Tuesday, May 06, 2014

जनता के धन की कार्पोरेट लूट बंद हो-बैंक संगठनों की मांग

Tue, May 6, 2014 at 3:21 PM
ए आई बी ई ए  का  बैंकों  के  अशोध  कर्जों  के विरूद्ध  आंदोलन
अशोध ऋणों को वसूल करने के लिए कठोर कार्रवाई हो 
  अशोध ऋणों को वसूल करने के लिए कठोर से कठोर उपायों की मांग
  जनता के धन की लूट को रोकना तथा अशोध ऋणों की वसूली करना

  अशोध ऋणों को उखाड़कर फैंक देना, इससे पहले वो बैंक को मार दें।
लुधियाना:6 मई 2014:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
बैंकों में अशोध ऋणों में विनाशकारी बढ़ोतरी के विरूद्ध बैंक मुलाज़िमों और अधिकारीयों के संगठन  एकजुट हो गये हैं। बैंकों से कर्ज़ा लेना और फ़िर बार बार वापिस मांगे जाने पर भी उसे वापिस न करना-एक "जन्म सिद्ध अधिकार" बनता जा रहा  है। दिन दहाड़े जनता के पैसे पर इस तरह के "शरीफ़ाना अंदाज़ का  डाका" डालने वालोँ में मजबूर और गऱीब लोग बहुत ही कम लेकिन बेहद अमीर लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं। इन लोगों की एक लम्बी चौड़ी सूची बैंक संगठनों ने बहुत पहले भी जारी की थी सरकार  तक जुं तक नहीँ सरकी। 
Image Courtesy: Caspot
एआई बी ई ए के आहवान पर, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन ने आज फ़िर लुधियाना में एक प्रैस सम्मेलन किया जिसमें बैंकों में  400  अशोध ऋणों की एक सूची जारी की गयी। जो काम सरकार को करना चाहिए था उसे बैंक मुलाज़िमों ने किया। इस सम्मेलन को कामरेड पी.आर.मेहता, प्रधान, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (पंजाब) ने सम्बोधित किया । कामरेड नरेश गौड़  कोषाध्यक्ष, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन भी वहाँ उपस्थित रहे ।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने जोकि भारत में बैंक कर्मचारियों की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन है तथा सरकारी क्षेत्र के बैंकों, प्राईवेट बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में सेवारत पांच लाख से ज्‍यादा बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्‍व करती है, 05 दिसम्‍बर, 2013 को अखिल भारतीय मांग दिवस के रूप में मनाया था और इस दिन बैंकों में निरन्‍तर पड़ रही अशोध ऋणों की विनाशकारी बढ़ोतरी के मुद्दे को उठाया था।हमने 50 सबसे बड़े अशोध ऋण खातों की सूची भी जारी कर दी थी। जबकि सरकार भी बैंकों में हो रही अशोध ऋणों की विशाल बढ़ोतरी से चिन्तित है, तो भी सरकार ने इन कर्जों की वसूली के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं। हम निम्‍नलिखित मांग करते रहे हैं:-
        बैंक कर्जों को चुकाने में इरादतन चूक करने को अपराधिक कृत बनाना

          मिलीभगत और सांठगांठ की जांच करने के लिए जांच के आदेश देना

          अशोध ऋणों की वसूली में तेजी लाने के लिए वसूली कानूनों में संशोधन

          अशोध ऋणों को वसूल करने के लिए कठोर से कठोर उपाय करना

          कार्पोरेट कर्तव्‍य विमुखता को प्रोत्‍साहित मत करो

          भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंक कर्जों को चुकाने में चूक करने वालों की सूची प्रकाशित करनी चाहिए
क्‍या  आप सरेआम लूटके बारे में जानते हैं?

                                              राशि करोड़ रूपयों में

सरकारी क्षेत्र के बैंकों में (मार्च 2008) को अशोध ऋण
   39,000
सरकारी क्षेत्र के बैंकों में (मार्च 2013) को अशोध ऋण
1,64,000
सरकारी क्षेत्र के बैंकों में (सितम्बर 2013) को अशोध ऋण
2,36,000
पुन: रचना किए गए अशोध ऋण तथा उत्तम दिखाए हुए ऋण
3,25,000
पिछले सात वर्षों के दौरान नए अशोध ऋण
4,95,000
अशोध ऋणों के निमित् प्रावधान हेतु अन्तरित और समायोजित किए हुए लाभ (2008 से 2013)
1,40,000
172 कार्पोरेट खातों में (रूपए 100 करोड़ और इससे ज्यादा के) अशोध ऋण
   37,000
सरकारी क्षेत्र के बैंकों में 4 सबसे बड़े चूककर्ताओं के अशोध ऋण
   23,000
24 बैंकों में 30 सबसे बड़े अशोध ऋण खातों में राशि
   70,300
3250 (खातों में) (मुकद्दमा दायर किए हुए) अशोध ऋण (रूपए एक करोड़ और इससे जयादा)
   43,795
पिछले 13 वर्षों में बट्टे खाते डाले गए अशोध ऋण
2,04,000
 ए आई बी ई ए अब सबसे बड़े 400 बैंक ऋण नहीं चुकाने वालों की सूची को प्रकाशित कर रही है क्‍योंकि भारतीय रिज़र्व बैंक या भारत सरकार ऋणों को नहीं चुकाने वालों की सूची को प्रकाशित नहीं कर रही है, इसलिए ए.आई.बी..ए इस सूची को प्रकाशित कर रही है, जिसमें सरकारी क्षेत्र के बैंकों के 400 सबसे बड़े चूककर्ताओं के नाम दिए हुए हैं। इन 400 खातों में रूपए 70300 करोड़ की राशि फंसी हुई है।ये कर्जे वापिस क्‍यों नहीं आरहे हैं? इसके लिए  कौन जिम्‍मेदार है? यदि बैंकों के कार्यपालक जिम्‍मेदार हैं, तो उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं।यदि राजनीतिक गठबंधन है, तो इसको उजागर किया जाए।किसी दूसरे की गलती के लिए देश को प्रताडि़त न किया जाए कार्पोरेट घरानों की बदनीयत के लिए लोगों को सजा न दी जाए।
इस सम्मेलन में कामरेड अशोक मल्हन, कामरेड हरविन्द्र सिंह, कामरेड राजेश वर्मा, कामरेड राजविन्द्र सिंह, कामरेड दर्शन सिंह एवं कामरेड वलबंत राय भी उपस्थित रहे।                                              


No comments: