Tue, May 6, 2014 at 3:21 PM
ए आई बी ई ए का बैंकों के अशोध कर्जों के विरूद्ध आंदोलन
ए आई बी ई ए का बैंकों के अशोध कर्जों के विरूद्ध आंदोलन
अशोध ऋणों को वसूल करने के लिए कठोर कार्रवाई हो
अशोध ऋणों को वसूल करने के लिए कठोर से कठोर उपायों की मांग
जनता के धन की लूट को रोकना तथा अशोध ऋणों की वसूली करना
बैंकों में अशोध ऋणों में विनाशकारी बढ़ोतरी के विरूद्ध बैंक मुलाज़िमों और अधिकारीयों के संगठन एकजुट हो गये हैं। बैंकों से कर्ज़ा लेना और फ़िर बार बार वापिस मांगे जाने पर भी उसे वापिस न करना-एक "जन्म सिद्ध अधिकार" बनता जा रहा है। दिन दहाड़े जनता के पैसे पर इस तरह के "शरीफ़ाना अंदाज़ का डाका" डालने वालोँ में मजबूर और गऱीब लोग बहुत ही कम लेकिन बेहद अमीर लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं। इन लोगों की एक लम्बी चौड़ी सूची बैंक संगठनों ने बहुत पहले भी जारी की थी सरकार तक जुं तक नहीँ सरकी।
Image Courtesy: Caspot |
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने जोकि भारत में बैंक कर्मचारियों की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन है तथा सरकारी क्षेत्र के बैंकों, प्राईवेट बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में सेवारत पांच लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती है, 05 दिसम्बर, 2013 को अखिल भारतीय मांग दिवस के रूप में मनाया था और इस दिन बैंकों में निरन्तर पड़ रही अशोध ऋणों की विनाशकारी बढ़ोतरी के मुद्दे को उठाया था।हमने 50 सबसे बड़े अशोध ऋण खातों की सूची भी जारी कर दी थी। जबकि सरकार भी बैंकों में हो रही अशोध ऋणों की विशाल बढ़ोतरी से चिन्तित है, तो भी सरकार ने इन कर्जों की वसूली के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं। हम निम्नलिखित मांग करते रहे हैं:-
अशोध ऋणों की वसूली में तेजी लाने के लिए वसूली कानूनों में संशोधन
अशोध ऋणों को वसूल करने के लिए कठोर से कठोर उपाय करना
भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंक कर्जों को चुकाने में चूक करने वालों की सूची प्रकाशित करनी चाहिए
क्या आप सरेआम लूटके बारे में जानते हैं?
राशि करोड़ रूपयों में
सरकारी क्षेत्र के बैंकों
में (मार्च 2008) को अशोध ऋण
|
39,000
|
सरकारी
क्षेत्र के बैंकों में
(मार्च
2013) को
अशोध ऋण
|
1,64,000
|
सरकारी क्षेत्र के बैंकों
में (सितम्बर 2013) को
अशोध ऋण
|
2,36,000
|
पुन: रचना किए गए अशोध ऋण तथा उत्तम दिखाए हुए ऋण
|
3,25,000
|
पिछले सात वर्षों
के दौरान नए अशोध
ऋण
|
4,95,000
|
अशोध ऋणों के
निमित्त प्रावधान हेतु अन्तरित और समायोजित
किए हुए लाभ (2008 से
2013)
|
1,40,000
|
172 कार्पोरेट खातों में
(रूपए 100 करोड़ और इससे
ज्यादा के) अशोध ऋण
|
37,000
|
सरकारी
क्षेत्र के बैंकों में
4 सबसे
बड़े चूककर्ताओं के अशोध
ऋण
|
23,000
|
24 बैंकों
में 30 सबसे
बड़े अशोध ऋण खातों
में राशि
|
70,300
|
3250 (खातों
में) (मुकद्दमा दायर किए हुए) अशोध
ऋण (रूपए एक करोड़
और इससे जयादा)
|
43,795
|
पिछले 13 वर्षों में बट्टे खाते डाले गए अशोध ऋण
|
2,04,000
|
ए आई
बी ई ए अब सबसे बड़े 400 बैंक ऋण नहीं चुकाने
वालों की सूची को प्रकाशित कर रही है क्योंकि भारतीय रिज़र्व बैंक या भारत सरकार ऋणों
को नहीं चुकाने वालों की सूची को प्रकाशित नहीं कर रही है, इसलिए ए.आई.बी.ई.ए इस सूची को प्रकाशित कर रही है,
जिसमें सरकारी क्षेत्र के बैंकों के 400
सबसे बड़े चूककर्ताओं के नाम दिए हुए हैं। इन 400
खातों में रूपए 70300
करोड़ की राशि फंसी हुई है।ये कर्जे वापिस क्यों नहीं
आरहे हैं? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यदि बैंकों के कार्यपालक जिम्मेदार हैं, तो उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं।यदि राजनीतिक गठबंधन है,
तो इसको उजागर किया जाए।किसी दूसरे की गलती के लिए देश
को प्रताडि़त न किया जाए कार्पोरेट घरानों की बदनीयत के लिए लोगों को सजा न दी जाए।
इस सम्मेलन में
कामरेड अशोक मल्हन, कामरेड
हरविन्द्र सिंह, कामरेड राजेश
वर्मा, कामरेड राजविन्द्र सिंह, कामरेड
दर्शन सिंह एवं कामरेड
वलबंत राय भी उपस्थित
रहे।
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