Saturday, May 23, 2015

लुधियाना में तेज़ हुयी मीडिया के अधिकारों की जंग

पत्रकारों के कई संगठन एलायंस बनाने पर हुए सहमत 
लुधियाना: 23 मई 2015: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): 
पत्रकारों ने अपने अधिकारों की जंग और तेज़ कर दी है। आज गुरुनानक भवन में हुआ विशेष आयोजन कम से कम इस बात का जीता जागता सबूत था। बहुत ही कम समय के नोटिस पर बुलाये गए इस कार्यक्रम में पत्रकार जिस जोशो खरोश से पहुंचे उसे देख कर लगता था कि अबकि बार लड़ाई आर पार की होगी। 
आरम्भ कुछ नाज़ुक था। डीपीआरओ का विरोध, प्रेस क्लब बनाने के लिए पिछले कुछ दिनों से सरगर्म टीम का विरोध और कुछ अन्य मुद्दे माहौल को शुरू में गर्माने लगे थे पर इस आयोजन के लिए सक्रिय भूमिका अदा कर रहे गौतम जालंधरी ने बात को संभालते हुए स्पष्ट किया कि हम न तो किसी के विरोध में हैं और न ही प्रेस क्लब बनाने के खिलाफ हैं।  उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर प्रेस क्लब बनता है तो सबसे अधिक ख़ुशी उन्हें होगी। गौरतलब है कि गौतम जालंधरी यहाँ लुधियाना प्रेस क्लब (रजिस्टर्ड) की प्रतिनिध्ता भी कर रहे थे। 
दुसरे संगठन प्रेस लायन्ज़ क्लब के प्रमुख बल्ली बराड़ ने गौतम जालंधरी के विचारों का समर्थन करते हुए इस भड़कती आग को बुझाने में सक्रिय योगदान दिया। 
एक अन्य पत्रकार संगठन के प्रमुख एस पी सिंह ने आगाह किया कि यहाँ बैठे लोग यह न समझें कि वे किसी बंद हाल में बैठे हैं।  यहाँ की हर जानकारी आहर जा रही है और जानी भी चाहिए। इससे से व्यक्तिगत छींटाकशी का ज़ोर कुछ कम होने लगा। एडवोकेट राजेश मेहरा और गौरव अरोड़ा ने सभी के लिए सामान कानून की संविधानिक परिभाषा की व्याख्या की और सवाल किया कि डीपीआरओ कौन होता है इन अधिकारों को छीनने वाला। उन्होंने कहा की अगर उन्हें कहा गया तो वे इस मामले को कोर्ट में लेजायेंगे और जीत कर भी दिखाएंगे। गौरतलब है की सुनील कामरेड पहले ही कह चुके थे कि न तो वह डीपीआरओ ऑफिस में जाते हैं और न ही उन्हें इसकी ज़रूरत है।
इसी बीच बहुत से उतराव चढ़ाव देखने वाले पत्रकार सुनील जैन ने विवाद को सुलझाने का प्रयास करते हुए कहा कि प्रेस क्लब बनाने के लिए और इसका सदस्य बनने के लिए रखी गयी शर्तों में गलत कुछ भी नहीं।  अगर अख़बार या चैनल ही अपने पत्रकार को मान्यता नहीं देगा तो उसे क्लब का सदस्य कैसे स्वीकार किया जा सकता है? उन्होंने स्टाफर और स्ट्रिंगर के अंतर को भी सहजता से समझाया। सुनील जैन ने याद दिलाया कि प्रेस क्लब बनने के प्रयास अतीत में कई बार हो चुके हैं लेकिन एकजुट न होने के कारण वे सिरे नहीं चढ़ सके। उन्होंने नाम लेकर ज़िक्र किया कि मंत्री हरनाम दास जौहर ने दो लाख रुपयों का चैक दिखाकर मीडिया को दो वर्ष चक्र में डेल रखा गया लेकिन प्रेस क्लब नहीं बन सका। इस लिए अब अगर यह बन रहा है तो इसे बनने दिया जाये। जैन  ने मीडिया के समक्ष कुछ बाद्लील प्रश्न भी रखे। 
आजकल बहुत सरगर्म पत्रकार राकेश मौदगिल ने बहुत ही जोशीले अंदाज़ में कहा कि हम अपने अधिकार छीनने वालों को जाने ही कहाँ देंगें, यहीं गिरा लेंगें।  सड़क भी पार नहीं करने देंगें। 
आज के आयोजन का मुख्य आकर्षण बने रहे पंकज शारदा ने अपने अनुभवी अंदाज़ के साथ बहुत ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि मीडिया में कोई छोटा बड़ा नहीं होता। खबरों की कवरेज में खतरे की बात करते हुए शारदा ने कहा कि जितना खतरा डेस्क पर बैठे पत्रकार को होता है उतना ही खतरा गली मौहल्ले में काम करने वाले संवाद सूत्र को भी होता है। किसी को भी तथाकथित पत्रकार लिखे जाने पर एतराज़ करते हुए शारदा ने फटकारते हुए कहा कि अपने ही भाईचारे में किसी को तथाकथित लिखनेवाला खुद क्या है? उन्होंने संस्कारों की चर्चा करते हुए कहा कि अगर किसी से कोई गलती हुयी भी हो तो उसे आपस में समझना होगा। हमें अपने भाईचारे का साथ देना होगा चाहे वह गलत ही क्यों न हो। 
प्रितपाल सिंह पाली, जसमीत कौर, बलवीर सिंह सिद्धु, राजेश मेहरा, सुशील मल्होत्रा और कई अन्य पत्रकारों ने भी अपने विचार रखे। सभी पत्रकारों को एक समान मताधिकार का प्रस्ताव भी सर्वसम्मत राय से पारित हुआ। 
देर शाम प्राप्त एक प्रेस नोट के मुताबिक महानगर में संयुक्त प्रेस क्लब के गठन के उदेश्य से सभी पत्रकारों की मीटिंग गुरुनानक भवन में हुई। जिसमें सर्वसम्मति से 200 से अधिक पत्रकारों ने एकजुटता से हाथ खड़े करके सभी पत्रकारों को एक समान बताते हुए सभी को वोटिंग का अधिकार की मांग की गयी। मीटिंग में साँझा प्रेस क्लब के गठन पर सहमति जताई गयी व फॉर्म भी वितरित किये गए। साथ ही सर्वसमति से 21 सदस्यी कमेटी घोषित की गयी। मीटिंग में गौतम जालंधरी ने कहा कि इस मीटिंग के बाद समुचा पत्रकार भाईचारा संयुक्त प्रेस क्लब बनाने की दिशा में एक कदम और बढा है। पंकज शारदा ने कहा कि कोई पत्रकार बडा छोटा नहीं है। सुनील राय कामरेड ने कहा कि भारतीय संविधान ने वोट के अधिकार में कोइ भेदभाव नही किया। बल्ली बरार ने कहा कि यह सभी के लिए ख़ुशी की बात है कि सभी प्रेस संगठन एक मंच आए और भविष्य में 21 मेम्बरी कमेटी के जरिये एकजुटता बनाये रखने की बात कही। राजेश मेहरा एडवोकेट, गौरव अरोड़ा ने कहा कि कानून सभी के लिए एक समान है। एसपी सिंह व् अशोक थापर ने सहमति दी। योगेश कपूर, राकेश मौदगिल, प्रितपाल सिंह पाली, नीलकमल शर्मा, सुशील मल्होत्रा, जसमीत लूथरा, मेहमि जी, रॉकी जी, चरणजीत सलुजा, राजेश मेहरा, संजीव मोहिनी, सिद्धू जी, सुनील जैन ने प्रेस क्लब के चुनाव को फार्म जमा करवाने की अपील की। अब देखना है कि यह कंग कहीं भीतरघात करने वालों और हर वक़्त अपनी "मैं" का बखान करने वालों का शिकार न बन जाये। 

लुधियाना के पत्रकारों की एक आवश्यक संयुक्त बैठक 23 मई को 

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