Monday, December 16, 2013

जनवादी शायर कुलवंत नीलों को याद किया जनप्रेमियों ने

समराला में हुई नीलों को समर्पित पंजाबी साहित्य सभा की बैठक
समराला, 17 दिसबर 2013 ::(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):आखिरी साँस तक आम लोगों को समर्पित रहने वाले जनवादी शायर कुलवंत नीलों को जनप्रेमी साहियकारों ने बहुत ही स्नेह और सम्मान से याद किया। इस मकसद के लिए पंजाबी साहित्य सभा समराला की विशेष एकत्रिता सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में सवर्गीय शायर कुलवंत नीलों को समर्पित की गई। इस विशेष बैठक की अध्यक्षता बिहारी लाल सद्दी ने की। बैठक में कुलवंत नीलों संबंधी सभा द्धारा तैयार की गई एक पुस्तिका भी जारी की गई। कुलवंत नीलों संबंधी बातचीत आरंभ करते हुए कहानीकार गुरपाल लिट ने कहा कि वह मेरे बड़े भाई व साहित्यक गुरु थे। प्रो. बलदीप ने भी अपनी यादें कुलवंत नीलों के साथ व्यकत की। कुलवंत तर्क ने भी इस मौके पर अपने उस महान अध्यापक को याद किया। इस बैठक में अतीत को ताज़ा करते हुए कहानीकार सुखजीत, गुरनाम सिंह, जोगिंदर जोश ने भी कुलवंत नीलों के साथ यादें व्यक्त की। इस मौके ‘निकीयां करूं बलां’ मासिक अंक जारी किया गया। इस समय सभा द्धारा कुलवंत नीलों के पुत्रों रामपाल सिंह व कमलजीत नीलांे को सम्मान चिन्ह देकर सनमानित किया गया। रचना के दौर में मनदीप माणकी ने कविता, करम चंदपूर्व मैनेजर व करमजीत बासी ने व्यंग, जोगिंदश जोश ने कविता, जसवीर समराला ने कविता, बलवरी सिंह ने गजल, संतोख सिंह कोटाला ने कहानी, गुरनाम बिजली ने कुछ शेयर व्यक्त किए। जगदीश नीलों की गज़ल पर भी विचार चर्चा की गई। इस बैठक में अन्य के अलावा इंदरजीत सिंह कंग, दर्शन सिंह कंग, दीप दिलबर, तसविंदर सिंह बडैच, लील दयालुपरी, संदीप तिवाड़ी, सूर्यकांत वर्मा, मनिंदरजीत सिंह नीलों, सिमरनजीत सिंह कंग, प्रेम सागर शर्मा तथा अन्य भी शामिल थे।

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