दिल्ली विश्वविद्यालय के नए पाठ्यक्रम में डा. कविता की रचना
DrKavita Vachaknavee संघर्ष, क्रांति और स्वस्थ साहित्य का प्रतीक बन चुकी डा. कविता वाचक्नवी से एक नई खुशखबरी मिली है। एक ऐसी अछि खबर जिसे पढ़कर हर साहित्य प्रेमी ओ गर्व भी होगा और प्रसन्नता भी। उन्होंने फेसबुक में अपने प्रोफाइल पर बताया है कि आज आधिकारिक रूप से यह सुखद सूचना आप सब से बाँट सकती हूँ कि -
दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने नए पाठ्य क्रम में अनिवार्य हिन्दी के आधार पाठ्यक्रम की पुस्तक ("भाषा, साहित्य और सर्जनात्मकता") में मेरी कविता "जल" को सम्मिलित किया है। पुस्तक गत दिनों जारी हो गई है व इसी वर्ष से पढ़ाई जाएगी।
.... तो इस तरह अब दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी रचनाकार के रूप में प्रसन्न होने का एक बड़ा कारण उपलब्ध करवा दिया है।
यह गौरव अपने माता-पिता, आचार्यों, शुभचिन्तकों, मित्रों व परिवार को समर्पित करती हूँ।
.... तो इस तरह अब दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी रचनाकार के रूप में प्रसन्न होने का एक बड़ा कारण उपलब्ध करवा दिया है।
यह गौरव अपने माता-पिता, आचार्यों, शुभचिन्तकों, मित्रों व परिवार को समर्पित करती हूँ।
यह हम सभी के लिए एक अच्छी खबर है। गौरतलब है कि डा. कविता ने अपने जीवन का विकास बहुत सी ऐसी चुनौतियों में किया है जिसका सामना शायद सभी के लिए आसान नहीं होता। ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है जैसे प्रसिद्ध गीत को सचमुच जीते हुए बहुत सी नई उदाहरणें स्थापित कीं--इनकी चर्चा जल्द ही पंजाब स्क्रीन में भी की जायेगी। फ़िलहाल उन्हें एक बार फिर बधाई।
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