खेद है पर नाम भूल रहा हूँ. बहुत पहले कुछ किसी बहुत अच्छे शायर का लिखा कुछ पढ़ा था। डायरी में नोट भी किया पर वह डायरी भी किताबों के सागर में कहीं खो गयी। शायर ने चोट की थी मांगने वालों पर। कहा था: "छोटा मांगे तो भीख; बड़ा मांगे तो चंदा है।" आज अचानक यह पंक्ति याद आई फेसबुक पर एक पोस्ट को देख कर। इस पोअत मेंईसा क्या है आप खुद ही देख लीजिये जनाब और बताइए कि कैसी लगी यह पोस्ट और कैसा लगा इसमें ? विचार आपके विचारों की इंतज़ार में। --रेक्टर कथूरिया
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