 
मैं हूँ मालिक इसका
मनु का कानून भी मेरी तरफ
वक्त की सरकार भी मेरी तरफ
पैसे की छनकार भी मेरी तरफ
धर्म लोकाचार भी मेरी तरफ
दिल नहीं तो न सही---------
लगता है प्रोफेसर मोहन सिंह की "तड़प" और उनके "दिल की आवाज़" सुन ली गई है। हालांकि उनकी काव्य रचना का मकसद व्याभिचार कभी न रहा होगा लेकिन समाज ने इसे व्याभिचार ही सोचा होगा। इस समस्या पर बहुत सी फ़िल्में बनी---बहुत सी रचनाएँ लिखी गयीं--तिकोने-चिकोने प्यार ने बहुत से घर बर्बाद कर दिए और बहुत सी जिंदगियां इसी तरह समाप्त हो गयीं जिनके सपनो में कोई और था लेकिन बाहों में कोई और। 
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से व्यभिचार से संबंधित 158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को असंवैधानिक करार हुए इस दंडात्मक प्रावधान को निरस्त कर दिया। फैसला ऐतिहासिक है। समाज के एक बड़े हिस्से में यह सब कुछ आम हो ही चूका था। बहुत सी हत्याएं-बहुत सी खुदकुशियां इसी मुद्दे को लेकर एक आम सी बात बन चकी थीं। अब व्याभिचार समानता का अधिकार बनने जा रहा है। 
शीर्ष अदालत ने इस धारा को स्पष्ट रूप से मनमाना, पुरातनकालीन और समानता के अधिकार तथा महिलाओं के लिए समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया। 
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरिमन, न्यायमूर्ति ए. एम.खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा ने एकमत से कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 497 असंवैधानिक है।

मामला केवल एक छूट देता ही लकिन लग रहा है। लेकिन इसका दूर तक जाने वाला है। बहुत सी पेचीदगियां सामने आने वाली हैं। संविधान पीठ ने जोसेफ शाइन की याचिका पर यह फैसला सुनाया है। यह याचिका किसी विवाहित महिला से विवाहेत्तर यौन संबंध को अपराध मानने और सिर्फ पुरूष को ही दंडित करने के प्रावधान के खिलाफ दायर की गयी थी। "अन्याय और असमानता" के खिलाफ लगे गई गुहार "समानता" की इतनी बड़ी सौगात लेकर आयेगी इसकी तो कल्पना भी नहीं थी। 
सोचना होगा विवाह को सात जन्मों का बंधन और समाज के स्थायित्व का आधार मानने वाले वर्ग के मन कें क्या क्या चल रहा होगा?
व्यभिचार को प्राचीन अवशेष करार देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मानव जीवन के सम्मानजनक अस्तित्व के लिए स्वायत्ता स्वभाविक है और धारा 497 महिलाओं को अपनी पसंद से वंचित करती है।
याद करना होगा रामायण और महाभारत का युग जब स्वयम्बर के ज़रिये महिला को अपनी पसंद का वर चुनने का अधिकार होता था। अब यह "अधिकार" विवाह के बाद भी जारी रहेगा। शायद शादी के सात वचनों में आठवां वचन यह भी लिया जायेगा कि पतिदेव अब अपनी पत्नी को अपनी सम्पति समझने की भूल नहीं करेंगे। 
हालांकि प्रधान न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि व्याभिचार आपराधिक कृत्य नहीं होना चाहिए लेकिन इसे अभी भी नैतिक रूप से गलत माना जाएगा और इसे विवाह खत्म करने तथा तलाक लेने का आधार माना जाएगा। घरों को तोड़ने के लिये कोई सामाजिक लाइसेंस नहीं मिल सकता। इस  बात के बावजूद उन क्लबों की हकीकत नहीं बदल जाएगी जहाँ कारों की चाबियों के ज़रिये पत्नियों का तबादला बहुत पहले से होता आ रहा है। "शादी" भी बनी रहती है और "मौज मस्ती की स्वतन्त्रता" भी चलती रहती है। 
भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के अनुसार यदि कोई पुरूष यह जानते हुये भी कि महिला किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी है और उस व्यक्ति की सहमति या मिलीभगत के बगैर ही महिला के साथ यौनाचार करता है तो वह परस्त्रीगमन के अपराध का दोषी होगा। यह बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा। इस अपराध के लिये पुरूष को पांच साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान था। 
इस सम्बन्ध में शाइन की ओर से दायर याचिका में तर्क दिया गया था कि कानून तो लैंगिक दृष्टि से तटस्थ होता है लेकिन धारा 497 का प्रावधान पुरूषों के साथ भेदभाव करता है और इससे संविधान के अनुच्छेद 14 :समता के अधिकारः , 15 : धर्म, जाति, लिंग, भाषा अथवा जन्म स्थल के आधार पर विभेद नहींः और अनुच्छेद 21:दैहिक स्वतंत्रता का अधिकारः का उल्लंघन होता है। इस याचिका पर हुए फैसले ने एक नया इतिहास रचा है। 
न्यायमूर्ति मिश्रा और न्यायमूर्ति खानविलकर ने अपने फैसले में कहा है कि विवाह के खिलाफ अपराध से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धारा 497 और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 198 को हम असंवैधानिक घोषित करते हैं। अब अदालतों में लटक रहे ऐसे मामलों पर क्या असर पड़ेगा यह देखना अभी बाकी है। जो लोग सजा काट रहे हैं उनका पक्ष भी सामने आना है। 
न्यायमूर्ति नरिमन ने धारा 497 को पुरातनकालीन बताते हुए प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति खानविलकर के फैसले से सहमति जतायी। उन्होंने कहा कि दंडात्मक प्रावधान समानता का अधिकार और महिलाओं के लिए समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन है। वहीं न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि धारा 497 महिला के सम्मान को नष्ट करती है और महिलाओं को गरिमा से वंचित करती है।
गौरतलब है कि इस पीठ में शामिल एकमात्र महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा ने अपने फैसले में कहा कि धारा 497 संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है और इस प्रावधान को बनाए रखने के पक्ष में कोई तर्क नहीं है। अपनी और न्यायमूर्ति खानविलकर की ओर से फैसला लिखने वाले प्रधान न्यायाधीश मिश्रा ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि व्यभिचार महिला की व्यक्तिकता को ठेस पहुंचाती है और व्यभिचार चीन, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपराध नहीं है।
उन्होंने कहा कि संभव है कि व्यभिचार खराब शादी का कारण नहीं हो, बल्कि संभव है कि शादी में असंतोष होने का नतीजा हो। बात बहुत गहरी और वजनदार है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि महिला के साथ असमान व्यवहार संविधान के कोप को आमंत्रित करता है। उन्होंने कहा कि समानता संविधान का शासकीय मानदंड है।
संविधान पीठ ने कहा कि संविधान की खूबसूरती यह है कि उसमें ‘‘मैं, मेरा और तुम’’ शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि महिलाओं के साथ असमानता पूर्ण व्यवहार करने वाला कोई भी प्रावधान संवैधानिक नहीं है और अब यह कहने का वक्त आ गया है कि ‘पति महिला का स्वामी नहीं है।’ शायद प्रोफेसर मोहन सिंह की काव्य रचना में उठी आवाज़ अब रंग लायी है। 
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि धारा 497 जिस प्रकार महिलाओं के साथ व्यवहार करता है, यह स्पष्ट रूप से मनमाना है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सामाजिक लाइसेंस नहीं हो सकता है जो घर को बर्बाद करे परंतु व्यभिचार आपराधिक कृत्य नहीं होना चाहिए।
न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने कहा कि धारा 497 को असंवैधानिक घोषित किया जाये क्योंकि व्यभिचार स्पष्ट रूप से मनमाना है। इस सम्बन्ध में यह भी स्पष्ट किया गया है कि व्यभिचार को विवाह विच्छेद के लिये दीवानी स्वरूप का गलत कृत्य माना जा सकता है। अब देखना है समाज इसे कैसे लेता है और समाज पर इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं। 

Saturday, September 15, 2018

आस्था-प्रेम और दोस्ती की कहानी है मेला छपार

लाखों लोग आते हैं मेला छपार में मन्नत मानने 
छपार (लुधियाना): 14 सितम्बर 2018: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
मेला छपार की कहानी है आस्था की कहानी। सांप और इन्सान की दोस्ती की कहानी। एक मोहब्बत की कहानी जिस पर जल्दी किये विशवास नहीं होता। एक वायदे की कहानी--जो आज तक निभाया जा रहा है। मन्दिर के प्रबन्धक कहते हैं यह कहानी 150 वर्ष से मित्रता का संदेश दे रही है। कुछ लोग इसे 300 वर्ष पुरानी भी बताते हैं। यह कहानी अविश्वनीय लग सकती है लेकिन इसका संदेश आज के युग में बहुत बड़ी हकीकत है। आज जब मानव ही मानव का दुश्मन हो गया है। भाई ही भाई की हत्या कर रहा है उस समय सांप और मानव की दोस्ती बहुत बड़ी उम्मीदें जगाती हैं। 
बताया जाता है कि एक किसानी परिवार में एक सांप और एक  लडके का जन्म एक साथ हुआ।  दोनों का प्रेम भी बहुत था। एक दिन जब लडके की मां उसे बीमारी की हालत में लिटा कर कहीं बाहर गयी तो उसके चेहरे पर धुप पड़ने लगी। उसके दोस्त सांप ने उसे धुप से बचाने के लिए ज्यों ही अपना फन फैलाया तो किसी राहगीर ने समझा की सांप उस लडके को काटने लगा है। उसने तुरंत उस सांप को मार दिया। सांप के मरते ही वो लड़का भी मर गया। परिवार के साथ पूरे गाँव में मातम छा गया। वह सांप ही यहाँ गुग्गा पीर कहलाता है। 
बजुर्गों की सलाह पर इन दोनों के स्मृति स्थल के लिए एक जगह तलाश की गयी। आज इसे गुग्गा माड़ी या मैडी के नाम से जाना जाता है। हर वर्ष मेला लगता है और खूब भरता है। लाखों लोग आते हैं यहाँ मन्नतें मानने। और फिर उस मन्नत के पूरा होने पर शुकराना करने भी आते हैं। 
झूले वाले, बीन वाले, मिठाई वाले, ढोल वाले इत्यादि बहुत से लोग हैं जिन्हें यहाँ आ कर रोज़गार मिलता है। करीब कई महीनों की रोटी इन लोगों को यह मेला दे जाता है। इस मकसद के लिए यहाँ बहुत से लोग पंजाब ही नहीं अन्य राज्यों से भी आते हैं। 
मेला कमेटी यहाँ आने वालों के लिए पूरी आवभगत का प्रबंध करती है। लंगर के साथ साथ कई तरह के पकवान परोसे जाते हैं। पुलिस भी इस अवसर पर लोगों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल बन्दोबस्त करती है। तकरीबन हर धर्म के लोग यहाँ आते हैं। हर उम्र के लोग यहाँ आते हैं। ये लोग कितनी आस्था से सात बार मिटटी निकालते हैं इस आस्था की को उनके चेहरे और भावों से महसूस किया जा सकता है। 

Friday, September 07, 2018

मज़दूरों के साथ धोखाधड़ी करके करोड़ों रूपए के घोटाले का आरोप

Sep 7, 2018, 5:26 PM
कम्पनी मालिक विनोद पोद्दार की गिरफतारी की माँग
लुधियाना: 07 सितम्बर 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
गोबिन्द रबड़ लिमिटड के मज़दूरों का  संघर्ष और तेज़ 

आज गोबिन्द रबड़ लिमिटेड (जी.आर.एल.) के मज़दूरों के एक प्रतिनिधि मण्डल ने पुलिस कमिश्नर लुधियाना व डीसी कार्यालय पर सहायक कमिश्नर (जनरल) को से मुलाकात करके कम्पनी मालिक विनोद पोद्दार की गिरफतारी की माँग की। कम्पनी ने करीब 1500 मज़दूरों की चार-चार महीने के वेतन, ओवरटाईम का पैसा, अक्टूबर क2017 से ई.पी.एफ. का पैसा, ई.एस.आई., बोनस, छुट्टियाँ आदि का करोड़ों रुपए बिना दिए लुधियाना के जोगियाना में स्थित इसके तीन युनिट बन्द कर दिए हैं। विनोद पोद्दार द्वारा बार-बार वेतन आदि देने का वादा किया गया था लेकिन दिया नहीं गया। 24 अप्रैल को नोटिस जारी किया गया कि कच्चे माल की कमी के कारण एक सप्ताह के लिए बन्द किए जा रहे हैं। लेकिन दुबारा कारखाने चलाए ही नहीं गए बल्कि पक्के तौर पर बन्द कर दिए गए। यह मामला मज़दूरों के साथ धोखाधड़ी करके करोड़ों रूपए के घोटाले का है। इसलिए मज़दूरों के प्रतिनिधि मण्डल ने माँग की कि तुरन्त विनोद पोद्दार की गिरफतारी की जाए, उसे सख्त से सख्त सजा मिले व मज़दूरों को इंसाफ दिलाया जाए। प्रतिनिधि मण्डल ने सहायक क्षेत्रीय पी.एफ. आयुक्त गुरदयाल सिंह से भी मुलाकात की व माँग पत्र सौंपकर इंसाफ की माँग की।


मज़दूरों ने इंसाफ न मिलने की सूरत में संघर्ष तेज़ करने की माँग की है। प्रतिनिधि मण्डल में कारखाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर, गोबिन्द रबड़ लिमिटेड मज़दूरों की संघर्ष कमेटी के सदस्य गुरमीत सिंह, कृष्ण कुमार,  पुश्कर सिंह, प्रेमचंद, जसवीर सिंह, रविन्दर, जसवीर सिंह, रमेश सिंह व अन्य अनेकों मज़दूर शमिल थे। 


Saturday, September 01, 2018

लोगों का पैसा लोगों के भलाई में लगाने में अहम भूमिका निभाई LIC ने

LIC ने पूर्ण किये राष्ट्र की सेवा में गौरवपूर्ण 62 वर्ष
लुधियाना: 1 सितम्बर 2018: (पंजाब स्क्रीन टीम):: 

आज भारतीय जीवन बीमा निगम के दुगरी स्थित मंडल  कार्यालय में ऐतिहासिक रौनक थी। जिन जिन लोगों ने भी एल आई सी पालसिओं को घर घर पहुँचने में जोशो खरोश से काम किया था उन सभी के चेहरों पर एक चमक थी। सफलता की चमक। दिन रात एक करके की गयी मेहनत की चमक। राष्ट्र निर्माण में दिए गए योगदान के गौरव की चमक। इस मेहनत और उपलब्धि के  बदले इन सभी को ध्वजारोहण के बाद सम्मानित भी किया गया।
लुधियाना मण्डल के वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक श्री एल.सी. पिपिल ने  बताया कि पिछले 18 वर्षो से जीवन बीमा के क्षेत्र मे प्राईवेट कंपनियों के आने के बावजूद भी भारतीय जीवन बीमा निगम ने मार्केट शेयर नई पॉलिसियाँ में 75.67% एवं कुल प्रीमियम आमदन में 69% रखते हुए अपना पहला स्थान कायम रखा हुया है । आज भारतीय जीवन बीमा निगम के पास 29 करोड़ से अधिक पॉलिसीधारक होने के साथ-साथ 25 लाख करोड़ से भी अधिक लाइफ फ़ंड एवं 28  लाख करोड़ से ज्यादा की संपत्तियाँ भी हैं । उन्होने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा 266.08 लाख दावों का भुगतान करते हुए 1,11,860.41 करोड़ रुपये अदा किए हैं । जबकि 98.04% मृत्यु दावों का भुगतान किया गया है। भारतीय जीवन बीमा निगम ने अपने पॉलिसी धारकों को बेहतर सेवा प्रदान करने हेतु सूचना प्रोधौयोगिकी का अधिकतम उपयोग किया है। भारत में सब से बड़ा बीमा उद्योग होने के कारण भारतीय जीवन बीमा निगम ने हमेशा उच्च तकनीक को अपनाते हुए अपने पॉलिसी धारकों को बेहतर सेवा प्रदान कर रहा है । अपने पॉलिसी धारकों को बेहतर सेवा प्रदान करते हुए वर्ष 2017-18 में निगम को 27 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है

प्रैस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक ने बताया कि लुधियाना मण्डल ने 31.03.2018 के समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान 1,08,034 नई पॉलिसियाँ जारी करके 201.50 करोड़ रुपये की प्रथम प्रीमियम आय अर्जित करके नव-व्यवसाय में नया कीर्तिमान स्थापित किया है । लुधियाना मण्डल के दावा भुगतान के संबंध मे बोलते हुए श्री एल.सी. पिपिल ने बताया कि 31.03.2018 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में तक कुल 1,23,557 पॉलिसियों में परिपक्वता एवं विद्दमानता हितलाभ  के 574.32 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इसी तरह से कुल 3291 मृत्यु दावों का भुगतान करते हुए कुल 62.31 करोड़ रुपये का भुगतान करते हुए अपने पॉलिसी धारकों को बेहतर सेवा की मिसाल लुधियाना मण्डल द्वारा पृस्तुत की जा चुकी है।
लुधियाना मण्डल की ओर से चालू वित्तीय (01.04.2018 to 31.07.2018) वर्ष में, अब तक कुल 28152 परिपक्वता एवं विद्दमानता हित लाभ दावों के रूप में 169.80 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इसी तरह से कुल 1034 मृत्यु दावों का भुगतान करते हुए कुल 18.83 करोड़ रुपये का भुगतान करके अपनी बेहतर सेवा का प्रदर्शन कर चुका है।
देश में अपने पॉलिसी धारकों को सेवा प्रदान करने के लिए एलआईसी के 8 क्षेत्रीय कार्यालय, 113 मण्डल कार्यालय, 2048 शाखा कार्यालय, 1430 सेटेलाईट कार्यालय, 1227, मिनी कार्यालय, 73 कस्टमर ज़ोन कार्यालय का प्रावधान किया गया है जिनके द्वारा अपने बहुमूल्य पॉलिसी धारकों को उन के घर तक सेवा प्रदान कर रहा है। एलआईसी ने अपने पॉलिसी धारकों के लिए एक पोर्टल भी बनाया हुया है जिस से कोई भी पॉलिसी धारक अपनी पॉलिसी को रजिस्टर करने के बाद, पॉलिसी से संबन्धित जानकारी ऑनलाइन ले सकता है ।
श्री पिपिल ने बताया कि लुधियाना मण्डल द्वारा 01.09.2018 से 07.09.2018 तक बीमा सप्ताह मनाया जा रहा है जिसमें निम्नलिखित प्रोग्राम किए जा रहे हैं :
1.   बीमा सप्ताह का शुभारंभ आज दिनांक 01.09.2018 को निगम के ध्वजारोहण के साथ मण्डल कार्यालय में किया गया । इस भव्य समारोह में एलआईसी से रिटायर हुए कर्मचारियों, पॉलिसीधारकों, उत्कृष्ट विकास अधिकारियों, सी.एल.आई.ए. एवं अभिकर्ताओं को सम्मानित किया गया ।
2.   02.02.2018 को बीमा जागरूकता दौड़ की जाएगी
3.   03.09.2018 को पौधारोपण, हेल्थ सेमिनार किया जाएगा  ।
4.   04.09.2018 को एलआईसी प्रांगण में खून दान कैंप तथा 05.09.2018 को अध्यापक दिवस मनाया जाएगा ।
5.   06.09.2018 को एक सरकारी स्कूल में बच्चों के लिए चित्रकारी प्रतियोगिता, मेडिकल चैक उप कैंप, पॉलिसीधारक के साथ मीटिंग होगी ।
6.   बीमा सप्ताह का समापन समारोह दिनांक 07.09.2017 को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा किया जाएगा ।