Wednesday, July 28, 2010

काश भारत भी ऐसा सीख पाता

20 अप्रैल 2010 को हुए धमाके के बाद राहत कार्यों में तूफानी तेज़ी लायी गयी. इस मकसद के लिए बनायीं गयीं रेस्पोंस बोटस की इस तस्वीर को कैमरे में उतारा अमेरिकी रक्षा विभाग के तट रक्षकों ने 22 अप्रैल 2010 के दिन. गौरतलब है कि इसमें 11 वर्कर लापता हो गए थे जिनके बारे में बाद में पता चला कि वे मारे गए हैं.
भारत में गैस या तेल रिसाव के मामलों पर बेशक हजारों लोग मारे जाएँ फिर भी यहां बरसों तक लकीर पीटने और फिर उन मुद्दों को केवल बहस तक सीमित रखने की बातें चलती रहती हैं लेकिन अमेरिका ने मेक्सिको की खाड़ी में तेल रिसाव के मामले को बहुत ही गंभीरता से लिया है. वहां के राष्ट्रपति ओबामा खुद उस मामले को बारीकी से देखने लगे.यह रिसाव अमेरिकी तट  से 65 किलोमीटर दूर हुआ था और उसमें 11 लोग मरे गए थे.फिर भी वहां इसे जिस तरीके से लिया गया वह एक मार्गदर्शन है, एक मिसाल होना चाहिए भारत के लिए भी.अमेरिकी दबाव के चलते ही ब्रिटिश पेट्रोलियम के मुख्य कार्य कारी अधिकारी टोनी हेवर्ड ने प्रथम अक्टूबर से अपना पद छोड़ देने का ऐलान कर दिया है.यहां अभी तक बहस होती है, राज्नेती की जाती है.....भोपाल गैस मामले का मूल दोषी एंडरसन कैसे भागा, किसने भगाया, ऐसा हुआ, वेसा हुआ.....! बस इसी तरह की बहसों के चक्र में चुनाव आते हैं कुछ लोग जीत जाते हैं और कुछ हार जाते हैं लेकिन मुद्दे हर बार पीछे छूट जाते हैं. आम जनता हर बार हार जाती है. क्या इसे ही कहते हैं लोक तन्त्र...?                                        --रेक्टर कथूरिया 

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