Saturday, September 07, 2013

आईए गणेश चतुर्थी पर कला और मेहनत को सलाम करना सीखें

Sat, Sep 7, 2013 at 3:15 PM                              इस कला और त्यौहार से सबंधित वीडियो देखने के लिए क्लिक करें 
गणेश चतुर्थी को लेकर हर और उत्साह व हर्षोउल्लास 
गणेश चतुर्थी के लिए गणेश की मूर्तियों को रंग दे रहे कारीगर
अमृतसर (गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन): पूरे देश में इस समय गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है। हर और जोश है, ख़ुशी है, उत्साह है। गणपति बप्पा को हर कोई अपने घर में ले जाना चाहता है। हो सकता है कि आपके लिए गणेश जी की मूर्ति केवल मूर्ति मात्र ही हो और विसर्जन के बाद घर लौटते लौटते आप इसे में ही भूल जायें लेकिन जो कलाकार इन मूर्तियों को बना कर अपने रंगों की कला से  इन्हें सजीव बनाते हैं उनके लिए ये मूर्तियाँ भगवान से कम नहीं होती। वे पूरा बरस इस दिन की इंतज़ार करते हैं। न जाने अपने खंडन और बिरादरी की कितनी पुश्तों से रंगों की इस साधना और श्रद्धा से गणेश जी की मूर्तियों में रंग भर रहे यह कारीगर बहुत ही श्रद्धा और प्रेम से इस काम को कर रहे हैं। इन सभी के परिवारों को एक नई ज़िन्दगी मिलती है इस पावन पर्व पर। गणेश चतुर्थी के लिए इन मूर्तियों को रंग से भर रहे इन कारीगरों का कहना है कि उनके घर का चूल्हाचौका इन मूर्तियों के बिकने पर ही निर्भर करता है। कई पीढ़ियों से इस काम में जुटे कारीगरों का कहना है कि वे दीवाली, गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा आदि पर्वों के आने से पहले ही इन मूर्तियों का निर्माण करना शुरू कर देते हैं, ताकि समय आने पर लोग इन मूर्तियों को खरीद कर अपने घरों में स्थापित कर सकें। उनके मुताबिक उनकी ओर से तैयार की गई मूर्तियों की कीमत डेढ़ हजार से लेकर ढाई हजार रुपये तक होती है और ग्राहक अपनी पसंद के हिसाब से खरीद कर ले जाते हैं। गणेश जी अपने इस मूर्ती रूप में आकर भी अपने इन ईमानदार मेहनती भक्तों का आर्थिक उद्धार भी करते हैं और मेहनत का फल देकर उनके दिल और दिमाग में भी एक अलौकिक सी ख़ुशी भर देते हैं जो केवल श्रद्धा से मेहनत करने पर ही मिल सकती है। अपने धन दौलत और पद के अहंकार से भरे लोग मन्दिर में आकर भी इस ख़ुशी को हासिल नहीं कर पाते। वे सच्ची कृपा से वंचित रह जाते हैं। गणेश जी अपने इन मेहनती भक्तों की मेहनत और कला के सामने सारी दुनिया को झुका लेते हैं साबित करते हैं की जे तू मेरा हो रहे तो सब जग तेरा होए ! इस लिए आयें भगवान् के इस भव्य संकेत को समझें-इस बार गणेश चतुर्थी पर इन श्रमिकों का सम्मान करना सीखें। मेहनत को सलाम करना सीखें। यही नहीं खुद भी केवल मेहनत की रोटी कमाना सीखें।   
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