Tuesday, February 11, 2014

बैंक:10 और 11 फरवरी दोनों दिन रही मुक्मल हड़ताल

Tue, Feb 11, 2014 at 12:33 PM
पूरे देश की आर्थिक हकीकत आई दुनिया के सामने    
लुधियाना: 11 फरवरी 2014: (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन//रवि नंदा): युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स के अहवान पर बैंकों में 9 ट्रेड यूनियनें (ए.आई.बी.ई.ए, ए.आई.बी.ओ.सी, एन.सी.बी.ई, ए.आई.बी.ओ.ए, बी.ई.एफ.आई, आई.एन.बी.ई.एफ, आई.एन.बी.ओ.सी, एन.ओ.बी.ड्ब्लयू, एन.ओ.बी.ओ) के 10 लाख कर्मचारी तथा अधिकारी निम्नलिखित मांगों को लेकर 10 और 11 फरवरी 2014 की दो दिवसीय देशव्यापी हड़्ताल पर हैं
1)  वेतन में शीघ्र संशोधन
2)  बैंकिंग क्षेत्र में अनावश्यक सुधारों पर रोक
युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स की लुधियाना इकाई ने आज केनरा बैंक, भारत नगर चौंक, लुधियाना के सामने जोरदार प्रदर्शन किया और रोष रैली की । कामरेड सुदेश कुमार, चैयरमैन, पंजाब बैंक इम्प्लाईज फैडरेशन, कामरेड नरेश गौड़, संयोजक, युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स, कामरेड गुल्शन चौहान, कामरेड राकेश खन्ना, कामरेड बलजिंद्र सिंह, कामरेड जे.पी.कालड़ा (.आई.बी..सी ), कामरेड डी.सी.लांडरा (एन.सी.बी.), कामरेड गुरबचन सिंह, ((.आई.बी..) तथा कामरेड डी.पी.मौड़, महासचिव, ज्वाईंट काउंसिल आफ ट्रेड यूनियन्स एवं डाक्टर राजिन्द्रपाल औलख, प्रधान, एग्रीकल्चर टैक्नोकरैट ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया।

कर्मचारियों एंव अधिकारियों को संबोधित करते हुए फोरम के नेताओं ने कहा कि बैंकों में वेतन संशोधन समझौता नंबवर 2012 से लागु होना था । इस परिपेक्ष्य में युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स ने कर्मचारियों तथा अधिकारियों की मांगों से संबंधित पत्र  इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को  30.10.2012 को दे दिया था । पिछले एक साल से आई.बी.ए इस मुद्दे को टाल रही है । कीमतें के दिन--दिन बढ़ने से, बैंकों के व्यापार में लगातार बढ़ोतरी के कारण काम का बोझ बढ़ने से वेतन बृद्धि जरुरी हो गई है किन्तु बैंकों का रवैया बहुत ही सधारण है । बैंकों को सभी नागरिकों को बैकों के परिपेक्ष में लाने को कहा जा रहा है जिसका मतलब है कि बैंकों को और    करोड़ खाते खोलने होंगे । इससे बैंकों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा । सरकार द्वारा बहुत सी स्कीमों के चलाये जाने से पहले ही काम बढ़ गया है । इसलिए जायज़ वेतन संशोधन अनिवार्य है । हम बिना किसी देरी के वेतन संशोधन समझौते की मांग कर रहे हैं । आई.बी.ए ने वेतन में 10% वृद्धि का प्रस्ताव दिया है जोकि बहुत ही कम है । आई.बी.ए कहता है कि बैंकों में लाभ इतना अच्छा नहीं है इसलिए वेतन में अधिक संशोधन नहीं दिया सकता । बैंकों के लाभ बढ़्ते जा रहे हैं । आर्थिक संकट के चलते भी साल दर साल बैंक अच्छा लाभ कमा रहे हैं ।         
(रू करोड़ में आई.डीबी.आई बैंक के अलावा पी.सी.बी के आंकड़े)
साल  
सकल परिचालन लाभ
शुद्ध लाभ
2006-07
41,500
19,680
2007-08
48,250
25,862
2008-09
65,227
33,514
2009-10
74,220
38,225
2010-11
95,908
43,250
2011-12
1,12,290
47,483
2012-13
1,16,458
48,700

बैंकों के कर्मचारियों एंव अधिकारियों की वजह से नहीं कर्ज़ नहीं डूब रहा है । प्रबंधन द्वारा यह कहा जाता है कि कर्जे़ डूब रहें हैं इसलिए लाभ कम हो रहा है । कर्मचारी एंव अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं । पिछ्ले 5 साल में, लाभ में से 140,266 करोड़ रुपए डूबे कर्जों के एवज़ में डाले जा चुके हैं । इसके अलावा पिछ्ले 6 सालों में डूबे कर्जों के 141,294 करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाल दिए गये हैं । लेकिन जब हमारे वेतन संशोधन की बात हैं तो प्रबंधकों का रवैया अड़ियल हो जाता है । हमारी मांगे जायज़ हैं ।  युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स अपनी मांगों को बातचीत के जरिए हल करना चाहता गै । हम उम्मीद करते हैं कि आई.बी.ए. हमारी मांगो को समझते हुए बातचीत के जरिए जल्दी ही समझौते को लागु करेगा । अच्छा वेतन अच्छा लाभ देगा । अगर कर्मचारी को मंहगाई तथा काम के बढ़े बोझ के अनुसार अच्छा वेतन दिया जायेगा तो इससे उन्हें प्रेरणा मिलेगी, उनकी कान करने की क्षमता में वृद्दि होगी और बैंकों का लाभ भी बढ़ेगा । भारत में आज तक कोई भी बैंक वेतन में बृद्दि की वज़ह से खत्म नहीं हुआ है या डूबा है अपितु बैंक बुरे कर्जों की वज़ह से डूबे हैं । वेतन में संशोधन जल्द से जल्द होना चाहिए ।                   

हडताल सारे देश में पूर्णत: रही । बैंकों में क्लीयरिंग पूरी तरह से प्रभावित रही । रोज़र्मरा के बैंक के कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुए । पूरे देश में 10 करोड़ चैक 7,40,000 करोड़ रुपए के क्लीयर नहीं हो सके । सभी बैंकिंग सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई । कई स्थानों पर ए.टी.एम काम नहीं कर रहे थे । आई.बी.ए एवं सरकार हमारी मांगो पर समझौता नहीं कर रही है । ह्ड़ताल हम पर थोपी गई है । हमें अफसोस है कि जनसधारण को कठिनाई हो रही है किन्तु आई.बी.ए के अड़ियल रवैये के चलते हमें यह करना पड़ा । अगर सरकार बातचीत के लिए कदम बढ़ाए, हम बातचीत के जरिए समाधान करना चाहते हैं । परंतु अगर आई.बी.ए एवं सरकार का ऐसा ही नकारात्मक रवैया जारी रहा तो हमारे पास  आंदोलन को और तेज़ करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है |

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