देशभर से आये विद्वानों और कार्यकर्ताओं के अलावा विदेशों से भी भागीदारी होगी
चंडीगढ़, 10 मार्च। ‘जाति प्रश्न और मार्क्सवाद’ विषय पर 12 मार्च से चंडीगढ़ में शुरू हो रही पांच दिवसीय संगोष्ठी में भारत में सामाजिक परिवर्तन से जुड़े इस अत्यंत महत्वपूर्ण साल पर गहन चर्चा होगी। संगोष्ठी में देश के विभिन्न हिस्सों के प्रसिद्ध विद्वानों, लेखकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही विदेशों से भी इस विषय पर काम करने वाले विद्वान भागीदारी करेंगे।
बाबा सोहनसिंह भकना भवन (सेक्टर 29 डी, चंडीगढ़) में 12 से 16 मार्च तक चलने वाली संगोष्ठी के आयोजक ‘अरविन्द स्मृति न्यास’ की मुख्य न्यासी मीनाक्षी ने बताया कि जाति प्रश्न के तमाम पहलुओं को लेकर इतनी व्यापक और गहन चर्चा संभवतया पहली बार आयोजित की जा रही है। ख़ासतौर पर वामपंथी आंदोलन और मार्क्सवाद के साथ जाति के प्रश्न को जोड़कर इतने व्यापक फलक पर पहले कभी विचार नहीं किया गया है।
संगोष्ठी में इस विषय के विभिन्न आयामों पर कुल 14 आलेख प्रस्तुत किये जायेंगे। संगोष्ठी का आधार आलेख ‘जाति प्रश्न और उसका समाधानः एक मार्क्सवादी दृष्टिकोण’ के अलावा पंजाबी पत्रिका ‘प्रतिबद्ध’ के सम्पादक सुखविन्दर ‘अम्बेडकरवाद और दलित मुक्ति’ पर, ‘आह्वान’ के सम्पादक अभिनव ‘जाति का इतिहासलेखन’ पर, ‘वर्ग, जाति और अस्मितावादी राजनीति’ पर दिल्ली विश्वविद्यालय की शिवानी, ‘पश्चिम बंगाल में जाति और राजनीति’ पर सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज, कोलकाता के प्रस्कण्वा सिन्हारे, ‘मार्क्सवादी परंपराओं में जाति और सेक्स’ पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के डा. राजर्षि दासगुप्ता, ‘मार्क्सवाद और जाति प्रश्न’ पर दिल्ली के शोधकर्ता और ऐक्टिविस्ट असित दास, पहचान की राजनीति पर बी.आर. अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रशांत गुप्ता, मार्क्स(वाद) तथा अम्बेडकर(वाद) की साझा प्रासंगिकता पर पंजाब के सुखदेव सिंह जनागल तथा जाति व पहचान की राजनीति की सीमाओं पर ‘जाति विरोधी आंदोलन’ के जयप्रकाश पेपर प्रस्तुत करेंगे।
इसके अलावा सुप्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब की ओर से भारत में जाति के विषय में एक पृष्ठभूमि पत्र संगोष्ठी में प्रस्तुत किया जाएगा। एकीकृत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य तथा सांस्कृतिक विभाग के प्रभारी निनु चपागाईं ‘दलित समस्या और सौंदर्यशास्त्र’ विषय पर आलेख प्रस्तुत करेंगे तथा श्रमिक मुक्ति दल (डेमोक्रेटिक), पुणे के डा. अनंत फड़के की ओर से ‘जातिवादी पदसोपानक्रम के भौतिक आधार के उन्मूलन के कार्यक्रम’ पर आलेख प्रस्तुत किया जाएगा। ग्लासगो विश्वविद्यालय, स्कॉटलैंड के प्रो. पॉल कॉकशॉट इंटरनेट लिंक के द्वारा अपनी प्रस्तुति देंगे और उनका आलेख ‘डा. अम्बेडकर या डा. मार्क्स’ प्रस्तुत किया जाएगा।
संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में होने वाली चर्चा में प्रसिद्ध लेखक व चिंतक आनंद तेलतुंबड़े, प्रसिद्ध साहित्यकार व जेएनयू के प्रो. तुलसीराम, विख्यात समाजशास्त्री प्रो.सतीश देशपांडे, प्रसिद्ध लेखिका प्रो. (श्रीमती) विमल थोराट, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो.पी.के. विजयन एवं डा. सरोज गिरि, प्रसिद्ध कवयित्री व सामाजिक कार्यकर्ता कात्यायनी, पीडीएफआई के अर्जुन प्रसाद सिंह, सीपीएन (एम) के वरिष्ठ सदस्य तिलक परिहार, नेपाली कवि एवं एक्जिटविस्ट संगीत श्रोता, नागपुर से नामदेव लाघवे, दिल्ली से डा. श्यामबिहारी राय तथा आदित्य नारायण सिंह, कोलकाता से अनंत आचार्य, रिपब्लिकन पैंथर्स, मुंबई से उत्तमराव जागीरदार व शरद गायकवाड, हिमाचल प्रदेश से हरगोपाल सिंह, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से प्रो. मनजीत सिंह, जेएनयू से प्रो. चमनलाल, पंजाबी लेखक संतोख सिंह विरदी, मुंबई के पत्रकार विजय प्रकाश सिंह, लेखक अरविन्द शेष तथा जर्मनी के कलाकार एवं वाम सामाजिक कार्यकर्ता योहानेस पॉल रैठर आदि प्रमुख रूप से भाग लेंगे। इसके अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा एवं महाराष्ट्र के विभिन्न ग्रुपों एवं जनसंगठनों के प्रतिनिधि, लेखक-पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता संगोष्ठी में हिस्सा लेंगे।
सुश्री मीनाक्षी ने कहा कि जाति प्रश्न, विशेषकर दलित प्रश्न आज भी भारतीय समाज का एक ऐसा जीवन्त-ज्वलन्त प्रश्न है, जिसे हल करने की प्रक्रिया के बिना व्यापक मेहनतकश अवाम की एकजुटता और उनकी मुक्ति-परियोजना की सपफलता की कल्पना नहीं की जा सकती। इस प्रश्न पर लम्बे समय से संगोष्ठियाँ-परिचर्चाएँ होती रही हैं लेकिन इस गम्भीर ऐतिहासिक प्रश्न के हर पहलू पर गम्भीर शोध और पूर्वाग्रह-मुक्त लम्बी बहसों का अभाव रहा है। इस संगोष्ठी का मकसद इसी कमी को पूरा करना है।
‘दायित्वबोध’ पत्रिका के सम्पादक तथा प्रखर वामपन्थी क्रान्तिकारी कार्यकर्ता एवं बुद्धिजीवी दिवंगत का. अरविन्द की स्मृति में अरविन्द स्मृति न्यास की ओर से होने वाली हर वर्ष भारत में सामाजिक बदलाव से जुड़े किसी अहम सवाल पर संगोष्ठी का आयोजन किया जाता है। पहली दो संगोष्ठियां दिल्ली व गोरखपुर में मज़दूर आंदोलन के विभिन्न पहलुओं पर हुई थीं जबकि तीसरी संगोष्ठी भारत में जनवादी अधिकार आंदोलन के सवाल पर लखनऊ में आयोजित की गई थी। इसी क्रम में चौथी संगोष्ठी के पंजाब में आयोजन का एक विशेष महत्व भी है क्योंकि यहां वामपंथी आंदोलन और जाति के प्रश्न का अपना विशिष्ट इतिहास रहा है। सुश्री मीनाक्षी ने विश्वास व्यक्त किया कि पंजाब के सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता तथा विद्वान सेमिनार में होने वाले विचार-विमर्श में खुलकर हिस्सा लेंगे और विचारोत्तेजक बहस-मुबाहसे की पहले की तीन संगोष्ठियों की परम्परा को चंडीगढ़ में नया आयाम मिलेगा।
- मीनाक्षी (प्रबन्ध न्यासी), आनन्द सिंह (सचिव)
अरविन्द स्मृति न्यास
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कात्यायनी - 09936650658, सत्यम - 9910462009, नमिता (चंडीगढ़) - 9780724125
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