ब्रह्मकुमारियों ने बताये PAU में योगिक कृषि के आध्यात्मिक रहस्य
लुधियाना: 27 सितम्बर 2015: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
विज्ञानं के विकास का सच अपनी जगह पर होगा लेकिन लगता है कि परा विज्ञानं या फिर आध्यात्मिक विज्ञान आज भी आगे है। बात किसी धर्म स्थल की होती तो शायद अलग बात थी लेकिन कृषि विज्ञानं के जाने माने संस्थान पीएयू में लगा एक ऐसा स्टाल जिसने इस विज्ञानं के लिए बहुत सी नयी बातें व्यक्त की। आयोजन था किसान मेले का और स्टाल था ब्रह्मकुमारीज़ का। गौरतलब है कि ब्रह्मकुमारीज़ विश्वविद्यालय दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
इस स्टाल पर बताया गया कि रसायनिक खादों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग ने न केवल धरती मान की शक्ति को क्षीण किया है बल्कि भूमि से पैदा होनव वाले अन्न की शक्ति को भी घटा दिया है। अब इस अन्न को खा कर कैंसर, डायवटीज़ और रक्तचाप जैसी बीमारियां भी गंभीर रूप धारण कर चुकी हैं। लगातार बढ़ रहे अस्पतालों और डाक्टरों के बावजूद आज का मानव सुरक्षित नहीं है। कृषि वैज्ञानिकों के हवाले से बताया गया है कि फसल को जो जो संसाधन या तत्व चाहिएं वे फसल की जड़ों के आसपास ही होते हैं। फसल भूमि से तो केवल 1.5 से 2 ही लेती है बाकी 98 से लेकर 98.5 फीसदी वह बाहर हवा और पानी से ही लेती है। फसल को ऊपर से कुछ भी देने की आवश्यकता नहीं क्यूंकि भूमि खुद ही अन्नपूर्णा है। किसान मेले के दौरान PAU के वैज्ञानिकों ने इस सरे प्रचार पर कोई किन्तु परन्तु नहीं किया। ज़ाहिर है कि PAU का विज्ञानं इस आश्य को स्वीकार करता है कि फसल को ऊपर से कुछ भी देने की ज़रूरत नहीं है। अब सही कौन है इसका फैसला तो हाथ पर लेकिन आप ब्रह्मकुमारीज़ का पूरा आलेख यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं। आप इस सारे मामले पर क्या सोचते हैं इस पर आपकी राये की इंतज़ार बनी रहेगी। कृपया अपने विचार भेजना न भूलें।
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