Friday, August 07, 2015

ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होए

प्रेम, सौहार्द और सदभावना की राह दिखाता चंडीगढ़ का धर्म स्थल 
चंडीगढ़: 7 अगस्त 2015: (पुष्पिन्दर): 
बहुत पहले ही कह दिया गया था की ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होए लेकिन लोगों ने एक न मानी।  धर्म के नाम पर अधर्म होता रहा। प्रेम के संदेश नफरत के लिए इस्तेमाल होने लगे , भगवान के नाम पर दंगे फसाद आम बात हो गयी। जनाब जावेद अख्तर साहिब को एक लम्बी नज़्म लिखनी पड़ी---जिसकी दो चार पंक्तियाँ हैं-
लोग इन मुर्दा खुदाओं को सम्भाले क्यूं हैं !
फ़िक्र पे जंग है क्यूं,  ज़हन पे ताले क्यूं हैं !
धर्म तो आया था दुनिया में मोहब्बत के लिए..!
इनके हाथों में ये तलवार, ये भाले क्यूं हैं !                
बांटते फिरते हैं नफ़रत जो ज़माने भर में,
ऐसे इंसान तेरे चाहने वाले क्यूं हैं !
आँख रोशन हुयी सूरज की किरण से लेकिन,
ज़हन में अब भी अँधेरे के ये जाले क्यूं है !
शायर देखते रहे, उनका दिल रोता रहा---वे लिखते रहे पर दुनिया फिर भी नासमझ बनी रही। इसी तरह जनाब बशीर बद्र साहिब ने लिखा:
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में;
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में। 
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है दिल को दिल बनाने में। 
बहुत से शायरों ने बहुत सी भाषाओं में बहुत कुछ लिखा लेकिन नफरत फैलती रही।  लोगों को जोड़ने वाले पुल  टूटते रहे और दीवारें ऊंची से ऊंची होती रहीं। समाज की हालत देख कर निराशा के सिवाए कुछ मन में नहीं उठता।  बार बार लगता यही है हमारी नियति। यही है हमारी तक़दीर। कभी आँखों के सामने मुम्बई घूमता, कभी गोधरा, कभी गुजरात और कभी नवंबर-84.... दंगे फसाद इस पीरों पैगंबरों की  भूमि के प्रतीक क्यों बन गए? शयद मन और निराश होता लेकिन तभी दिमाग मैं एक उम्मीद की किरण आई।  उस बिजली की तरह जो तूफानी और अँधेरी रात में अचानक कौंधती है लेकिन पल भर में ही राह दिखा जाती है। उस चमक में देखा चंडीगढ़ के सेक्टर 41-B में बना अद्भुत धर्म स्थल जो आज भी राह दिखाता और पूछता है जब भगवान और उसके घरों में कोई भेद भाव नहीं तो तुम कौन होते हो इंसान और इंसान में भेदभाव करने वाले? तुम्हे क्या अधिकार है ऊँच-नीच की दीवारें खड़ी करने का?
आज के युग में प्रेम और सौहार्द का प्रतीक बने इस स्थानमें गुरुद्वारा साहिब भी है, मंदिर भी और चर्च भी.… तीनों की दीवारें एक साथ सटी हैं जैसे ख रही हों किसी का भी जिस्म चीरोगे तो खून का रंग लाल ही मिलेगा। 
आयो मोहब्बत के इस पैगाम को और मज़बूत बनाने के लिए सब तक पहुंचाएं।

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