Tuesday, January 17, 2012

करूर में आयुष कैम्‍प

चिकित्‍सा की अजब वैकल्पिक प्रणालियां-डॉ. के. परमेश्‍वरन*
केरल में वैद्यों (आयुर्वेद चिकित्‍सकों) के प्रसिद्ध परिवार के बारे में किंवदन्‍ती है, इन्‍हें अलाथर नाम्‍बी कहा जाता है। अलाथर नाम्बियों का परम्‍परागत घर पलक्‍कड़ के आधुनिक जिले के एक भाग में है। उनके आठ चिकित्‍सक परिवार हैं, उनका परिवार चिकित्‍सा की प्रत्‍येक शाखा में विशिष्‍ट क्षमता रखने में प्रसिद्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि एक बार देव लोक से अश्विनी देव जो कि स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा के संरक्षक देव हैं कौओं के रूप में प्रकट हुए और वे मन्दिर के तालाब के समीप पेड़ पर बैठकर कारुकू की ध्‍वनि का उच्‍चारण करते। 

एक दिन, मन्दिर में अलाथर नाम्‍बी परिवार का मुखिया पूजा के लिए आया तथा कौओं द्वारा किए जा रहे शोर को सुनकर खड़ा हो गया और संस्‍कृत की द्विपदी दोहराई, जिसका तात्‍पर्य यह था कि : जो उचित समय पर आवश्‍यकता अनुसार ही भोजन ग्रहण करता है, जो पेशाब और शौच बिना ज्‍यादा रुकावट के करता है और जो पर्याप्‍त मात्रा में जल पीता है वह किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्‍त नहीं होता। ऐसा लगता है कि कौअे ‘‘यह प्रश्‍न कर रहे थे कि ऐसा कौन है जिसे बीमारी नहीं है?’’ जैसा कि आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों ने जो जवाब दिया है वह सभी मानकों से आधुनिक है? 

इसी पृ‍ष्‍ठभूमि को ध्‍यान में रखते हुए केन्‍द्रीय सरकार चिकित्‍सा की वैकल्‍पिक प्रणालियों जैसे आयुर्वेद, होम्‍योपैथी, यूनानी, आदिवासी दवाओं आदि को उपयुक्‍त महत्‍व दे रही है। पर्यावरण उन्‍मुख होने के अलावा चिकित्‍सा की इन प्रणालियों से यह लाभ है कि ये प्रतिबन्‍धात्‍मक पहलुओं पर अधिक बल देती हैं। 

आयुष 
तमिलनाडु के करूर में हाल ही में सम्‍पन्‍न हुए भारत निर्माण लोक सूचना अभियान में लोक सूचना अभियान के भाग के रूप में नि:शुल्‍क चिकित्‍सा कैम्‍प आयोजित किया गया और इसमें एक प्रयोग किया गया। इसे केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत आयुष विभाग (आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी) द्वारा संचालित किया गया। अधिकतर रोगियों को आकर्षित करने के अलावा, कैम्‍प एक प्‍लेटफार्म के रूप में भी सफल रहा, जहां औषधियों की वैकल्पिक प्रणाली के लाभों तथा इनकी उपलब्‍धता की जानकारी दी गई। 

चेन्‍नई के विभिन्‍न संस्‍थानों के डाक्‍टरों तथा अर्धचिकित्‍सा स्‍टाफ की टीम ने तीन दिन के अभियान में भाग लिया। यूनानी दवाओं की केन्‍द्रीय अनुसंधान परिषद, आयुर्वेद के अनुसंधान केन्‍द्र तथ होमियोपैथी की क्‍लीनिकल अनुसंधान इकाई जैसे संस्‍थानों ने चिकित्‍सा कैम्‍प का आयोजन किया। इनका नेतृत्‍व क्रमश: डॉ. हफीज मो. सलाम, डॉ. पी. श्रीनिवास और डा. के राजू ने किया। 

एक दिन के चिकित्‍सा कैम्‍प के अलावा, इकाइयों ने इस अभियान में स्‍टाल लगाकर सम्‍बद्ध जानकारी के इश्‍तेहार बांटे तथा विभिन्‍न सामान्‍य बीमारियों की सस्‍ती दवाइयां बांटीं।बीमारों से जानकारी लोक सूचना अभियान प्रदर्शनी स्‍थल के नजदीक थनथनड्रीमलाई अग्रहारम के रिहायशी वेक्‍टेश्‍वरन कुछ समय से अपनी टांगों के अग्रभाग तथा ऐड़ी में दर्द महसूस कर रहे थे। उसने कैम्‍प में आयुर्वेदिक डॉक्‍टरों से परामर्श किया। डॉक्‍टरों ने दवाई युक्‍त तेल के साथ नहाने तथा सुबह खाना खाने से पहले पानी में पावडर को घोलकर पीने का सुझाव दिया। कैम्‍प की समाप्ति के समय वेंकटेश्‍वरन प्रसन्‍नचित्‍त था। उसने कहा कि उर्स दर्द से काफी राहत मिली है। 

करूर के नजदीक करूपत्‍ती से रोज दैनिक मजदूरी करने वाला जगदम्‍मा प्रदर्शनी देखने के लिए आया था। होम्‍योपैथी के डॉक्‍टरों द्वारा बताई गई दवा लगाने के बाद उसकी आंखों की लाली और सूखेपन से उसको काफी राहत मिली। यूनानी डॉक्‍टरों ने भी बहुत से बीमारों को आकर्षित किया। यूनानी डॉक्‍टरों ने बताया कि उन्‍होंने तमिल में तैयार की गई 1000 के लगभग रिकॉर्ड संख्‍या में ‘‘स्‍वस्‍थ जीवन के लिए सूत्र’’ पुस्तिका बांटी। संक्षेप में, कैम्‍प चिकित्‍सा की वैकल्पिक प्रणालियों की प्रभावशीलता तथा क्षमता के बारे में आंखें खोलने जैसा था। इससे सस्‍ती एवं पर्यावरण उन्‍मुख औषधियों की लोकप्रियता बढ़ने की प्रेरणा एवं सहायता मिली जिसे ग्रामीण क्षेत्रों के समान्‍य लोग सहजता से आकलन कर सकते हैं। 

*लेखक पत्र सूचना कार्यालय, मदुरैई में 
सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत्त हैं

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