Monday, February 22, 2016

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में जन उपयोगी बुनियादी ढांचे के निर्माण

21-फरवरी-2016 19:29 IST
आम अनुमोदन को 31 दिसंबर 2018 तक बढ़ाया 
The Prime Minister, Shri Narendra Modi at the launch of Shyama Prasad Mukherji National Rurban Mission, at Kurubhat, Rajnandgaon, in Chhattisgarh on February 21, 2016. The Chief Minister of Chhattisgarh, Dr. Raman Singh and the Minister of State for Chemicals & Fertilizers, Shri Hansraj Gangaram Ahir are also seen.    (फोटो:PIB)
नई दिल्ली" 21 फ़रवरी 2016: (प.सू.का.):
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में जन उपयोगी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने आम मंजूरी दी 

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में विकास जन गतिविधियों के महत्व को समझते हुए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने अपने 13 मई 2011 में उल्लेखित आम अनुमोदन को 31 दिसंबर 2018 तक बढ़ा दिया है। 

योजना आयोग द्वारा एकीकृत कार्य योजना कार्यान्‍वयन के लिए पहचान किए गए वामपंथी आतंकवाद से प्रभावित 60 जिलों में जन उपयोगी बुनियादी ढांचे के निर्माण को गति प्रदान करने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने अपने 13 मई 2011 के पत्र द्वारा वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा 2 के तहत सरकारी विभागों द्वारा महत्‍वपूर्ण जन उपयोगी बुनियादी ढांचे के सृजन के लिए आम मंजूरी दी थी। लेकिन इसमें पांच एकड़ से अधिक वन भूमि को शामिल न करने के लिए कहा गया था। इस प्रावधान को 117 वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में आगे बढ़ाया गया था। यह अनुमोदन 31 दिसंबर 2015 तक वैध था। 

स्‍कूलों, डिस्‍पेंसरियों/ अस्‍पतालों, बिजली और दूरसंचार लाइनों, पेय जल परियोजनाओं, जल/ वर्षाजल के संचयन, लघु सिंचाई, नहरों, ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों, कौशल उन्‍नयन, व्‍यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों, पावर सब स्‍टेशनों, ग्रामीण सड़कों, और संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस स्‍टेशनों/ पुलिस चौकियों/ सीमा चौकियों जैसे जन उपयोगी बुनियादी ढांचे के निर्माण के महत्‍व को ध्‍यान में रखते हुए यह आम मंजूरी दी गई थी। 

हाल के वर्षों में सड़क को चौड़ा करने, सुधार परियोजनाएं, पुलिस बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, पेय जल,बिजली, ट्रांसमिशन परियोजनाओं जैसी अनेक परियोजनाओं के अलावा गिरिडीह, झारखंड में सरकारी पॉलिटेक्नि‍क, देवगढ़ में केंद्रीय विद्यालय का निर्माण, धमतरी छत्‍तीसगढ़ में मगरलोढ़ा बाल स्‍कूल परियोजना, कांकेर में आईटीआई प्रशिक्षण केंद्र, कुरवा, गोंदिया महाराष्‍ट्र में सरकारी मेडिकल कॉलेज का निर्माण, चांदपुर महाराष्‍ट्र में व्‍यावसायिक बांस अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्‍थापना और मेडक तेलंगाना में बागवानी स्‍कूल की स्‍थापना जैसे अनेक कार्यों से इस अनुमोदन के तहत जनता को लाभ पहुंचा है। 

Tuesday, February 16, 2016

JNU: कौन है गद्दार? कौन है अफजल गुरू?

11 फरवरी 2016
 हम बोलने की आजादी के पक्ष में खड़े होंगे
तिरंगा को तो इन्होंने कभी माना ही नहीं, भगवा झंडा भी नहीं मानेंगे
हम हैं इस देश के और इस मिट्टी से प्यार करते हैं।  इस देश में जो 80 फीसदी गरीब जनता है, हम उसके लिए लड़ते हैं. हमारे लिए यही देशहित है। 

हमें पूरा भरोसा है बाबा साहेब (आंबेडकर) के ऊपर।  हमें पूरा भरोसा है अपने देश के संविधान के ऊपर और हम इस बात को पूरी मजबूती के साथ कहना चाहते हैं कि इस देश के संविधान पर अगर कोई उंगली उठाएगा.. चाहे वो उंगली संघियों की हो, चाहे वो उंगली किसी की भी हो, उस उंगली को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

हम संविधान में भरोसा करते हैं लेकिन जो संविधान झंडेवालान और नागपुर में पढ़ाया जाता है, उस संविधान पर हमको कोई भरोसा नहीं। 

ये बड़े शर्म की बात है, ये बड़े दुख की बात है कि आज ABVP अपने मीडिया सहयोगियों से पूरे मामले को डायल्यूट कर रहा है। 

कल ABVP के ज्वाइंट सेक्रेटरी ने कहा कि हम फेलोशिप के लिए लड़ते हैं। कितना घिनौना लगता है ये सुन करके। 

इनकी सरकार मैडम ‘मनु’ स्मृति ईरानी फेलोशिप को खत्म करती हैं….और कहती हैं कि हम फेलोशिप के लिए लड़ते हैं! इनकी सरकार ने उच्च शिक्षा के बजट में 17 फीसदी कटौती की है। उससे हमारा होस्टल हमें पिछले चार सालों में नहीं बना। उससे हमें वाईफाई आज तक नहीं मिला और एक बस दिया BHEL ने तो उसमें तेल डालने के लिए प्रशासन के पास पैसा नहीं है। 
ABVP के लोग रोलर के सामने जाकर देवानंद की तरह तस्वीर खिंचवा कर कहते हैं कि हम होस्टल बनवा रहे हैं। 

हम वाईफाई करवा रहे हैं। हम फेलोशिप बढ़वा रहे हैं। इनकी पोलपट्टी खुल जाएगी साथियों, अगर इस देश में बुनियादी सवाल पर चर्चा होगी और मुझे गर्व है JNU का छात्र होने पर क्योंकि हम बुनियादी सवाल पर चर्चा करते हैं। 

(सुब्रमण्यम) स्वामी कहता है कि JNU में जेहादी रहते हैं।  कहता है कि JNU के लोग हिंसा फैलाते हैं। 

कौन है? …मैं JNU से चुनौती देता हूं RSS के विचारकों को. उसे बुलाओ और करो हमारे साथ बहस।  हम करना चाहते हैं हिंसा की अवधारणा पर बहस। हम सवाल खड़ा करना चाहते हैं। ABVP के उस दावे पर।  ABVP के मंच से कहता है बेशरम …कि खून से तिलक करेंगे, गोलियों से आरती। किसका खून बहाना चाहते हो इस मुल्क में तुम। 

क्या चाहते हो इस मुल्क में तुम। तुमने गोलियां चलाई हैं। अंग्रेजों के साथ मिलकर इस देश की आजादी के लिए लड़ने वाले लोगों पर गोलियां चलाई हैं। 

मुल्क के अंदर गरीब जब अपनी रोटी की बात करता है, जब भूखमरी से मर रहे लोग अपने हक की बात करते हैं…तो तुम उन पर गोली चलाते हो. तुमने गोली चलाई है इस मुल्क में मुसलमानों के ऊपर। तुमने गोली चलाई है इस मुल्क में जब महिलाएं अपने अधिकार की बात करती हैं तो तुम कहते हो पांचों उंगली बराबर नहीं हो सकती। महिलाओं को सीता की तरह रहना चाहिए और सीता की तरह अग्निपरीक्षा देनी चाहिए। 

मैं कहना चाहता हूं इन संघियों को। लानत है तुम्हारी सरकार पर। चुनौती है केंद्र सरकार को…कि आज रोहित (वेमुला) के मामले में जो किया है, वो JNU में हम नहीं होने देंगे। कोई रोहित अपनी जान नहीं गंवाएगा।  रोहित ने जो अपनी कुर्बानी दी है, उस कुर्बानी को हम याद रखेंगे। हम बोलने की आजादी के पक्ष में खड़े होंगे। 

और…छोड़ दो पाकिस्तान की बात और बांग्लादेश की बात। हम कहते हैं दुनिया के गरीबों एक हो। दुनिया के मजदूरों एक हो। दुनिया की मानवता जिंदाबाद। भारत की मानवता जिंदाबाद। जो इस मानवता के खिलाफ खड़ा है, हम उसको आज पहचान चुके हैं। 

एक सवाल…अंतिम सवाल पूछकर मैं अपनी बात को खत्म करूंगा।   कौन हैं ये लोग, जो आज इस स्थिति में हैं कि अपने शरीर में बम बांध कर हत्या करने को तैयार हैं। 

अगर ये सवाल यूनिवर्सिटी में नहीं उठेगा तो फिर मुझे नहीं लगता कि यूनिवर्सिटी होने का कोई मतलब है. दोस्तों, बहुत गंभीर परिस्थिति है। 

किसी भी सवाल पर JNU में कोई किसी भी हिंसा का, किसी भी आतंकवादी का, किसी भी आतंकी घटना का, किसी देशविरोधी गतिविधि का समर्थन नहीं करता। 

कड़े शब्दों में एकबार फिर से। जो कुछ लोग, अज्ञात लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए हैं, JNU छात्रसंघ उसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना करता है। 

सवाल पूछना चाहते हैं JNU प्रशासन से कि आप किसके लिए काम करते हैं? किसके साथ काम करते हैं और किस आधार पर काम करते हैं?

ये बात आज बिल्कुल साफ होनी चाहिए…कि JNU प्रशासन पहले परमिशन देता है, फिर नागपुर से फोन आने के बाद परमिशन वापस लेता है। 

ये जो परमिशन लेने देने की प्रक्रिया है, ये उसी तरह से तेज हो गई है इस मुल्क में…जैसे फेलोशिप को लेने और देने की प्रक्रिया है। हमारा सवाल है JNU चांसलर से…कि पोस्टर लगा था JNU में।  पर्चे आए थे मेस में। 

अगर दिक्कत थी तो JNU प्रशासन पहले परमिशन नहीं देता। अगर परमिशन दिया …तो किसके कहने परमिशन कैंसिल किया? ये सवाल JNU प्रशासन साफ करे।  ये सवाल आज हम इनसे पूछना चाहते हैं।  साथ ही साथ…. ये जो लोग हैं, इनकी सच्चाई जान लीजिए। 

इनसे नफरत मत कीजिएगा क्योंकि हम लोग नफरत कर नहीं सकते हैं। इनसे…मुझे बहुत ही दया भाव है इनके प्रति। 

ये इतने उछल रहे हैं…क्यों? इनको लगता है जैसे गजेंद्र चौहान को बिठाया है, वैसे हर जगह चौहान, दीवान, फरमान ये जारी कर देंगे. चौहान, दीवान और फरमान की बदौलत ये हर जगह नौकरी पाते रहेंगे.

इसीलिए ये जब जोर से ‘भारत माता की जय’ चिल्लाएं…तो समझ लीजिए परसों इनका इंटरव्यू DU में होने वाला है. नौकरी लगेगी, देशभक्ति पीछे छूट जाएगी. नौकरी लगेगी, फिर भारत माता का कोई ख्याल नहीं। 

नौकरी लगेगी…तिरंगा को तो इन्होंने कभी माना ही नहीं, भगवा झंडा भी नहीं मानेंगे। मैं सवाल करना चाहता हूं…ये कैसी देशभक्ति है?

अगर एक मालिक अपने नौकर से सही बर्ताव नहीं करता, अगर किसान अपने मजदूर से सही बर्ताव नहीं करता, अगर पूंजीपति अपने कर्मचारियों से सही बर्ताव नहीं करता और ये जो अलग अलग चैनल के लोग हैं  जो पत्रकार काम करते हैं 15-15 हजार रुपए में. इनका जो CEO है , वो इनसे ठीक से बर्ताव नहीं करते हैं। 

वो कैसे करते हैं देशभक्ति? कैसे ? वो सारी देशभक्ति भारत-पाकिस्तान के मैच पर खत्म कर देते हैं। इसीलिए जब सड़क पर निकलते हैं तो केले वाले के साथ बदतमीजी से बात करते हैं। 

केला वाला कहता है – साहब, 40 रुपए दर्जन. कहते हैं- भाग. तुमलोग लूट रहे हो. 30 का दे दो. केला वाला जिस दिन पलट कर बोला देगा कि तुम सबसे बड़े लुटेरे हो, करोड़ों लूट रहे हो…तो कह देंगे कि ये देशद्रोही है। 

मैं आप तमाम JNU के लोगों से कहना चाहता हूं…कि अभी चुनाव होगा मार्च में तब ABVP के लोग ओम का झंडा लगाकर आपके पास आएंगे. उनसे पूछिएगा- हम देशद्रोही हैं .जेहादी आतंकवादी हैं, हमारा वोट लेकर तुम भी देशद्रोही हो जाओ। ये उनसे जरूर पूछिएगा। तब ये कहेंगे- नहीं, नहीं आप लोग नहीं हैं। वो कुछ लोग हैं। 

हम कहेंगे कि वो कुछ लोग थे, ये बात तो तुमने मीडिया में नहीं कही थी। तुम्हारा वाइस चांसलर नहीं बोला और तुम्हारा रजिस्ट्रार भी नहीं बोल रहा है और वो कुछ लोग भी तो कह रहे हैं कि हमने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा नहीं लगाया। 

वो कुछ लोग भी तो कह रहे हैं कि हम आतंकवाद के पक्ष में नहीं हैं। वो कुछ लोग भी तो कह रहे हैं कि हमें परमिशन देकर हमारा परमिशन कैंसिल कर दिया। ये हमारे प्रजातांत्रिक अधिकारों के ऊपर हमला है। 

वो कुछ लोग हैं जो ये कह रहे हैं कि अगर इस देश के अंदर कहीं लड़ाई लड़ी जा रही है तो उसके समर्थन में हम खड़े होंगे। 

इतनी बात इनके पल्ले पड़ने वाली नहीं है लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि यहां जो इतने लोग इतने शॉर्ट नोटिस पर आए हैं, उनके पल्ले पड़ रहा है और वो लोग इस कैंपस में एक-एक छात्र के पास जाएंगे और बताएंगे कि ABVP इस देश को तोड़ रहा है. बल्कि JNU को तोड़ रहा है. हम JNU को टूटने नहीं देंगे.

JNU जिंदाबाद था. JNU जिंदाबाद रहेगा. इस देश के अंदर जितने भी संघर्ष हो रहे हैं, उन संघर्षों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेगा। 

क्या कन्हैया का गुनाह बस इतना कि वह AISF से जुड़ा है?

Monday, February 15, 2016

क्या कन्हैया का गुनाह बस इतना कि वह AISF से जुड़ा है?

क्या Znews किसी साजिश के तहत गया था?
                                                                                                      --Sindhu Khantwal
आखिर कन्हैया कुमार को क्यों गिरफ्तार किया गया।।???????
जब की वह उस प्रोग्राम का हिस्सा नहीं था जहाँ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे।
जब की वह नारे लगाने वालो में शामिल नहीं था। 
JNU वह जगह है जहाँ पर हर छात्र संगठन को आजादी है की वह अपना किसी भी तरह का प्रोग्राम करवा सकता है अफजल गुरु की बरसी पर हुआ यह प्रोग्राम भी इसी आजादी का एक हिस्सा था छात्रो ने इस प्रोग्राम को ऑर्गनाइस करवाया था इस प्रोग्राम का ऑर्गनाइसर कन्हैया नहीं था इस प्रोग्राम का वक्ता कन्हैया नहीं था। प्रोग्राम जब शुरू होने वाला था तो ठीक 5 मिनट पहले प्रोग्राम की परमिशन को रद्द कर दिया गया क्यों की ABVP के छात्र प्रोग्राम का बिरोध कर रहे थे। जब प्रोग्राम की जगह पर दोनों पक्षों में झड़प होने लगी तो कन्हैया वहां बीच बचाव करने के लिए पहुंचा इसी बीच बचाव के दौरान भारत पाकिस्तान के नारे लगे। 
क्यों की कन्हैया JNUSU का प्रेजिडेंट है इस लिए दोनों पक्षों में होनेवाली झड़प को रोकना उस का अधिकार है।  
अब आते है मुख्य बात पर और कुछ सवालों पर
क्या कन्हैया को जानबूझ कर फंसाया गया है????
1. आखिर Znews वहां कैसे पंहुचा? जब की आज से पहले तो कभी कोई न्यूज़ चैनल वहां किसी तरह का कवरेज लेने नहीं गया था क्या Znews किसी साजिश के तहत गया था?
2.आखिर वह वीडियो कौन सा है जो कोर्ट में दिखाया गया जो की न मिडिया के पास आया न कही और दिखाया गया ?क्या वह एडिट किया हुआ और किसी साजिश के तहत तैयार किया हुआ वीडियो है?
3. जो नया वीडियो सामने आया है जिस में ABVP के कार्यकर्ता नारे लगते हुए साफ़ दिख रहे है मीडिया उसे क्यों नहीं दिखा रहा है ?
4. क्या ABVP संघ और बीजेपी कन्हैया से किसी तरह की रंजिश रखते है?
5. अब जो नए वीडियो में नारे लगते लोग दिख रहे है क्या उन को भी गिरफ्तार किया जायेगा?
6. क्या कन्हैया का गुनाह बस इतना है की वह JNUSU का प्रेजिडेंट है और AISF से जुड़ा है?

JNU: कौन है गद्दार? कौन है अफजल गुरू?