Saturday, August 07, 2010

चर्चा ब्लागों की

डाक्टर हरदीप कौर संधू
ब्लॉग की दुनिया सुंदर भी हो रही, विशाल भी और पहले से अधिक ज़िम्मेदार भी.इस बात का अहसास आप कर सकते हैं इस जगत की तेज़ रफ्तारी को देख कर. चिट्ठाजगत ने आज यानि की शनिवार की शाम को 16 नए चिट्ठों के आगमन की सूचना दी. इन नए चिट्ठों में इनमें साहित्य की नयी विद्या को आगे लेकर आया है हिंदी हायकू. पंजाब के जनजीवन और संस्कृति की जानकारी बहुत ही काव्यमय अंदाज़ में देने वाले पंजाबी ब्लॉग पंजाबी वेह्ढ़ा के शानदार संपादन और संचालन के बाद अब डाक्टर हरदीप कौर संधू अपनी प्रतिभा को हिंदी पाठकों के सामने भी उसी लगन और मेहनत से लेकर आई है.पंजाब के बरनाला में जन्मी डाक्टर हरदीप कौर संधू आजकल सिडनी आस्ट्रेलिया में है.दो तीन पंक्तियों की छोटी छोटी सुंदर कवितायें आपका समय लिए बिना आपको पूरा मज़ा देती हैं. इसी लेखिका का एक और ब्लाग भी शब्दों का उजाला.
 प्रियदर्शी मिश्रा
एक और नया ब्लॉग सामने आया है लफ्ज़. प्रियदर्शी मिश्रा का यह ब्लॉग भी साहित्य से जुड़ा है.इसके बारे में उनका कहना है,'लफ्ज़' मेरे दिल की जुबान हैं ,यह एक पुलिंदा है उन अल्फाजों का जो तकनिकी तौर पर कविता या ग़ज़ल नही कहला सकते लेकिन फिर भी दिल को बहुत करीब से टटोलते हैं.उम्मीद है ये आपको भी कही टटोलेंगे ......" इंजीनियर के छात्र प्रियदर्शी का साहित्य से लगाव बहुत ही गहरा लगता है.लेखक का लगाव मथुरा से भी है और लखनऊ  से भी.दिलचस्प बात यह है किताबों और गज़लों के साथ अभिनय से भी प्रियदर्शी पूरा लुत्फ़ उठाते हैं. उनके ब्लॉग में आपको मिलेंगी आंसू  की चर्चा, प्रेम की बातें, परी कथा की कवितायें और नुक्कड़ नाटकों के वीडियो क्लिप.इसे पूरा पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.
एक  और नए ब्लॉग की सूचना है जिसका नाम है हिंदी खबरनोयडा से संचालित इस ब्लॉग में काफी कुछ है जो समाचार की दुनिया में महत्वपूर्ण गिना जाता है.उम्मीद की जानी चाहिए कि वैब मीडिया को और अर्थपूर्ण ओर तेज़ धार का बनाने में इस ब्लॉग से भी सहयोग मिलेगा.पूरा पढ़ने के लिए यहां चटका दें.
शाह नवाज़
मीडिया में प्रेम रस की चर्चा करने वाले शाह नवाज़ अपने बारे में कहते हैं,'मैं ग़ालिब की नगरी दिल्ली से हूँ, एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हूँ और विज्ञापन एवं डिजाईन से जुड़े कार्य संभालता हूँ। पत्रकारिता से करिअर की शुरुआत की थी, शुरू से ही लिखने का बहुत शौक है जो कि मुझे मेरे स्वर्गीय नानाजी से मिला था, लेकिन आर्ट के क्षेत्र में आने के बाद अधिक समय ही नहीं मिल पाया। कभी-कभार कुछ पत्रिकाओं के लिए ही लिख पाया, लेकिन लिखने का सिलसिला छूटा नहीं। अब कुछ अधिक समय मिला तो इसे खुदा की गनीमत समझते हुए अपने ब्लॉग पर लिखना शुरू किया है। इसे पूरा पढ़ने का मज़ा लें यहां एक चटका दे कर.
दीपक राई
गोरखा टूडे या हामी गोर्खाली में सब कुछ अपने नाम के अनुरूप है. जहां भी गोरखा कल्चर है इस ब्लॉग ने वहां के जनजीवन और विकास की पूरी खबर देने का प्रयास किया है.मध्यप्रदेश भोपाल में रहने वाले दीपक राई ने इस ब्लॉग पर काफी मेहनत की है.ब्लॉग में वीर गोरखा सैनिकों के साथ ही उन नेपाली लेखकों की भी चर्चा की गयी है जो किसी न किसी वजह से गुमनामी के अँधेरे में खो गए. दार्जिलिंग हो या कोई और जगह...इस ब्लॉग में गोरखा हितों की चर्चा बहुत ही स्पष्ट और सुंदर तरीके से की गयी है.इस मुद्दे पर राजनीतक दलों के नज़रिए और काम का विवरण अपने पाठकों को देने के लिए काफी मेहनत की गयी है जो साफ़ नज़र भी आती है.इसकी सजावट भी देखने वाली है.कुल मिला कर यह ब्लॉग अपने नाम को भी सार्थक करता है.आप भी अपने ब्लॉग का लिंक और उसकी चर्चा भेजिए साथ ही अपने बारे में कुछ विवरण. और तस्वीर. --रेक्टर कथूरिया  

5 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

चंगे लिंक दिए जी

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

खूब बढिया चिट्ठों का संकलन किया आपने...

Shabad shabad said...

आपने मेरे ब्लॉग को चर्चा मंच पर की।
आप का मैं दिल से धन्यवाद करती हूँ ।
दूसरे लिंक भी बहुत अच्छे है।
आभार !

दिलबागसिंह विर्क said...

great