Mon, Feb 10, 2014 at 1:06 PM
लुधियाना रैली में भी हुईं जोशीली तकरीरें
लुधियाना:10 फरवरी 2014:(रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन//कैमरा-रवि नंदा):
युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स के अहवान पर सभी
सरकारी क्षेत्र के बैंक कर्मचारी तथा अधिकारी निम्नलिखित मांगों को लेकर 10
और 11 फरवरी 2014 की दो
दिवसीय देशव्यापी हड़्ताल पर हैं -
1) वेतन में
शीघ्र संशोधन
2) बैंकिंग क्षेत्र में अनावश्यक सुधारों पर रोक
युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स की लुधियाना इकाई
ने आज केनरा बैंक, भारत नगर चौंक,
लुधियाना के सामने
जोरदार प्रदर्शन किया और रोष रैली की । कामरेड सुदेश कुमार, चैयरमैन, पंजाब बैंक इम्प्लाईज फैडरेशन, कामरेड नरेश गौड़, संयोजक,
युनाईटेड फोरम आफ बैंक
युनियन्स, कामरेड गुल्शन चौहान, कामरेड राकेश खन्ना, कामरेड बलजिंद्र सिंह, कामरेड जे.पी.कालड़ा (ए.आई.बी.ओ.सी ), कामरेड डी.सी.लांडरा (एन.सी.बी.ई ), कामरेड गुरबचन सिंह, ((ए.आई.बी.ओ.ए) तथा कामरेड डी.पी.मौड़, महासचिव, ज्वाईंट काउंसिल आफ ट्रेड यूनियन्स एवं डाक्टर
राजिन्द्रपाल औलख, प्रधान, एग्रीकल्चर टैक्नोकरैट ने बैंक कर्मचारियों को
संबोधित किया।
कर्मचारियों एंव अधिकारियों को संबोधित करते हुए फोरम
के नेताओं ने कहा कि 17 जनवरी 2014 को हुई वार्ता में आई.बी.ए. ने अपने
प्रस्ताव को 5% से 9.50% कर दिया और आगे भी सुधार करने का आश्व्वासन
दिया। आई.बी.ए. द्वारा 27 जनवरी 2014 को अगले
दौर की वार्ता करने पर सहमति हुई। इसको मद्दे नज़र रखते हुए युनाईटेड फोरम आफ बैंक
युनियन्स ने 20 और 21 जनवरी 2014 की प्रस्तावित हड़ताल और आंदोलन को स्थगित करने
का निर्णय लिया ।
इसके आलोक में युनाईटेड फोरम आफ
बैंक युनियन्स की 27 जनवरी 2014 को आई.बी.ए.
के साथ वार्ता हुई । वार्ता के दौरान आई.बी.ए. को उसके प्रस्ताव में वृद्धि करने का
आग्रह किया गया ताकि इस मुद्दे को शीघ्रता से सुलझा लिया जाये । आई.बी.ए. अपने कुछ मुद्दों पर अड़ा रहा जैसे कि
वातचीत सिर्फ अधिकारियों की कुछ श्रेणी तक ही सीमित रखी जाये । हमारी मांगो के
उत्तर में आई.बी.ए.
ने अपने प्रस्ताव को 0.5% की मामूली
सी वृद्धि करते हुए 9.5% से 10% किया । 6 फरवरी 2014 को समाधान हेतु बातचीत हुई लेकिन हमारे
अत्याधिक प्रयासों के बावजूद आई.बी.ए. अपनी जिद्द पर अड़ा रहा । आई.बी.ए के अड़ियल रवैये के कारण एवं यू.एफ.बी.यू के 10% वृद्धि
के प्रस्ताव को न मानने के कारण वार्ता अनिर्णित रही । इस कारण से युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स ने 10 और 11
फरवरी 2014 को 48 घंटे की हड़ताल पर जाने एवं आंदोलन को पुन: शुरु करने का निर्णय
लिया है ।
भारत के बैंकों में लोगों के कड़े परिश्रम से की गई
बचत की राशि आज लगभग 75 लाख करोड़ की है । इसलिए बैंकिंग संस्थाओं
का सही ढ़ंग से नियमन होना चाहिए । इन्हीं स्थापित मानकों और सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत होने के कारण हमारा बैंकिंग तंत्र
वैश्विक संकट से बचा रहा । अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया के अनेक देशों में उदारीकरण
और विनियमन की नीतियों के कारण कई बैंक डूब गये । इन सब से सबक लेने के बजाय सरकार
बैंकिंग सुधारों के नाम पर बैंकिंग क्षेत्र में उदारीकरण और विनियमन के लिए लगातार
विभिन्न कदम उठा रही है । हाल ही में रिजर्व बैंक ने सुझाव दिया कि अंतराष्ट्रीय स्तर
के बैंक बनाने के लिए बैंकों का आपस में विलय किया जा सकता है । हमारे बैंक आर्थिक
विकास के लिए हैं, इसलिए यह कदम पूरी तरह गैरजरुरी है । सुधारों के नाम पर बैंकों में नियमित
रुप से किये जाने वाले कार्यों को अनुबंध के तहत आऊटसोर्स किया जा रहा है । आऊटसोर्सिंग
के कारण ए.टी.एम पर होने वाली परेशानियों
को हम रोजाना देखते हैं ।
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