Tuesday, September 24, 2013

दो योजनाओं की शुरूआत

23-सितम्बर-2013 20:43 IST
'सीखो और कमाओ' और 'जियो पारसी' 
अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए श्री के रहमान खान ने दो योजनाओं की शुरूआत की 
अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्री श्री के रहमान खान ने आज यहां 'सीखो और कमाओ' और 'जियो पारसी' नामक दो योजनाओं की शुरूआत की। मंत्री महोदय ने देश के पांच स्‍थानों पर स्थित आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम के जरिए पांच सौ अल्‍पसंख्‍यक प्रशिक्षुओं की पायलट परियोजना शुरू की। यह पांच स्‍थान दिल्‍ली, कोलकाता, शिलांग, बरनाला और बेंगलूरू हैं। इन 55 प्रशिक्षुओं में मुस्‍लमान, सिख और ईसाई वर्ग के हैं। इनका प्रशिक्षण इस वर्ष जुलाई से शुरू हुआ है और इन्‍हें अग्रिम नियुक्ति पत्र प्रदान कर दिये गये हैं। मंत्री महोदय ने बताया कि इन तीन महत्‍वपूर्ण अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के अलावा बौद्धों और पा‍रसियों को भी योजना से जोड़ा जाएगा। 

मंत्री महोदय ने भारत में पारसियों की कम होती जनसंख्‍या को थामने के लिए एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण योजना 'जियो पारसी' की भी शुरूआत की। यह योजना सत प्रतिशत केंद्रीय योजना है। श्री खान ने पारसियों की प्रजनन दर एक प्रतिशत से कम होने पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि सरकार देश में पारसी आबादी में कमी आने के प्रति बहुत चिंतित है। पारसी समुदाय की मांग पर मंत्रालय ने 'जियो पारसी' नामक की एक महत्‍वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है। 

मंत्री महोदय के वक्‍तव का मूल्‍यपाठ नीचे दिया जा रहा है:- 

'' संप्रग सरकार की पहल पर अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय का गठन 29 जनवरी, 2006 को किया गया, जिसका उद्देश्‍य अल्‍पसंख्‍यकों की आकांक्षाओं को पूरा करना है। इसके साथ ही उन्‍हें विकास के पथ पर शामिल करना है। 

•  अल्‍पसंख्‍यक मामले के मंत्रालय को यह अधिकार प्राप्‍त है कि वह अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यकों से जुड़े मुद्दों पर ध्‍यान केंद्रित करें और अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के लाभ के लिए नीति, योजना, समन्‍वय, मूल्‍यांकन, नियामक ढांचे की समीक्षा और विकास कार्यक्रमों की रूप-रेखा तैयार करे। 

• अल्‍पसंख्‍यकों के कल्‍याण के लिए मंत्रालय ने संरचना विकास, शैक्षिक अधिकारिता, आर्थिक आधिकारिता, महिला सशक्तिकरण और वक्‍फ विकास जैसी कई कल्‍याणकारी योजनाओं का कार्यान्वयन किया है। 

• पिछले छह-सात वर्षों के दौरान अल्‍पसंख्‍यकों के विकास के लि‍ए हमारे मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए मुझे आज आपको यह जानकारी देते हुए प्रसन्‍नता हो रही है कि अल्‍पसंख्‍यक मामले मंत्रालय ने ‘’सीखो और कमाओ’’ और ‘’जीयो पारसी’’ नामक दो नई योजनाओं को शुभारंभ किया है। 

• ‘’सीखो और कमाओ’’ योजना एक कौशल विकास पहल है। यह ‘’अल्‍पसंख्‍यकों के कौशल विकास’’ के लिए सौ प्रतिशत केन्‍द्रीय योजना है। इस योजना का कार्यान्‍वयन वर्तमान वित्‍तीय वर्ष से किया गया है। 

• जैसा कि हम जानते हैं कि करीब 12 दशमलव 8 मिलियन लोग प्रत्‍येक वर्ष श्रम बाजार में आते हैं। हालाकि भारत में सबसे ज्‍यादा युवा जनसंख्‍या है, लेकिन भारतीय श्रमिकों में मात्र 10 प्रतिशत में से आठ प्रतिशत ने अनौपचारिक और दो प्रतिशत ने औपचारिक रूप से पेशेवर कौशल प्राप्‍त किया है। करीब 63 प्रतिशत विद्यार्थी कक्षा दस तक पहुंचते-पहुंचते विभिन्‍न कारणों से विद्यालय छोड़ देते हैं। अल्‍पसंख्‍यकों के मामले में, खासतौर पर मुसलमानों का विद्यालय की शिक्षा छोड़ना काफी चौंकाने वाला है, क्‍योंकि यह करीब 93 प्रतिशत है। देश में मात्र 3.1 मिलियन व्यवसायिक प्रशिक्षण सीटें उपलब्ध हैं और इन प्रशिक्षण स्थलों में कुछ ही सीटें जल्द विद्यालय शिक्षा छोड़ने वाले विद्यार्थियों के लिए हैं। यह दिखाता है कि बड़ी संख्या में विद्यालय छोड़ने वाले विद्यार्थी एक तरफ अपनी रोजगार योग्याता को सुधारने के लिए कौशल विकास तक पहुंच नहीं बना पाते और दूसरी तरफ 12.8 मिलियन रोजगार उपलब्ध हैं। 2011 के अनुमानों के मुताबिक भारत में 21 प्रमुख क्षेत्रों में करीब 244 मिलियन का कौशल अंतराल है। 

• भारत एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित होने की दिशा में अग्रसर है और देश की प्रतिस्पर्धात्मक योग्यता इसके लोगों की सृजन, सहभागिता और ज्ञान का अधिक प्रभावी रुप से उपयोग करने की योग्यता से निर्धारित होगी। परिवर्तन के इस दौर में भारत को ऐसे कौशलपूर्ण श्रमिकों को विकसित करने की आवश्यकता होगी जो अधिक दूरदर्शी, विश्लेषक, ज्ञान को ग्रहण करने वाले और विविध कौशलों से युक्त हों। 

• भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ है। कौशल विकास प्रयासों के माध्यम से जनसांख्यिकीय लाभ देश में समावेशन और उत्पादकता को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा और इससे अंतर्ऱाष्ट्रीय स्तर पर कौशल की कमी को भी कम किया जा सकेगा इसलिए बड़े स्तर पर कौशल विकास की अत्यन्त आवश्यकता है। 

• ‘’सीखो और कमाओ’’ में 14 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं को लक्ष्य बनाया गया है और इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े मौजूदा श्रमिकों, विद्यालय छोड़ चुके विद्यार्थियों में रोजगार योग्यता को विकसित और उनके ि‍लए रोजगार को सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के पारम्परिक कौशल को संरक्षित और अद्यतन रखते हुए उनका बाजार से संपर्क बनाना है। ये योजना अल्पसंख्यक युवाओं के विभिन्न आधुनिक और पारम्परिक व्यवसायों में उनकी शैक्षणिक योग्यता, वर्तमान आर्थिक स्थिति और बाजार संभावना के अनुसार उनके कौशल स्‍तरों में सुधार करेगी। इससे वे एक उपयुक्त रोजगार प्राप्त करने और स्वयं के रोजगार के लिए उपयुक्त कौशल विकास के माध्यम से आय अर्जित कर सकेंगे। इसमें राष्ट्रीय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीबीटी) के द्वारा स्वीकृत प्रमापीय रोजगारपरक कौशल (एमईएस) को शामिल किया गया है। 

• इस योजना को कौशल प्रशिक्षण और औद्योगिक संघों के क्षेत्र में सूचीबद्ध ऐसे विशेषज्ञ संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा जो रोजगार योग्यता को सुनिश्चित कर सकें। 75 प्रतिशत रोजगार प्रतिशत की गारंटी देने वाले संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी। इनमें से कम से कम 50 प्रतिशत रोजगार संगठित क्षेत्र में होना चाहिए। 

• इस योजना को देश में कहीं भी चलाया जा सकता है लेकिन उन संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनका उद्देश्य चिह्नित अल्पसंख्यक केन्द्रित जिलों, कस्बों, गांवों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के साथ साथ बाजार संपर्क को सुनिश्चित करते हुए अल्पसंख्यकों के पारम्परिक कौशलों का विकास करना है। 

• परियोजना कार्यान्वित करने वाली एजेंसियों को रोजगार निष्पक्षता और रोजगार परामर्श के मामले में जागरुकता फैलाने के साथ उद्योग क्षेत्र से मजबूत तंत्र जोड़ने के अलावा यह सुनिश्चित करना होगा कि कौशल विकास कि इस प्रक्रिया में गरीबों और लाभ से वंचित तबके के लोगों पर पर्याप्त ध्यान दिया सके। 

• देश के पाँच स्थलों जैसे दिल्ली, कोलकाता, शिलोंग, बरनाला और बंगलूरु में आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम के माध्यम से 500 अल्पसंख्यक प्रशिक्षुओं की पायलट परियोजना का शुभारंभ करने की घोषणा करते हुए आज मुझे खुशी का अनुभव हो रहा है। 55 प्रशि‍क्षुओं का एक समूह इस वर्ष जुलाई से प्रशिक्षण लेना प्रारम्भ कर चुका है । मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि इस समूह के 55 सदस्यों में मुसलमान, सिख और ईसाई अल्पसंख्यक समुदायों से हैं। रोजगार सुनिश्चित करने के लिए इस समूह को आज ही अग्रिम रोजगार पत्र दिये जाएगें। 

• मैं उम्मीद के अनुसार कौशल प्रशिक्षण को समायोजित करने के लिए आईएल एंड एफएस और अपने अधिकारियों को शुभकामनाएं देता हूं। वर्तमान में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार सुनिश्चित करना ही सबसे बेहतर मानव सेवा है। मुझे और भी अधिक प्रसन्नता होती यदि इस समूह में शेष दो समुदाय बौद्ध और पारसी भी होते। हालांकि जल्द ही हम निश्चित रुप से बौद्ध और पारसी समुदायों तक भी पहुंच बनायेंगे। 

• मुझे विश्वास है कि हमारे मंत्रालय का यह कदम वंचित अल्पसंख्यक तबकों के बीच से गरीबी को मिटाने के सरकार के प्रयासों को योगदान प्रदान करेगा। 

• इसके अलावा भारत में पारसी जनसंख्या की घटती संख्या को रोकने से संबंधित मंत्रालय की एक और बेहद महत्वपूर्ण योजना ‘’जीयो पारसी’’ के शुभारंभ पर भी मुझे बेहद प्रसन्नता है। यह एक 100 प्रतिशत केन्द्रीय योजना है। मैं पारसी समुदाय को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत सरकार देश में घटती पारसी जनसंख्या को लेकर बेहद चिन्तित है। हमें इस मामले में सजग रहना होगा कि पारसी समुदाय की कुल जन्मदर एक प्रतिशत से नीचे आ गई है जो बेहद चिंता का विषय है। इसलिए पारसी समुदाय को शामिल करते हुए और उनकी मांग पर अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय ने ‘’जीयो पारसी’’ नामक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। 

• यह एक समुदाय चालित कार्यक्रम है जिसमें पारजोर फाउण्डेशन, बॉम्बे पारसी पंचायत और स्थानीय अंजुमन शामिल हैं। 

• इन लक्षित समूहों में बच्चों को जन्म देने की क्षमता वाले पारसी दम्पति और अपने माता- पिता तथा कानूनी संरक्षकों की सहमति से नपुंसकता जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए युवकों, महिलाओं, किशोरों और किशोरियों की सहायता करना शामिल है। 

• योजना के अंतर्गत चिकित्सीय जांच और दूर तक पहुंच के कार्यक्रम जैसे दो घटकों को जोड़ा गया है। चिकित्सीय जांच को मानक चिकित्सा प्रोटोकॉल में सूचीबद्ध अस्पतालों और क्लीनिकों में कराया जाएगा। परामर्श और दूर क्षेत्र तक पहुंच के कार्यक्रम को पारसी समुदाय की सहभागिता से चलाया जाएगा। 

• मैं इस बात पर खासतौर पर जोर देना चाहूंगा की कार्यान्वयन की प्रक्रिया के दौरान रोगियों की गोपनीयता को बनाए रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगा। 

• मुझे बेहद उम्मीद है कि पारसी समुदाय की सहायता से अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय पारसी जनसंख्या के घटते स्तर को रोककर इसे बढ़ाने में सफल होगा। मैं यहां उपस्‍थि‍त पारसी समुदाय के सदस्‍यों से भी आह्वान करता हूं कि वे योजना के जमीनी स्तर पर उचित कार्यान्वयन के लिए पूर्ण सहयोग प्रदान करें ताकि यह समुदाय इस योजना का पूरा लाभ उठा सके। 

• इन शब्दों के साथ, मैं एक बार फिर से पारसी समुदाय, आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम, प्रशिक्षुओं और मंत्रालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उनके शानदार कार्य के लिए शुभकामनाएं देना चाहूंगा। 
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वि.कासोटिया/अरुण/संजीव/दिनेश/सोनिका-6335

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