Sunday, February 21, 2010
करो तलाश तो हर बात नज़र आती है...!
केवल एक ही परीक्षा पर काम आने वाले कागज़ का उत्पादन करने के लिए ही कम से कम 15 पेड़ों को मिटा दिया जाता है. उन पेड़ों को जो हमें फल देते हैं, कड़कडाती हुई धुप में छाया देते हैं, और बहुत से कामों में आने वाली लक्कड़ी देने के साथ साथ हमारे पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाते हैं. पर इन सब का सिला हम दे रहे हैं उनका नामो निशान मिटा कर. एक रिपोर्ट के मुताबिक केवल एक पेड़ 20 एयर कंडीशनरों का मुकाबला कर सकता है. लेकिन फिर भी पेड़ों का कत्लेआम का सिलसिला लम्बे समय से जारी है. इसकी जानकारी मुझे एक ऐसी सोशल साईट पर भी मिली जिसे बहुत से लोग छुप छुप कर देखते है, पता नहीं क्यूं ?. इस मुद्दे का विस्तृत विवरण देने वाली इस कम्युनिटी का नाम था--SAY NO TO EXAMS ! अर्थात परीक्षा से इंकार करो. इस तरह की जानकारी मिलने के बाद कुछ और गहरायी से देखा तो पता चला कि यहां बहुत कुछ ऐसा है जो बेहद महत्वपूर्ण है.
बिछड़े हुए लोगों को खाबों में मिलने की तमन्ना करते हुए कई बार सुना. किताबों से या विद्वानों से ज्ञान की प्राप्ति को भी कई बार महसूस किया. अनोखी और अजीब बातों का संसार भी कई बार टी वी पर देखा और कई बार अख़बारों या पत्र पत्रिकायों में. पर अब यह सब कुछ सोशल साइटों पर भी बहुत ही आसानी से सम्भव है. मेरे बहुत से दोस्त ऐसे थे जिन्हें हालात की आंधियों ने भुला दिया या दूर कर दिया. किसी का अता पता बदल गया और किसी का फोन नम्बर. इन्हें मिलने की कोई आशा तो अब भी थी पर यकीन कभी हो नहीं पाया था. अभी हाल ही में स्वास्थ्य सुधारने के लिए मजबूरन काम से छुट्टी लेनी पड़ी तो सोचा कि क्यों न इन साईटों का रंग ही देख लिया जाये. पर जल्द ही यह सब एक एडिक्शन की तरह लग गया. लोग मजाक करने लगे--अरे भाई लो आप भी गए काम से.
लेकिन यह एक ऐसा नशा साबित हुआ जिसमें अगर कुछ नुकसान या खतरे हैं भी तो फायदे भी कम नहीं हैं.. एक ऐसी ही साईट पर एक से बढ़ कर एक दिलचस्प मामला नज़र आया. पहली नज़र से देखने पर जो कुछ और लगता था पर वास्तव में होता कुछ और ही था. इसे कुछ ही पल देखने से पता चला कि इंटरनैट की रंगीन और हसीन में इस दुनिया में शहीद भगत सिंह भी है, आतंकवादियों के हाथों शहीद हुए पंजाब के शायर अवतार पाश की चर्चा भी, शिरडी के साईं बाबा भी, श्री श्री आनंदमूर्ति भी, सिख धर्म भी, हिंदी ब्लोगरों की चर्चा भी और बहुत कुछ और भी. यहीं पे बस नहीं यहाँ साहित्य भी है और पत्रकारिता भी. नए पुराने गीतों की चर्चा भी और गीत संगीत की भी. मिर्ज़ा ग़ालिब भी और फैज़ अहमद फैज़ भी. इस क्षेत्र में एंटी पोर्नो भी है और एंटी स्मोकिंग भी. ऑरकुट में सरगरम रहने वाले बहुत से लोग अब फेस बुक पर नज़र आने लगे हैं. यानि कि जो चाहो सो पायो, मिलेगा सब कुछ मर्ज़ी अब आपकी है. --रैक्टर कथूरिया
पोस्ट लिखने के बाद याद आया इस सोशल साईट में से ही एक छोटी सी रचना का उल्लेख:
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
India is another name for Bharat. I don't understand the logic for ur tears.Shashi Samundra
सच तो है..जो चाहो वो पाओ!!
AMUNDRA CHANTS Ji...!
ये विचार अनिल जी ने रखे हैं...मेरी पृष्ठभूमि एक पत्रकार की है...इस लिए उस धर्म और कर्त्तव्य से भी बंधा हूं..कि विचार चाहे विरोधी भी क्यूं न हो उसे लोगों के सामने तो लाना ही चाहिए न..!
Sameer Ji...!
इंटर नैट की दुनिया के इन महासागरों के इस मंथन और इस सच का मार्ग दिखाने में आप का भी तो योगदान है...!
February 22, 2010 5:11 PM
Post a Comment