Tuesday, December 29, 2020

संत लोंगोवाल के जन्मदिन को भाजपा करेगी विशाल रैली

   29th December 2020 at 7:44 PM   

  पंजाब और सिख सियासत में पकड़ बढ़ाने की कवायद तेज़  


लुधियाना: 29 दिसम्बर 2020: (पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

सत्ता में आने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के अधिकतर  नेता और कार्यकर्ता  प्रमाद और आलस्य में नहीं पड़े। पार्टी के एजंडे और मकसद को आत्मसात करने कराने की लम्बी और अनुशासित परीक्षण भरी साधना बहुत गंभीरता से चलती रही जिसकी चर्चा मीडिया में करने से गुरेज़ किया जाता रहा। दूसरी तरफ बहुत से अन्य दलों के लोग एजंडे की तरफ न तो गंभीर हुए और न ही मीडिया में अपनी चमक दिखने का लोभ संवरण कर सके। परिणाम यह  हुआ कि भाजपा  के नेता परेड के पीछे रेक कर एजंडे को पूरा करने मं दिन रात एक करने वाले योद्धा बन गए।  भाजपा से सबंधित परिवार का बच्चा बच्चा पार्टी नीतियों पर विरोधभरी तीखी बहस करने के भी काबिल हुआ।  यह बात अलग कि यह बहस तर्क और तथ्यों से हटती हटती अक्सर आक्रामक भी हो जाती। दुसरे को हर हाल में अपनी बात ही मनवाना सबसे ज़रुरी लगने लगा। 

इस सारी तैयारी के बाद पार्टी अपने एजंडे को लेकर पहले से भी ज़्यादा मुखर भी हुई और सक्रिय भी। यही कारण है कि किसानों  को लेकर तकरीबन सारा देश एक तरफ और भाजपा एक तरफ। एनडीए में आ रही दरारें भी इस हठधर्मी को नहीं रोक सकीं। अकालीदल का गठबंधन से अलग होना भी बीजेपी के एजंडे को नहीं रोक पाया। बीजेपी का एक के बाद एक घोषित एजंडा भी पूरा होता चला गया गया और अन्य अघोषित एजंडों पर भी काम जारी रहा। 

कश्मीर में धारा 370 हटाना और राम मंदिर इनमें बीजेपी की मुख्य उपलब्धियां रहे लेकिन किसानों के मुद्दे पर अकालीदल और कांग्रेस पर लगे दोगलेपन के आरोपों के बावजूद बीजेपी की सियासत पूरी दबाव वाली नीति बना कर चलती चली जा रही है। दिल्ली में किसान और सरकार  क्या फैसला करते हैं इस तरफ भी पार्टी पूरी तरह से सतर्क है। प्रचार अभियान में किसानों की आलोचना से कभी नहीं चुके भाजपा नेता चाहे वे पार्टी के राष्ट्रिय नेता हों या फिर पंजाब या हरियाणा के नेता रहे हों। हड्डीओं को कंपा देने वाली शीत लहर में  बाहर सड़कों पर बैठे किसानों पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता तीक्ष्ण सूद ने यहां तक कह दिया कि ये किसान नहीं पिकनिक मनाते लोग हैं। इस तरह के कड़वे और झूठे भाषणों से भाजपा नेताओं की जो दूरी पंजाब  के किसानों और आम जनता के साथ लगातार बढ़ रही है वह शायद किसान धरने का  बाद भी दूर नहीं होने वाली। नेताओं को शायद बुरा कहा सुना  भूलने की आदतें रहीं हों लेकिन किसान और जाट इन्हें याद रखेंगे। 

खेती कानूनों को पारित किये जाने के बाद के बाद पैदा हुए तनाव भरे इस दौर में भी भारतीय जनता पार्टी ने किसानों के तीखे विरोध और विपक्ष के उस तरफ झुकाव के बावजूद अपने  कड़े  रुख को कभी भी नरम करने का संकेत नहीं दिया। ऐसे हालात में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लुधियाना में एक विशाल रैली  के आयोजन  का ऐलान बहुत ही महत्वपूर्ण है। 

यह रैली दो जनवरी को की जानी है। गौरतलब है कि जून-84 के हालात की आहट अब भी जब कभी कभार सुनाई देने लगती है तो तो रौंगटे खड़े होने लगते हैं। उस बेहद संवेनदशील कार्यकाल के वक़्त चला सिख आंदोलन दो संत शख्सियतों पर केंद्रित था। इनमें से एक थे संत हरचंद सिंह लोंगोवाल जिन्हें खालिस्तान समर्थक लोग पंथ का गद्दार कहते भी हैं और मानते भी हैं।  संत  लोंगोवाल की हत्या  करने वाले हत्यारे समर्थक  इस हत्या का ज़िक्र करते वक़्त हमेशां इसे खुल कर और बहुत ही उपलब्धि के स्वर में  इसकी चर्चा करते। पंजाब समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ हस्ताक्षर करने के एक महीने के अंदर अंदर ही संत लोंगोवाल हत्या कर दी गई थी। समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे 24 जुलाई 1985 और संत लोंगोवाल की हत्या की गई थी 20 अगस्त 1985 को। 

दूसरी तरफ बहुसंख्यिक लोग संत लोंगोवाल को राष्ट्रिय शहीद कहते हैं।  पंथ दो प्रमुख खेमों में विभाजित सा  हो कर दिया गया।  एक देश भक्त गिना जाने लगा और इस तरह के दावे भी करने लगा दूसरा खुद को असली और संत समर्थकों को गद्दार कहने लगा।  यह सोच अभी तक भी जारी है। उनके संगठन, उनके अन्य मंच,  उनके चैनल सब अलग अलग हैं। 

उल्लेखनीय है कि संत लोंगोवाल की हत्या उसी दिन की गई थी जिस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीवगांधी का जन्मदिन आता है अर्थात 20 अगस्त का दिन। अब यह हत्या इत्तफ़ाक़न उसी दिन की गयी या कोई विशेष योजना या कोई ऐसी सोच थी इस पर कुछ कहना अभी उचित न होगा। संत लोंगोवाल की हत्या के बाद अकालीदल मज़बूती से राष्ट्रिय छवि बनाकर उभरा। अकालीदल की सरकार भी बनी।  संत लोंगोवाल की बरसी पर आने वालों में रामकृष्ण हेगड़े, चंद्रबाबू नायडू और  मेनका गांधी सरीखे वरिष्ठ नेता भी शामिल रहते। यह सब एक राष्ट्रिय आयोजन बन कर स्थापित हुआ। इन पंक्तियों के लेखक ने बहुत बार इस आयोजन को मीडिया कवरेज के मकसद से बेहद नज़दीक हो कर देखा सुना। 

यह सब याद आया बीजेपी का एक  प्रेस ब्यान देख कर।  भारतीय जनता पार्टी जिला लुधियाना के जिला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल की अध्यक्षता में एक बैठक सर्किट हाउस लुधियाना मै सम्पन्न हुई। भाजपा जिला अध्यक्ष  पुष्पेन्द्र सिंगल ने बैठक को संबोधित करते हुए बताया कि पंजाब भाजपा के अध्यक्ष अश्वनी शर्मा के दिशा निर्देशों के मुताबिक 2 जनवरी 2021 दिन शनिवार को भाजपा एक रैली करने जा रही है जो लुधियाना में होगी। उस दिन की तारीख  ऐलान बहुत अर्थ रखता है। 

उसी दिन अर्थात संत लोंगोवाल के जन्मदिन की तारीख लुधियाना में भाजपा रैली करने की घोषणा अभी हाल ही में सामने आई है। भाजपा जिला अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंगल ने कहा कि कांग्रेस के लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्टू द्वारा की गई गलत बयानबाजी की लाशों के डेर लग जाएंगे के विरोध में भाजपा ने मांग की है कि सांसद रवनीत बिट्टू के खिलाफ FIR दर्ज की जाए ताकि पंजाब का माहौल खराब न हो। किसान आंदोलन के चलते हालात तो पहले से ही बेहद संवेदनशील बने हुए हैं।  ऐसे में इस रैली का आयोजन हालात को और गरमा देगा। 

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी भाजपा नेताओं नेअपनी आलोचना का निशाना बनाया। भाजपा जिला अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंगल ने कहा कि कुछ रोज़ पहले  बठिंडा में भाजपा कार्यकर्ताओ पर कैप्टन सरकार की शह पर जबरन कार्यक्रम में घुसकर तोड़ फोड़ व पथराव कर भाजपा कार्यकर्ताओ पर जानलेवा हमला किया जाना ओर पुलिस को हमलावरों क साथ देते हुए देखा जाना यह साफ जाहिर करता है कि यह सब कैप्टन सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया है। दो जनवरी को रैली का आयोजन भाजपा की तरफ से सियासी तौर पर मुनाफे का सौदा रहता लगता है। 

इस मौके पर भाजपा के ज़िला महामंत्री राम गुप्ता, कांतेंदु शर्मा, जिला उपाध्यक्ष सुनील मोदगिल, योगेंदर मकोल,अश्वनी बहल, महेश शर्मा, आर डी शर्मा, यशपाल जमोत्रा, हर्ष शर्मा, जिला सचिव नवल जैन, कैलाश चौधरी,अमित डोगरा, भूषण गोयल, मनमीत सिंह चावला, संजय गोसाई, पंकज जैन, सुमन वर्मा, तरनजीत सिंह ,  सह कशियर सुमित टंडन, प्रवक्ता नीरज वर्मा, धर्मेंद्र शर्मा, अंकित बतरा, डिंपी मक्कड़, महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष मनिंदर कौर घुम्मन, एस सी मोर्चा के जिला प्रधान कुलविंदर सिंह, ज़िला प्रैस सचिव-डॉ सतीश कुमार,  युवा मोर्चा के प्रधान कुशाग्र कश्यप, मंडल प्रधानों में जसदेव तिवारी, प्रिंस भंडारी, रोमी मल्होत्रा, तीर्थ तनेजा ,भूपिंदर राय, गुरदीप सिंह सोढ़ी,पंकज शर्मा, सुरेश अग्रवाल, केवल गर्ग क्रांति डोगरा, शिव राम गुप्ता, गुरप्रीत सिंह राजू , राजीव शर्मा, हरविंदर जॉली, हरीश शर्मा, हरीश सग्गड़, विनय मित्तल, गौरव अरोड़ा, दमन कपूर, यशपाल वर्मा, संदीप वधव, राकेश जग्गी, संजीव सचदेवा आदि प्रमुख कार्यकर्त्ता मौजूद थे।
 

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