Tuesday, August 18, 2015

मनिकरण में पहाड़ टूटा--कम से कम 10 की मौत


निर्माण के लिए अवैध खुदाई और तेज़ धुप से रुष्ट हुआ पर्वत 
मणिकरण, 18 अगस्त 2015: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
हिंदुयों और सिखों के प्रमुख तीर्थस्थल मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारे की सराय पर मंगलवार दोपहर पहाड़ से एक चट्टान गिरने के कारण हुए हादसे में कम से कम 10 लोग मारे गये, जबकि 10 अन्य घायल हो गये। इसी बीच वाटसअप पे मुर्तकों की संख्या 35 तक भी बताई गयी। घायलों को कुल्लू के जिला अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है, जहां 2 की हालत गंभीर बनी हुई है। कुछ गंभीर घायलों को पीजीआई चंडीगढ़ भी रैफर किया गया। हादसे का शिकार हुए 15 लोग पंजाब के संगरूर जिले के रोगला तलवा मंडी गांव के हैं। कई घायलों की पहचान अभी नहीं हो पायी है। हादसा इतना भयावह था कि सब लोग बदहवास हो गए। हादसा दोपहर करीब 2 बजे हुआ। गुरुद्वारे से सटे पहाड़ से करीब 10 वर्गफुट की चट्टान 500 मीटर की ऊंचाई से सराय पर गिरी तो इसने भवन के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया। ये चट्टानें सभी छतों को तोड़ती हुयी नीचे जा कर नदी में भ गयीं। पूरी इमारत इस हादसे के बाद दो भागों में बटी नज़र आ रही थी। 

8 मंजिला सराय की 6 मंजिलों को नुकसान पहुंचा है। हादसे का शिकार हुए लोगों में से ज्यादातर ऊपर वाली मंजिलों में थे। यह भी कहा जा रहा है कि मरने वालों की संख्या ज्यादा हो सकती है। मलबे में दबे लोगों को निकालने में एनडीआरएफ की टीम के साथ-साथ एसएसबी, होमगार्ड और पुलिस के जवानों के अलावा स्थानीय लोगों ने भी हाथ बंटाया। एसएसबी के कमांडेंट संजीव यादव के मुताबिक अभी यह कहना मुश्किल है कि यहां और शव हो सकते हैं या नहीं। वहीं, गुरुद्वारा प्रबंधकों का कहना है कि सराय भवन के 14 कमरों में 30 लोग ठहरे हुए थे।  इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने घटनास्थल का दौरा किया और घायलों का हाल जाना। हादसे में निक्का राम, तरसेम चंद, मिट्ठू सिंह, अवतार उर्फ कालू, लोकराज, पपिंद्र जीत सिंह, हंसराज और गुरविंदर घायल हुए हैं।
तेज़ धुप से टूट गयीं चट्टानें: बारिश के बाद निकली तेज़ धुप अक्सर खतरनाक होती है। इस क्षेत्र में 2 दिनों की बारिश के बाद मंगलवार को धूप निकली थी। माना जा रहा है कि बारिश के बाद तेज धूप की वजह से पहाड़ के एक हिस्से में दरार आ गयी और चट्टान नीचे आ गिरी। वहीं, कुल्लू के जिला उपायुक्त राकेश कंवर का कहना है कि प्रबंधक पहाड़ काटकर लगातार गुरुद्वारे का विस्तार कर रहे हैं। संभव है कि पहाड़ खिसकने की आज की घटना का कारण अवैज्ञानिक ढंग से की गयी खुदाई हो।
ठंडे और खौलते पानी के कुंड हैं यहां: कुल्लू से करीब 45 किलोमीटर दूर पार्वती नदी के किनारे बना यह गुरुद्वारा गर्म पानी के कुंडों के लिए जाना जाता है। कड़ाके की ठंड में भी इनमें पानी खौलता है। सिख इतिहास के मुताबिक श्री गुरु नानक देव जी यहां भाई मरदाना के साथ आये थे। मरदाना के लिए लंगर पकाने के लिए उन्होंने एक पत्थर हटवाया, तो गर्म पानी का कुंड निकला। उसी पानी में लंगर पकाया गया था। मरने वालों में ज़्यादातर लोग संगरूर ज़िले के रोगले गाँव के हैं। मुर्तकों की पहचान यादविंदर सिंह, लाडी, सोनी राम, गुरदीप सिंह, गोपाल, रघुवीर और काका सिंह के रूप में हुयी है।  अन्यों की पहचान के प्रयास जारी हैं।

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