Tuesday, February 16, 2016

JNU: कौन है गद्दार? कौन है अफजल गुरू?

11 फरवरी 2016
 हम बोलने की आजादी के पक्ष में खड़े होंगे
तिरंगा को तो इन्होंने कभी माना ही नहीं, भगवा झंडा भी नहीं मानेंगे
हम हैं इस देश के और इस मिट्टी से प्यार करते हैं।  इस देश में जो 80 फीसदी गरीब जनता है, हम उसके लिए लड़ते हैं. हमारे लिए यही देशहित है। 

हमें पूरा भरोसा है बाबा साहेब (आंबेडकर) के ऊपर।  हमें पूरा भरोसा है अपने देश के संविधान के ऊपर और हम इस बात को पूरी मजबूती के साथ कहना चाहते हैं कि इस देश के संविधान पर अगर कोई उंगली उठाएगा.. चाहे वो उंगली संघियों की हो, चाहे वो उंगली किसी की भी हो, उस उंगली को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। 

हम संविधान में भरोसा करते हैं लेकिन जो संविधान झंडेवालान और नागपुर में पढ़ाया जाता है, उस संविधान पर हमको कोई भरोसा नहीं। 

ये बड़े शर्म की बात है, ये बड़े दुख की बात है कि आज ABVP अपने मीडिया सहयोगियों से पूरे मामले को डायल्यूट कर रहा है। 

कल ABVP के ज्वाइंट सेक्रेटरी ने कहा कि हम फेलोशिप के लिए लड़ते हैं। कितना घिनौना लगता है ये सुन करके। 

इनकी सरकार मैडम ‘मनु’ स्मृति ईरानी फेलोशिप को खत्म करती हैं….और कहती हैं कि हम फेलोशिप के लिए लड़ते हैं! इनकी सरकार ने उच्च शिक्षा के बजट में 17 फीसदी कटौती की है। उससे हमारा होस्टल हमें पिछले चार सालों में नहीं बना। उससे हमें वाईफाई आज तक नहीं मिला और एक बस दिया BHEL ने तो उसमें तेल डालने के लिए प्रशासन के पास पैसा नहीं है। 
ABVP के लोग रोलर के सामने जाकर देवानंद की तरह तस्वीर खिंचवा कर कहते हैं कि हम होस्टल बनवा रहे हैं। 

हम वाईफाई करवा रहे हैं। हम फेलोशिप बढ़वा रहे हैं। इनकी पोलपट्टी खुल जाएगी साथियों, अगर इस देश में बुनियादी सवाल पर चर्चा होगी और मुझे गर्व है JNU का छात्र होने पर क्योंकि हम बुनियादी सवाल पर चर्चा करते हैं। 

(सुब्रमण्यम) स्वामी कहता है कि JNU में जेहादी रहते हैं।  कहता है कि JNU के लोग हिंसा फैलाते हैं। 

कौन है? …मैं JNU से चुनौती देता हूं RSS के विचारकों को. उसे बुलाओ और करो हमारे साथ बहस।  हम करना चाहते हैं हिंसा की अवधारणा पर बहस। हम सवाल खड़ा करना चाहते हैं। ABVP के उस दावे पर।  ABVP के मंच से कहता है बेशरम …कि खून से तिलक करेंगे, गोलियों से आरती। किसका खून बहाना चाहते हो इस मुल्क में तुम। 

क्या चाहते हो इस मुल्क में तुम। तुमने गोलियां चलाई हैं। अंग्रेजों के साथ मिलकर इस देश की आजादी के लिए लड़ने वाले लोगों पर गोलियां चलाई हैं। 

मुल्क के अंदर गरीब जब अपनी रोटी की बात करता है, जब भूखमरी से मर रहे लोग अपने हक की बात करते हैं…तो तुम उन पर गोली चलाते हो. तुमने गोली चलाई है इस मुल्क में मुसलमानों के ऊपर। तुमने गोली चलाई है इस मुल्क में जब महिलाएं अपने अधिकार की बात करती हैं तो तुम कहते हो पांचों उंगली बराबर नहीं हो सकती। महिलाओं को सीता की तरह रहना चाहिए और सीता की तरह अग्निपरीक्षा देनी चाहिए। 

मैं कहना चाहता हूं इन संघियों को। लानत है तुम्हारी सरकार पर। चुनौती है केंद्र सरकार को…कि आज रोहित (वेमुला) के मामले में जो किया है, वो JNU में हम नहीं होने देंगे। कोई रोहित अपनी जान नहीं गंवाएगा।  रोहित ने जो अपनी कुर्बानी दी है, उस कुर्बानी को हम याद रखेंगे। हम बोलने की आजादी के पक्ष में खड़े होंगे। 

और…छोड़ दो पाकिस्तान की बात और बांग्लादेश की बात। हम कहते हैं दुनिया के गरीबों एक हो। दुनिया के मजदूरों एक हो। दुनिया की मानवता जिंदाबाद। भारत की मानवता जिंदाबाद। जो इस मानवता के खिलाफ खड़ा है, हम उसको आज पहचान चुके हैं। 

एक सवाल…अंतिम सवाल पूछकर मैं अपनी बात को खत्म करूंगा।   कौन हैं ये लोग, जो आज इस स्थिति में हैं कि अपने शरीर में बम बांध कर हत्या करने को तैयार हैं। 

अगर ये सवाल यूनिवर्सिटी में नहीं उठेगा तो फिर मुझे नहीं लगता कि यूनिवर्सिटी होने का कोई मतलब है. दोस्तों, बहुत गंभीर परिस्थिति है। 

किसी भी सवाल पर JNU में कोई किसी भी हिंसा का, किसी भी आतंकवादी का, किसी भी आतंकी घटना का, किसी देशविरोधी गतिविधि का समर्थन नहीं करता। 

कड़े शब्दों में एकबार फिर से। जो कुछ लोग, अज्ञात लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए हैं, JNU छात्रसंघ उसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना करता है। 

सवाल पूछना चाहते हैं JNU प्रशासन से कि आप किसके लिए काम करते हैं? किसके साथ काम करते हैं और किस आधार पर काम करते हैं?

ये बात आज बिल्कुल साफ होनी चाहिए…कि JNU प्रशासन पहले परमिशन देता है, फिर नागपुर से फोन आने के बाद परमिशन वापस लेता है। 

ये जो परमिशन लेने देने की प्रक्रिया है, ये उसी तरह से तेज हो गई है इस मुल्क में…जैसे फेलोशिप को लेने और देने की प्रक्रिया है। हमारा सवाल है JNU चांसलर से…कि पोस्टर लगा था JNU में।  पर्चे आए थे मेस में। 

अगर दिक्कत थी तो JNU प्रशासन पहले परमिशन नहीं देता। अगर परमिशन दिया …तो किसके कहने परमिशन कैंसिल किया? ये सवाल JNU प्रशासन साफ करे।  ये सवाल आज हम इनसे पूछना चाहते हैं।  साथ ही साथ…. ये जो लोग हैं, इनकी सच्चाई जान लीजिए। 

इनसे नफरत मत कीजिएगा क्योंकि हम लोग नफरत कर नहीं सकते हैं। इनसे…मुझे बहुत ही दया भाव है इनके प्रति। 

ये इतने उछल रहे हैं…क्यों? इनको लगता है जैसे गजेंद्र चौहान को बिठाया है, वैसे हर जगह चौहान, दीवान, फरमान ये जारी कर देंगे. चौहान, दीवान और फरमान की बदौलत ये हर जगह नौकरी पाते रहेंगे.

इसीलिए ये जब जोर से ‘भारत माता की जय’ चिल्लाएं…तो समझ लीजिए परसों इनका इंटरव्यू DU में होने वाला है. नौकरी लगेगी, देशभक्ति पीछे छूट जाएगी. नौकरी लगेगी, फिर भारत माता का कोई ख्याल नहीं। 

नौकरी लगेगी…तिरंगा को तो इन्होंने कभी माना ही नहीं, भगवा झंडा भी नहीं मानेंगे। मैं सवाल करना चाहता हूं…ये कैसी देशभक्ति है?

अगर एक मालिक अपने नौकर से सही बर्ताव नहीं करता, अगर किसान अपने मजदूर से सही बर्ताव नहीं करता, अगर पूंजीपति अपने कर्मचारियों से सही बर्ताव नहीं करता और ये जो अलग अलग चैनल के लोग हैं  जो पत्रकार काम करते हैं 15-15 हजार रुपए में. इनका जो CEO है , वो इनसे ठीक से बर्ताव नहीं करते हैं। 

वो कैसे करते हैं देशभक्ति? कैसे ? वो सारी देशभक्ति भारत-पाकिस्तान के मैच पर खत्म कर देते हैं। इसीलिए जब सड़क पर निकलते हैं तो केले वाले के साथ बदतमीजी से बात करते हैं। 

केला वाला कहता है – साहब, 40 रुपए दर्जन. कहते हैं- भाग. तुमलोग लूट रहे हो. 30 का दे दो. केला वाला जिस दिन पलट कर बोला देगा कि तुम सबसे बड़े लुटेरे हो, करोड़ों लूट रहे हो…तो कह देंगे कि ये देशद्रोही है। 

मैं आप तमाम JNU के लोगों से कहना चाहता हूं…कि अभी चुनाव होगा मार्च में तब ABVP के लोग ओम का झंडा लगाकर आपके पास आएंगे. उनसे पूछिएगा- हम देशद्रोही हैं .जेहादी आतंकवादी हैं, हमारा वोट लेकर तुम भी देशद्रोही हो जाओ। ये उनसे जरूर पूछिएगा। तब ये कहेंगे- नहीं, नहीं आप लोग नहीं हैं। वो कुछ लोग हैं। 

हम कहेंगे कि वो कुछ लोग थे, ये बात तो तुमने मीडिया में नहीं कही थी। तुम्हारा वाइस चांसलर नहीं बोला और तुम्हारा रजिस्ट्रार भी नहीं बोल रहा है और वो कुछ लोग भी तो कह रहे हैं कि हमने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा नहीं लगाया। 

वो कुछ लोग भी तो कह रहे हैं कि हम आतंकवाद के पक्ष में नहीं हैं। वो कुछ लोग भी तो कह रहे हैं कि हमें परमिशन देकर हमारा परमिशन कैंसिल कर दिया। ये हमारे प्रजातांत्रिक अधिकारों के ऊपर हमला है। 

वो कुछ लोग हैं जो ये कह रहे हैं कि अगर इस देश के अंदर कहीं लड़ाई लड़ी जा रही है तो उसके समर्थन में हम खड़े होंगे। 

इतनी बात इनके पल्ले पड़ने वाली नहीं है लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि यहां जो इतने लोग इतने शॉर्ट नोटिस पर आए हैं, उनके पल्ले पड़ रहा है और वो लोग इस कैंपस में एक-एक छात्र के पास जाएंगे और बताएंगे कि ABVP इस देश को तोड़ रहा है. बल्कि JNU को तोड़ रहा है. हम JNU को टूटने नहीं देंगे.

JNU जिंदाबाद था. JNU जिंदाबाद रहेगा. इस देश के अंदर जितने भी संघर्ष हो रहे हैं, उन संघर्षों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेगा। 

क्या कन्हैया का गुनाह बस इतना कि वह AISF से जुड़ा है?

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