Friday, July 13, 2018

एक रिपोर्ट: जॉन को शायरी का चे ग्वेरा मानते हैं कुमार विश्वास

... और क्रिएटिव अडडा ने जान एलिया बहुत से दिलों तक पहुंचाया 
लुधियाना//जालंधर: 12  जुलाई 2018: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::
विदेशी हमलों, आंतरिक साज़िशों, भ्रष्टाचार से भरा हुआ सिस्टम, बेरोज़गारी का निरंतर बढ़ता गराफ़ , भूख से होती मौते, जगह जगह असुरक्षा का माहौल--लेकिन फिर भी हमने तरक्की की। हमारे देश ने शिव की तरह बहुत से विष पिए लेकिन भारतीय संस्कृति और कुकनूस की तरह फिर से जी उठने वाली आंतरिक शक्ति को कम नहीं होने दिया।  किसी ने भगवान  या उसका कोई चमत्कार देखा हो या  न देखा हो लेकिन इतनी मुसीबतों के बावजूद देश ने विकास की जो ऊंचाईयां छुई वे किसी करिश्मे से काम नहीं हैं। यह बात अलग है की गलत लोग हमेशां फन उठाते रहे-चालें चलते रहे--पर यह देश की अनेकता में छुपी एकता की  अदभुत शक्ति ही थी जिसने इन्हे बार बार नाकाम करने शमा दिखाया। 
संचार और तकनीकी विकास की सुविधा जब देश के कोने कोने तक पहुंची तो बहुत से फायदे सामने आये। कई कई दिनों के बाद पहूंचने वाली चिठियाँ झटपट पहुँचने लगी ईमेल बन कर। लेकिन यहाँ भी गलत लोग बाज़ नहीं आए। उन्होंने दुष्प्रचार, अफवाह और अश्लीलता की आंधी चला कर इसे गैर ज़िम्मेदार बनाने की कुचेष्टा की। लेकिन अच्छे लोग निराश नहीं हुए। 
इन सभी हकीकतों के बावजूद रचनात्मक लोगों ने इस तकनीकी विकास का शुभ लाभ लिया। इसे समाज को जोड़ने और रचनत्मक बनाने के लिए सदुपयोग किया। 
जालंधर में "क्रिएटिव अडडा"  का आयोजन यही सुखद संकेत देता है। आयोजन यादगारी रहा। क्रिएटिव अड्डा की तरफ से एक मशहूर शायर जॉन एलिया साहब की याद में "जॉन यानी मोहब्बत" एक  नशिस्त करवाई गई । ये नाम यू भी रखा गया कि जॉन साहब एक मोहब्बत के शायर थे ज़िन्दगी के शायर थे इसलिये अगर उनका ताल्लुक मोहब्बत से रखे तो ये गलत नही होगा । जॉन साहब का जन्म अमरोहा में हुआ था वो बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे । जॉन साहब की ज़िंदगी और उनकी शायरी पर चर्चा हुई । जॉन साहब एक खुदरंग शायर थे । इस इवेंट में उर्दू अदब की मशहूर शायरा रेणु नय्यर जी जो पूरे देश में अपने कलाम पढ़ चुकी है वो मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित थी । उन्होंने अपने कलाम और ग़ज़लों से महफिल लगाई ।  लुधियाना से तशरीफ़ लाये थे आनीस खान लुधियानवी जिन्होंने जॉन साहब की ज़िंदगी से तार्रुफ़ करवाया और उनकी कुछ नज़्में पढ़ी । चंडीगड़ से युवा कवि आशीष द्वेवेदी जी हाज़िर हुए थे उन्होंने सबका जॉन साहब की ग़ज़लों से राबता करवाया । इस नशिस्त का की निज़ामत हर्ष सिंह ने की । अतिथि के रूप में रेडियो मिर्ची से हमारे साथ आर जे चेतना भी मौजूद थी ।
इस नशिस्त में काफी लोगो ने शिरकत की । 
रेणु नय्यर जी ने अपनी बेहतरीन ग़ज़ल से महफिल में चार चांद लगाई
उनके ग़ज़ल के कुछ शेर है:

किसी गुमान ने आ कर छुआ था, टूट गया
तुम्हारा अक़्स जो दिल में बसा था, टूट गया

ज़माने वाले तुझे इश्क़ इश्क़ कहते हैं
मेरे लिए तू फ़क़त आईना था, टूट गया
जॉन एलिया के बारे में अगर कुमार विश्वास जी के शब्दों का उल्लेख न करें तो बात अधूरी रहेगी। सत्याग्रह में 
कुमार विश्वास जॉन एलिया को खुदरंग शायर कहते हैं. मतलब, ऐसा शख्स जो अपने ही रंग का हो और ऐसा रंग जो किसी और के पास न हो. कुमार विश्वास उनके लिए लिखते हैं, 'जॉन को मैं शायरी का चे ग्वेरा मानता हूं जो एक स्टेटमेंट देते हुए नज़र .....उन पर कुमार साहिब की पूरी किताब भी पढ़ने वाली है। 
क्रिएटिव अडडा ने जान एलिया की कविता को दूर तक फैलाया है--वो कविता जो जन जन से जुडी है और सभी को पढ़नी चाहिए। 

1 comment:

jasmine said...

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