Monday, April 29, 2013

मेरा भगवान रथ पर नहीं

टूटी हुई साइकिल पर सवार है 
Himanshu Kumar हिमांशु कुमार लगातार आम जनमानस की बात करने में लगे हिमांशु कुमार की एक नई कविता सामने आई है फेसबुक पर। इस रचना  ज्यों का त्यों दिया जा रहा है। इस रचना को पढने के बाद आपके मन में में जो भी आए आप अवश्य लिखें। आपके विचारीं की इंतज़ार बनी रहेगी। -रेक्टर कथूरिया
Courtesy Photo
मेरा भगवान जूतों से पीटा जाता हैं
और उसकी पत्नी जो देवी है
उसे टट्टी खिलाई जाती है
और गाँव के बाहर पेड़ से बाँध कर उसके बाल काटते हैं बड़ी जाति के पुरुष
क्योंकि वो मानते हैं कि वो असल में एक डायन है

एक दूसरी देवी की बेटी की योनी में पत्थर भरता है तुम्हारा एक देवता

मेरे भगवान की पैंट फटी हुई है
मेरे भगवान के पाँव गंदे हैं
मेरे भगवान से पसीने की तेज गंध आती है
मेरा भगवान रथ पर नहीं
टूटी हुई साइकिल पर सवार है

मेरे भगवान के पिछवाड़े में
ईंट भट्टे का मालिक डंडा घुसेड़ देता है
क्योंकि मेरा भगवान पूरी मजदूरी
मांग रहा था

मेरी देवी के साथ
पूरा थाना
महीना भर
बलात्कार करता है
अब मेरी यह देवी
अपना पेट पालने के लिये चाय की दूकान पर बर्तन मांजती है

आप मुझे नास्तिक समझ रहे थे ?

नहीं जनाब
मेरा भगवान बस आपके
सोने के जेवरों से सजे हुए
लेट कर अपनी पत्नी से पैर दबवाते हुए
भगवान से अलग तरह का है

आपको मेरी इस भाषा से बेचैनी क्यों हो रही है
बस मेरी भाषा थोड़ी वास्तविक सी ही तो है .

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