बहुत पहले जब छत पर सीमेंट बजरी की टैंकीयों का चलन काफी महंगा और बोझिल लगने लगा था तो एक कम्पनी आई थी प्लास्टिक की टंकी ले कर और विज्ञापन आता था अरे भई अब तो सिंटेक्स का जमाना है....अब उसी की याद आ रही है कहना चाहता हूं कि अब तो आतंकवाद का ज़माना है....किसी भी गली के मोड़ पर गोली चल सकती है, किसी भी बाज़ार के चौराहे पर बम फट सकता है...भारत हो या पाकिस्तान, रूस हो या अमेरिका....हर तरफ एक सा सहम, एक सा डर, एक सी तबाही, एक सा खून, एक सी लाशें, एक सा विरलाप, वही दर्द..., फिर हर बार एक से ब्यान........आतंक के इस काले भ्यावह दौर ने दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है, जीवन की शैली को बदल दिया है....अब गली से गुजरता कोई भला आगुन्तक देख कर भी लगता है कहीं वह कोई खतरनाक आतंकवादी न हो....! अब घर या दफ्तर के दरवाजे के सामने खड़ा कोई अन्जान व्यक्ति देख कर मन में अतिथि देवो भव. की भावना नहीं आती....कुछ और ही शक होता...कुछ अजीब से ख्याल मन में आते हैं.....एक डर, एक घुटन, एक सहम... इस भयानक काली रात की सुबह होती नज़र नहीं आती.पर पूनम मतलब पूनम मटिया निकली है एक मशाल थाम कर. हाथ में मोहब्बत की मशाल और होठों पे आज भी वही गीत....
जोत से जोत जलाते चलो...
प्रेम की गंगा बहाते चलो.....!
वह याद दिलाती है उन भले दिनों की जब लोग रात को भी निशचिंत हो कर गलियों में सोते थे....एक बड़े परिवार की तरह. दिन हो या रात, पूरी गली, पूरा मोहल्ला, पूरा इलाका किसी बड़े घर के आँगन सा लगता....अपना अपना सा. बहुत ही सुरक्षित सा....! अब वे दिन कहां......!
बहुत कुछ बदल गया. हर पल बदलती इस दुनिया में पूनम भी वही तो नहीं रह सकती थी. वह भी बदली लेकिन यह बदलाहट बहुत ही अलग थी. बिलकुल उसी तरह जैसे कहते हैं न रंग लाती है हिना पत्थर पे घिस जाने के बाद.
वह हालात की चक्की में पिसी, संघर्ष की धुप में जली, मोहब्बत और विरह की आग में तड्पी. दिल्ली के करोल बाग़ में एक मध्य वर्गीय परिवार में जन्म, दो कमरों के छोटे से मकान में लालन पालन, खेल कूद और फिर एक बड़ा सा घर. सिर्फ घर ही नहीं पूनम की सारी दुनिया ही बहुत बड़ी हो गयी है. पांच भाई बहनों का वह बचपन का प्यार अब पूरी दुनिया को अपने रंग में रंग रहा है.
अब वह राजन इकबाल, रानू और गुलशन नंदा की जगह रोबिब कुक, इरविन वेल्स और सिडनी शेल्दन को पढती है. पेंटिंग के साथ अब वह कविता भी कहती है. नाटिकाएं भी लिखती है. उनका मंचन खुद भी करती है और दूसरों को भी ऐसा करना सिखाती है. पूनम की दुनिया अब बहुत बड़ी हो गयी है. वहां शायद सब कुछ है. हर रंग, हर ख़ुशी, हर महक लेकिन दो बातों के लिए वहां कोई स्थान नहीं रखा गया. एक तो नफरत और दूसरा अपने दोस्तों को भूल जाना. वह अपने दोस्तों को न तो भूलती है और न हो दोस्तों को कभी ऐसा करने देती है. आप अगर कहीं खो गए या किसी गम में घिर गए तो अचानक आप दस्तक सुनेंगे पूनम की. वह इतना अपनत्व और स्नेह से आपको आवाज़ देती है कि सारी परेशानी दूर हो जाती है और आप फिर से ज़िन्दगी जीने के लिए एक नयी ऊर्जा जुटा लेते हैं.
आपको यह जादूई आवाज़ उसके प्रथम काव्य संग्रह स्वप्न श्रृंगार से भी सुन सकती है जिसे प्रकाशित किया है लेखक परिषद अबोहर ने. पत्रकार मित्र प्रवीन कथूरिया और लेखक परिषद के अध्यक्ष राज सदोष ने इस पुस्तक के प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए दिन रात एक किये रखा. वे इसकी सफलता के लिए बधाई के पात्र हैं.
इस काव्य संग्रह में महकते फूलों का भी जिक्र है, काँटों के दर्द का भी, ख़्वाबों का भी, उनकी ताबीरों का भी, मोहब्बत का भी और विरह की तड़प का भी. प्रेम प्यार और सुन्दरता की बातों में मग्न हो कर पूनम उन लोगों को नहीं भूली जिनके सपने अक्सर ही टूट हया करते हैं.उसे आम इन्सान का दर्द भी तड़पाता है. रिक्शावाले को सलाम करते हुए वह एक कविता के अंत में कहती है :
आज श्रमिक दिवस पर करती हूं इन्हें मैं नमस्कार;
जो मजदूर करते हैं हमारे सा काम अनथक लगातार.
उसे चिलचिलाती धुप में काम करती महिला का दर्द भी अपना अपना लगता है. उसे देख कर कर उसकी हिम्मत को नमन करते हुए वह कहती है:
झुलसायी है काया
पर
न आलस की तनिक भी छाया.....!
जगह जगह जमीं के लिए संघर्ष पर किसान का साथ देते हुए वह कहती है:
जाती है ज़मीन जब कोडियों के दाम
नाम होता है विकास का
बे मौत मारा जाता है बेचारा किसान
शायद पूनम मन ही मन जानती है कि अगर यह शोषण नहीं रुका तो यह आक्रोश जमा होता होता एक दिन बारूद बनेगा और आतंकी संगठन इसका आसानी से फायदा उठा लेंगें. इस लिए वह सावधान करती है कि रोक दो इस अन्याय को. मत करो विकास के नाम पर विनाश.
निसंदेह पूनम के पास प्रतिभा तो जन्म जात थी पर इस उड़ान को पंख और शक्ति देने में पूनम जी के पति नरेश मटिया ने जो कुछ किया उसके बिना शायद यह सम्भव ही नहीं होता. इस लिए अब यह भी कहा जा सकता है कि हर सफल महिला के पीछे किसी पुरुष का हाथ होता है...!..... क्यूं आपका क्या ख्याल है.....होता है न.....?
19 comments:
शुक्रिया रेक्टर जी .........ये मेरे लिए गर्व की बात है कि श्री प्रवीण कथूरिया जी ...रहीम खान जी और आप सब गुणी और शुभचिन्तक मित्र मिले .जिन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और मेरी प्रतिभा को जन-मानस के समक्ष लाने में मेरी मदद की ........नरेश और अपनी ओर से आप सभी का हार्दिक धन्यवाद
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति| धन्यवाद|
REALLY POONAMJI I APPRICIATES UR STRUGLES AND TURBULATION IN UR LIFE THE WAY U WEATHER STORMS AND ENLIGHTENED UR LIFE SHOWS CONCERNS FRO SMALLEST HUMAN BEING ,HI/HER DIGNITY WITH COMPASSIN REALLY ADMIRABLE IN THIS JOURNEY DO NOT 4GET 4ND LIKE ME 4M ADV.RAJENDRA SHARMA UR FAN &4ND ON FCBK
it's an xcellant effort to xpress ur feelings in right words in fine style and good xpression
bahhot hi acche tarike se bhavabhivyakti ka chitran sundar shabdo me piroya hai ponamji apne
श्री कथूरिया जी, मेरे दोस्त, बहुत सुन्दर आलेख और पूनम जी की कविता.... भावपूर्ण .. बधाई - पंकज त्रिवेदी
Patali-the village ...........shukriya
it's nice xpression of words used by poonamji
Adv rajendra sharma ji .....thnx for reading this entire article.......and for really nyc and motivational comments
poonam mam you are so amazing writer and nice person ...................
god bless you and keep smiling...............
poonam mam is a very good wruter and amazing personality
mam god bless you and keep smiling
You wrote a beautiful script .. Beads suspended in the words you have made even more beautiful .. If this is your praise Composition as of this writing .. your showing your beautiful mind is .. Showing the emergence of words .. If you have written such a nice compliment as well as you would at this writing it ... In the creation of so many aspects you have hidden ocean .. If you displaying every single word to you .. Writing the conditions you also salute my conditions ..Suspended and made beautiful in their own words .. Let's hope the good writing you .. Again Hats off ji:-))))))))
hum to bas itna he kahenge Poonam ji ki tehrir aur taabir ki
Yun to gulistaan Me Bhul bahut hain magar,,,,,
Aisa Koi Gulaab Nahi ,Jo Tumsa Mehak De..|compliment frm RK
=======
Ho Koi Noor e Khuda . Ya Ho Koi Aaaftab,
Door Falak par Wahan, Khilta Hua Ho Mahtaab,
Jo Bhi Ho Magar . Ho Magar Tum Laajavaab,
Sehara B javascript:void(0)Gulistan Ho Jaye,jahan ho tum sa Gulab|...rk ehsaas ki ik kiran
Jo Bhi Hao Tum
bahut he achha likhte hainb aap Poonam ji .Apki rachnaaye apki baat , apki soch bahut umda aur khubsurat hai
thnx a lot surendra....for all the beautiful words abt me and my book ....:)
शब्द मंगल ...........पंकज जी बहुत आभार .......
शुक्रिया नीरज .........शब्दों की माला तुम्हे पसंद आई ............:)
शुक्रिया नीरज .........शब्दों की माला तुम्हे पसंद आई ............:)
@ram krishn......ji thnx ...........i m blessed to hav a frnd and admirer like u ......thnx again for adorning the article with beautiful lines of urs ........:)
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