Mon, Aug 12, 2013 at 4:43 PM
मकसद सीमावर्ती लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करना
अमृतसर (गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन): अफगानिस्तान में होने वाली अफीम की खेती और अफीम से तैयार की जाने वाली हेरोइन को वाया पाकिस्तान और भारत के जरिए यूरोप के देशों तक तस्करी करने के बारे में कौन नहीं जानता। इस तस्करी के लिए पंजाब को एक रूटीन रूट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसके लिए कई नामी तस्करों के साथ-साथ नाबालिग और नए युवकों को प्रलोभन देकर अपने नेक्सस में शामिल कर लिया जाता है। इसके अलावा सीमावर्ती इलाके के युवकों को नशे का भी आदि बना दिया जाता है। सीमा पार से आने वाले नशीले पदार्थों को कुछ हद तक सीमा सुरक्षा बल, पुलिस, कस्टम और अन्य खुफिया एजेंसियां समय-समय पर बरामद भी करती है। लेकिन अब सीमा सुरक्षा बल ने न सिर्फ इस नेक्सस को पूरी तरह से ध्वस्त करने की योजना बनाई है, बल्कि लोगों को भी अपने इस अभियान में जोड़ने के लिए नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान की शुरूआत की है। इसके तहत आज सीमावर्ती गांव हरदो रत्न में पहला कैंप आयोजित किया गया। जिसमें करीब दो दर्जन गांवों के सरपंच, पंच और लोगों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर नशे के कुर्पभावों को दर्शाते एक नाटक का मंचन भी किया गया। इस मौके पर पहुंचे गांवों के सरपंचों और अन्य ने कहा कि इस तरह के अभियान से सीमावर्ती इलाकों को काफी फायदा मिलेगा। उनके मुताबिक अनपढ़ता और बेरोजगारी ही इस समस्या की असल जड़ है। जिसे समाप्त करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम करना बहुत जरूरी है।
उधर, बीएसएफ के डीआईजी एमएफ फारुखी ने बताया, कि बीएसएफ, पुलिस और अन्य खुफिया एजेंसियां अपना काम बाखूबी कर रहे हैं। लेकिन इसमें यदि आम लोगों की शमूलियत हो जाए, तो सोने पे सुहागे जैसी बात होगी। इसी आइडिया के तहत ही इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। जिसके तहत न सिर्फ नौजवानों को नशे की लत से बचाने की कोशिश की जाएगी, बल्कि लोगों के सहयोग से सीमा पार से आने वाले नशे के रास्ते को भी पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।
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मकसद सीमावर्ती लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करना
फोटो:गजिंद्र सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन |
उधर, बीएसएफ के डीआईजी एमएफ फारुखी ने बताया, कि बीएसएफ, पुलिस और अन्य खुफिया एजेंसियां अपना काम बाखूबी कर रहे हैं। लेकिन इसमें यदि आम लोगों की शमूलियत हो जाए, तो सोने पे सुहागे जैसी बात होगी। इसी आइडिया के तहत ही इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। जिसके तहत न सिर्फ नौजवानों को नशे की लत से बचाने की कोशिश की जाएगी, बल्कि लोगों के सहयोग से सीमा पार से आने वाले नशे के रास्ते को भी पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।
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