दफ्तर खुलने से पहले ही एकत्र हो जाते हैं फ़ार्म
लुधियाना: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): आधार कार्ड का खुय्द अपना आधार कितना खोखला और अनियमित है इसका एक नया मामला सामने आया है जगराओं और आसपास के इलाकों की है जहाँ आधार कार्ड बनाने के लिए लगे कैंप में आये लोगों को बुरी तरह निराश करके वापिस भेज दिया जाता है। कहा जाता है यह की आज का कोटा पूरा हो चूका है इसलिए फिर किसी दिन आना। दिलचस्प बात यह की यह कोर जवाब उस समय सुबह सुबह ही दे दिया जाता है जब कैंप आफिस का ताल भी नहीं खुला होता। हैरानी की बात है कि ताला खुलने से पूर्व ही निश्चित कोटे के फ़ार्म किसने और कहाँ से पूरे कर लिए। सरकारी विज्ञापनों में आधार कार्ड बनाने के लिए प्रचारित की जाने वाली सुविधाएं और घोषनाएं एक मजाक बन कर रह गयी हैं। वास्तव में हर सरकारी काम की तरह आधार कार्ड बनवाना भी आम लोगों के लिए एक अच्छी खासी मुसीबत बन गयी है। लोग सुबह चार बजे से ही कार्ड बनवाने के लिए लाइन में लग जाते हैं, फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। इसी बात को लेकर मंगलवार के दिन २७ अगस्त को लोग बड़ी संख्या में गुस्से में आ गए। वे अपनी दिहाड़ी तोड़ कर वहां आये थे और ऊपर से मिला कोर जवाब। भडके हुए इन लोगों को पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शांत तो कराया पर इस गुस्से का कारण कौन दूर करेगा। कौन कराएगा इसकी जांच कि वास्तव में जान पहचान के लोगों से अग्रिम धन लेकर उनके फार्मों से ही कोटा पूरा कर लिया जाता है।
कोटा पूरा होने के बाद आम जनता के लिए एक कोर जवाब या ताल मटोल ही बाकि बचता है! जानकारी के अनुसार जगराओं के बीडीपीओ दफ्तर में लगे आधार कार्ड कैंप में मंगलवार को करीब सुबह छह बजे कुछ लोग कार्ड बनवाने पहुंचे। लेकिन सुबह सुबह वहां पहले से ही मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें यह कहकर वापस जाने को कहा कि आज केवल 70 कार्ड ही बनेंगे। उसने इसका कारण बी बताया कि आज केवल 70 कार्ड बनेंगे और उतने फार्म पहले से ही उनके पास आ चुके हैं इसलिए आप किसी और दिन आइएगा। सवाल उठता है क्या कोटे के निश्चित 70 फ़ार्म क्या घर घर जाकर आधी रात को एकत्र कर लिए गए थे? अगर नियम पहले आओ पहले पाओ का है तो यह नियम ताल खुले बिना पूरा ही कैसे हुआ? यह सारा ड्रामा देख कर वहां मौजूद लोग गुस्से में आ गए और उक्त व्यक्ति से पूछने लगे कि वो कौन होता है आधार कार्ड के निवेदन पत्र लेने वाला, जबकि दफ्तर में अभी ताला लगा है। इसका कोई ठोस जवाब न था और न ही मिला।
यह बुरी हालत केवल एक कैंप की नहीं बल्कि कई स्थानों की है। गांव शेरपुरा के पूर्व फौजी जगजीत सिंह, गुरदित सिंह व बेअंत कौर ने भी इस बारे में कहा कि वह और उनके साथ दर्जनों लोग पिछले तीन दिनों से कार्ड न बनने कारण लौट रहे हैं। आज भी वह सुबह करीब पांच बजे से आए थे लेकिन उसने पहले ही वह व्यक्ति करीब 70 फार्म लिए हुए था। जबकि कार्ड बनने का काम सुबह नौ बजे से होता है। इसके बाद कर्मचारी के आते ही कार्ड न बनने से परेशान लोगों ने उसके साथ बहस शुरू कर दी। इसके बाद मामला बढ़ते देख पुलिस को भी सूचना दी गई। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंच कर लोगों को शांत कराया तथा कार्ड बनवाने का काम शुरू कराया।
लोग जब उठते हैं तो फिर कुछ किये बिना बैठने का नाम भी नहीं लेते। यहाँ भी कुछ ऐसे ही हुआ। लोग जब कुछ ज्यादा ही गुस्से में आये तो उन्होंने ढूँढ निकला। मिलने पर आधार कार्ड कैंप के प्रमिंदर सिंह ने बताया कि एक दिन में करीब 70 कार्ड बनाने की प्रक्रिया मुकम्मल होती है। इसलिए जो भी पहले 70 लोग आते हैं उनका ही फार्म लिया जाता है। अब देखना है यह है कि इस सरे सिस्टम को पारदर्शी और सुविधाजनक कैसे है?
आधार कार्ड से सबंधित कुछ अन्य खबरें
लुधियाना: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): आधार कार्ड का खुय्द अपना आधार कितना खोखला और अनियमित है इसका एक नया मामला सामने आया है जगराओं और आसपास के इलाकों की है जहाँ आधार कार्ड बनाने के लिए लगे कैंप में आये लोगों को बुरी तरह निराश करके वापिस भेज दिया जाता है। कहा जाता है यह की आज का कोटा पूरा हो चूका है इसलिए फिर किसी दिन आना। दिलचस्प बात यह की यह कोर जवाब उस समय सुबह सुबह ही दे दिया जाता है जब कैंप आफिस का ताल भी नहीं खुला होता। हैरानी की बात है कि ताला खुलने से पूर्व ही निश्चित कोटे के फ़ार्म किसने और कहाँ से पूरे कर लिए। सरकारी विज्ञापनों में आधार कार्ड बनाने के लिए प्रचारित की जाने वाली सुविधाएं और घोषनाएं एक मजाक बन कर रह गयी हैं। वास्तव में हर सरकारी काम की तरह आधार कार्ड बनवाना भी आम लोगों के लिए एक अच्छी खासी मुसीबत बन गयी है। लोग सुबह चार बजे से ही कार्ड बनवाने के लिए लाइन में लग जाते हैं, फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। इसी बात को लेकर मंगलवार के दिन २७ अगस्त को लोग बड़ी संख्या में गुस्से में आ गए। वे अपनी दिहाड़ी तोड़ कर वहां आये थे और ऊपर से मिला कोर जवाब। भडके हुए इन लोगों को पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शांत तो कराया पर इस गुस्से का कारण कौन दूर करेगा। कौन कराएगा इसकी जांच कि वास्तव में जान पहचान के लोगों से अग्रिम धन लेकर उनके फार्मों से ही कोटा पूरा कर लिया जाता है।
कोटा पूरा होने के बाद आम जनता के लिए एक कोर जवाब या ताल मटोल ही बाकि बचता है! जानकारी के अनुसार जगराओं के बीडीपीओ दफ्तर में लगे आधार कार्ड कैंप में मंगलवार को करीब सुबह छह बजे कुछ लोग कार्ड बनवाने पहुंचे। लेकिन सुबह सुबह वहां पहले से ही मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें यह कहकर वापस जाने को कहा कि आज केवल 70 कार्ड ही बनेंगे। उसने इसका कारण बी बताया कि आज केवल 70 कार्ड बनेंगे और उतने फार्म पहले से ही उनके पास आ चुके हैं इसलिए आप किसी और दिन आइएगा। सवाल उठता है क्या कोटे के निश्चित 70 फ़ार्म क्या घर घर जाकर आधी रात को एकत्र कर लिए गए थे? अगर नियम पहले आओ पहले पाओ का है तो यह नियम ताल खुले बिना पूरा ही कैसे हुआ? यह सारा ड्रामा देख कर वहां मौजूद लोग गुस्से में आ गए और उक्त व्यक्ति से पूछने लगे कि वो कौन होता है आधार कार्ड के निवेदन पत्र लेने वाला, जबकि दफ्तर में अभी ताला लगा है। इसका कोई ठोस जवाब न था और न ही मिला।
यह बुरी हालत केवल एक कैंप की नहीं बल्कि कई स्थानों की है। गांव शेरपुरा के पूर्व फौजी जगजीत सिंह, गुरदित सिंह व बेअंत कौर ने भी इस बारे में कहा कि वह और उनके साथ दर्जनों लोग पिछले तीन दिनों से कार्ड न बनने कारण लौट रहे हैं। आज भी वह सुबह करीब पांच बजे से आए थे लेकिन उसने पहले ही वह व्यक्ति करीब 70 फार्म लिए हुए था। जबकि कार्ड बनने का काम सुबह नौ बजे से होता है। इसके बाद कर्मचारी के आते ही कार्ड न बनने से परेशान लोगों ने उसके साथ बहस शुरू कर दी। इसके बाद मामला बढ़ते देख पुलिस को भी सूचना दी गई। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंच कर लोगों को शांत कराया तथा कार्ड बनवाने का काम शुरू कराया।
लोग जब उठते हैं तो फिर कुछ किये बिना बैठने का नाम भी नहीं लेते। यहाँ भी कुछ ऐसे ही हुआ। लोग जब कुछ ज्यादा ही गुस्से में आये तो उन्होंने ढूँढ निकला। मिलने पर आधार कार्ड कैंप के प्रमिंदर सिंह ने बताया कि एक दिन में करीब 70 कार्ड बनाने की प्रक्रिया मुकम्मल होती है। इसलिए जो भी पहले 70 लोग आते हैं उनका ही फार्म लिया जाता है। अब देखना है यह है कि इस सरे सिस्टम को पारदर्शी और सुविधाजनक कैसे है?
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