Friday, October 11, 2013

नीपको : पूर्वोत्‍तर का प्रमुख बिजली उत्‍पादक

11-अक्टूबर-2013 15:43 IST
विशेष लेख//विद्युत                                                            *विशाल दास
     नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (नीपको) की स्‍थापना 02 अप्रैल, 1976 को भारत सरकार के पूर्णत: स्‍वामित्‍व में वि‍द्युत मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी। इसकी स्‍थापना देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में विद्युत उत्‍पादन की सम्‍भावनाओं के विकास के लिए योजना,  प्रोत्‍साहन, अन्वेषण,  सर्वेक्षण, अभिकल्प, निर्माण, उत्पादन, प्रचालन एवं विद्युत केद्रों के रखरखाव के वास्‍ते की गई थी। नीपको की प्राधिकृत शेयर पूंजी रु. 5000 करोड़ है। पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में विद्युत उत्‍पादन में इस कॉर्पोरेशन का योगदान 56 प्रतिशत है।

     नीपको भारत सरकार का शेड्यूल 'ए', मिनी रत्‍न श्रेणी-1 उद्यम है। वर्तमान में यह भारत के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में पांच जलविद्युत और दो तापविद्युत बिजली घरों का संचालन करता है। इनकी अधिष्‍ठापित क्षमता 1130 मेगावॉट है, जिसमें पनबिजली क्षेत्र में 755 मेगावॉट और तापविद्युत (गैस आधारित) में  375 मेगावॉट बिजली का उत्‍पादन होता है। इसके अलावा नीपको 12वीं येाजना में 922 मेगावाट की अतिरिक्‍त अधिष्‍ठापित क्षमता जुटाने की प्रक्रिया में हैं। इस प्रकार इसकी कुल अधिष्‍ठापित क्षमता बढ़कर 2052 मेगावाट हो जायेगी। नीपको ने आने वाले वर्षों में कई जल विद्युत परियोजनाओं को जोड़ने की योजना बनाई है जिनमें अरुणाचल प्रदेश में महत्‍वकांक्षी 3750 मेगावाट क्षमता वाली सियांग अपर स्‍टेज -2 एचईपी शामिल है। दो अन्‍य परियोजनाएं यथा सियांग अपर स्‍टेज – 1 (6000 मेगावाट) और कुरूंग एईपी (330 मेगावाट) की योजना है। इसके अलावा 7 बिजलीघरों (1130 मेगावाट) का संचालन किया जा रहा है। नीपको इस समय पांच परियेाजनाओं (922 मेगावाट) का निर्माण कर रहा है। 10 अतिरिक्‍त परियोजनाएं (6110 मेगावाट) निर्माण पूर्व की स्थिति में हैं।

     नीपको वर्तमान में अपनी जल विद्युत परियोजनाओं से करीब 755 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन कर रहा है इनमें  असम की कोपिली जल  विद्युत परियोजना (150 मेगावाट), असम में  कोपिली बिजलीघर, स्‍टेज 1 विस्‍तार (100 मेगावाट), असम में  कोपिली बिजलीघर, स्‍टेज 2 विस्‍तार (25 मेगावाट), नागालैंड में दोयांड जल विद्युत संयंत्र (75 मेगावाट) और अरूणाचल प्रदेश में रंगानदी जल विद्युत संयंत्र (405 मेगावाट) शामिल हैं।

           ताप बिजली क्षेत्र में नीपको 375 मेगावाट बिजली असम में मिलने वाली गैस से तैयार कर रहा है, असम (201 मेगावाट) और अगरतला गैस टर्बाइन प्‍लांट त्रिपुरा (84 मेगावाट), बिजली इसमें शामिल है। औसत प्‍लांट अवेलिबिटी (पीएएफ) 77 प्रतिशत रहा है जबकि ताप बिजली घरों का औसत पीएएफ वर्ष 2012-13 में 76 प्रतिशत रहा।
     नीपको ने कुछ ऐसी परियोजनाएं भी शुरू की हैं, जिनका निर्माण कार्य चल रहा है। इन परियोजनाओं में कामेंग पनबिजली परियोजना, अरुणाचल प्रदेश (600 मेगावाट), पारे पनबिजली परियोजना, अरुणाचल प्रदेश (110 मेगावाट) और तिउरियाल पनबिजली परियोजना, मिजोरम (60 मेगावाट) शामिल हैं। त्रिपुरा में प्राप्‍त गैस से चलने वाली ताप बिजली परियोजना, त्रिपुरा (101 मेगावाट) और अगरतला गैस टर्बाइन कम्‍बाइंड साइकिल एक्‍सटेंशन प्रोजेक्‍ट त्रिपुरा (51 मेगावाट) क्रमश: मई 2014 और दिसम्‍बर 2014 की बिजली की वाणिज्‍यक जरूरतें पूरी करने का लक्ष्‍य रखा है।
     नीपको ने परियोजनाओं को जल्‍दी पूरा करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इसके लिए एक माडर्न प्रोजेक्‍ट मैनेजमेंट साफ्टवेयर प्राइमावेरा का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। यह परियोजनाओं के नियोजन, अनुसूचीकरण और मॉनिटरिंग में इस्‍तेमाल हो रहा है। नीपको समय-समय पर सलाह और सुझाव देने के लिए रिटेनर कंसलटेंट एवं पैनल आफ एक्‍सपर्ट भी नियुक्‍त करता है जो विभिन्‍न तकनीकी पहलुओं पर समय से काम पूरा करने के लिए सलाह देता है। यह कार्पोरेशन समझौते के अनुसार देर करने वाले ठेकेदारों को नोटिस भी जारी करता है।
     हाल के वर्षों में नीपको ने अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए उपाय किए हैं। वह पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं विकसित करता है। इस मामले में प्रस्‍ताव आमंत्रित करते हुए एजेंसियों की सूची तैयार करने के लिए रुचि की अभिव्‍यक्ति के टेंडर मंगाए जाते हैं और इस प्रकार से सूचीबद्ध एजेंसियों को नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं (सौर एवं पवन) की परियोजनाएं लागू करने के लिए प्रस्‍ताव आमंत्रित किए जाते हैं। 15.05.2013 तक कम से कम 10 मेगावाट क्षमता के संयुक्‍त उद्यमों के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। इस प्रक्रिया में 7 पार्टियों ने भाग लिया और बोलियां 28 जून, 2013 को खोली गयीं। इनका मूल्‍यांकन प्रगति पर है। नीपको ने असम में कोपिली पनबिजली परियोजना के आसपास के लिए एक पवन ऊर्जा का इस्‍तेमाल करने की विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहा है, इस पवन फार्म की स्‍थापित क्षमता 2 मेगावाट होगी। केन्‍द्र और पवन ऊर्जा टेक्‍नालॉजी, चेन्‍नई को वर्कऑर्डर दिए जा चुके हैं। इस परियोजना के लिए स्‍थल का चुनाव कर लिया गया है और छानबीन का काम चल रहा है। जहां तक सौर ऊर्जा परियोजनाओं का सवाल है, नीपको ने त्रिपुरा में टीजीबीपी स्‍थल पर सौर ऊर्जा के ग्रिड इंटरएक्टिव संयंत्र की विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली है। यह परियोजना ठेका देने के 12 महीनों के अंदर पूरी कर लिए जाने का कार्यक्रम है।
     नीपको ने पनबिजली और ताप बिजली की परियोजनाएं लागू करने और उनकी योजना बनाने में विशेषज्ञता हासिल कर ली है। डिजाइन और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में उसके पास बहुत तजुर्बेकार और योग्‍यता प्राप्‍त व्‍यावसायिक हैं, जिनकी मदद से नीपको जनता तथा निजी बिजलीघरों को पनबिजली और तापबिजली परियोजनाओं में परामर्श सेवाएं देने की स्थिति में आ गया है। नीपको ने 18 पनबिजली घरों की पीएफआर तैयार की है और अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में प्रधान मंत्री के 50 हजार मेगावाट पनबिजली क्षमता तैयार करने के उपायों के अंतर्गत ये परियोजनाएं तैयार की गयी हैं। नीपको ने मेघालय सरकार को पनबिजली परियोजनाओं की पीएफआर तैयार करने में परामर्श देने की इच्‍छा भी जाहिर की है।
     अपनी सीएसआर प्रतिबद्धताएं पूरी करने की दिशा में नीपको ने सीएसआर गतिविधियों पर भारत सरकार के लोक उद्यम विभाग की तर्ज पर स्‍कीमें बनाई हैं और उसका खास जोर ग्रामीण भारत तथा पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के पहाड़ी राज्‍यों के पिछड़े जिलों पर है। उसने 3 आईटीआई को गोद ले लिया है, इनमें से दो अरुणाचल प्रदेश में और एक असम में है। नीपको पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के मेडिकल कॉलेजों को चिकित्‍सा उपकरण भी उपलब्‍ध कराता है। उसने कई चिकित्‍सा शिविर निशुल्‍क आयोजित किए हैं और परियोजना क्षेत्रों के आसपास के पिछड़े छात्रों को छात्रवृत्ति भी देता है।
     नीपको ने 12वीं योजना अवधि के दौरान 922 मेगावाट बिजली क्षमता जोड़ने की योजनाएं बनाई हैं, जिससे इस क्षेत्र में स्‍थापित क्षमता 1130 मेगावाट बढ़कर 2052 मेगावाट हो जाएगी। जहां तक एटी एंड सी क्षतियों का संबंध है, नीपको पूरे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में इन क्षतियों में कमी लाने के उद्देश्‍य से प्रेषण तंत्र मजबूत कर रहा है। वर्ष 2010-11 में पूर्वोत्‍तर क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र में एटी एंड सी क्षतियां क्रमश: 37.33 प्रतिशत और 38.24 प्रतिशत थीं। जबकि पूरे उत्‍तर क्षेत्र में, दक्षिण क्षेत्र में और पश्चिमी क्षेत्र में ये क्षतियां क्रमश: 28.91 प्रतिशत, 19.26 प्रतिशत और 24.44 प्रतिशत थीं। पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में अधिक बिजली पैदा करने और कोयले और गैस आधारित परियोजनाओं पर ज्‍यादा ध्‍यान दिया जा रहा है। नीपको कोयले और गैस का इस्‍तेमाल कर रहा है जो इस क्षेत्र में खूब मिलता है। हाल ही में सरकार ने इन राज्‍यों को अपफ्रन्‍ट प्रीमियम देने की अनुमति दी है जिससे नीपको द्वारा परियोजनाएं प्राप्‍त करने का काम आसान हो गया है।
     इस क्षेत्र में बिजली की मांग बराबर बढ़ रही है, जिसे देखते हुए नीपको अपने तापबिजली घरों में ज्‍यादा बिजली पैदा करने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए वह ओपन साइकिल से कम्‍बाइंड साइकिल पर आ रहा है। इससे प्रदूषण कम होगा और ऊर्जा नष्‍ट होने से बचेगी।
     इन परियोजनाओं के पर्यावरण प्रभाव मूल्‍यांकन एवं प्रबंधन योजना रिपोर्टों के एक भाग के रूप में पुनर्वास परियोजनाएं होती हैं। इसका मूल्‍यांकन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय करता है। प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की योजनाएं राज्‍य सरकारों द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं। परियोजना क्षेत्र के प्रभावित परिवारों तथा क्षेत्र के अन्‍य हितधारकों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होते हैं। इस प्रक्रिया में नीपको की कोशिश यह होती है कि कम से कम लोग विस्‍थापित हों और ज्‍यादा प्रभावित न हों। इसीलिए आर एंड आर योजनाएं बनाने से पहले परियोजना प्रभावित परिवारों से सलाह की जाती है ताकि स्‍थानीय लोगों और प्रभावित परिवारों के आर्थिक सामाजिक और सामाजिक सांस्‍कृतिक स्थिति का मूल्‍यांकन किया जा सके।
     वर्तमान में इस कंपनी का शुद्ध लाभ रुपये 250 करोड़ है और अगले तीन वर्षों में यह बढ़कर रुपये 800 करोड़ हो सकता है। नीपको कोयला और गैस का इस्‍तेमाल कर रहा है जो इस इलाके में बिजली तैयार करने के लिए बहुतायत से उपलब्‍ध है। साथ ही, यह कार्पोरेशन सिक्किम में भी बिजली परियोजनाएं शुरू करेगा। पूर्वोत्‍तर क्षेत्र का रणनीतिक महत्‍व है अत: नीपको इस क्षेत्र में लोगों को बिजली देने के काम में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
     सरकार ने मंत्रियों का एक सशक्‍तीकरण समूह गठित किया है। यह समूह परियोजनाओं की समीक्षा करेगा और उन पर अमल जल्‍दी कराने के लिए काम करेगा। इसी तरह के अन्‍य मुद्दे भी पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में शुरू किए जाएंगे। यह निगम बेसिनवाइज मास्‍टर प्‍लान भी तैयार करेगा, जिसका उद्देश्‍य होगा यहां तैयार बिजली अन्‍य क्षेत्रों में भेजना। नीपको वन लगाने पर भी जोर दे रहा है जो पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की परियोजनाओं का एक भाग होता है। अपने संचालन का विस्‍तार करने की प्रक्रिया में नीपको अपनी कार्य योजना में सिक्किम को भी शामिल कर रहा है। स्‍थानीय लोगों के विरोध के कारण कई अदालतों ने स्‍टेआर्डर जारी कर दिए हैं, जिससे असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा स्थित सुबनसिरी पनबिजली परियोजना का काम रुक गया है।
     नीपको का कार्य क्षेत्र बहुत विशाल है, इसके कार्य क्षेत्र में नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश भी आते हैं, जहां 24 बीगावाट बिजली तैयार करने की संभावित क्षमता है। इस क्षेत्र में उपलब्‍ध कोयले और गैस से बिजली तैयार करने के लिए नीपको ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। हालांकि यहां का माहौल और जलवायु विपरीत है। परियोजना स्‍थल दूर-दूर हैं और भौगोलिक स्थितियां दुर्गम हैं, नीपको पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में उपलब्‍ध संसाधनों से बिजली तैयार करने के प्रयास तेज कर रहा है।(पीआईबी फीचर्स)
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*मीडिया एवं संचार अधिकारी, पीआईबी, नई दिल्‍ली
वि.कासोटिया/अर्चना/शुक्‍ल/दयाशंकर- 222
पूरी सूची- 11-10-2013

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