Monday, March 25, 2013

शहादत दिवस पर लुधियाना में भी हुआ जलसे का आयोजन

समाजवादी भारत के निर्माण  से ही गरीबों की जिन्दगी बेहतर बन सकेगी
इंकलाबी शहीदों के सपनों को साकार कर के हो होगा समाजवादी भारत का निर्माण 
लुधियाना: 24 मार्च। (रेक्टर कथूरिया)  शहीदों के विचारों को उलझाने और शहीदों के सपनों को धुंधलाने की अनगिनत कुचेष्टायों के बावजूद आम जनता पर शहीदों के विचारों का रंग जोर पकड़ रहा है। अश्लीलता की आंधी, गुंडागर्दी का ज़ोर और साम्प्रदायिकता के बहकावे शहीदों के विचारों का तूफ़ान रोक नहीं सके। इस बार शहीदों को याद करने के आयोजन केवल 23 मार्च तक सीमित नहीं रहे बल्कि बहुत पहले से शुरू होकर बाद तक भी जारी रहे। लुधियाना की पुडा ग्राऊंड में हुआ आयोजन भी इसी  सिलसिले की ही एक कड़ी था। जलसे के रूप में हुए इस आयोजन के ज़रिये स्पष्ट कहा गया कि ‘‘जिस आज़ादी की जंग में हिस्सा लेते हुए शहीद भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू ने भरी जवानी में फाँसी का फन्दा चूमा था वह आज़ादी अभी नहीं आई है। भगतसिंह और उनके साथियों का मकसद एक ऐसे भारत का निर्माण था जिसमें हर व्यक्ति सम्मानजनक जीवन जी सके, जहाँ रोटी-कपड़ा-मकान से लेकर स्वास्थ्य, आराम, मनोरंजन आदि सभी बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें। जहाँ हर किसी को शिक्षा हासिल हो सके, हर हाथ को रोजगार मिल सके।’’
यह शब्द आज पुडा मैदान में भारत के महान क्रान्तिकारी शहीदों को समर्पित शहादत दिवस जलसे में टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन के नेता राजविन्दर ने कही। उन्होंने कहा कि भगतसिंह और उनके साथियों ने बार बार यह चेतावनी दी थी कि सिर्फ अंग्रेजी गुलामी से छुटकारा हासिल कर लेने से ही भारत के करोड़ों श्रमिकों की जिन्दगी में बुनियादी तबदीली आने वाली नहीं है। उन्होंने अनेकों बार यह स्पष्ट किया था कि सामन्ती-पूँजीवादी व्यवस्था की जगह जब तक समाजवादी आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था स्थापित नहीं हो जाती तब तक साधारण जनता की आजादी नहीं आ सकेगी। 
नौजवान भारत सभा के कनवीनर छिन्दरपाल ने इस विशाल जन जलसे को संबोधित करते हुए कहा कि आज नौजवान गन्दी, अश्लील संस्कृति व नशों में डुबो दिए गए हैं। यह इतिहास का बेहद अन्धकारमय दौर है। हमें भगतसिंह के कहे अनुसार आज के गतिरोधित दौर में इन्सानियत की रूह में नयी स्पीरिट पैदा करने के लिए जोरदार कोशिशें करनी होंगी। उन्होंने सभी इंकलाबपसंद, तबदीली पसंद युवाओं-श्रमिकों को शहीद भगतसिंह और उनके साथियों के सपनों के भारत के निर्माण के लिए आगे आने का आह्वान किया।
जलसे को सम्बोधित करते हुए कारखाना मकादूर यूनियन के कनवीनर लखविन्दर ने कहा कि आज विश्व पूँजीवादी व्यवस्था अतिरिक्त उत्पादन के अटल और असाध्य संकट में बुरी तरह से घिरा हुआ है। मुनाफे की अन्धी दौड़ की वजह से पैदा हुए इस संकट का सारा बोझ जिस तरह पिछले समय में हुक्मरान मेहनतकश जनता पर डालते आए हैं, वही अब भी हो रहा है और भविष्य में यह हमला और बड़े स्तर पर होगा। इसकी वजह से आने वाले दिनों में महँगाई, छँटनियाँ, तालाबन्दियाँ, बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी तेकाी से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पूँजीवादी हुक्मरान जनता के सम्भावित प्रतिरोध आन्दोलनों को कुचलने के लिए धर्म, जाति, इलाके, राष्ट्र, देश आादि के जरिए जनता में फूट डालने, ध्यान असल मुद्दों से भटकाने आदि साजिशें तेका कर चुके हैं। जनता को इन सभी साजिशों को नाकाम करते हुए विशाल व जुझारू आन्दोलन संगठित करने होंगे।
तर्कशील शमशेर नूरपुरी ने जादू के ट्रिक पेश किए और लोगों के सामने यह बात स्पष्ट की कि विभिन्न पाखण्डियों द्वारा दैवी शक्तियों के मालिक होने के किए जाते दावे पूरी तरह झूठ हैं। उन्होंने सिद्ध किया कि दैवी शक्तियाँ हाथ की सफाई से अधिक और कुछ नहीं होतीं। लोगों को इनके झाँसों में नहीं आना चाहिए और विज्ञान से अगुवाई लेनी चाहिए।
राजविन्दर और साथियों ने क्रान्तिकारी गीतों के जरिए इंकलाबी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन के ताज मुहम्मद ने क्रान्तिकारी कविताएँ पेश कीं।
मंच संचालन लखविन्दर ने किया। अमर शहीदों का संग्राम जारी रखने का संकल्प लेते हुए गगनभेदी नारों के साथ शहादत दिवस जलसे का समापन हुआ।   

कारखाना मकादूर यूनियन, के संयोजक लखविन्दर से सम्पर्क करने के लिए मोबाईल नम्बर-9646150249 

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