Monday, November 07, 2011

मन और प्रकृति के रंगों को कैमरे में संजोती सम्वेदना गौतमी

टेकनिक से ज्यादा उन पलों को देखने का नज़रिया 

Samvedna:I am still unknown to myself, searching my identity 
कैमरा सही हाथों में हो और उसे  सही वक्त पर इशारा मिल जाये तो वह इतिहास रच देता है. बेजान से पलों में जान देता है. एक छोटी सी क्लिक ऐसे दस्तावेज़ बना देती है जिन्हें देख कर पत्थर दिल गुनाहगारों के कलेजे भी काँप जाते हैं. एक तस्वीर और उसमें कैद हुए कुछ गुज़र चुके पल दिल को झंक्झौर देते हैं, दिमाग को सोचने पर मजबूर कर देते हैं. कहते हैं की गुज़रा हुआ जमाना, आता नहीं दोबारा...पर कैमरा उस गुज़रे हुए जमाने को भी एक बार फिरसजीव कर देता है. गुजर चुके वक्त की इन तस्वीरों को देख कर दिल की धडकन कभी तेज़ हो जाती है और कभी बढ़ जाती है. आज हम उस कैमरे की बात कराहे हैं जो उसके हाथों में रहा जिस का नाम है सम्वेदना और स्वभाव है अत्यंत सम्वेदनशील. वह प्रकृति से बातें करती है.  जब उसे आशा नजर आती है तो वह उस उम्मीद को अपने कैमरे में बंद कर लेती है, जब निराशा महसूस होती है तो वह उसे भी अपने कैमरे में संजो लेती है औए जब ख़ुशी महसूस होती है तो उन पलों को भी हमेशां के लिए अमर बना देती है. और जिस कैमरे  की बात आज हम कर रहे हैं वह रहा है सम्वेदना के हाथों में. अपने नाम की ही तरह सम्वेदनशील और मर्मस्पर्शी  इस फोटोग्राफर  संवेदना गौतमी, एक सृजनशील फोटोग्राफर हैं.उदीयमान हैं, पर उनके कैमरा की नज़र में पैनापन तथा सोच में बुद्धिमत्ता की झलक उन्हें भीड़ से अलग पहचान देती है. उम्र मात्र  26 साल , शिक्षा में एम बी. ए. यह युवा फोटोग्राफर फ़िलहाल चेन्नई में रहती हैं. उनका ब्लॉग 'माई पेज' में प्रकाशित उनकी फोटोग्राफी से ही उनके कला निपुणता का पता चलता है. हर फोटो के साथ चुने हुए शब्दों का इस्तेमाल का प्रयोग दर्शक को अभिभूत करने के लिए काफी है. 

Nobody can go back and start a new beginning, but anyone can start today and make a new ending
उनका एक ब्लोगिंग है, जिसमे कसाईओं के हाट में पशुओं का खरीद-ओ-फ़रोख्त का दृश्य को इस अंदाज से पेश किया गया है:

अर्थात कोई भी लौट कर नयी शुरूयात तो नहीं कर सकता लेकिन  कोई भी आज से अभी से एक नयी शुरूयात करके एक नए अंत की रचना अवश्य कर सकता है. 
दूसरा ब्लोगिंग Lost Bud में एक बाल-श्रमिक को लकड़ी का काम करते हुए दिखाया गया है जिसके साथ उद्धृत है मार्क ट्वैन का कथन: Lord save us all from... a hope tree that has lost the faculty of putting out blossoms. जोड़ दिया गया है. हर ब्लोगिंग के साथ इस तरह शब्दों का इस्तेमाल हर फोटोग्राफ को एक अलग स्तर पर ले जाता है, जहाँ फोटोग्राफी की टेकनिक से ज्यादा उसको देखने का नज़रिया ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है.
 Lord save us all from... a hope tree that has lost the faculty of putting out blossoms. ~Mark Twain
किन्तु केवल शब्दों का प्रयोग ही नहीं , कभी अन-कहे ही, उनके फोटोग्राफ,बिना वाक्यों का इस्तेमाल से भी बहुत कुछ कह जाते हैं. सम्प्रति उनके पोस्ट किया हुआ ब्लोगिंग Three Moods of Nature में प्रकृति के एक ही रूप में तीन अलग अलग मानविक मूडज़ को ढूंड पाना, वह भी बिना कोई वाक्य बोले, एक अजब कला पारदर्शिता है, जो दर्शकों को मंत्र मुग्ध किये बिना नहीं छोड़ता है.
यह उदीयमान ब्लोगर तथा फोटोग्राफर भारत के जानीमानी नारीवादी लेखिका सरोजिनी साहू तथा ओडिया के सुप्रसिद्ध लेखक जगदीश महंती की सुपुत्री हैं. संवेदना अपने सॉफ्टवेर इंजीनियर पति नरेन्द्र पटनायक तथा एक पुत्र के साथ चेन्नई में रहती हैं.  
संवेदना अपने ब्लॉग में अपना परिचय एक nonsense thinker के रूप में देती है और दावा करती है की उसे बहुत कुछ अभी सीखना है. उसकी भाषा में: I am still unknown to myself, searching my identity  अर्थात 
अभी तक मैं खुद भी अपने आप को नहीं जानती, तलाश कर रही हूँ अपनी पहचान हालत तो हम सभी की यही है की हमसे अधिकतर अपने आप को भी नहीं जानते.....पर बहुत ही कम लोग हैं जो इस हकीकत को जान पाते हैं महसूस कर पाते हैं और उन लोगों की संख्या तो और भी कम है जो अपने जीवन काल में ही अपनी खुद की तलाश शुरू कर पाते हैं....हमें ख़ुशी है की सम्वेदना गौतमी उन कुछ बहुत ही थोड़े से कीमती लोगों में से एक है. आपको सम्वेदना का ब्लॉग कैसा लगा, तस्वीरें कैसी लगी अवश्य बताएं. आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी. --रेक्टर कथूरिया 

No comments: