Tuesday, March 20, 2012

लोकसभा बहस में

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री का जवाब 
अध्यक्ष महोदया, सदन के सम्मानित सांसदों के साथ मैं माननीय राष्ट्रपति को उनके अभिभाषण पर हार्दिक धन्यवाद देता हूं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस काफी व्यापक रही और श्री जसवंत सिंहजी ने भी इसमें अपना योगदान दिया। मैं सभी पक्षों के सभी माननीय सदस्यों का शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने इस बहस में योगदान दिया। राष्ट्रपति का अभिभाषण उन उद्देश्यों और रोडमैप को तय करता है जिसे हमारी सरकार क्रियान्वित कर रही है और राष्ट्रपति के अभिभाषण में उल्लिखित चुनौतियों से निपटने के लिए प्रयासों में और अधिक तेजी लाई जाएगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण के अनुच्छेद 10 में पांच महत्वपूर्ण चुनौतियों का जिक्र है जिसका सामना आज हमारा देश कर रहा है। ये इस प्रकार हैं- 

1. हमारी आबादी की बडी संख्या के लिए आजीविका सुरक्षा हेतु प्रयत्न और हमारे देश से गरीबी, भूख और निरक्षरता को दूर करने के प्रयासों में योगदान; 

2. त्वरित और व्यापक आधारित विकास तथा हमारे नागरिकों के लिए लाभकारी रोजगार सृजन के जरिए आर्थिक सुरक्षा को प्राप्त करना; 

3. हमारे त्वरित विकास के लिए ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना; 

4. हमारे पारिस्थितिक और पर्यावरणीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाए बगैर विकासात्मक लक्ष्यों को पूरा करना और 

5. न्यायसंगत, बहुल, धर्मनिरपेक्ष तथा समावेशी विकास के ढांचे के भीतर आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की गारंटी। 

महोदया, यह पांच चुनौतियां उन सभी कार्यों को एकीकृत करती है जो बचे हुए आगामी ढाई वर्षों में हमारी सरकार के समक्ष है।

जहां तक अर्थव्यवस्था का संबंध है मेरे सहयोगी, माननीय वित्त मंत्री ने सदन पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया है और आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की स्थिति का विस्तृत लेखा प्रस्तुत करता है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में हमारे समक्ष चुनौतियों का भी जिक्र किया। महोदया इन सभी मुद्दों पर अगले सप्ताह बजट पर आम बहस के दौरान विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसलिए देश की अर्थव्यवस्था के बारे में बोलते हुए मैं संक्षेप में इसके बारे में कहूंगा। 

मुझे विश्वास है कि माननीय सांसद इस बात से अवगत हैं कि हम उस माहौल में अपना मार्ग तैयार कर रहे हैं जो आज के समय में सभी देशों के लिए कठिन समय है। वर्ष 2011-12 सभी देशों के लिए मुश्किल वर्ष रहा। सभी जगह वैश्विक विकास में गिरावट आई। औद्योगिक देशों ने 2011 में मात्र 1.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि की जो कि पिछले वर्ष की तुलना में आधी है। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक माहौल जिसका हम सामना कर रहे हैं वह काफी अस्थिर है। 

उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया में हाइड्रोकार्बनों की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि का प्रभाव ऊर्वरकों, खाद्यान्नों पर पड़ा है और इससे हमारे भुगतान के संतुलन पर भी दबाव बना है। 

महोदया, आर्थिक प्रदर्शन हालांकि उससे कम है जितनी हमने आशा की थी किंतु इस पृष्ठभूमि में लगभग सात प्रतिशत वृद्धि दर का हमारा आर्थिक प्रदर्शन सराहनीय है। यह सही है कि हम इसे स्वीकार्य नहीं मान सकते। अगले वर्ष में हमें इसमें सुधार लाने के लिए काम करना होगा और जल्द से जल्द उच्चतर विकास पथ पर लौटना होगा और ऐसा करते हुए हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम समावेशी विकास के साथ उपयुक्त कीमत स्थिरता को प्राप्त करने की ओर भी प्रगति करे। महोदया इन सबके लिए हमें सदन में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनैतिक मत की व्यापक आधारित राष्ट्रीय सर्वसम्मति की आवश्यकता होगी। यह ऐसा अवसर है जब हमें एक राष्ट्र के रुप में संगठित होकर खड़ा होना होगा। 

महोदया, 2008 से पहले पांच वर्षों तक हमने 9 प्रतिशत की दर से विकास किया और मुझे विश्वास है कि हम उस प्रकार की विकास दर को दोबारा हासिल कर सकते हैं और इसके लिए हमें मुश्किल निर्णयों पर एकमत होना होगा। यदि हम उस उद्देश्य में सफल होते हैं तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि एक आर्थिक शक्ति के रुप में भारत अपनी तरक्की को बरकरार रखे और उस अनवरत गरीबी को कम करने के लिए आर्थिक क्षमता को हासिल कर सके जिसका सामना हम करते रहे हैं और महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास तथा स्वच्छ पेयजल तथा स्वच्छता में खाईयों को भर सके। श्री जसवंत सिंह जी ने पेयजल आपूर्ति की समस्या का उल्लेख किया। मैं उन्हें आश्वस्त करता हूं कि हमारी सरकार इस बात को उच्च वरीयता देती है कि हमारे सभी नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके। 

महोदया, कुछ सदस्यों ने हमारे समाज के कमजोर वर्ग द्वारा झेली जा रही समस्याओं का जिक्र किया और मैं उनसे सहमत हूं कि हमें खासतौर पर हमारी जनसंख्या के कमजोर वर्ग जैसे कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और अन्य सुविधाहीन समूहों को प्रभावित करने वाली विकास की खाइयों पर ध्यान देना होगा। मैं माननीय सांसदों को आश्वस्त करना चाहूंगा कि हम इस महत्वपूर्ण कार्य पर पूरा ध्यान देंगे। महोदया, बारहवीं पंचवर्षीय योजना में तीव्र, सतत और अधिक समावेशी विकास के लिए विश्वसनीय कार्य योजना का खाका होगा। इसे वर्ष के मध्य में राष्ट्रीय विकास परिषद को प्रस्तुत किया जाएगा। मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता लेकिन माननीय सांसदों को स्मरण कराना चाहूंगा कि हमारा मार्ग आसान नहीं है। 

मुझे विश्‍वास है कि माननीय सदस्‍य यह मानेंगे कि गठबंधन सरकार होने के नाते कठिन निर्णय लेने का फैसला भी बेहद मुश्किल होता है और हमें आम सहमति को बनाए रखने की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए नीति बनाने का फैसला लेना होता है। रेल बजट की प्रस्‍तुति के मामले में ऐसी ही चुनौतियां सामने आ चुकी हैं। मैं वर्तमान जानकारी के बारे में सम्‍मा‍नित सदस्‍यों को सूचित करना चाहूंगा कि पिछली देर रात मुझे श्री दिनेश त्रिवेदी का एक औपचारिक पत्र ई-मेल संदेश के माध्‍यम से प्राप्‍त हुआ है, जिसमें उन्‍होंने रेल मंत्री के पद से अपने इस्‍तीफे का प्रस्‍ताव भेजा है। 

मैं श्री त्रिवेदी के इस इस्‍तीफे को स्‍वीकार करने की सिफारिश के साथ इसे राष्‍ट्रपति को भेजने का प्रस्‍ताव करता हूं। मुझे श्री त्रिवेदी के पद से जाने का खेद है। उन्‍होंने रेल बजट प्रस्‍तुत किया, जिसमें परिकल्‍पना 2020 को पूरा करने का वायदा किया गया है और इसकी रूपरेखा उनके उत्‍तराधिकारी द्वारा तैयार की गई। एक नए रेल मंत्री जल्‍द ही शपथ ले लेंगे। उन्‍हें हमारे रेलवे तंत्र के आधुनिकीकरण के चुनौतीपूर्ण कार्य को आगे ले जाने का कर्तव्‍य निभाना होगा। 

सभापति महोदया, हमारे जैसे विशाल देश में जहां कुल श्रम शक्ति का 65 प्रतिशत हमारे देश के किसानों द्वारा संगठित किया जाता है, यह अनिवार्य है कि संसद और सरकार को भारत की कृषि स्थिति के बारे में चिंतित होना चाहिए। मैं सम्‍मानित सदस्‍यों की पीड़ा को बांटने में पूरी तरह से उनके साथ हूं, जब वे हमारे किसानों की आत्‍महत्‍याओं का उल्‍लेख करते हैं। 

सदन ने आश्‍वासन दिया है कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए नए सिरे और उत्‍साह के साथ काम करेंगे कि हमारे देश में कोई भी किसान आत्‍महत्‍या के चरम स्‍तर तक जाने के लिए मजबूर न हो। 

हमारी सरकार ने कृषि में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने के लिए, कृषि के विकास को उच्‍च प्राथमिकता पर रखा है, ताकि कृषि के विकास में तकनीकी रूप से और ज्‍यादा ध्‍यान दिए जाने को सुनिश्चित किया जा सके। इसके परिणामस्‍वरूप पिछले 5 वर्षों में कृषि उत्‍पादन की विकास दर 3.5 प्रतिशत वार्षिक के उच्‍च स्‍तर पर रही है। इस वर्ष हमें 250 मिलियन टन का रिकॉर्ड खाद्यान उत्‍पादन प्राप्‍त करने की उम्‍मीद है। 

पिछले वर्ष राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्‍ट्रीय बागवानी अभियान और खाद्य सुरक्षा अभियान सभी ने कृषि के विकास में अधिक अनुकूल वातावरण बनाने में सहयोग किया है, लेकिन मैं अब भी यह कहना चाहूंगा कि इस दिशा में और अधिक किया जा सकता है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में हम कृषि के विकास पर ज्‍यादा गहराई से ध्‍यान देंगे, क्‍योंकि हमारी सरकार की सोच में किसानों का हित सर्वोपरि है। यह प्राथमिकता का क्षेत्र होगा और हम पूर्ण परिश्रम के साथ इसका पालन करेंगे। 

महोदया, देश में कीमतों की स्थिति के बारे में भी जिक्र किया गया। मैं ये मानता हूं कि पिछले दो वर्षों में कीमतें एक समस्‍या बन गई हैं। सौभाग्‍य से कुछ संकेत मिल रहे हैं कि कीमतें अब नियंत्रण में आ रही हैं, लेकिन हमें इसके लिए सतर्क रहना होगा। इस संदर्भ में, वित्‍त मंत्री के राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने हेतु किए गए प्रयास बहुत प्रासंगिक हैं। हमारे राजकोषीय घाटे में वर्ष 2008-09 में अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक परिदृश्‍यों में हुए बदलावों के कारण बढ़ोत्‍तरी हुई। हमें उम्‍मीद है कि वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटे को एक उचित स्‍तर तक वापस लाने में सक्षम होंगे। वित्‍त मंत्री ने इस वर्ष 4.8 फीसदी राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है। हालांकि ये अनुमान है कि राजकोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। वित्‍त मंत्री ने अगले वर्ष में राजकोषीय घाटे को 5.1 प्रतिशत तक कम करने की दिशा में कार्य करने के प्रति सरकार की वचनबद्धता जताई है। 

मैं कुछ अन्‍य महत्‍वपूर्ण मामलों जैसे नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर की स्‍थापना से संबंधित मुद्दे का भी उल्‍लेख करना चाहूंगा। नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर से संबंधित मुद्दे पर विचार-विमर्श करते समय श्री राजनाथ सिंह जी ने आतंकवाद की समस्‍या से निपटने में हमारी सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया है। 

महोदया, आतंकवाद के साथ-साथ वाम चरमपंथ से प्रभावी तरीके से निपटना हमारे देश के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां हैं। इसके अलावा सभी विकास संबंधी उद्देश्‍य, खासतौर पर मध्‍य भारत के क्षेत्रों का विकास भी प्रमुख है। छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश‍, बिहार और झारखण्‍ड जैसे राज्‍य वाम चरमपंथ उग्रवाद से पीड़ि‍त हैं। यदि हमें अपने विकास उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने में सफल होना है तो वाम चरमपंथियों और आतंकवाद पर पूरी तरह से नियंत्रण आवश्‍यक है। 

महोदया, मैं सदन को विश्‍वास दिलाता हूं कि हमारी सरकार अपने नागरिकों की पूर्ण सुरक्षा के प्रति वचनबद्ध है और वह आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। वास्‍तव में एनसीटीसी की स्‍थापना इस दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है। इस मामले में चिंताएं जाहिर की गई हैं कि केंद्र सरकार, राज्‍य सरकारों के अधिकार क्षेत्रों का अतिक्रमण करने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह सुझाव दिया गया है कि नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर के संचालन से पूर्व सभी को विश्‍वास में लिया जाना चाहिए। नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर के गठन के प्रश्‍न पर पूर्व सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह की रिपोर्ट और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों को सौंपने के बाद से विभिन्‍न मंचों पर चर्चा की गई है। 2001 में स्‍थापित बहु-एजेंसी केंद्र एनसीटीसी का एक अग्रगामी केन्‍द्र था और आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग हेतु एकल और प्रभावी केंद्र की आवश्‍यकता को देखते हुए आंतरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों की बैठकों के दौरान विचार-विमर्श किया जा चुका है। जैसा कि हमारे कुछ सदस्‍यों ने इंगित किया है कि बहुत से मुख्‍यमंत्री इस मामले में आदेश जारी होने के बाद अपनी चिंताएं व्‍यक्‍त कर चुके हैं और मैं उनको फिर से आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि अगले कदम उठाए जाने से पूर्व उनके साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। इस संदर्भ में 12 मार्च 2012 को राज्‍य सरकारों के प्रमुख सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ विचार-विमर्श किया जा चुका है। 

आंतरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई है। यह बैठक पहले 15 फरवरी, 2012 को आयोजित होनी थी पर चुनावों के कारण इसे स्‍थगित कर दिया गया। अब यह 16 अप्रैल, 2012 को आयोजित होगी। अत: अगले कदम उठाने से पहले पर्याप्‍त और सभी परामर्शों पर विचार किया जाएगा। 

महोदया, मुझे लगता है कि एनसीटीसी का विचार तथा जिस ढंग से एनसीटीसी कार्य करेगा, यह दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं। आप सभी मानते हैं कि एनसीटीसी का उद्देश्‍य साधारण है तथा। और जिस ढंग से एनसीटीसी कार्य करेगा, उसपर मतभेद हो सकते हैं पर मुझे यकीन है कि बातचीत और विचार-विमर्श से इन मतभेदों को सुलझा लिया जाएगा तथा इस पर आम सहमति बन जाएगी। 

महोदया, बहस के दौरान एक अन्‍य मुद्दा जो सामने आया वह श्रीलंका के तमिलों की स्थिति से संबंधित था। केंद्र सरकार सदस्‍यों द्वारा जताई गई चिंताओं और भावनाओं को पूरी तरह समझती है। श्रीलंका में संघर्ष के बाद हमारा ध्‍यान वहां के तमिल नागरिकों के कल्‍याण और उत्‍थान पर केंद्रित रहा है। उनका पुनर्वास हमारी सरकार की उच्‍च प्रथमिकता रही है। इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्‍यौरा विदेश मंत्री के 14 मार्च, 2012 को दिए स्‍व संज्ञान बयान में उल्लिखित है। श्रीलंका सरकार के साथ हमारे रचनात्‍मक संबंध तथा महत्‍वपूर्ण सहायता कार्यक्रमों के परिणामस्‍वरूप श्रीलंका के तमिल क्षेत्रों में जीवन सामान्‍य होना शुरू हुआ गया है। श्रीलंका सरकार द्वारा आपातकालीन नियमों को वापस लेने तथा श्रीलंका के उत्‍तरी क्षेत्र में स्‍थानीय निकायों में चुनाव आयोजित करने से भी वहां प्रगति हुई है। 

सदस्‍यों ने श्रीलंका में लंबे समय तक चले संघर्ष में मानव अधिकारों के उल्‍लंघन तथा जेनेवा में संयुक्‍त राष्‍ट्र मानव अधिकार परिषद के चल रहे 19वें अधिवेशन में अमरीका द्वारा श्रीलंका में फिर से सामंजस्‍य बैठाने तथा जवाबदेही पर प्रस्‍ताव के मुद्दे को भी उठाया। भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार को सामंजस्‍य की महत्‍ता के बारे में बताते हुए ज़ोर दिया है कि वह तमिल समुदायों की शिकायतों को गंभीरता से ले। इस संबंध में हमने श्रीलंका सरकार द्वारा नियुक्‍त किए गए आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर ज़ोर दिया है। इन सिफारिशों में संघर्ष के ज़ख्‍मों पर मरहम लगाने तथा श्रीलंका में शांति और फिर से सामंजस्‍य कायम रखने के लिए विभिन्‍न उपाय सम्मिलित हैं। 

हमने श्रीलं‍का सरकार से तमिल नेशनल अलाएंस सहित सभी दलों के साथ राजनीतिक प्रक्रिया के जरिए श्रलंका के संविधान में 13वें संशोधन को लागू करने की प्रतिबद्धता पर कायम रहने के लिए कहा है ताकि शक्तियों के हस्‍तातंरण और राष्‍ट्रीय सामंजस्‍य को वास्‍तविक रूप से हासिल किया जा सके। हमें आशा है कि श्रीलंका सरकार इस मुद्दे की महत्‍ता को समझेगी तथा इस पर गंभीरता से कार्य करेगी। इस प्रक्रिया के जरिए हम उसके साथ संपर्क बनाए रखेंगे तथा उन्‍हें श्रीलंकाई तमिलों के मनोनीत प्रतिनिधियों के साथ इस पर चर्चा करने के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे। 

हमें जेनेवा में संयुक्‍त राष्‍ट्र मानव अधिकार परिषद के चल रहे 19वें अधिवेश्‍न में अमरीका द्वारा पेश किए जाने वाले प्रस्‍ताव का अंतिम मसौदा प्राप्‍त नहीं हुआ है। मैं सदन को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम इस प्रस्‍ताव के पक्ष में वोट देना चाहते हैं। 

श्री जसवंत सिंहजी ने गोरखालैंड दार्जिलिंग पर्वतीय परिषद का मुद्दा उठाया है। मैं इस सदन को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि हमने इस समस्‍या का हल निकालने के लिए गंभीरता से कार्य किया है। इस संबंध में पश्चिम सरकार द्वारा किए गए योगदान को भी हम स्‍वीकारते हैं। 

मैं इस सदन का और अधिक समय नहीं लेना चाहता। मैं सभी सदस्‍यों के साथ माननीय राष्‍ट्रपति को उनके अभिभाषण के लिए धन्‍यवाद देता हूं।{पीआईबी} 19-मार्च-2012 20:29 IST 

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