पंजाब में उतारा चौथी पीढ़ी का घुटना प्रत्यारोपण इम्प्लांट
लुधियाना, 18 जुलाई, 2013: एसपीएस अपोलो हॉस्पिटल ने आज यहां अत्याधुनिक घुटना प्रत्यारोपण इम्प्लांट पेश किया। पीएस-150 नामक यह विश्व का नवीनतम इम्प्लांट घुटने को सामान्य तरीके से मोडऩे की सहूलियत प्रदान करता है और इसमें टूट-फूट भी खास नहीं होती। घुटना बदलने की इस तकनीक में चौथी पीढ़ी का नी-इम्प्लांट प्रयोग किया जाता है।
एसपीएस अपोलो हॉस्पिटल, लुधियाना के वरिष्ठ सलाहकार एवं हड्डी व घुटना प्रत्यारोपण विभाग के प्रमुख डॉ. हरप्रीत एस गिल ने बताया कि भारत में केवल कुछ ही केंद्रों पर इस तरह के इम्प्लांट की सुविधा उपलब्ध है।
घुटना बदलने की इस शल्य क्रिया के बारे में डॉ. गिल ने बताया कि पश्चिमी देशों के लोगों की तुलना में भारतीयों के घुटने की हड्डी छोटी होती है। घुटना बदलने की सर्जरी के दौरान नये जोड़ को अच्छी तरह से फिट करने के लिए हड्डी को काटना-छीलना पड़ता है। नयी विधि में हड्डी को थोड़ा से छीलने से ही बात बन जाती है इसलिए कृत्रिम जोड़ ज्यादा लचीला और सुविधाजनक रहता है। सिगमा पीएस 150 नामक इस नये इम्प्लांट से घुटने को 150 डिग्री तक मोड़ा जा सकता है और यह चलता भी लंबे समय तक है।
उन्होंने आगे कहा कि नया जोड़ युवाओं और अधिक भाग-दौड़ करने वालों के लिए भी अच्छा साबित होगा क्योंकि इसे लगाने के बाद व्यक्ति न सिर्फ खेल सकता है, बल्कि मरीज फर्श पर भी आराम से बैठ सकता है।
घुटना प्रत्यारोपण के क्षेत्र में दुनिया भर में नाम कमा चुके फ्रांस के डॉ. जेएल ब्रियार्ड इस सर्जरी को शुरू करने के लिए स्वयं एसपीएस अपोलो हॉस्पिटल लुधियाना पहुंचे। उन्होंने बताया कि अपने 35 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने घुटना प्रत्यारोपण के मामले में कई तरह की नयी तकनीकें देखी हैं। नये समय के इम्प्लांट की उम्र 30 वर्ष तक भी हो सकती है। मोबाइल बियरिंग प्रौद्योगिकी के चलते घुटने को 20 डिग्री तक घुमाया जा सकता है, जिससे कि यह सामान्य घुटने जैसा ही प्रतीत होता है। नया इम्प्लांट में हड्डी के साथ तालमेल बिठाने की उच्च क्षमता होती है। यह हड्डी और ऊतकों को प्राकृतिक रूप में रखने में सक्षम है।
रीजन के घुटना प्रत्यारोपण विशेषज्ञों और उभरते हड्डी शल्य चिकित्सकों को नयी तकनीक के बारे में विस्तार से समझाने के लिए डॉ. जेएल ब्रियार्ड एक कार्यशाला और सीएमई कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे। वे इस क्षेत्र में हो रही नयी खोजों के बारे में भी बताएंगे।
लुधियाना, 18 जुलाई, 2013: एसपीएस अपोलो हॉस्पिटल ने आज यहां अत्याधुनिक घुटना प्रत्यारोपण इम्प्लांट पेश किया। पीएस-150 नामक यह विश्व का नवीनतम इम्प्लांट घुटने को सामान्य तरीके से मोडऩे की सहूलियत प्रदान करता है और इसमें टूट-फूट भी खास नहीं होती। घुटना बदलने की इस तकनीक में चौथी पीढ़ी का नी-इम्प्लांट प्रयोग किया जाता है।
एसपीएस अपोलो हॉस्पिटल, लुधियाना के वरिष्ठ सलाहकार एवं हड्डी व घुटना प्रत्यारोपण विभाग के प्रमुख डॉ. हरप्रीत एस गिल ने बताया कि भारत में केवल कुछ ही केंद्रों पर इस तरह के इम्प्लांट की सुविधा उपलब्ध है।
घुटना बदलने की इस शल्य क्रिया के बारे में डॉ. गिल ने बताया कि पश्चिमी देशों के लोगों की तुलना में भारतीयों के घुटने की हड्डी छोटी होती है। घुटना बदलने की सर्जरी के दौरान नये जोड़ को अच्छी तरह से फिट करने के लिए हड्डी को काटना-छीलना पड़ता है। नयी विधि में हड्डी को थोड़ा से छीलने से ही बात बन जाती है इसलिए कृत्रिम जोड़ ज्यादा लचीला और सुविधाजनक रहता है। सिगमा पीएस 150 नामक इस नये इम्प्लांट से घुटने को 150 डिग्री तक मोड़ा जा सकता है और यह चलता भी लंबे समय तक है।
उन्होंने आगे कहा कि नया जोड़ युवाओं और अधिक भाग-दौड़ करने वालों के लिए भी अच्छा साबित होगा क्योंकि इसे लगाने के बाद व्यक्ति न सिर्फ खेल सकता है, बल्कि मरीज फर्श पर भी आराम से बैठ सकता है।
घुटना प्रत्यारोपण के क्षेत्र में दुनिया भर में नाम कमा चुके फ्रांस के डॉ. जेएल ब्रियार्ड इस सर्जरी को शुरू करने के लिए स्वयं एसपीएस अपोलो हॉस्पिटल लुधियाना पहुंचे। उन्होंने बताया कि अपने 35 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने घुटना प्रत्यारोपण के मामले में कई तरह की नयी तकनीकें देखी हैं। नये समय के इम्प्लांट की उम्र 30 वर्ष तक भी हो सकती है। मोबाइल बियरिंग प्रौद्योगिकी के चलते घुटने को 20 डिग्री तक घुमाया जा सकता है, जिससे कि यह सामान्य घुटने जैसा ही प्रतीत होता है। नया इम्प्लांट में हड्डी के साथ तालमेल बिठाने की उच्च क्षमता होती है। यह हड्डी और ऊतकों को प्राकृतिक रूप में रखने में सक्षम है।
रीजन के घुटना प्रत्यारोपण विशेषज्ञों और उभरते हड्डी शल्य चिकित्सकों को नयी तकनीक के बारे में विस्तार से समझाने के लिए डॉ. जेएल ब्रियार्ड एक कार्यशाला और सीएमई कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे। वे इस क्षेत्र में हो रही नयी खोजों के बारे में भी बताएंगे।
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