Saturday, December 18, 2010

खुद भी देखिये और मित्रों को भी दिखाईये

ज़िन्दगी तो इंटरनैट ने ही पूरी दुनिया की बदल दी थी पर लोग अपना नाम पता आम तौर पर सही नहीं बताते थे. इसे कभी भी भावुक हो कर नहीं लेते थे. यहां खिलवाड़ ज्यादा था और हकीकत न के बराबर. गंभीरता आने की बात तो यहां सोची भी नहीं जा सकती थी. कम से कम मुझे तो यही लगता था. फेसबुक पर आ करे पता चला कि इस सोशल साईट ने कितना कुछ बदल दिया है. लोग किस तरह अपना अंतर यहां उड़ेल सकते हैं इसका पता लगा. भावुक होना और भावुक करना...यह यहां एक जादू की तरह हो रहा है. सुबह से लेकर देर रात तक लोग फेसबुक पर होते हैं. इन्हें देख कर मुंशी प्रेम चंद की कहानी शतरंज के खिलाड़ी याद आ जाती है.
एडिक्शन भी इतनी ज्यादा कि न भूख की परवाह और न ही बुखार की. यह बात अलग है कि सभी लोग इसे मानते नहीं.इसे स्वीकार नहीं करते.मुझे कई बार ऐसे फोन आते हैं जिन पर अपनी सारी व्यथा बताई जाती है. सुनाते सुनाते लोग रो पड़ते हैं. फोन सुनते सुनते मेरे हाथ भी थक जाते हैं, फोन की बैटरी से कान भी गर्म हो जाते हैं..लेकिन लोग एक एक घंटा अपनी बात जारी रखते हैं. बातों में दम होता है, बहुत ही दर्द छुपा होता है. कभी कभी लोग अपनी जान तक देने की बात करते हैं.उन्हें लगता है की अब फेसबुक का मित्र ही नाराज़ हो गया तो अब जीने में क्या रखा है.उनकी बातें सुन कर उनसे नाराज़ होने की मेरी हिम्मत नहीं होती.किसी को यह गिला होता है की किसी ने उसे अपनी फ्रेंडज़ लिस्ट से निकाल क्यूं दिया, किसी को यह गिला की उसने उकी बात क्यूं नहीं मानी...बहुत सी बातें हैं जो बेहद निजी किस्म की भी हैं...पर लोग उनको लेकर दुखी हैं. 
उनको लगता है कि उनके साथ ज्यादती हो रही है. मैंने इस तरह के लोगों से बहुत बार स्पष्ट किया कि न तो मैं कोई  लव गुरू हूं और न ही मनोविज्ञानी....इस लिए मुझसे अपेक्षा रखना फज़ूल है...पर ये लोग मेरी सची बातको भी नहीं मानते. लोगों की यह भावुकता केवल नयी नयी कच्ची उम्र के लोगों में ही नहीं बल्कि प्रोड और बड़ी उम्र के लोगों में भी है. कुछ देर पूर्व एक सर्वेक्षण रिपोर्ट आई थी तो उसमें बताया गया था कि बड़ी उम्र के लोग भी सोशल साईटों पर तेज़ी से बढ़ रहे हैं. ऐसी हालत में किसी समझदार को समझाना कभी कभी उल्टा भी पड़ सकता है. ये लोग अपने फेसबुक मित्रों के घरेलू  समागमों में शामिल होते हैं, उनके दुःख में दुखी होते हैं....वो भी इतने दिल से कि नज़दीक रहने वाले रिश्तेदार भी हैरान रह जाएं. मुझे डर लगता है कि कहीं मज़ाक या लापरवाही से कोई हादसा न हो जाये. हाल ही में जो कुछ लुधियाना के शेरपुर में हुआ उसे देखते हुए यह सब कुछ और भी गंभीर होता जा रहा है.  इस का पूरा विवरण आप यहां क्लिक करके भी पढ़ सकते हैं और साथ ही दी गयी तस्वीर पर क्लिक करके भी. मुझे  इस सब कुछ की याद आई मीना शर्मा का पेज  देख कर. वहां एक मजाकिया  वीडियो थी विवाह-ऐ-फेसबुक कविता के रंग में रंगे हुए इस वीडियो को क्ल्मब्द्द किया है हिमीश मदान ने. अमृतसर के हिमीश आजकल नयी दिल्ली में रहते हैं. 
उनकी इस दिलचस्प रचना के बारे में मुझे अब केवल इतना ही कहना है कि आप इसे खुद भी देखिये बस यहां क्लिक करके और मित्रों को भी दिखाईये. तीन मिनट 59 सेकंड  की यह वीडियो आपको कैसी लगी अवश्य बताएं. ...और हां चलते चलते एक बात और. पंजाबीके उन सात महांरथी शायरों को भी मुबारक अवश्य दीजिये जिन्होंने ने मिल कर एक ग़ज़ल लिखी है. इन मेंसे एक शायर ने इसे अपनी आवाज़ भी दी. संयुक्त गज़ल के इस अनोखे प्रयास की तस्वीर भी दी गयी है.इसे सुनने के लिए यहां क्लिक करें--रेक्टर कथूरिया.
         

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