Thursday, October 30, 2014

बैंक कर्मचारियों ने अपनी माँगों के संबध में किया रोष प्रदर्शन

अखिल भारतीय बैंक हड़ताल 12 नवम्बर 2014 को
संघर्ष और तेज़ करने की चेतावनी भी दी 
से दिसंबर 2014 तक क्रमिक आंचलिक हड़तालें
लुधियाना: 30 अक्टूबर 2014: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो ):नीचे वीडियो भी देखें:--
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्ज़ की तरफ से उत्तम वेतन समझौते के लिए आंदोलनात्मक कार्यक्रम जारी करते हुए फव्वारा चौंक स्थित भारतीय स्टेट बैंक के समक्ष रोष प्रदर्शन किया। कामरेड नरेश गौड़ संयोजक,का.गुलशन चौहान, का.जेपी कालड़ा,डीसी लांड्रा (एनसीबीई) पवन ठाकुर प्रधान पंजाब बैंक इम्प्लाईज़ फैडरेशन (लुधियाना इकाई)राकेश खन्ना एसोसिएट बैंक आफिसर्स एसोसिएशन आदि ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में वेतन और सेवाशर्तें उद्योगस्तरीय द्विपक्षीय समझौतों से संचालित हैं जो कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन और कामगार यूनियनों तथा अधिकारी यूनियनों जो बैंकिंग उद्योग  में कार्यरत हैं के माध्य हस्ताक्षरित होते हैं.। उन्होंने कहा की सभी बैंक जिन्होंने आईबी को उनकी ओर से सौदेबाज़ी करने के लिए आईबी को अधिकार पत्र दिए हैं।  इस समझौते के पक्षधर होते हैं.। यू एफ बी यू  5 कामगार यूनियनों और 4 अधिकारी यूनियनों का प्रतिनिधित्व करती है.। आबीए के साथ कामगार, अधिकारियों  के वेतन पुनरीक्षण के लिए चर्चा कर रही है।  उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को यदि शीध्र न माना गया तो संघर्ष और तेज कर दिया जायेगा। इस प्रोटेस्ट में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
यूनाईटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू)  ने शीघ्र एवं बेहतर वेतन समझौते के लिए आन्दोलनात्मक कार्यक्रम जारी किया है जिसमें कई अलग अलग चरण हैं।  
निर्णय के मुताबिक, यूएफबीयू लुधियाना इकाई ने आज भारतीय स्टेट बैंक, सिविल लाईंन्स, नजदीक फुहारा चौंक, लुधियाना के सामने जबरद्स्त प्रदर्शन किया । कामरेड नरेश गौड़, संयोजक, युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्सकामरेड गुल्शन चौहान,  कामरेड जे.पी.कालड़ा (.आई.बी..सी), कामरेड डी.सी.लांडरा (एन.सी.बी.), कामरेड पवन ठाकुर, प्रधान, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना इकाई), कामरेड राकेश खन्ना, एसोसिएट बैंक्स आफिसर्स एसोसिएशन (यूनिट : स्टेट बैंक आँफ पटियाला) ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया।
बैंक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए फोरम के नेताओं ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में वेतन और सेवाशर्तें उद्योगस्तरीय द्विपक्षीय समझौतों से संचालित होते हैं जो कि इंण्डियन बैक्स एसोसिएशन (आबीए) और कामगार यूनियनों तथा अधिकारी यूनियनों जो बैंकिंग उद्योग में कार्यरत हैं के मध्य हस्ताक्षरित होते हैं । सभी बैंक जिन्होंने आईबी को उनकी ओर से सौदेबाजी करने के लिए आईबी को अधिकार पत्र दिये हैं इस समझौते के पक्षकार होते हैं । यूनाईटेद फोरम आफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) 5 कामगार यूनियनों और 4 अधिकारी यूनियनों का प्रतिनिधित्व करती है जो हाल में आबीए के साथ कामगारों/अधिकारियों के वेतन पुनरीक्षण के लिए वार्तालाप कर रही है ।
बैंक कर्मचारियों का वेतन पुनरीक्षण 1/11/2012 से देय है क्योंकि विगत द्विपक्षीय समझौता 31/10/2012 को समाप्त हो गया । एकरूप माँगपत्र कामगारों के लिए और अधिकारियों के लिए अलग-अलग यूएफबीयू द्वारा आईबी को 30/12/2012 अर्थात विगत द्विपक्षीय समझौते की अवधि पूर्ण होने से पूर्व के दिया गया ।
यूएफबीयू बातचीत आरम्भ करने के लिए अनुरोध करती रही है जिससे कि एक समयबद्ध पहल से इसकी माँगों और वेतन समझौता सम्पन्न करने के लिए एक तार्किक समय में बातचीत हो सके । किन्तु आईबी के लापरवाय और टालमटोल रूख के कारण वार्तालाप प्रक्रिया असाधारण रूप से विलम्बित हो गई है और वेतन वार्तालाप में कोई उल्लेखनीय प्रगति 2 वर्ष का समय बीतने के उपरांत भी नहीं हुई है । औपचारिक बातचीत फरवरी     में आरम्भ हुई और अभी तक इसके 13 दौर आईबी तथा यूएफबीयू के मध्य हो चुके हैं अर्थात 2 माह में एक बार बातचीत ।
आईबीए बार-बार बैंकों की न दे पाने की क्षमता का तर्क दे रही है और वेतन पर्ची मदों में 11% की वृद्वि के अपने प्रस्ताव पर अड़ी है, जबकि यूएफबीयू एक सम्मानजनक समझौते की माँग कर रही है जिसमें कर्मचारियों द्वारा उच्च मुद्रास्फीति दर के कारण अनुभव की जा रही कठिनाईयों को ध्यान में लिया जाय, जिसने की कर्मचारियों के वेतन को एक बड़े पैमाने पर विलुप्त कर दिया है। 
बैंक कर्मचारी, कामगार और अधिकारी, गम्भीर तनाव के बावजूद उल्लेखनीय रूप से कार्य कर रहे हैं जबकि बैंकों में कार्यभार अत्याधिक बढ़ गया है जिसका कारण अपर्याप्त स्टाफ का होना और वित्तीय समावेशन आदि के कारण अनेक नई शाखाओं का खुलना है । बैंक कर्मचारी सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों/योजनाओं जिसमें हाल में ही लागू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना भी शामिल है, को सफलतापूर्वक लागू करने में पीछे नहीं रहे हैं । सरकार की योजनाओं को उनके द्वारा दिलो-जान से समर्थन दिये जाने के उपरांत यद्यपि बड़े पैमाने पर उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ता है, बैंक कर्मचारियों को तुलनात्मक रूप से तथा पर्याप्त रूप से भुगतान नहीं हो रहा है ।
यद्यपि यूएफबीयू ने एक लचीला रूख समझौते को शीघ्र अन्तिम रूप देने की दृष्टि से अपनाने की इच्छा जाहिर की है, इसका आईबीए द्वारा उचित प्रत्युत्तर नहीं दिया जा रहा है । अत: एक बार पुन: बैंक कर्मचारियों को आन्दोलन एवं संघर्ष के मार्ग पर धकेला जा रहा है । इन परिस्थितियों में, बैंककर्मियों के लिए तुरन्त वेतन समझौते की माँग करते हुए यूएफबीयू ने निर्णय लिया है कि एकदिवसीय अखिल भारतीय विरोध हड़ताल 12 नवम्बर 2014 को की जाय और क्रमिक आंचलिक हड़तालें इस प्रकार की जायें :-
02/12/2014        दक्षिणी अंचल - आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरला, तमिलनाडु,                         तेलंगाना प्रदेश तथा लक्षद्वीप तथा पांडिचेरी के केन्द्र शासित प्रदेश
03/12/2014        उत्तरी अंचल - छ्त्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और             कश्मीर, मध्य प्रदेश, नई दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेशउत्तरांचल,                   राजस्थान प्रदेश तथा केन्द्र शासित चंडीगढ़
04/12/2014        पूर्वी अंचल - बिहार, झारखंड, उड़ीसा, सिक्किम, पश्चिम बंगाल,              उत्तर पूर्वी प्रदेश और केन्द्र शासित अण्डवान एवं निकोबार द्वीप                समूह
05/12/2014        पश्चिमी अंचल - गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र प्रदेश तथा दमन एवं द्वीव               के केन्द्र शासित क्षेत्र

हम वास्तविक रूप से बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के कारण महत्वपूर्ण ग्राहकों/जनसामान्य को होने वाली असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हैं और अपने न्यायपूर्ण मुद्दों के लिए उनसे नैतिक समर्थन की आशा करते हैं  क्योंकि बैंक कर्मचारियों की पर्याप्त वेतन वृद्दि की माँग न केवल उचित है बल्कि पूर्ण पात्रता रखती है ।

गौरतलब है कि इन बैंक मुलाज़िमों ने यह प्रदर्शन अपने भोजनावकाश (लंच) में से समय निकल कर किया तांकि बैंक का कामकाज प्रभावित न हो और आम जनता का बैंकिंग काम भी न रुके। 




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