Tuesday, June 09, 2015

बेकार नहीं जाएगी पत्रकार जोगेन्द्र सिंह की शहादत

सोशल मीडिया ने रोका करप्ट नेताओं का विजय रथ  
बौखला उठे हैं बड़े मीडिया को अपनी जेब में समझने वाले नेता
लुधियाना: 9 जून 2015: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
कभी ज़माना था जब पत्रकार समाज की आशा हुआ करते थे। आंदोलनों को चलाने और उन्हें जन जन तक लेजाने की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर हुआ करती थी। शहीद भगत सिंह, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू जैसे नेताओं ने भी अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए अपने अख़बार निकाले। जैसे जैसे सिद्धांत से जुडी राजनीति समाप्त होती गई उसी के साथ सिद्धांत से जुड़ा मीडिया भी लुप्त होता चला गया। 
आज जन चेतना से जुड़े मीडिया कर्मियों की संख्या बहुत ही काम है। सियासत कारोबारी घरानों पर निर्भर हुयी तो धन्ना सेठों ने अपने अख़बार निकाल लिए। आज टीवी चैनलों में बड़े बड़े घरानों की हिस्सा पट्टी है। सियासत और धन का यह नापाक गठजोड़ स्वतंत्र मीडिया के लिए जानलेवा साबित हुआ। मीडिया पर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से नियंत्रण मज़बूत होता चला गया। नियमों की आड़ में दलेर और निष्पक्ष पत्रकारों को किनारे कर दिया गया। सरकारी कार्डों और उनसे जुडी सुविधाओं की चकाचौंध मीडिया को राह भटकाने में सफल रही। आज समाज में बदलाव या विचारों के प्रचार प्रसार के लिए कलम चलाने वाले पत्रकार शायद ढूंढने से भी न मिलें। यैलो कार्ड से लेकर एक्रिडेशन कार्डों को पाने के लिए पत्रकार बनने वाले लोग बहुत से मिल जाएंगे। इस तरह सरकारी सुविधाओं के पीछे भागने में लगे मीडिया के बहुत ही कम लोग बाकी बचे जो लोगों के लिए काम करते हैं किसी सरकार के लिए नहीं। हाँ एक भीड़ और है जो जनता से जुड़ नहीं पाये और साकार सरकार की सुविधाओं के किले में भी नहीं घुस पाये। उनके लिए पत्रकारिता सचमुच बहुत ही मुश्किल हो गयी। वो खुद को सागर किनारे बैठ कर भी प्यासे महसूस करते।  शायद अनजान थे कि सागर का पानी पीने लायक होता ही नहीं। वह खारा होता है। मीडिया पर कार्पोरेट की दृष्टि ने बहुत कुछ चेंज किया। पत्रकारिता के दिग्गज इस वृद्धा अवस्था में कम्प्यूटर से ताल नहीं बिठा पाये और तकनीक की माहिर नयी पीढ़ी के पत्रकार अनुभव एयर ज्ञान के मामले में कोरे निकले। 
इस सारी तबदीली में कुछ बहुत ही काम लोग ऐसे बचे जो मीडिया की मुख्यधारा से केवल इस लिए अलग हो गए क्यूंकि वहां केवल उसी सच की मांग की जाती है जिसे उस मीडिया के आका देखना चाहते हैं। इस बनावटी सच को सामने लाने के लिए इन पत्रकारों का ज़मीर नहीं माना और किसी और मार्ग की तलाश में चल पड़े। सोशल मीडिया इनके लिए वरदान बन कर सामने आया। ब्लॉग, फेसबुक, टविटर और वॉटसअप ने मुख्य धारा के मीडिया को कड़ी चुनौती दी। जितनी तेज़ी और स्वतंत्रता सोशल मीडिया के पास है उतनी तेज़ रफ्तारी और आज़ादी मेन स्ट्रीम मीडिया के पास सम्भव ही नहीं। 
इसलिए इसका पैनापन उन सभी लोगों के लिए खतरा बना जो मीडिया को अपनी जेब में महसूस कर रहे थे। किसी पत्रकार को उसकी अख़बार से निकलवा देना या फिर किसी चैनल का प्रसारण ही रुकवा देना इनके बाएं हाथ का खेल बन गया। सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकार इन सभी खतरों से उन्मुक्त होकर काम करने लगे। इन वास्तविक स्वतंत्र पत्रकारों में से एक था जोगेन्द्र सिंह। गरीब और छोटा सा परिवार लेकिन हिम्मत और सत्य के मामले में बेहद अमीर। उसने छोटी सी पोस्ट डाली फेसबुक पर और मंत्री जी बोखला उठे। पहले ज़रा आप भी पढ़िए उस पोस्ट को कि उसमें क्या था। 
Shahjahanpur Samachar
1 June at 08:24 · 
*** रिंकू यादव के एमएलसी टिकट में रोड़े अटका रहे राममूर्ति ***
---भितरघात और मौका परस्त राजनीति में माहिर हैं राममूर्ति वर्मा
शाहजहांपुर। राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा एमएलसी टिकट के प्रबल दावेदार अमित यादव उर्फ रिंकू की राह में रोड़े अटकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राममूर्ति ने रिंकू को राजनीति में आने से रोकने के लिए अपने कई करीबियों को टिकट की लाइन में लगवा दिया है। दरअसल राममूर्ति सिंह वर्मा ने जिन लोगों को एमएलसी के टिकट के लिए लाइन में लगाया है उनके भी भले नहीं हैं। सपा में भितरघात कराकर वह एक हाथी वाले अपने करीबी को टिकट दिलाने की जुगत में लगे हैं। आज भले ही विधायक राजेश यादव व सपा जिलाध्यक्ष तनवीर खां उनके कंधे से कधा मिलाकर खड़े नजर आ रहे हों, लेकिन सच यह है कि चेयरमैनी के चुनाव में उन्होने एक प्रत्याशी को मैदान में उतारकर तनवीर खां की राह में भी रोड़े अटकाए थे। विधानसभा चुनाव में उन्होने भाजपा प्रत्याशी की मदद की थी। भितरघात की पुरानी आदत के कारण बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मौका परस्त राजनीति करने वाले राममूर्ति सिंह वर्मा 2017 में देखो किस पार्टी में नजर आएं।
सोशल मीडिया  पर जारी सामग्री के मुताबिक फेसबुक पर मंत्री के खिलाफ लिखने के कारण पत्रकार जोगेन्द्र सिंह को अपनी जान गवानी पड़ गई। मामला शाहजहांपुर का है जहां सपा सरकार में पिछडा वर्ग कल्याण मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के खिलाफ फेसबुक पर खबरे लिखने से मंत्री क्रोधित हो गए। नाराज मंत्री ने अपने गुर्गे से पत्रकार के खिलाफ लूट, अपहरण और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करा दिया। मंत्री के इशारे पर कई बार कोतवाली पुलिस पत्रकार के घर पर दबिश दे चुकी थी। पहली जून की दोपहर को कोतबाल ने पत्रकार के घर दबिश दी और इसी दबिश के दौरान पत्रकार के साथ मारपीट करने के बाद उसे पेट्रोल डाल कर जिंदा जला दिया गया। लखनऊ में इलाज के दौरान पत्रकार का निधन हो गया। साफ़  ज़ाहिर है कि पुलिस और मंत्री के गुर्गे जोगेन्द्र सिंह की हत्या के लिए ही वहां गए थे। देखते ही देखते एक अच्छा भला घर उजाड़ दिया गया। यह सब कुछ उस फ़ोर्स ने किया जिसने आम जनता की भी सुरक्षा करनी होती है। जनता के रक्षक अपने सियासी आकाओं के इशारे पर भक्षक बन गए। 
जब आज का विश्व भारत के सत्यमेव जयते और अहिंसा परमोधर्म के सिद्धांत से प्रेरणा लेकर नई बुलंदियां छू रहा है उस समय इस बात का दुखद अहसास हो रहा है कि जैसे उत्तर प्रदेश में बर्बरता का बरसों पुराना युग लौट आया है। वहां यूपी सरकार के एक मंत्री के इशारे पर पुलिस अधिकारी और मंत्री के गुर्गे दिन दहाड़े एक पत्रकार को पैट्रोल छिड़क कर ज़िंदा जला देते हैं और यूपी सरकार की तरफ से आरोपी पुलिस अधिकारी को इनाम स्वरूप एक महत्वपूर्ण  थाना का चार्ज दे दिया जाता है तांकि वह वहां पर और  मोटी कमाई कर सके। 
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जोगेन्द्र सिंह 15 सालो से पत्रकारिता कर रहे है। वह अमर उजाला, स्वतंत्र भारत, हिन्दुस्तान, आज, कैनविज टाइम्स में काम कर चुके है। पिछले एक साल से वह फेसबुक पर शाहजहांपुर समाचार के नाम से आईडी पर खबरे लिख रहे थे। इस दौरान जोगेन्द्र सिंह ने सपा सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के खिलाफ कुछ गड़बड़ घोटालों का पर्दाफाश कर दिया। इस सबसे नाराज होकर मंत्री ने अपने गुर्गे अमित प्रताप से कोतवाली चौंक में एक लूट, अपहरण और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करा दिया। इस के बाद मंत्री के दबाब में कोतबाल ने पत्रकार जोगेन्द्र  सिंह के घर पर दविश  शुरू कर दिया। एक जून को दोपहर तीन बजे के करीब कोतबाल श्रीप्रकाश राय ने जोगेन्द्र सिंह के घर पर दबिश दी। जहां पहले तो कोतवाल ने पत्रकार के साथ बुरी तरह से मारपीट की फिर पेट्रोल डाल कार आग लगा दी। जब आग से घबराया हुआ जोगेन्द्र घर से बाहर भागा तो पुलिस बाले उसे जिला अस्पताल ले गए। वहां हालत गंभीर होने पर डाक्टरो ने उसे लखनऊ रेफर कर दिया जहां इलाज के दौरान 8 जून 2015 को उसकी मौत हो गयी।आरोपी पुलिस अधिकारी श्री प्रकाश राय को पत्रकार की मौत  इनाम स्वरूप थाना झाँसी का चार्ज दे दिया जो कि बहुत ही कमायु  थाना माना जाता है।
इस सारे घटनाक्रम के खिलाफ सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकारों ने देश भर में 9 जून 2015 को कवरेज का बाईकाट रखा। इसी बीच कुछ सबंधित आरोपियों  के खिलाफ करवाई की खबरें भी आई हैं।  इसके बावजूद मीडिया जगत सख्त रोष में है। सरकारी आतंक की इस घटना से कहीं सभी मीडिया कर्मियों को डरने का नाकाम प्रयास तो नहीं?                 अंत में पढ़िए शहीद जोगेन्द्र सिंह की एक और पोस्ट 
Shahjahanpur Samachar
31 May at 07:56 · 
*** बलात्कारियों को बचाने में जुटे सपा नेता ***
--- राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और उनके चार गुर्गो पर लगा है रेप का आरोप
--- गुंडों और पुलिस से पीडि़त महिला को धमकाया जा रहा है राजीनामा के लिए
शाहजहांपुर। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बलात्कार के मामले में पीडि़त महिलाओं की खिल्ली उड़ाते हुए एक बार कहा था कि जवानी में गलती हो ही जाती है। तब से सपाई उनके कहे रास्ते पर ही चल पड़े लगते हैं। राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और उनके गुर्गों पर एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने गैंगरेप का आरोप लगाया तो सारे सपा नेता बेशर्मी के साथ बलात्कारियों के पक्ष में जुट गए हैं। सपा नेत्रियां भी महिला होकर पीडि़त महिला के बजाय बलात्कारियों की वकालत करने में जुट गई हैं। शायद यह सपा नेता और नेत्रियां कल को यह भी कह दें कि बुढ़ापे में गलती हो ही जाती है। पीडि़त महिला के पक्ष में अभी तक कोई आगे नहीं आया है। सभी को मंत्री और सत्ता का डर सता रहा है। पीडि़त महिला पर नेताओं, गुंडों व पुलिस का दबाव पड़ रहा है। ...वाकई यूपी गुंडों की हो गई है?


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