Sunday, December 04, 2022

गुरशरण सिंह नाटय उत्सव का दूसरा दिन

Sunday 4th December 2022 at 06:20 PM

मंच पर साकार हुई 'नटी बिनोदनी' की सच्ची ऐतिहासिक कहानी

19वीं सदी के बंगाल के महान संत रामकृष्ण परमहंस 1884 में उनके नाटक को देखने आए थे। नटी बिनोदिनी, 1994 में बनी एक बंगाली फिल्म थी जिसमें प्रसोनजित चटर्जी और देबश्री राय ने अभिनय किया था। यह फिल्म नटी बिनोदिनी के ऊपर बनाई गयी थी। --सम्पादक 


चंडीगढ़: 4 दिसंबर 2022: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::

यह तस्वीर विकिमीडिया कॉमन से 
सुचेतक रंगमंच मोहाली द्वारा हर वर्ष आयोजित होने वाले 'गुरशरण सिंह नाटय उत्सव' के दूसरे दिन बांग्ला रंगमंच की जीवित शहीद नटी बिनोदनी की गाथा प्रस्तुत की गई। यह नाटक बता रहा था कि डेढ़ सदी में कला जगत भी ज्यादा नहीं बदल सका। नाटक 'नटी बिनोदनी' बंगाली थिएटर अभिनेत्री बिनोदनी दासी की आत्मकथा पर आधारित है, जिसे पंजाब कला परिषद और संस्कृति मंत्रालय का सहियोग  प्राप्त था।

यह नाटक नटी बिनोदनी की आत्मकथा और उनके जीवनीकारों की कृतियों पर आधारित था, जिसकी स्क्रिप्ट शब्दीश ने लिखी थी। वह थिएटर में कैसे आई और किन परिस्थितियों में अंधेरी गलियों में खो गई; यह कहानी केवल नाटक का वर्णन करती है।

अनीता शब्दीश, जो नाटक की निर्देशक भी हैं, ने नटी बिनोदनी की मुख्य भूमिका निभाई थी। वह रंगमंच को पूजा मानती हैं; इसलिए वह प्यार को भी ठुकरा देती है और थिएटर कंपनी को बचाने के लिए खुद को अमीरजादे को बेच देती है। तन-मन को निछावर करने वाली इस महिला की पीड़ा संवेदनशील दर्शकों को बार-बार हिलाती है क्योंकि वे देखते हैं कि उसके साथी कलाकार थिएटर कंपनी पर कब्ज़ा करते के लिए किस हद्द तक साजिश रचते हैं। वह उनके सामने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नहीं, बल्कि एक वेश्या की बेटी है, हालांकि दर्शकों के लिए वह सती सावित्री, सीता और द्रोपती थीं, जिनकी भूमिकाएँ उन्होंने निभाईं। अपने पुरुष साथियों की साजिशें और पुरुष प्रधान रवैये से दुखी नटी बिनोदनी हमेशा के लिए मंच छोड़ देती हैं और गंभीर सवाल उठाते हुए दर्शकों में खो जाती हैं।

इन स्थितियों को एक अभिनेत्री के रूप में निर्देशक अनीता शबदीश ने जीवंत किया। जसवीर सिंह ने तत्कालीन टीम निदेशक गरीश घोष की भूमिका निभाई। वह टीम को बचाने के लिए सहायक कलाकारों के साथ मिलकर काम करता है; नटी बिनोदनी को भीतर से तोड़ने वाली मानसिक यातना की साजिशों में भागीदार बन जाता है, हालाँकि वह बिनोदानी के प्रति सहानुभूति भी रखता है। हरमनपाल सिंह ने राजा बाबू की भूमिका निभाई, जो प्यार तो करता है, लेकिन पत्नी के बजाय एक रखैल मानता है। तेजभान गांधी ने उनके बूढ़े आशक गुरुमुख बाबू की भूमिका निभाई। रमन ढिल्लों ने नटी बिनोदानी की दादी और माँ की भूमिकाएँ निभाईं और मिष्टी ने बिनोदनी के बचपन की भूमिका निभाई, जिसका गुरजीत दिओल के साथ छोटा सा रोल था।

इस नाटक का सेट लख्खा लहरी द्वारा डिजाइन किया गया था, जबकि संगीत दिलखुश थिंद द्वारा रचित था। इसके गाने सलीम सिकंदर और मिनी दिलखुश ने गाए थे।

5 दिसंबर को होगा 'लच्छू कबाड़िया कबरिया': अभिनेता मंच मोहाली की तर्फ से डाॅ. साहिब सिंह दलित समाज के जीवन को प्रस्तुत करने वाला नाटक 'लच्छू कबाड़िया' प्रस्तुत करेंगे।

निरंतर सामाजिक चेतना और जनहित ब्लॉग मीडिया में योगदान दें। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने या कभी-कभी इस शुभ कार्य के लिए आप जो भी राशि खर्च कर सकते हैं, उसे अवश्य ही खर्च करना चाहिए। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आसानी से कर सकते हैं।

No comments: