सन 2010 के नवम्बर महीने की 19 तारीख और दिन था शुक्रवार. सुबह सुबह का वक्त. क्रिस्चियन मेडिकल कालेज और अस्पताल में कुछ बच्चे भी चहल कदमी कर रहे थे. हंसते गाते हुए इन बच्चों ने सफेद रंग की टोपियाँ भी पहन रखीं थीं.वे ऐसे घूम फिर रहे थे जैसे कोई विजेता चलता है.
पता किया तो बात यही निकली वे विजेता ही थे. इन बच्चों ने बहुत ही बहादुरी से जंग लड़ी थी. जंग भी कोई मामूली जंग नहीं. ज़िन्दगी और मौत की जंग. दिल की गंभीर बिमारियों को इन बच्चों ने एक चुनौती की तरह लिया था और उस जंग को जीत भी लिया था.कुछ देर बाद आडीटोरियम में दाखिल हुआ तो वहां का माहौल देख कर इस बार कुछ हैरानी हुई. मंच वही था, हाल वही था, कुर्सियां भी उसी तरह थीं लेकिन मंच पर बनी सक्रीन पर जिगर साहिब का शेयर था:
पता किया तो बात यही निकली वे विजेता ही थे. इन बच्चों ने बहुत ही बहादुरी से जंग लड़ी थी. जंग भी कोई मामूली जंग नहीं. ज़िन्दगी और मौत की जंग. दिल की गंभीर बिमारियों को इन बच्चों ने एक चुनौती की तरह लिया था और उस जंग को जीत भी लिया था.कुछ देर बाद आडीटोरियम में दाखिल हुआ तो वहां का माहौल देख कर इस बार कुछ हैरानी हुई. मंच वही था, हाल वही था, कुर्सियां भी उसी तरह थीं लेकिन मंच पर बनी सक्रीन पर जिगर साहिब का शेयर था:
ज़रा सा दिल है लेकिन कम नहीं है. कि इसमें कौन सा आलम नहीं है.
एक अस्पताल के आडीटोरियम में इस शायराना माहौल को देख कर बड़ी हैरत हुई. लगा जाना कहीं और था और आ कहीं और गया हूं. लौटने को ही था कि मंच की तरफ एक बार फिर नज़र गयी. माईक पर डाक्टर हरमिंदर सिंह बेदी थे और उन्हें सुनने वालों में पंजाब की स्वास्थ्य मन्त्री लक्ष्मी कान्ता चावला भी थी. दिल की हालत पर, दिल की बीमारियों पर और उन बीमारियों के इलाज पर शायराना ढंग का इतना बढ़िया मेडिकल भाषण मैंने पहली बार सुना. साथ साथ स्लाइड शो भी था.
इस स्लाइड शो में जो कुछ देखा सुना वह बेहद चिंता जनक था. दिल दहलने लगा. हर वर्ष दो लाख ऐसे बच्चे जन्म लेते हैं जिन्हें दिल की बिमारी जन्म के साथ ही मिलती है. इनमें से केवल पांच हजार बच्चों का ही इलाज हो पाता है.
बहुत से बच्चों के वाल्व बुखार के कारण नष्ट हो जाते हैं. इनमें से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें सर्जरी की आवश्यकता होती है पर समय पर इलाज न हो पाने से मामला और बिगड़ जाता है. आमतौर पर यह सब कुछ होता है पैसे की कमी और लापरवाही के कारण.हालत को गंभीर होते देख पंजाब सरकार भी ने भी कुछ अवश्यक कदम उठाये और शुरू हुआ ऐसे बच्चों का निशुल्क इलाज. सरकारी स्कूलों या फिर सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ते बच्चों को इस बिमारी से मुक्त करने के लिए चलाया गया विशेष अभियान. सबसे महत्वपूर्ण लेकिन कठिन काम था सर्जरी का. इस मुश्किल को आसान बनाते हुए पंजाब सरकार ने नैशनल रूरल हैल्थ मिशन के अंतर्गत चुना सी एम सी अस्पताल को. सी एम सी अस्पताल के प्रबन्धन और अति आधुनिक मशीनों की धूम तो पहले से ही पूरे विश्व में थी इस पर सोने पे सुहागे वाला काम हुआ तब जब तहां डाक्टर एच एस बेदी ने भी चार्ज संभाल लिया.
यह डाक्टर बेदी वही हैं जिन्होंने सिडनी आस्ट्रेलिया में होते हुए इस दिशा में काफी नाम कमाया था. वहां के रायल अलेक्सेंदरा अपताल में दिल की गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज में उन्होंने गहन अनुभव अर्जित किया. जब वह स्वदेश लौटे तो नयी दिल्ली के एस्कोर्ट हार्ट इन्सीचयूट में उन्होंने बच्चों की हार्ट सर्जरी का विशेष प्रोग्राम भी शुरू किया. इत्तिफाक से डाक्टर बेदी की टीम ने दिल की बीमारियों से ग्रस्त एक हजार बच्चों का सर्जिकल इलाज किया. इन बच्चों को सर्जरी की सख्त आवश्यकता भी थी. इसी तरह 50 बच्चों का आप्रेशन नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के अंतर्गत किया गया. इन बच्चों में 95 प्रतिशत बच्चे ऐसे भी थे जिनका आपरेशन रेफर किये जाने के दो दिन के भीतर किया गया. कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिनका आप्रेशन करने से दूसरे जानेमाने संस्थानों ने इनकार कर दिया था. इनमें गुरदासपुर की एक बच्ची गुरमुखी भी थी. इस बच्ची के दिल में एक बड़ा सा छेद था. दिल के साथ साथ उसके फेफड़े भी क्षतिग्रस्त हो चुके थे. उसकी जान बचाने के लिए उसके परिवार ने पूरा देश घूमा लेकिन हर जगह उन्हें निराशा ही मिली. हर जगह पर आप्रेशन करने से इनकार कर दिया गया. डाक्टर बेदी ने इस बच्ची का भी आप्रेशन किया. अब यह बच्ची बहुत खुश है और बहुत ही स्मार्ट भी दिखती है. आप्रेशन करने वाली इस टीम में डाक्टर बेदी के साथ डाक्टर ऐ. जोसेफ डाक्टर ऐ.गुप्ता, डाक्टर V. Tewarson , संजीव. डाक्टर मीनू और डाक्टर प्रशांत भी शामिल थे.
बहुत से बच्चों के वाल्व बुखार के कारण नष्ट हो जाते हैं. इनमें से कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें सर्जरी की आवश्यकता होती है पर समय पर इलाज न हो पाने से मामला और बिगड़ जाता है. आमतौर पर यह सब कुछ होता है पैसे की कमी और लापरवाही के कारण.हालत को गंभीर होते देख पंजाब सरकार भी ने भी कुछ अवश्यक कदम उठाये और शुरू हुआ ऐसे बच्चों का निशुल्क इलाज. सरकारी स्कूलों या फिर सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ते बच्चों को इस बिमारी से मुक्त करने के लिए चलाया गया विशेष अभियान. सबसे महत्वपूर्ण लेकिन कठिन काम था सर्जरी का. इस मुश्किल को आसान बनाते हुए पंजाब सरकार ने नैशनल रूरल हैल्थ मिशन के अंतर्गत चुना सी एम सी अस्पताल को. सी एम सी अस्पताल के प्रबन्धन और अति आधुनिक मशीनों की धूम तो पहले से ही पूरे विश्व में थी इस पर सोने पे सुहागे वाला काम हुआ तब जब तहां डाक्टर एच एस बेदी ने भी चार्ज संभाल लिया.
यह डाक्टर बेदी वही हैं जिन्होंने सिडनी आस्ट्रेलिया में होते हुए इस दिशा में काफी नाम कमाया था. वहां के रायल अलेक्सेंदरा अपताल में दिल की गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के इलाज में उन्होंने गहन अनुभव अर्जित किया. जब वह स्वदेश लौटे तो नयी दिल्ली के एस्कोर्ट हार्ट इन्सीचयूट में उन्होंने बच्चों की हार्ट सर्जरी का विशेष प्रोग्राम भी शुरू किया. इत्तिफाक से डाक्टर बेदी की टीम ने दिल की बीमारियों से ग्रस्त एक हजार बच्चों का सर्जिकल इलाज किया. इन बच्चों को सर्जरी की सख्त आवश्यकता भी थी. इसी तरह 50 बच्चों का आप्रेशन नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के अंतर्गत किया गया. इन बच्चों में 95 प्रतिशत बच्चे ऐसे भी थे जिनका आपरेशन रेफर किये जाने के दो दिन के भीतर किया गया. कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिनका आप्रेशन करने से दूसरे जानेमाने संस्थानों ने इनकार कर दिया था. इनमें गुरदासपुर की एक बच्ची गुरमुखी भी थी. इस बच्ची के दिल में एक बड़ा सा छेद था. दिल के साथ साथ उसके फेफड़े भी क्षतिग्रस्त हो चुके थे. उसकी जान बचाने के लिए उसके परिवार ने पूरा देश घूमा लेकिन हर जगह उन्हें निराशा ही मिली. हर जगह पर आप्रेशन करने से इनकार कर दिया गया. डाक्टर बेदी ने इस बच्ची का भी आप्रेशन किया. अब यह बच्ची बहुत खुश है और बहुत ही स्मार्ट भी दिखती है. आप्रेशन करने वाली इस टीम में डाक्टर बेदी के साथ डाक्टर ऐ. जोसेफ डाक्टर ऐ.गुप्ता, डाक्टर V. Tewarson , संजीव. डाक्टर मीनू और डाक्टर प्रशांत भी शामिल थे.
डाक्टर बेदी का कहना है कि दिल की कई खराबियां सही वक्त पर सही इलाज से दूर की जा सकती हैं. गौरतलब है कि जिन का आप्रेव्शन डाक्टर बेदी ने किया उनमेंसे कई अब भारतीय सेना में उच्च अधिकारी हैं और कई पायलेट हैं. उन्हें याद करते हुए डाक्टर बेदी कहते हैं कि उनके दिल वास्तव में चैम्पियन के दिल हैं. --रेक्टर कथूरिया
3 comments:
वाह रेक्टर भाई, आप का कॅमरा तो सभी जगहों पर घूमता रहता है|
Rector Kathuria sahab! bahoot hi sundar jankari, sundar dhang se aapne pes kiya hai.
Rector Kathuria aapne bahoot hi sundar jaankari, bahoot hi sundar dhag se pes kiya hai.
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