विशेष लेख:ऊर्जा में है विकासशील देश को विकसित देश में बदलने की क्षमता
ऊर्जा क्षेत्र न केवल आबादी के बहुत बड़े हिस्से के जीवन पर अपने प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण हैं बल्कि यह उद्योग,कृषि,परिवहन,स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव डालता है। ऊर्जा विकास की एक अभिव्यक्ति है और परिवर्तन का एक माध्यम भी है। यह एक विकासशील देश को विकसित देश में बदलने की दिशा में मदद करता है।
वैश्वीकरण की शुरूआत के बाद कार्यक्षमता और उपभोक्ता संतुष्टी पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है। सेवाओं की अदायगी में पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता पर जोर दिये जाने के साथ ही गुणवत्ता पूर्ण सेवाओं की मांग भी बड़ी है। ऊर्जा क्षेत्र सुधार का लक्ष्य अच्छी गुणवत्ता वाली विद्युत सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति के साथ उच्च उपभोक्ता संतुष्टि हासिल करना है। हालांकि इस क्षेत्र के सामने तमाम चुनौतियां हैं। इनमें से कुछ समस्याएं है पुराना, जर्जर और खराब वितरण नेटवर्क । विद्युत दर भी आड़े आती है चोरी और बिना मीटर की आपू्र्ति के कारण बड़ी मात्रा में आपूर्ति तथा वितरण हानि दर्ज की जाती है।
इन समस्याओं को पार पाने के लिए और बेहतर कार्यक्षमता तथा ऊर्जा क्षेत्र की व्यावसायिक व्यवाहार्यता स्थापित करने के लिए पुनर्संगठित- त्वरित ऊर्जा विकास और सुधार कार्यक्रम (आर-एपीडीआरपी) को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश में शहरी ऊर्जा वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रूप में शुरू किया गया और इसके संचालन तथा कार्यान्वयन के लिए ऊर्जा वित्त निगम को नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी दी गयी इस कार्यक्रम का लक्ष्य घाटा कम करने, आधारभूत आंकड़े के वास्तविक संकलन के लिए विश्वसनीय तथा स्वतः स्फूर्त प्रणाली की स्थापना और ऊर्जा उत्तरदायित्व के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के अनुपालन के संदर्भों में वास्तविक तथा प्रदर्शन योग्य परिणामों पर केन्द्रित है। यह कार्यक्रम 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उपवितरण तथा वितरण नेटवर्क को समुन्नत तथा मजबूत करने और सूचना तकनीक के अनुप्रयोग के माध्यम से घाटों को 15 प्रतिशत कम करने पर केन्द्रित है।
इस योजना की शुरूआत 2000-01 में सरकार द्वारा लाये गये त्वरित विद्युत आपूर्ति कार्यक्रम (एपीडीपी) से मानी जा सकती है। उस समय राज्य विद्युत बोर्डों की खराब माली हालत के कारण बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा था। एपीडीपी का लक्ष्य (1) पुराने ताप और जल विद्युत संयत्रों के नवीकरण तथा आधुनिकीकरण, जीवन विस्तार, समुन्नयन और (2) वितरण परिक्षेत्रों में मीटरिंग तथा ऊर्जा दायित्व निर्धारण के साथ ही उप वितरण और वितरण नेटवर्कों (33 किलोवोल्ट या 66 किलोवोल्ट) को समुन्नत और मजबूत करना था। 2002-03 में एपीडीपी का नाम बदलकर त्वरित ऊर्जा विकास एवं सुधार कार्यक्रम एपीडीआरपी रखा गया। एपीडीआरपी का दायरा एपीडीपी से बड़ा है। इसका लक्ष्य राजस्व संग्रह बढ़ाना, कुल तकनीकी और व्यवसायिक घाटे को कम करना, ग्राहक संतुष्टि में सुधार और विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार लाना है। 2008 में आरएपीडीआरपी को केन्द्रीय क्षेत्र योजना के तौर पर 51,577 करोड़ रुपये के योजना आकार के साथ शुरू किया गया इसका मुख्य लक्ष्य कुल व्यावसायिक और तकनीकी घाटे में कमी के वास्तविक प्रदर्शन योग्य परिणाम लाना था। इस योजना के तहत परियोजनाओं को दो हिस्सों में संचालित किया गया।
भाग-अ : यह परियोजना क्षेत्र में उपभोक्ता सूचकांक, भौगोलिक सूचना प्रणाली मानचित्रण, वितरण ट्रांसफार्मरों और फीडरों की मीटरिंग तथा सभी वितरण ट्रांसफार्मरों और फीडरों के स्वचालित आंकड़े संग्रह समेत आधारभूत आंकड़ा संकलन के लिए काम करता है।
स्वीकृत परियोजनाओं को शत-प्रतिशत निधियां सरकार से ऋण के तौर पर उपलब्ध कराई गयी हैं। प्रणाली की स्थापना निधि स्वीकृति के तीन वर्ष के भीतर पूरी हो जाने और स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा इसके सत्यापन के बाद इस ऋण को अनुदान में बदल दिया जाता है।
भाग-ब: इसका मुख्य लक्ष्य घाटे मे सतत कमी लाना है। इसमें 11 हजार वोल्ट के उप केन्द्रों तथा ट्रांसफार्मरों और ट्रांसफार्मर केन्द्रों के नवीकरण, आधुनिकीकरण और सुदृढीकरण, 11 हजार वोल्ट और इससे कम स्तर की लाइनों के पुनर्संचालन, भार-विभाजन, फीडर विभाजन, फार नियंत्रण, हाई वोल्टेज वितरण प्रणाली, सघन क्षेत्रों में हवाई तार बिछाने, पुराने इलेक्ट्रोमेग्नेटिक मीटरों के नये सुरक्षित मीटरों से परिवर्तन, केपिसीटर बैंक और सचल सेवा केन्द्रों की स्थापना जैसे लक्ष्य शामिल हैं।
आरएपीडीआरपी के सफल कार्यान्वयन से ऊर्जा क्षेत्र आधुनिकीकरण का मार्ग प्रशस्त्र होगा। ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय सुदृढ़ता के लिए मीटरिंग प्रणाली के अच्छे प्रबंधन और करीब निगरानी, ससमहय और सही-सही बिलिंग, समय पर संग्रह, बेहतर ग्राहक सेवा और विश्वसनीय विद्युत आपूर्तिकी आवश्यकता है। कुल व्यावसायिक और तकनीकी घाटों को कम करने तथा स्मार्ट ग्रिड के कार्यान्वयन के लिए आरएपीजीडीआरपी के दोनों ही भागों का सही कार्यान्वयन बहुत ही महत्वपूर्ण है। (पीआईबी फीचर) 15-मार्च-2012 20:57 IST
ऊर्जा क्षेत्र न केवल आबादी के बहुत बड़े हिस्से के जीवन पर अपने प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण हैं बल्कि यह उद्योग,कृषि,परिवहन,स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव डालता है। ऊर्जा विकास की एक अभिव्यक्ति है और परिवर्तन का एक माध्यम भी है। यह एक विकासशील देश को विकसित देश में बदलने की दिशा में मदद करता है।
वैश्वीकरण की शुरूआत के बाद कार्यक्षमता और उपभोक्ता संतुष्टी पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है। सेवाओं की अदायगी में पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता पर जोर दिये जाने के साथ ही गुणवत्ता पूर्ण सेवाओं की मांग भी बड़ी है। ऊर्जा क्षेत्र सुधार का लक्ष्य अच्छी गुणवत्ता वाली विद्युत सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति के साथ उच्च उपभोक्ता संतुष्टि हासिल करना है। हालांकि इस क्षेत्र के सामने तमाम चुनौतियां हैं। इनमें से कुछ समस्याएं है पुराना, जर्जर और खराब वितरण नेटवर्क । विद्युत दर भी आड़े आती है चोरी और बिना मीटर की आपू्र्ति के कारण बड़ी मात्रा में आपूर्ति तथा वितरण हानि दर्ज की जाती है।
इन समस्याओं को पार पाने के लिए और बेहतर कार्यक्षमता तथा ऊर्जा क्षेत्र की व्यावसायिक व्यवाहार्यता स्थापित करने के लिए पुनर्संगठित- त्वरित ऊर्जा विकास और सुधार कार्यक्रम (आर-एपीडीआरपी) को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश में शहरी ऊर्जा वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रूप में शुरू किया गया और इसके संचालन तथा कार्यान्वयन के लिए ऊर्जा वित्त निगम को नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी दी गयी इस कार्यक्रम का लक्ष्य घाटा कम करने, आधारभूत आंकड़े के वास्तविक संकलन के लिए विश्वसनीय तथा स्वतः स्फूर्त प्रणाली की स्थापना और ऊर्जा उत्तरदायित्व के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के अनुपालन के संदर्भों में वास्तविक तथा प्रदर्शन योग्य परिणामों पर केन्द्रित है। यह कार्यक्रम 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उपवितरण तथा वितरण नेटवर्क को समुन्नत तथा मजबूत करने और सूचना तकनीक के अनुप्रयोग के माध्यम से घाटों को 15 प्रतिशत कम करने पर केन्द्रित है।
इस योजना की शुरूआत 2000-01 में सरकार द्वारा लाये गये त्वरित विद्युत आपूर्ति कार्यक्रम (एपीडीपी) से मानी जा सकती है। उस समय राज्य विद्युत बोर्डों की खराब माली हालत के कारण बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा था। एपीडीपी का लक्ष्य (1) पुराने ताप और जल विद्युत संयत्रों के नवीकरण तथा आधुनिकीकरण, जीवन विस्तार, समुन्नयन और (2) वितरण परिक्षेत्रों में मीटरिंग तथा ऊर्जा दायित्व निर्धारण के साथ ही उप वितरण और वितरण नेटवर्कों (33 किलोवोल्ट या 66 किलोवोल्ट) को समुन्नत और मजबूत करना था। 2002-03 में एपीडीपी का नाम बदलकर त्वरित ऊर्जा विकास एवं सुधार कार्यक्रम एपीडीआरपी रखा गया। एपीडीआरपी का दायरा एपीडीपी से बड़ा है। इसका लक्ष्य राजस्व संग्रह बढ़ाना, कुल तकनीकी और व्यवसायिक घाटे को कम करना, ग्राहक संतुष्टि में सुधार और विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार लाना है। 2008 में आरएपीडीआरपी को केन्द्रीय क्षेत्र योजना के तौर पर 51,577 करोड़ रुपये के योजना आकार के साथ शुरू किया गया इसका मुख्य लक्ष्य कुल व्यावसायिक और तकनीकी घाटे में कमी के वास्तविक प्रदर्शन योग्य परिणाम लाना था। इस योजना के तहत परियोजनाओं को दो हिस्सों में संचालित किया गया।
भाग-अ : यह परियोजना क्षेत्र में उपभोक्ता सूचकांक, भौगोलिक सूचना प्रणाली मानचित्रण, वितरण ट्रांसफार्मरों और फीडरों की मीटरिंग तथा सभी वितरण ट्रांसफार्मरों और फीडरों के स्वचालित आंकड़े संग्रह समेत आधारभूत आंकड़ा संकलन के लिए काम करता है।
स्वीकृत परियोजनाओं को शत-प्रतिशत निधियां सरकार से ऋण के तौर पर उपलब्ध कराई गयी हैं। प्रणाली की स्थापना निधि स्वीकृति के तीन वर्ष के भीतर पूरी हो जाने और स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा इसके सत्यापन के बाद इस ऋण को अनुदान में बदल दिया जाता है।
भाग-ब: इसका मुख्य लक्ष्य घाटे मे सतत कमी लाना है। इसमें 11 हजार वोल्ट के उप केन्द्रों तथा ट्रांसफार्मरों और ट्रांसफार्मर केन्द्रों के नवीकरण, आधुनिकीकरण और सुदृढीकरण, 11 हजार वोल्ट और इससे कम स्तर की लाइनों के पुनर्संचालन, भार-विभाजन, फीडर विभाजन, फार नियंत्रण, हाई वोल्टेज वितरण प्रणाली, सघन क्षेत्रों में हवाई तार बिछाने, पुराने इलेक्ट्रोमेग्नेटिक मीटरों के नये सुरक्षित मीटरों से परिवर्तन, केपिसीटर बैंक और सचल सेवा केन्द्रों की स्थापना जैसे लक्ष्य शामिल हैं।
आरएपीडीआरपी के सफल कार्यान्वयन से ऊर्जा क्षेत्र आधुनिकीकरण का मार्ग प्रशस्त्र होगा। ऊर्जा क्षेत्र में वित्तीय सुदृढ़ता के लिए मीटरिंग प्रणाली के अच्छे प्रबंधन और करीब निगरानी, ससमहय और सही-सही बिलिंग, समय पर संग्रह, बेहतर ग्राहक सेवा और विश्वसनीय विद्युत आपूर्तिकी आवश्यकता है। कुल व्यावसायिक और तकनीकी घाटों को कम करने तथा स्मार्ट ग्रिड के कार्यान्वयन के लिए आरएपीजीडीआरपी के दोनों ही भागों का सही कार्यान्वयन बहुत ही महत्वपूर्ण है। (पीआईबी फीचर) 15-मार्च-2012 20:57 IST
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