Friday, May 25, 2012

जनता पर तेल की मार//राजीव गुप्ता

जनता पर अब तक की सबसे  बड़ी मार महंगाई की मार से जूझ रही जनता पर इस बार यूं.पी.ए-2 की अब तक की सबसे  बड़ी मार पड़ी है ! इस मंगलवार को  यूं.पी.ए. - 2  ने सरकार संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सत्ता में तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से शाम को एक डिनर पार्टी का आयोजन किया गया जिसमे सरकार की तीन वर्षो की उपलब्धियों को गिनाया गया अभी  उपलब्धियों  का यह जश्न पूरे शबाब पर ही था कि अचानक तेल कंपनियों ने बुधवार की शाम को पेट्रोल की कीमत में 7.50 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी की घोषणा कर दी ! गौरतलब है कि पेट्रोल के दाम में कभी भी इतनी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई ! इससे पहले पिछले साल 2 बार 5-5 रुपये की बढ़ोतरी की जरूर गई थी, जो सबसे ज्यादा थी ! तमाम राजनीतिक दबावों को दरकिनार कर तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी की है  ! डीजल और एलपीजी दाम नहीं बढ़ाए गए हैं , गौरतलब है कि  डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए शुक्रवार को मंत्रियों के समूह की बैठक होने वाली है और इसी बैठक में इनके दामों में बढ़ोतरी का निर्णय लिया जाएगा ! वर्तमान समय में तेल रूपी "विश्व - मोहिनी" से प्रभावित होकर महंगाई "सुरसा"  की भांति अपना मुंह दिन-प्रतिदिन फैलाकर बढ़ाये जा रही है ! जिसकी मार से आम आदमी त्रस्त है, और सरकार विश्व - पटल पर तेल के दामों में बढ़ोत्तरी को जिम्मेदार ठहराकर अपना पल्ला झाड लेती है ! गौरतलब है कि इस समय कच्चे तेल की कीमतों में कमी हुई है  ! परन्तु जबसे यूंपीए सरकार ने पेट्रोल की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया है आये हर दूसरे  - तीसरे महीने निजी कम्पनियाँ मनमानी ढंग से तेल की कीमतों में इजाफा किये जा रही है !
वित्त मंत्री ने पेट्रोल की कीमत में वृद्धि के लिए डॉलर के मुकाबले रुपये के लगातार गिरते स्तर को बताया ! गौरतलब है कि बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले रेकॉर्ड 56 रुपये के पार पहुंच गया और अर्थशास्त्रियों ने यह आशंका जताई है कि रुपये में और कमजोरी आ सकती है ! यह प्रति डॉलर 60 रुपये के स्तर तक गिर सकता है ! बुधवार को एक वक्त रुपया एक डॉलर के मुकाबले 56.21 रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया था, जो अब तक की रुपये की सबसे बड़ी गिरावट है ! ज्ञातव्य है कि भारत बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम पदार्थ का आयात करता है और इसका भुगतान डॉलर में होता है ! डॉलर के मुकाबले रुपया 55 से भी नीचे जाने के कारण तेल कंपनियों का घाटा बढ़ गया है ! अर्थशास्त्रियों का यह तर्क है कि तेल कंपनियों को बढ़ी हुई कीमतों के पहले तक पेट्रोल पर करीब 12 रुपये और डीजल पर 15 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा था ! 2011-12 में तेल कंपनियों को 1,38,541 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था ! सरकार ने 83,500 करोड़ की भरपाई की !
सरकार का यह तर्क कि पेट्रोलियम मूल्य पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है  गले नहीं उतरता ! कारण बहुत साफ़ है कि जब राज्यों में चुनाव हो रहे थे तब तेल कंपनियों दाम नहीं बढ़ाये और अभी हाल में ही संसद का बजट सत्र मंगलवार को ही खत्म हुआ है तब भी तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाये ! हालाँकि अटकलों का बाजार पूरे जोर पर था कि अब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का ऐलान कभी भी हो सकता है ! सरकार कुछ भी तर्क देती रहे पर उसकी मंशा पर भी अब सवाल खड़े हो रहे है ! ऐसा लगता है सरकार परदे की पीछे से राजनीति कर रही है ! क्योंकि मंगलवार को ही संसद का बजट सत्र समाप्ति के बाद पेट्रोलियम मिनिस्टर एस. जयपाल रेड्डी ने तेल की कीमतें तुरंत बढ़ाने की जरूरत बताई, लेकिन कहा कि इससे पहले राजनीतिक दलों से बात करनी होगी ! सरकार ने बात की या नहीं यह तो वही जाने पर तेल की कीमते जरूर बढ़ा दी गयी जिससे उनके अपने ही सहयोगियों आग-बबूला हो रहे है !
सरकार का कहना है कि आरबीआई रुपये की कमजोरी को रोकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी कोशिश नाकाफी साबित हो रही है ! तमाम कोशिशों के बावजूद रुपये की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है ! अगर रुपये की गिरावट इसी तरह जारी रही, तो घटते औद्योगिक उत्पादन के बीच आयात आधारित उद्योग बर्बाद हो सकते हैं ! सिर्फ पेट्रोलियम पदार्थ ही नहीं खाने पीने के तेलों की कीमत बढ़ सकती है ! साथ ही दाल की कीमतें भी काफी बढ़ सकती हैं ! आम जनता के किचन का बजट बिगड़ सकता है ! इन सबकी मार आखिरकार आम जनता पर ही पड़ेगी ! कांग्रेस पार्टी का चुनाव के समय एक प्रसिद्द नारा था कि  "कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ" परन्तु अब यह नारा बेमानी सा लगने लगा है क्योंकि  लाख टके का यही सवाल है कि आम आदमी जाये तो कहा जाय ?
वर्तमान  भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जो कि एक विश्व विख्यात अर्थशास्त्री भी है  जब 1991 में  पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री थे तब इन्होने अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया और  उस समय की इनकी  आर्थिक सुधार की पहल से पिछले दो दशको में भारत की अर्थव्यवस्था की गिनती चुनिन्दा शक्तिशाली देशो में होने लगी ! इसका अंदाजा हम वर्ष 2010 में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से भी लगा सकते है जिसमे उनके भारत आने का एक उद्देश्य अमेरिका व्यापार के लिए भारतीय -बाजार को खोलना भी शामिल था ! गत तीन वर्ष की उपलब्धियों का चाहे जितना नगाड़ा बजाया जाय परन्तु  सरकार की अब साख बची भी है या नहीं इसका अंदाज़ा लगाना बड़ा मुश्किल है क्योंकि  देश इनसे आर्थिक सुधार के मुद्दों पर हर भारतीय कुछ करिश्माई जरूरी कदम लेने की आस से देखता था !
अब हर तबके के लोग सरकार की किरकिरी कर रहे है ! गौरतलब है कि अभी हाल ही में एनएसएसओ के ताजा आंकड़ो के आधार पर यह कहा गया कि लगभग 60% जनता गरीबी में रहती है !  इतना ही नहीं अभी हाल में ही अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैडर्ड एंड पूअर्स ने राजकोषीय घाटे की बिगडती स्थिति तथा नीति-निर्णय के स्तर पर चलते राजनीतिक दिशाहीनता को देखते हुए भारत की रेटिंग को नकारात्मक कर दिया है ! इतना ही नहीं एक अन्य रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की ख़राब होती अर्थव्यवस्था के लिए श्री मनमोहन सिंह को ही जिम्मेदार ठहराया था ! इन एजेंसिया की विश्वव्यापी इतनी बड़ी साख है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनकी रिपोर्टो के आधार पर ही विदेशी अन्य देशो में निवेश करते है !  सरकार अभी भी अपनी बची हुई साख को भी दांव पर लगाने से नहीं बाज आ रही है !  जब किसी भी सरकार की साख लगातार कम हो रही हो  , महंगाई रोकने में नाकाम हुई हो और तेल - मूल्यों में ऐसी बेतहासा बढ़ोत्तरी हो रही हो जिसकी मार आम आदमी पर पड़ रही हो वर्तमान सरकार के कामकाज के तौर तरीको पर प्रश्न चिन्ह तो खड़ा होगा ही !
- राजीव गुप्ता , स्वतंत्र पत्रकार , 9811558925

पैट्रोल के दाम में हुई बढ़ोत्तरी एक प्रतिक्रिया

जनता ही कांग्रेस को ,अब धूल चटाएगी !!पैट्रोल के दाम की हुई फिर बढ़ोत्तरी ,
अब शर्तिया खाली हो जायेगी तशतरी !!
सब्जी, दाल,आटा, चावल महगे होंगे,
दिखेंगे टेबल पर,केवल खाली डोंगे !!

बच्चों के स्कूल का भाडा दूना होगा ,
आफिस भी इसीलिय अब सूना होगा !!
मैडम आप इसमे कुछ भरपाई कर दो ,
मेकप ,किटी-पार्टी खर्चा  कम कर दो !!

चाऊ मीन , कोल ड्रिंक सपनो में मिलेगे ,
साइकिल पे बौस ,दौड़ते पीछे बाबू दिखेंगे !!
सरकार पहले बढ़ा कर,फिर कुछ घटायेगी ,
ऐसे ही मुलायम और ममता को पटायेगी !!

लेकिन यह चेतावनी है आज बोधिसत्व की ,
जनता ही कांग्रेस को ,अब धूल चटाएगी !!

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७


चर्चा गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात की

गरीबी के आकलन के लिए सरकार ने नए विशेषज्ञ पैनल की घोषणा की 
तेंदुलकर समिति की विधियों का अनुसरण कर वर्ष 2009-10 के लिए राज्‍यवार गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात परिकलित कर ली गयी है। इसी विधि के आधार पर, योजना आयोग ने प्रेस नोट के जरिए 19 मार्च, 2012 को गरीबी का आकलन जारी किया है। इसके अनुसार देश में गरीबी का अनुपात, वर्ष 2004-05 में 37.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2009.10 में 29.8 प्रतिशत हो गया। नतीजतन, देश में गरीबों की संख्‍या वर्ष 2004-05 में 40.7 करोड़ से घटकर वर्ष 2009.10 में 35.5 करोड़ रह गयी। तेंदुलकर समिति ने 2009 में सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में खर्च की उपयुक्‍तता को मानकस्‍तर से हटाकर पोषण संबंधी करार दिया था। इसमें कहा गया कि कैलोरी मानक से हटकर प्रस्‍तावित गरीबी रेखा को पोषण, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रति व्‍यक्ति वास्‍तविक निजी खर्च की उपयुक्‍तता की जांच करके ही मान्‍य किया गया है। देश में गरीबी के पुनर्आकलन और सम्‍बन्धित विधियों की आवश्‍यकता के संदर्भ में आए विभिन्‍न्‍विचारों, और गरीबों की पहचान के लिए उपयुक्‍त विधि का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ तकनीक समूह गठित करने का फैसला लिया है।

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्‍यक्ष डॉ्. सी. रंगराजन की अध्‍यक्षता में तकनीक समूह में जानेमाने अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया है।

1- डॉ. सी. रंगराजन, अध्‍यक्ष अध्‍यक्ष प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद

2- डॉ. महेन्‍द्र देव, निदेशक सदस्‍य इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्‍थान

3- डॉ. के सुन्‍दरम, सदस्‍य दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकॉनोमिक्‍स के पूर्व प्राध्‍यापक

4- डॉ. महेश व्‍यास, भारती सदस्‍य अर्थव्‍यवस्‍था निगरानी केन्‍द्र

5- डॉ. के.एल. दत्‍ता, पूर्व सलाहकार सदस्‍य, संयोजक

योजना आयोग विशेषज्ञ तकनीक समूह की संदर्भ शर्तें इस प्रकार हैं -

1- गरीबी रेखा का आकलन करने की मौजूदा विधि का समग्ररूप से समीक्षा करना और ये जांच करना कि क्‍या गरीबी रेखा को उपभोग के संदर्भ में तय कर देना चाहिए या अन्‍य विधियां भी प्रासंगिक हैं और यदि ऐसा है तो शहरी और देहाती इलाकों में गरीबी का अनुमान लगाने वाला एक आधार तय करने के लिए क्‍या दोनों को प्रभावी तरीके से जोडा जा सकता है।

2- एनएसएसओ पर आधारित उपभोग अनुमान और नेशनल अकाउंटस एग्रिगेटस से निकली विधि पर असहमति के मुददों की जांच करना और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लिए सीएसओ द्वारा जारी राज्‍यवार नई उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक का इस्‍तेमाल करते हुए उपभोग गरीबी रेखा के नवीकरण के लिए उपयुक्‍त तरीके का सुझाव देना।

3- गरीबी रेखा का आकलन करने के‍लिए वैकल्पिक विधियों की समीक्षा जो अन्‍य देशों में प्रचलित है, और यह संकेत देना कि क्‍या इस आधार पर भारत में गरीबी का आकलन करने के लिए एक खास विधि ईजाद की जा सकती है, जिसमें समय-समय पर इसके नवीकरण के लिए भी विधियां शामिल हैं।

4- यह सिफारिश करना कि भारत सरकार के तहत चल रही योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए योग्‍यता तय करने में उपर्युक्त‍तरीके से ईजाद की गई गरीबी के आकलन का कैसे इस्‍तेमाल हो।

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24-मई-2012 20:53

Tuesday, May 22, 2012

जैव विविधता का महत्व

 विशेष सेवा एवं फीचर जैव विविधता                                             डॉ. बालाकृष्णा पिसुपति ⃰ 
चित्र साभार नैनीताल समाचार 
जीवन की विविधता (जैव विविधता) धरती पर मानव के अस्तित्व और स्थायित्व को मजबूती प्रदान करती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) घोषित किए जाने के बावजूद, यह जरूरी है कि प्रतिदिन जैव विविधता से सम्बद्ध मामलों की समझ और उनके लिए जागरूकता बढ़ाई जाए। समृद्ध जैव विविधता अच्छी सेहत, खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास, आजीविका सुरक्षा और जलवायु की परिस्थितियों को सामान्य बनाए रखने का आधार है। विश्व में जैव विविधता का सालाना योगदान लगभग 330 खरब डॉलर है। हालांकि इस बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा का तेजी से ह्रास होता जा रहा है।
           वर्ष 2012 के अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का मूल विषय समुद्रीय जैव विविधता है। तटीय और समुद्रीय जैव विविधता आज दुनिया भर के लाखों लोगों के अस्तित्व को बचाए रखने का आधार बनाती है। पृथ्वी की सतह के 71 प्रतिशत हिस्से पर महासागर है और यह 90 प्रतिशत से ज्यादा रहने योग्य जगह बनाता है। तटीय क्षेत्र नाजुक पारिस्थितिक तंत्र प्रणालियों-मैनग्रोव्स, प्रवाल-भित्तियों, समुद्री पादप और समुद्री शैवालों के लिए सहायक हैं। लेकिन इन क्षेत्रों में जीवन की विविधता को कम समझा गया है और उनकी अहमियत कम करके आंकी गई है जिसके परिणामस्वरूप उनका जरूरत से ज्यादा दोहन हुआ है। कुछ समुद्रीय प्रजातियां गायब हो रही हैं और कुछ का अस्तित्व संकट में है। समुद्रीय जैव विविधता की आर्थिक एवं बाजार सम्बंधी सम्भावनाओं को अभी तक भली-भांति समझा नहीं जा सका है, जबकि समुद्रीय विविधता की सम्भावनाएं कई गुणा बढ़ गई हैं। समुद्रीय जीवन से सम्बद्ध उत्पादों और प्रक्रियाओं पर लिए जाने वाले पेटेंट्स की संख्या हर साल तेजी से बढ़ती जा रही है।
           भारत में करीब 7,500 किलोमीटर तटीय क्षेत्र है, जिसमें से करीब 5,400 किलोमीटर प्रायद्वीपीय  क्षेत्र भारत से सम्बद्ध है और बाकि हिस्से में अंडमान, निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह हैं। कम ऊंचाई वाले तटीय क्षेत्रों में रहने वाली कुल वैश्विक आबादी का करीब 11 प्रतिशत हिस्सा, दुनिया की 0.25 प्रतिशत से भी कम तटीय क्षेत्र वाले भारत में बसता है। तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों समुदायों की आजीविका का प्रमुख साधन मछली पकड़ना है। भारत का तटीय क्षेत्र प्रवाल भित्तियों, मैनग्रोव्स, समुद्रीय पादप/समुद्री शैवालों, खारे पानी वाले निचले दलदली इलाकों, रेत के टीलों, नदियों के मुहानों और लगून्स से भरपूर है।
           भारत में तीनों प्रमुख रीफ या समुद्री चट्टानें (एटॉल, फ्रिंजिंग  और बेरियर) बेहद वैविध्यपूर्ण, विशाल और बहुत कम हलचल वाले समुद्री चट्टानों वाले इलाकों में मिलती हैं। भारत की तटीयरेखा के चारों तरफ चार प्रमुख समुद्री चट्टानों वाले रीफ क्षेत्र हैं। पश्चिमोत्तर में कच्छ की खाड़ी है, दक्षिण पूर्व में पॉक और मन्नार की खाड़ी हैं, पूर्व में अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह हैं तथा पश्चिम में लक्षद्वीप द्वीपसमूह है। मैनग्रोव्स 4827 वर्गकिलोमीटर के दायरे में फैले हैं इनमें से पूर्वी तट के साथ 57 प्रतिशत, पश्चिमी तट के साथ 23 प्रतिशत और बाकी के 20 प्रतिशत अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के साथ हैं। भारतीय समुद्रों में छह श्रेणियों के साथ समुद्री पादपों की 14 प्रजातियां  होने की जानकारी है। उपरोक्त वर्णित सभी पारिस्थितिक तंत्र अनूठे समुद्रीय और जमीन पर रहने वाले वन्यजीवन को आश्रय देती हैं।
           प्रवाल भित्तियों की आर्थिक सामर्थ्‍य करीब 125 करोड़ डॉलर/हैक्टेयर/वर्ष है। ये आंकड़े अर्थशास्त्रियों के शोध के हैं। सोचिए हमें स्थानीय लोगों के लिए इस सामर्थ्य के महज 10 प्रतिशत हिस्से के बारे में ही मालूम है।
           मानव के बार-बार समुद्रीय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र से लाभान्वित होते रहने के बावजूद, हमारी भूमि और महासागर पर आधारित गतिविधियों ने समुद्रीय पारिस्थितिक तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा है। तटवर्ती शहरों और उद्योगों द्वारा अंधाधुंध कचरा बहाने और मछली तथा अन्य समुद्रीय उत्पादों का सीमा से अधिक दोहन प्रमुख चुनौतियां हैं।
           लिहाजा तटीय और समुद्रीय पारिस्थितिक तंत्रों पर विपरीत असर डालने वाली जमीनी गतिविधियों को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। इतना ही नहीं, समुद्रीय संसाधन आमतौर पर स्वभाविक रूप से पुनः उत्पन्न हो जाने की क्षमता रखते हैं, इसके बावजूद उनका दोहन उनकी दोबारा उत्पत्ति की क्षमता के लिहाज से सीमित होना चाहिए। तटीय और समुद्रीय जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के लिए समुद्रीय संरक्षित क्षेत्रों/रिजर्व या आरक्षित क्षेत्रों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। भारत में बहुत से समुद्रीय संरक्षण क्षेत्र/रिजर्व या आरक्षित क्षेत्र हैं और इनका विस्तार किए जाने की जरूरत है।
           दुनिया भर के पर्यावरण मंत्रियों द्वारा आगामी ‘कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज टू द कंवेशन ऑन बॉयोलॉजिकल डाइवर्सिटी‘(सीबीडी सीओपी 11) की 11वीं बैठक में समुद्रीय और तटीय जैव विविधता पर विशेष और प्रमुख ध्यान दिए जाने की सम्भावना है। इस दौरान सिर्फ समुद्रीय जीवन और तटीय जैव विविधता के संरक्षण के सम्मिलित प्रयासों की पहचान किए जाने की ही सम्भावना नहीं हैं बल्कि इस प्राकृतिक खजाने की आर्थिक सामर्थ्य पर भी गौर किया जाएगा, जो आजीविका मुहैया कराती है, हमें जलवायु परिवर्तन से बचाती है और यह सुनिश्चित करती हैं कि हमारे भोजन एवं पोषण की सुरक्षा यथावत् रहने के  साथ ही साथ उचित अंतरालों के साथ बढ़ती भी  रहे।

-22 मई 2012 को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस है।
⃰अध्यक्ष राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण
दावाअस्‍वीकरण- इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं कि पीआईबी उनसे सहमत हो।                          (पीआईबी फ़ीचर21-मई-2012 17:45 IST

Monday, May 21, 2012

आतंकवाद निरोधी दिवस:सरकारी कर्मचारियों ने ली शपथ

सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा का किया विरोध
दिल्ली की वीर भूमि पर स्थित दिवंगत प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी की समाधि पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नैशनल एडवाइज़री  काउन्सिल की चेयरपर्सन   सुश्री सोनिया गाँधी उनके साथ उनके बेटे राहुल गाँधी भी हैं
21 पूर्व की दुखद घटना को स्मरण करके श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए प्रधान मंत्री डा मनमोहन सिंह 
सरकारी कर्मचारियों को शपथ दिलाते केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम (पीआईबी फोटो)
आज पूरे देश में आतंकवाद निरोधी दिवस मनाया जा रहा है। देश के सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और अन्‍य जनसंस्‍थानों के कर्मचारियों ने सभी प्रकार के आतंकवाद और हिंसा के विरूद्ध शपथ ली। केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदम्‍बरम ने आज प्रात: नॉर्थ ब्‍लाक स्थित गृह मंत्रालय में अधिकारियों और कर्मचारियों को शपथ दिलाई।
देश के सभी वर्गों के लोगों में आतंकवाद, हिंसा और जनता, समाज और पूरे देश पर पड़ने वाले इसके खतरनाक प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
आतंकवाद निरोधी दिवस मनाये जाने के पीछे मुख्‍य उद्देश्‍य युवाओं को आम जनता की पीड़ा के बारे में जानकारी देते हुए और यह दर्शाते हुए कि आतंकवाद किस प्रकार राष्‍ट्रीय हितों के विरूद्ध है, आतंकवाद/हिंसा की पद्धति से दूर रखना है। स्‍कूलों, कॉलेजों और विश्‍वविद्यालयों में वाद-विवाद/विचार-विमर्श के आयोजन, आतंकवाद और हिंसा के खतरों के बारे में विचार गोष्‍ठियों/सेमिनारों/व्‍याख्‍यानों आदि के आयोजन द्वारा तथा आतंकवाद व हिंसा के विरूद्ध जागरूकता लाने के लिए समर्पित एवं स्‍थायी अभियान चलाकर इन उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने का लक्ष्‍य है।( पीआईबी)
21-मई-2012 13:48 IST

सरकार नयी राष्‍ट्रीय स्‍पर्धा नीति तैयार करने की प्रक्रिया में

नयी राष्‍ट्रीय स्‍पर्धा नीति के प्रारूप पर मंत्रालयों और विभागों से मांगी राय सरकार नयी राष्‍ट्रीय स्‍पर्धा नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है। इसका उद्देश्‍य आर्थिक विकास, उद्यमशीलता और रोजगार के उच्‍च व्‍यावहारिक स्‍तरों को सुनिश्‍चित करना है। कारपोरेट कार्य मंत्री डॉ. वीरप्‍पा मोइली ने भारतीय स्‍पर्धा आयोग द्वारा अंकटाड के साथ मिलकर आयोजित कार्यशाला में बात कही। इस कार्यशाला का आयोजन स्‍पर्धा कानून लागू होने के तीन वर्ष पूरा होने पर किया गया है। डॉ. मोइली ने कहा कि यह प्रस्‍तावित नयी राष्‍ट्रीय स्‍पर्धा नीति मंत्रालयों और विभागों से उनकी राय जानने के लिए उन्‍हें पहले ही भेजी जा चुकी है। इसके बाद इसे मंत्रिमंडल की स्‍वीकृति के लिए भेजा जाएगा।

डॉ. वीरप्‍पा मोइली ने कहा कि भारतीय स्‍पर्धा आयोग के कुछ फैसले उदारवादी अर्थव्‍यवस्‍था में बाजार ताक़तों की खुली भूमिका सुनिश्चित करने में बहुत महत्‍वपूर्ण साबित हुए हैं। उन्‍होंने यह बात जोर दे कर कही कि सरकार जो भी नीति बनाती है, अंतत: उसका केन्‍द्र उपभोक्‍ता होना चाहिए और उस तक इसका लाभ मिलना चाहिए।
डॉ. वीरप्‍पा मोइली ने कहा कि स्‍पर्धा कानूनों का उद्देश्‍य प्रतियोगियों की नहीं, बल्कि स्‍पर्धा प्रणाली की रक्षा करना है। इसके लिए उचित नियामक व्‍यवस्‍था करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि विनिर्माण, बिजली, दूरसंचार, सड़क, परिवहन, नागरिक उड्डयन, पर्यटन आदि जैसे विभिन्‍न क्षेत्रों में जो नीतियां शुरू की गई हैं उनके अब तक अच्‍छे परिणाम निकले हैं। स्‍पर्धा के कारण पिछले दो दशकों में साढ़े चार करोड़ नये उद्यमी सामने आये हैं। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की कि स्‍पर्धा कानूनों और नयी राष्‍ट्रीय नीति से 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद दूसरे सबसे बड़े सुधारों का मार्ग प्रशस्‍त होगा।
इससे पहले भारतीय स्‍पर्धा आयोग के अध्‍यक्ष श्री अशोक चावला ने कहा‍कि सरकारी उद्यमों को स्‍पर्धा कानून के महत्‍व को समझना चाहिए और ऐसी व्‍यावहारिक नीतियां अपनानी चाहिएं, जो गैर-सरकारी उद्यमों के लिए मिसाल बन सकें।
कारपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव श्री नावेद मसूद, सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव श्री ओ.पी. रावत और अंकटाड की स्‍पर्धा और उपभोक्‍ता संरक्षण शाखा के प्रमुख श्री हसन कुगाया ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्‍यक्‍त किये।

स्‍पर्धा कानून और सरकारी उद्यमों के विषय पर आयोजित दो दिन की इस कार्यशाला में विभिन्‍न मंत्रालयों के सचिव और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के प्रमुख भाग ले रहे हैं। रूस, ब्रिटेन, यूरोपीय आयोग, कोरिया मेला व्‍यापार आयोग, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्‍ट्रेलिया प्राधिकरण के प्रतिनिधि भी कार्यशाला में भाग ले रहे हैं। (पीआईबी)
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21-मई-2012 16:05 IST
 
 

विकलांगों को मिले सामाजिक न्‍याय

फीचर सामाजिक न्‍याय                                                                                       दीपक राजदा* 
साभार सचित्र 
भारत में 2001 की जनगणना के अनुसार विभिन्‍न प्रकार के विशेष रूप से सक्षम (विकलांग) व्‍यक्तियों की संख्‍या 2.2 करोड़ है। सरकार ने इन्‍हें समाज के साथ पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए कानून बनाने सहित अनेक प्रकार के उपाय किए हैं। इन उपायों का असर जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई देता है और इनके अनुसार भले ही वह अपनी सामान्‍य  ज़िम्मेदारियाँ निभाते जान पड़ें, लेकिन वह औरों से बेहतर करने की कोशिश करते हैं। सरकार लगातार जरूरी उपाय कर रही है। इनमें व्‍यापक मानव अधिकारों का समावेश शामिल है जिसे विकलांगता विधेयक कहा गया है और इस कानून का मसौदा संसद में पेश करने किए जाने के लिए विचाराधीन है।
  जिन राज्‍यों में विशेष रूप से सक्षम (विकलांगों) की संख्‍या सबसे ज्‍यादा है उनमें सबसे पहला नाम है उत्‍तर प्रदेश का, जहां 34.53 लाख लोग इस वर्ग के हैं। दूसरे और तीसरे नम्‍बर पर बिहार और पश्चिम बंगाल का नाम है जहां इस वर्ग के 18-18 लाख लोग है। तमिलनाडु में 16 लाख, महाराष्‍ट्र में 15 लाख से ज्‍यादा, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में 14-14 लाख से अधिक इस वर्ग के लोगों की संख्‍या है। 2001 की जनगणना के अनुसार इस वर्ग के 49 प्रतिशत लोग साक्षर हैं और 34 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिला हुआ है। कुल मिलाकर 1 करोड़ से ज्‍यादा लोग दृष्टि संबंधी विकलांगता से पीड़ित हैं जबकि देश में 12.61 लाख लोग श्रवण शक्ति से और 61 लाख व्‍यक्ति हाथ-पैरों से विकलांग हैं। एनएसएसओ के 2002 के सर्वेक्षण के अनुसार विशेष रूप से सक्षम 75 प्रतिशत व्‍यक्ति ग्रामीण क्षेत्रों  में रहते हैं।
  इस वर्ग के लोगों की कल्‍याण योजनाओं का प्रभार सामाजिक न्‍याय और सशक्तीकरण मंत्रालय के पास है। वही इन योजनाओं की जिम्‍मेदारी संभालते हैं। सरकार ऐसी योजना बना रही है कि इन सभी योजनाओं को एक केंद्र प्रायोजित राष्‍ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जा सके ताकि इन स्‍कीमों का बेहतर ढंग से प्रशासन हो सके। इनके लिए अधिक धन आवंटित करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
  वर्ष 2011-12 में मंत्रालय के विकलांगता प्रभाग को रुपये 480 करोड़ आवंटित किए गए। इस प्रभाग द्वारा चलाई गई स्‍कीमों में शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पुनर्वास तथा लाभार्थियों का विकास और उनका रहन-सहन बेहतर बनाना शामिल है। हालांकि 12वीं योजना अभी तैयार नहीं है, योजना आयोग ने योजना के पहले वर्ष (2012-13) के लिए कुछ धनराशि आवंटित की है। इसमें 33 करोड़ रूपये मैट्रिक बाद के छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए और 12  करोड़ रूपये विकलांगों को एमफि‍ ल और पीएचडी पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए राजीव गांधी राष्‍ट्रीय फेलोशिप योजना के तहत छात्रवृत्ति देने के लिए रखे गए हैं।
  सरकार ने वर्ष 2006 में विकलांग व्‍यक्तियों के लिए राष्‍ट्रीय नीति घोषित की थी। इसमें ऐसे व्यक्तियों केा देश के लिए बहुमूल्‍य मानव संसाधन स्रोत के रूप में मान्‍यता दी गई जो अगर ठीक से प्रशिक्षित किए जा सकें, तो बेहतर जीवन बिता सकते हैं। इसके लिए मंत्रालय में है। विकलांगों के लिए मुख्‍य आयुक्‍त की नियुक्ति की गई है जो नियमों के और आदेशों के उल्लंघन की शिकायतें सुनते हैं। विकलांगता के क्षेत्र में काम करने के लिए 7 राष्‍ट्रीय स्‍तर के संस्‍थान खोले गए। ये संस्‍थान विकलांगता के विभिन्‍न क्षेत्रों के लिए काम करते है और अपने-अपने क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास का काम संभालते हैं। पिछले वित्‍त वर्ष के दौरान इन्‍हें 34 करोड़ रूपये की वित्‍तीय सहायता दी गई जबकि बजट परिव्‍यय पूरे वर्ष के लिए 60 करोड़ रूपये रखा गया था।
  दीनदयाल विकलांग पुनर्वास स्‍कीम के अंतर्गत स्‍वयं सेवी संगठन श्रवण और नेत्रबाधित विकलांगों के लिए विशेष विद्यालय चला रहे है। वर्ष के दौरान 2.50 लाख व्‍यक्तियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्‍य था। जिला स्‍तर पर इस काम के लिए मूल सुविधाएं जुटाने के उद्देश्‍य से केंद्र सरकार नौंवी योजना से भी राज्‍यों को जिला विकलांगाता पुनर्वास केंद्र खोलने को प्रोत्‍साहित करती रही है। पिछले 2 वर्षों में 100 ऐसे केंद्र खोले जाने का प्रस्‍ताव था। इस समय देशभर में 215 जिला विकलांग पुनर्वास केंद्र चल रहे हैं। 2009-10 में सरकार ने दूसरे चरण में समावेशी विकलांग शिक्षा की शुरूआत की। ऐसे बच्‍चों को प्राथमिक स्‍तर पर सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत समावेशी शिक्षा दी जाती है लेकिन इस स्‍कीम में कक्षा 9 से 12 तक सरकारी, स्‍थानीय निकायों और सरकार से सहायता पाने वाले विद्यालयों में समावेशी शिक्षा के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता दी जाती है।
  विकलांग कल्‍याण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने विकलांग मामलों का एक अलग विभाग सृजित करने का सिद्धांत रूप में फैसला किया है। संसद को सूचना देते हुए सामाजिक न्‍याय और सशक्तीकरण मंत्री श्री मुकुल वासनिक ने कहा कि यह विभाग मंत्रालय के अंतर्गत काम करेगा और इसके लिए नियमों को संशोधित करने की प्रक्रिया चल रही है। विकलांग व्‍यक्तियों को विमान यात्रा की सुविधा देने के लिए सरकार ने एक समिति गठित की है। यह कहने की जरूरत नहीं कि विशेष रूप से सक्षम इन व्‍यक्तियों को रेलवे स्‍टेशनों और बस टर्मिनलों पर कुछ खास सुविधाओं की जरूरत पड़ती है। रेलवे बोर्ड ने इन व्‍यक्तियों के लिए एक अलग योजना तैयार की है जिसके अंतर्गत विशेष रूप से सक्षम ऐसे व्‍यक्ति रियायती दरों पर ऑनलाइन टिकट बुक करा सकेंगे। उन्‍हें खास प्रकार का एक नंबर देकर पहचान पत्र जारी करने का भी प्रस्‍ताव है जिससे उन्‍हें  कम्‍पयूटर के जरिए रेल रिज़र्वेशन में सुविधा होगी। दिन-प्रतिदिन का जीवन आसान बनाने के लिए सामाजिक न्‍याय मंत्रालय इन व्‍यक्तियों के उपयुक्‍त  टेक्‍नॉलोजी के विकास को प्रोत्‍साहन दे रहा है। इसके लिए मंत्रालय ने अपनी खुद की वेब्‍ साइट तैयार की है जो सभी के लिए खुली होगी। इस वर्ष जनवरी में देहरादून में एक ऑनलाइन ब्रेल लाइब्रेरी खोली गई है। इसमें उपलब्‍ध पुस्‍तकें देश में कहीं भी पढ़ी जा सकेंगी।
  विशेष रूप से सक्षम इन व्‍यक्तियों की रोजगार पाने में सहायता देने के उद्देश्‍य से 1995 में बनाये गये अधिनियम की धारा 33 में प्रावधान किया गया है कि सरकारी नौकरियों में ऐसे व्‍यक्तियों को 3 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। इसमें से एक प्रतिशत उन लोगों के लिए होगा जो दृष्टि/श्रवणबाधित विकलांग हैं अथवा हाथ-पैर से विकल हैं। इन लोगों का चुनाव करके रिक्तियों को भरने का एक विशेष भर्ती अभियान चलाया गया है। 69 मंत्रालयों और विभागों से मिली सूचनाओं के अनुसार केंद्र सरकार के अंतर्गत 1 जनवरी, 2008 को ऐसी 11,134 रिक्तियां थी।
  विकलांग जनसंख्‍या के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ने के बावजूद वर्ष 2012-13 में सामाजिक न्‍याय और सशक्तीकरण मंत्रालय के लिए रूपये 5,915 का योजना परिव्‍यय रखा गया जो भारत सरकार के सारे मंत्रालयों और विभागों के  बजट के मात्र 1.512 प्रतिशत के बराबर है। मंत्रालय की विभिन्‍न ज़िम्मेदारियों को देखते हुए योजना आयोग ने 12वीं योजना के दौरान ऐसे व्यक्तियों के कल्‍याण के लिए 1 लाख करोड़ के परिव्‍यय की सिफारिश की है।  इसमें से रुपये 24,000  करोड़ सामाजिक न्‍याय और सशक्तीकरण मंत्रालय के जरिए खर्च किया जाएगा और बाकी राशि अन्‍य मंत्रालयों द्वारा इस्‍तेमाल की जायेगी।
  मई 2008 से लागू विकलांगों के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा किए गए प्रावधानों के अंतर्गत इन व्‍यक्तियों को समानता का अधिकार दिया गया है और इनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव करना मना है। इसके लिए एक कानून का मसौदा तैयार किया गया है जिसमें विकलांगों को पक्षपात रहित समानता की गारंटी मिलेगी। भारत के संविधान में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्‍त है भले ही इनमें विकलांगों की अलग से चर्चा न की गई हो। संविधान में जिस अधिकार की गारंटी दी गई है उसे ऐसे व्‍यक्तियों के लिए आत्‍मार्पित किए जाने की जरूरत है। (पीआईबी फीचर्स)

***

*लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार है

दावाअस्‍वीकरण- इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं कि पीआईबी उनसे 

17-मई-2012 15:06 IST
सहमत हो।

पूरी सूची- 17/05/2012
     

Saturday, May 19, 2012

गौ हत्या पर एक रचना और

गौ माता की ह्त्या कब तक ???????
गौ को माता कह कर उसकी पूजा करने की संस्कृति के साथ साथ गौ की हत्या का निंदनीय सिलसिला भी जारी है। इस पर बहुत बार बहुत कुछ कहा जा चूका  है पर   समस्या लगातार गंभीर  होती जा  है।   एक बहुत ही पुराने मित्र और पत्रकार  विपन कथूरिया ने एक फोटो और रचना शायर/पोस्ट की है. पढिये यह रचना,देखिये यह तस्वीर.
आपको गो-माता की कसम इसे Share(साँझा) जरूर करें!
हाल ही में हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविधालय में गो-माँस
उत्सव का आयोजन हुआ!
मुझे ये जानकर बहुत दुःख हुआ कि इस आयोजन का विरोध
करने की किसी की भी हिम्मत नहीं हुई!
इस गम्भीर और आत्मसम्मान को ठेस... पहुचाने वाले मुद्दे पर भी-
जिस हिन्दू की भुजा न फडकी,
खून न खौला सीने का।
वो "हिन्दू का खून" नहीं,
अरे होगा किसी "कमीने" का!
मैं हैदराबाद के साथ ही सम्पूर्ण विश्व के हिन्दुओं से ये पूछना चाहताहूँ कि-
आखिर कब तक कायरों की भाँति जुल्म सहते रहोगे?
इसे Share(साँझा), Tag(पहचान जोडना),like(पसं द) और
comment(टिप्पणी ) जरूर करें, जिससे मुझे मेरे
प्रश्नो का उत्तर मिल जाए और सोये हुए हिन्दू शेर
पुनः जाग्रत हो जायें! वन्देमातरम्! —क्रप्या ईश picपर किसी भि धर्म
या जाति के लोगो को गालिया ना दे — पैज एडमिन :::
भगीरथ भाई मारवाङी

राष्‍ट्रीय ग्रामीण टेली-मेडिसन नेटवर्क

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि उनके मंत्रालय ने ई-स्‍वास्‍थ्‍य पहल के हिस्‍से के तौर पर राज्‍य सरकारों को 18.78 करोड़ रूपये दिये हैं ताकि वे ग्रामीण और गैर चिकित्‍सा-प्राप्‍त क्षेत्रों में संवद्धित प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं उपलब्‍ध कराने के लिए राष्‍ट्रीय ग्रामीण टेली-मेडिसन नेटवर्क स्‍थापित कर सकें। इसके अलावा 1.43 करोड़ रूपये ओनकोनेट भारत परियोजना और 3.37 करोड़ रूपये टेली-नेत्र विज्ञान के लिए दिये गये हैं। उन्‍होंने कहा कि मंत्रालय ने समूचे देश में फैले सरकारी चिकित्‍सा कालेजों के नेटवर्क की योजना भी शुरू की है ताकि टेली-शिक्षा, प्रशिक्षण, सुदूर शिक्षण, सतत व्‍यावसायिक विकास और स्‍वास्‍थ्‍य देखरेख, शिक्षा और अनुसंधान संबंधी जानकारी के प्रसार के लिए मंच उपलब्‍ध कराया जा सके।

मंत्री महोदय ने अपने उत्‍तर में यह भी बताया है कि इलेक्‍ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने विभिन्‍न राज्‍यों में अनुसंधान और विकास तथा प्रौद्योगिकी प्रोत्‍साहन संबंधी अपनी गतिविधियों के हिस्‍से के रूप में टेली-मेडिसन समाधानों को प्रयोग के तौर पर शुरू करने की कई परियोजनाओं के लिए भी धन उपलब्‍ध कराया है। इनमें से कुछ को राज्‍य सरकारों ने अपना लिया है। उन्‍होंने कहा कि सरकार यह समझती है कि ई-स्‍वास्‍थ्‍य पहल, मौजूदा सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य प्रणालियों के अधीन उपलब्‍ध कराई जा रही स्‍वास्‍थ्‍य की देखरेख सेवाओं का विस्‍तार करने के लिए प्रयोग में लाई जा सकती हैं ताकि देश के दूर दराज के क्षेत्रों में गरीब नागरिकों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं उपलब्‍ध्‍ कराई जा सकें।

बाबा जयगुरुदेव का महाप्रयाण

लखनऊ: 116 वर्षीय बाबा जयगुरुदेव का शुक्रवार को निधन हो  गया। उनके  महाप्रयाण की खबर सुनते ही उनके अनुयायी बहुत बड़ी संख्या में मथुरा स्थित आश्रम में पहुंचना शुरू हो गए। बाबा के पार्थिव शरीर को भक्तों के दर्शन के लिए आश्रम में रखा गया। बाबा के अंतिम दर्शन करने वालों में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे। गौरतलब है की बाबा के जीवनकाल में भी बड़े बड़े राजनीतिक नेता उनका आशीर्वाद पाने उनके चरणों में नतमस्तक होते रहे थे।जय गुरुदेव पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे बाबा ने शुक्रवार देर रात मथुरा स्थित अपने आश्रम में शरीर का त्याग कर दिया था। आठ मई से गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। बाबा की इच्छा पर शुक्रवार दोपहर उन्हें मथुरा स्थित आश्रम पर लाया गया। बाबा के करीबियों का कहना है कि उनकी उम्र 116 साल थी।

कैरियर//कैसे बनें सफल पत्रकार//अनिल कुमार

पैनी दृष्टि, बेबाक नजरिया, भाषा पर पकड़ बनाएगी सफल पत्रकार
सभ्य और सुसंस्कृत समाज के लिए निष्पक्ष एवं निर्भीक पत्रकारिता  एक अपरिहार्यता समझी जाती है। इसलिए विश्व की किसी भी व्यवस्था पद्धति को अपनाने वाले राष्ट्र आज प्रेस के अस्तित्व और आजादी को बनाये रखने के पक्षधर हैं। पत्रकारिकता को लोकतंत्र का तीसरा स्तंभ माना जाता है।
परतों के तले दबी सच्चाई का अन्वेषण तथा उन्हें हूबहू समाज के समक्ष रखना  पत्रकारिता  का मूल धर्म होता है। किसी भी परिघटना को व्यक्तिजनित पूर्वाग्रह से रहित  होकर  वर्णित करना एक दुसाध्य कार्य है। इसके  लिए एक सजग, सचेत और निष्पक्ष दृष्टिï की आवश्यकता होती है। जिस तरह हर व्यक्ति कलाकार नहीं हो सकता उसी तरह हर व्यक्ति पत्रकार नहीं हो सकता। पत्रकारिता एक ऐसी विधा है जो गहरी निरीक्षण शक्ति के साथ अध्ययनशीलता और और कल्पनाशक्ति की मांग करती है।
आप भी चाहें तो पत्रकारिता जैसे कठिन, चुनौतीपूर्ण किन्तु अत्यंत प्रतिष्ठिïत पेशे को करिअर  के रूप में अपना सकते हैं। इसके लिए सर्वप्रथम आवश्यक है कि आप कम से कम स्नातक हों। देश-विदेश और आस-पास के घटनाक्रम पर एक बेबाक नजरिया और पैनी दृष्टिï रखते हों। भाषा पर आपकी अच्छी पकड़ हो तथा किसी घटना विशेष की तह में जाने तथा उन्हें विश्लेषित करने  की क्षमता आपमें विद्यमान हो। अगर इन गुणों को आप धारण करते हैं तो निश्चय ही एक संभावनाशील पत्रकार बन सकते हैं। अगर आपके पास उच्चतर शैक्षणिक योग्यता  अथवा पत्रकारिता में डिग्री अथवा डिप्लोमा है, तो यह आपकी अतिरिक्त योग्यता है। हालांकि अब बहुतेरे संचार माध्यम (खास तौर पर इलेक्ट्रानिक मीडिया) पत्रकारिता में डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को पत्रकार  के रूप में नियुक्ति में वरीयता देते हैं किंतु यह कोई सर्वमान्य नियम नहीं है। तथापि पत्रकारिता में अपेक्षित योग्यता किसी मान्यताप्राप्त संस्थान से प्राप्त कर लेना आपके लिए फायदेमंद सिद्ध होगा।
पत्रकारिता को करिअर बनाने वाले युवाओं में कुछ बुनियादी बातों का होना आवश्यक है। उन्हें चुस्त-दुरुस्त, समयबद्ध तथा हर समय क्रियाशील रहना चाहिए। पत्रकारों में प्रगाढ़ आत्मविश्वास का होना आवश्यक माना जाता है। पत्रकारों में समाचार को तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत करने के साथ ही आकर्षक बनाकर उसे पाठकों के समक्ष सुरुचिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करने के भी गुण मौजूद होने चाहिए। पत्रकारों में समाचारों की गहराई में जाकर पैठने, उन्हें विश्लेषित करने, आकर्षक शीर्षक का चयन करने, उपलब्ध स्थान के अनुसार सारपूर्ण अधिकतम सामग्री को समायोजित करने जैसी मूलभूत बातों की समझ भी होनी चाहिए।
आज भारी संख्या में विभिन्न भाषा-भाषी पत्र-पत्रिकाओं में पत्रकारों की नियुक्ति बेहतर सेवा शर्तों के अधीन की जा रही है। दूरदर्शन, रेडियो, इलेक्ट्रोनिक मीडिया के अन्य निजी चैनल विज्ञापन तथा प्रचार-प्रसार विभाग, प्रकाशन विभाग, फिल्म प्रभाग, सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय तथा सार्वजनिक व निजी उपक्रम प्रतिष्ठïानों में भी पत्रकारिता अथवा जनसंपर्क में अपेक्षित योग्यता हासिल करने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाती है। केंद्र सरकार सूचना सेवा के राजपत्रित श्रेणी के पदों की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से करती है। राज्य सूचना सेवा के अन्तर्गत आने वाले इस श्रेणी के पदों पर नियुक्तियां प्रांतीय लोक सेवा आयोग के मार्फत की जाती हैं।
पत्रकार तथा समकक्ष पदों पर की जाने वाली प्राय: सभी नियुक्तियों, चाहे वे सार्वजनिक क्षेत्र की हों अथवा निजी क्षेत्र की, समाचारपत्रों के माध्यम से आवेदन-पत्र आमंत्रित कर लिखित परीक्षा अथवा साक्षात्कार के उपरान्त ही भरी जाती हैं।
हालांकि पत्रकारिता करने के लिए अथवा एक सफल फ्री लांसर (स्वतंत्र पत्रकार) बनने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं है, इसके बिना भी आप अपनी प्रतिभा के बल पर स्वतंत्र पत्रकार बन सकते हैं। समाचार  पत्र-पत्रिकाओं के अनुकूल रचनाएं लिखकर अथवा खबरों का संकलन-प्रेषण कर आमदनी का जरिया बढ़ा सकते हैं। ऐसे कई लेखक-पत्रकार हैं जो स्वतंत्र रूप से लेखन-पत्रकारिता कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं। चूंकि आज विशिष्टïता का जमाना है, अतएव लेखकों-पत्रकारों के लिए यह अच्छा होगा कि वे अपनी रुचि, रुझान एवं विषय विशेष में विशेषज्ञता के आधार पर अपने कार्य क्षेत्र का चुनाव करें।
प्राय: पत्रकारिता के क्षेत्र में डिग्री अथवा डिप्लोमा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक उत्तीर्ण ही निर्धारित रहती है। किसी संस्थान में स्नातक अथवा स्नातकोत्तर परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाता है तो किसी-किसी संस्थान में प्रवेश परीक्षा तथा साक्षात्कार के माध्यम से प्रवेशार्थियों का चयन किया जाता है। पत्रकारिता की पढ़ाई प्राय: सभी विश्वविद्यालयों में होती है।
पत्रकारिता की शिक्षा निम्रलिखित संस्थानों से भी प्राप्त की जा सकती है :
० इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन्स
अरुणा आसफ अली मार्ग,
जेएनयू कैम्पस,
नयी दिल्ली-110067
० माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय
ई-8/76, एरिया कालोनी,
भोपाल-462016
पत्रकारिता संस्थान; पंजाब विश्वविद्यालय
चंडीगढ़-160019
*बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
वाराणसी
*उस्मानिया विश्वविद्यालय
हैदराबाद
*अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय
अलीगढ़
*इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यूज मीडिया 
एचआरबीआर एक्सटेंशन
कल्याणनगर,बंगलौर-560043.

पुलिस अत्याचारों के विरुद्ध

 6 विपक्षी दलों ने बनाई संघर्ष कमेटी
बठिंडा , 18 मई (निस)। पुलिस द्वारा बिना कारण लोगों पर अत्याचार करने के विरोध में 6 विपक्षी दलों ने संयुक्त संघर्ष कमेटी कायम की है। इसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव बठिंडा जगजीत सिंह जोगा को संयोजक बनाया गया है। संघर्ष कमेटी में भाकपा के अतिरिक्त पीपीपी , सीपीएम , कांग्रेस , अकाली दल पंच प्रधानी व बसपा के दो-दो प्रतिनिधि शामिल किये गये हैं। संयुक्त संघर्ष कमेटी द्वारा आज जिलाधीश को मांग पत्र दिया गया ।
इसमें पीडि़त परिवारों के सदस्य भी शामिल हुयेे। संघर्ष कमेटी ने प्रशासन को न्याय दिलवाने के लिये एक सप्ताह का समय दिया गया है। कमेटी सदस्यों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो उसके बाद थाना सदर रामपुरा फूल व थाना रामां का घेराव किया जायेगा। उन्होंने मांग की कि थाना सदर रामपुरा में अमनप्रीत कौर व उसके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध दर्ज हत्या का मामला रद्द किया जाये , उसके परिवार के सदस्यों की जमीन, घर, ट्रेक्टर तथा कृषि औजारों पर विरोधियों का कब्जा हटाकर उन्हें वापस दिलवाया जाये , बलविंदर कौर पर अमानवीय अत्याचार करने वाले पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों पर केस दर्ज कर उन्हें मुअत्तल किया जाये, उस पर किये अत्याचारों के कारण शरीर के अंगों को पहुंचे नुक्सान का मुआवजा दिया जाये।    कल इस सम्बंध में भाकपा के जिला कार्यालय बठिंडा में पीपीपी नेता सुखदेव सिंह चहल की अध्यक्षता में बैठक हुई थी  जिसमें भाकपा की तरफ से जगजीत सिंह जोगा, सुरजीत ङ्क्षसह सोही, काका सिंह, हरबंस ङ्क्षसंह, जसवीर कौर , पीपीपी की तरफ से जिला अध्यक्ष सुखदेव ङ्क्षसंह चहल के अतिरिक्त जसपाल सिंह , दर्शन सिंह कोटशमीर, कांग्रेस की तरफ से बूटा सिंह, भूपिन्द्र सिंह गोरा , गुलजार सिंह बालियांवाली, बसपा के महिन्द्र सिंह भट्टी, रणधीर ङ्क्षसंह धीरा , नछतर सिंह, सीपीएम के गुरचरण सिंह चौहान, अकालीदल पंच प्रधानी के माता मलकीत कौर शामिल हुये।
जगजीत सिंह जोगा ने कहाकि संघर्ष कमेटी थाना सदर पुलिस रामुपरा द्वारा एमबीए की छात्रा अमनप्रीत कौर, उसके वृद्ध माता-पिता व पारिवारिक मित्र पर राजनैतिक दबाव अधीन धारा 302 के तहत मामला खारिज करवाने तथा थाना रामां पुलिस द्वारा एक दलित गरीब बेसहारा महिला बलविंदर कौर पर अमानवीय अत्याचार करने के विरोध में इस कमेटी का गठन किया है। (दैनिक ट्रिब्यून से साभार)

Thursday, May 17, 2012

खादी के लिए सब्सिडी

सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्रालय में सरकार खादी और ग्रामोद्योग  आयोग(केवीआईसी) के माध्‍यम से खादी संस्‍थनों को रियायती कार्यशील पूंजी ऋण उपलब्‍ध कराने के लिए ब्‍याज सब्सिडी पात्रता प्रमाणपत्र(आईएसईसी) की योजना कार्यान्वित कर रही है। आईएसईसी के तहत खादी संस्‍थानों को 4 प्रतिशत ब्‍याज पर ऋण उपलब्‍ध कराया जाता है और बैंक द्वारा प्रभारित वास्‍तविक ब्‍याज दर और 4 प्रतिशत के बीच का अंतर सब्सिडी के रूप में दिया जाता है(और केवीआईसी द्वारा सीधे वित्‍तपोषी बैंक को इसकी पूर्ति की जाती है)।

आरंभ में आईएसईसी के तहत लाभ खादी और ग्रामोद्योग (वीआई) गतिविधियों के लिए उपलब्‍ध थे। 1995-96 में पूर्वीवर्ती ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम(आरईजीपी) के आंरभ होने के साथ मार्जिन मनी सब्सिडी नई ग्रामोद्योग इकाइयों को उपलब्‍ध कराई गर्इ। तब आईएसईसी के तहत लाभ खादी संस्‍थनों को केवल खादी और पोलीवस्‍त्र गतिविधियों के लिए सीमित कर दिए गए और वीआई इकाइयों के लिए लाभ 1995-96 के स्‍तर पर रोक दिए गए और 2011-12 के बाद ये समाप्‍त कर दिए जाने थे। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम(पीएमईजीपी) के तहत नई वीआई इकाइयों के लिए मार्जिन मनी सब्सिडी अभी भी दी जा रही है। (PIB)
17-मई-2012 20:06 IST
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Tuesday, May 15, 2012

राज्‍य अपने सहकारी अधिनियमों को संशोधित करें: श्री पवार

कृषि और खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री श्री शरद पवार ने राज्‍यों का आह्वान किया है कि वह 97वें सं‍विधान (संशोधन) अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए अपने सह‍कारी अधिनियमों में संशोधन करें। श्री पवार सहकारी समितियों के राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को आज सहां संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि देश में सहकारी समितियों के जनतंत्रीय, स्‍वायत्‍ता और व्‍यावसायिक कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने हेतु केंद्र सरकार ने इस संवधिान (संशोधन) अधिनियम को लागू किया है । उन्‍होंने कहा कि केंद्र ने सहकारी आंदोलन के विकास के लिए मज़बूत बुनियाद रखने हेतु अनेक प्रयास किए हैं।

श्री पवार ने राज्‍य सरकारों से ज़ोर देकर कहा कि वे अल्‍पकालिक सहकारी ऋण ढांचे के पुनर्निमाण के पैकेज के कार्यान्‍वयन को तेज़ी देने के लिए कार्य करें। जब तक कि किसानों को बैंको के साथ –साथ बैंक सह‍कारी समितियों द्वारा आवश्‍यक ऋण सहायता नहीं मिलेगी तब तक उचित परणिाम नहीं निकल कर आएंगे।

सहकारिता क्षेत्र में लोगों के विश्‍वास का भरोसा फिर से जीतने की आवश्‍यकता पर श्री पवार ने कहा कि चूंकि अनेक सहकारी समितियां गंभीर समस्‍याओं का सामना कर रही हैं इसलिए इस मामले में सुशासन का मुद्दा काफी महत्‍व रखता है।। उन्‍होंने कहा कि कानूनी और नीति सुधारों के जरिए सहकारिता प्रशासन के ढांचे को नया रूप देने की बेहद ज़रूरत है।

श्री पवार ने कहा कि सहकारिताओं ने वर्ष 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्‍न उत्‍पादन करके महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। उन्‍होंने कहा कि सहकारिता प्रणाली सबसे मजबूत स्‍तभों में से एक है जिसमें भारत का कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र फल-फूल रहे हैं।

पूर्व राष्‍ट्रपति ए पी जे अब्‍दुल कलाम ने अपने भाषण में सहकारी समितियों की उपलब्धियों खासतौर से उर्वरक वितरण, चीनी उत्‍पादन, डेयरी, सहकार समितियां , आवासीय सहकारी समितियों, कृषि ऋण आदि की चर्चा की। उन्‍होंने राष्‍ट्र के विकास और समुदाय को मजबूत बनाने में सहकारी समितियों की सराहना की। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में सहकारी समितियों को प्रोत्‍साहित करने की जरूरत है। उन्‍होंने ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ सहकारी ढांचों की संभावनाओं का सुझाव दिया था कि ताकि खाद्यान्‍न, दालों, सब्जियों, फलों और फूलों का उत्‍पादन बढ़ाया जा सके और किसानों की आमदनी बढ़ सके।

कृषि राज्‍य मंत्री श्री हरीश रावत और कृषि विभाग में सचिव श्री पी. के. बसु ने भी सम्‍मेलन को संबोधित किया। (पीआईबी)

बहुत ही उत्साह से देखा गया रेड रिबन एक्सप्रेस को

रेड रिबन एक्सप्रेस जब 15 मई 2012 को तमिलनाडू के ज़िला करूर में पहुंची तो वहां इसे बहुत ही उत्साह से देखा गया।  इस मौके पर जिला कुलेक्टर सुश्री वी शोभना ने भी इस रेलगाड़ी में लगी प्रदर्शनी को विशेष तौर पर देखने के लिए \वक्त  निकला।.(पीआईबी फोटो)   15-May-2012

रेड रिबन एक्सप्रेस क्रूर रेलवे स्टेशन पर

सावधान रह कर स्वस्थ जीवन जीने के गुर समझती रेड रिबन एक्सप्रेस रेलगाड़ी जब 15 मई 2012 को तमिलनाडू के क्रूर रेलवे स्टेशन पर पहुची तो वहां इसे देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। स्कूली छात्रछात्रायों ने भी इसे उत्सुकता और उत्साह से देखाइस रेलगाड़ी में लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन क्रूर की जिला 
कुलेक्टर वी. शोभना ने किया। इस अवसर पर कई अन्य प्रमुख  व्यक्ति भी मौजूद थे।  पत्र सूचना कार्यालय के कैमरामैन ने इन पलों को अपने कैमरे मैं संजो लिया। (पीआईबी फोटो)

रेड रिबन एक्सप्रेस

रेड रिबन एक्सप्रेस जब 15 मई 2012 को  तमिलनाडू के जिला क्रूर स्टेशन पर पहुंची तो वहां इसका स्वागत  बहुत ही गर्म जोशी से किया गया। क्रूर की जिला कुलेक्टर सुश्री वी शोभना ने इसका उद्घाटन किया। पीआईबी के कैमरामैन ने इन पलों को अपने कैमरे में संजो लिया और अब वे पल फिर इस तस्वीर के ज़रिये 
आपके सामने एक बार फिर जीवंत हो उठे हैं।     . (PIB photo)   

Monday, May 14, 2012

राज्य सभा में बताया सुश्री अम्बिका सोनी ने

देश भर में कुल 275 प्रसारण केन्‍द्र कार्यशील
सूचना और प्रसारण मंत्री श्रीमती अम्बिका सोनी ने आज राज्‍य सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि प्रसार भारती ने सूचित किया है कि दिनांक 31 मार्च 2012 तक की स्थिति के अनुसार 67 दूरदर्शन केन्‍द्र (स्‍टूडियो केन्‍द्र) और विभिन्‍न क्षमता के 1415 टीवी ट्रांस्‍मीटर कार्यशील थे। इनमें से, 22 स्‍टूडियो केन्‍द्र और 529 टीवी ट्रांस्‍मीटर जनजातीय क्षेत्रों में अवस्थित हैं। जहां तक आकाशवाणी का संबंध है, दिनांक 31 मार्च, 2012 तक की स्थिति के अनुसार देश भर में कुल 275 प्रसारण केन्‍द्र कार्यशील हैं। इनमें से, आकाशवाणी के 71 प्रसारण केन्‍द्र जनजातीय जिलों के क्षेत्रों में अवस्थित हैं।

मंत्री महोदया ने सदन को यह भी जानकारी दी कि सामान्‍यतया दूरदर्शन केन्‍द्रों, टीवी ट्रांस्‍मीटरों और आकाशवाणी केंन्‍द्रों का कामकाज संतोषजनक है। तथापि, दूरदर्शन नेटवर्क में स्‍टॉफ का भीषण अभाव है और अनेक वर्षों से नई परियोजनाओं की देख-रेख करने के लिए स्‍टॉफ संस्‍वीकृत या भर्ती नहीं किया गया है। पर्याप्‍त स्‍टॉफ की अनुपलब्‍धता के कारण जनजातीय क्षेत्रों के 21 ट्रांस्‍मीटरों सहित 46 अल्‍पशक्ति ट्रांस्‍मीटर आंशिक ट्रांसमिशन का रिले कर रहे हैं और जनजातीय क्षेत्रों के 7 केन्‍द्रों सहित 23 स्‍टूडियो केन्‍द्रों के कार्यकलाप सीमित हैं।

जहां तक आकाशवाणी का संबंध है, जनजातीय जिलों में कार्यशील 71 केन्‍द्रों में से 18 केन्‍द्र जनशक्ति के अभाव के कारण अधिकतम कार्य-निष्‍पादन से कम पर कार्यशील हैं। इसके अतिरिक्‍त, इन 18 केन्‍द्रों में से 11 केन्‍द्रों पर बहुत पुराने ट्रांस्‍मीटर लगे हुए हैं और समय बीतने के साथ उनकी दक्षता में कमी आयी है। (पीआईबी)
14-मई-2012 15:13 IST

पंचायतों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री वी किशोर चन्द्र देव ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पंचायती राज मंत्रालय(एमओपीआर) उपलब्ध सूचनानुसार, पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई'ज) में निर्वाचित महिला प्रतिनिधित्व (ईडब्लयूआर'ज) की भागीदारी की प्रतिशतता में प्रगामी व्यापक वृद्धि रही है। वर्ष 2000, 2008 और 2010 में विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की प्रतिशतता बढ़ती जा रही है।मंत्री महोदय ने सदन में यह भी बताया कि पंचायती राय मंत्रालय द्वारा ए.सी.नेल्सन ओआरजी मार्ग के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों पर एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन करवाया गया और अप्रैल 2008 में प्रकाशित किया गया। इस अध्यन रिपोर्ट से निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की सकारात्मक प्रतिनिधित्व एवं अधिकारिता का संकेत प्राप्त हुआ, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ उनके आत्म सम्मान, आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी, उनकी संबंधित विभागों और समानांतर निकायों के साथ मेलजोल बढ़ाना, उनके विरूद्ध ज़ेंडर आधारित भेदभाव में कमी आना, उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए समुदाय और उनके समकक्षों से पहचान, ग्राम सभा बैठकों के दौरान मामले उठाने के लिए उनके द्वारा स्वतंत्र महसूस करना, अपने परिवारों में आर्थिक मामलों व अन्य मामलों के संबंध में निर्णय लेने में उनकी बातें अधिक मुखर होना शामिल है। (पीआईबी)

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ई-न्यायालय व्यवस्था की दिशा में बढ़ते कदम

वि‍शेष लेख                                                                                                  --अनूप भटनागर*
               विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की बढती संख्या से प्रभावकारी ढंग से निपटने, वादियों उनके अदालती मामलों से जुड़ी आवश्‍यक सूचनाएं तत्परता से उपलब्ध कराने, न्यायाधीशों को कानूनी बिन्दुओं से जुडी न्यायिक-व्यवस्थाएं और आंकड़े सहजता से उपलब्ध कराने तथा समूची न्याय-प्रणाली को गति प्रदान करने के लिए न्यायालयों के कम्प्यूटरीकरण की दिशा में दो दशक पूर्व प्रयास शुरू किए गए थे। न्यायालयों के कम्प्यूटरीकरण का ही नतीजा है कि आज उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के साथ ही कई जिला अदालतों में ई-न्यायालय व्यवस्था भी सफलतापूर्वक काम कर रही है। देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाले लोग अपने किसी भी मुकदमे की प्रगति और स्थिति के बारे में सिर्फ अदालत की वेबसाइट पर एक क्लिक करके ही अपेक्षित जानकारी घर बैठे प्राप्त कर पा रहे हैं।

           ई-न्यायालय के महत्व को महसूस करते हुए जुलाई 2004 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ने न्यायपालिका के कम्प्यूटरीकरण के लिए देशव्यापी नीति तैयार करने के लिए ई-कमेटी के गठन के बारे में केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2004 में इस पत्र पर कार्यवाही करते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश के महत्वाकांक्षी और न्यायिक व्यवस्था में सुधार के इस दीर्घकालीन प्रस्ताव को मंजूरी दी। विधि एवं न्याय मंत्रालय ने इसके बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ. जी. सी. भरूका की अध्यक्षता में ई-कमेटी के गठन की अधिसूचना जारी कर दी थी। केन्द्र सरकार की इस अधिसूचना के साथ ही ई-न्यायालय व्यवस्था की दिशा में काम शुरू हो गया।

           न्यायमूर्ति भरूका की अध्यक्षता वाली ई-कमेटी ने मई, 2005 में भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रोद्योगिकी लागू करने की योजना के बारे में अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपी जिसमें न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी लागू करने के प्रारूप को रेखांकित किया गया था। ई-कमेटी की इस रिपोर्ट के आधार पर ही न्यायपालिका में कम्प्यूटरीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी लागू करने की देशव्‍यापी योजना तैयार हुई।

           रिपोर्ट में न्यायिक पोर्टल और ई-मेल सेवा, सहजता से इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर उपकरण, न्यायाधीशों और अदालत के प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण, सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के दौरान आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए अदालत परिसर में प्रशिक्षित स्टाफ की उपस्थिति के लिए एक अलग काडर बनाने, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय परिसरों में मौजूद संरचना को अपग्रेड करने, समूचे रिकॉर्ड  के लिए डिजिटल संग्रह तैयार करने और तमाम लॉ-पुस्तकालयों को कम्प्यूटर-नेटवर्क से जोड़ने जैसे कार्यों को अमली जामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू की गई।

           देश की न्यायपालिका के कम्प्यूटरीकरण की दिशा में 1990 से ही प्रयास हो रहे थे। सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों को कम्प्यूटर प्रणाली से परस्पर जोड़ा जा रहा था। लेकिन इन प्रयासों ने 2001 से गति पकड़ी। 2001-03 के दौरान चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में सात सौ अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किया गया। इसके बाद 2003-04 में राज्यों की राजधानियों और केन्द्र शासित प्रदेशों के 29 शहरों की नौ सौ अदालतों के कम्प्यूटरीकण का कार्य शुरू हुआ।

           न्यायपालिका के कम्प्यूटरीकरण के संतोषजनक नतीजे सामने आने पर मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने फरवरी 2007 में अदालतों में लंबित मुकदमों के निपटारे को गति प्रदान करने, मुकदमे के वादियों को सूचना उपलब्ध कराने में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और न्यायाधीशों को न्यायिक प्रक्रिया से जुडे आंकडे़ तथा जानकारियां सहजता से उपलब्ध कराने के इरादे से 441.08 करोड़ रूपए की ई-न्यायालय मिशन मोड  परियोजना को मंजूरी दी।

           ई-न्यायालय मिशन मोड परियोजना के अंतर्गत जिला और अधीनस्थ अदालतों का कम्प्यूटरीकरण और उच्चतर न्यायालयों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की आधारीय संरचना को अधिक सुदृढ बनाना था। सरकार ने सितंबर 2010 में इस परियोजना के लिए निर्धारित रकम में संशोधन करके इसे 935 करोड़ रूपए कर दिया था। इस वृद्धि का मकसद  न्यायालय परिसरों और न्यायालयों की संख्या में वृद्धि करना, उत्पादों और सेवाओं की दरों में वृद्धि करना और क्षेत्राधिकार में वृद्धि तथा नई मदों को इसमें शामिल करना था। इसके बाद ई-न्यायालय परियोजना के दायरे में न्यायालय परिसरों की संख्या 2,100 से बढकर 3,069 अर्थात ऐसी अदालतों की संख्या 13,000 से बढकर 14,249 हो गई।

           इस परियोजना के अंतर्गत देश के पहले कागजरहित ई-न्यायालय ने फरवरी 2010 में दिल्ली के कड़कड़डूमा अदालत परिसर में काम करना शुरू किया था। ई-न्यायालय में न्यायाधीश के समक्ष मुकदमों की मोटी फाइलें नहीं बल्कि लैपटॉप होता है।

           सरकार के इन महती प्रयासों के नतीजे अब सामने आने लगे हैं। इस समय उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में ही नहीं बल्कि निचली अदालतों में भी कम्प्यूटरीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी लागू करने की महत्वाकांक्षी देशव्‍यापी योजना बेहद असरदार ढंग से काम कर रही है।

           इस परियोजना के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय और देश के 20 उच्च न्यायालयों में कम्प्यूटर्स, प्रिंटर्स, स्कैनर्स, सर्वर, नेटवर्किग उपकरण और नेटवर्क केबलिंग और व्यवधान रहित बिजली आपूर्ति जैसे उपाय करके सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित संरचरना को अपग्रेड किया जा चुका है। इस काम पर अब तक 41.47 करोड रूपए खर्च किये जा चुके हैं। यही नहीं, अब जम्मू कश्‍मीर, गुवाहाटी, राजस्थान और कलकत्ता उच्च न्यायालयों में वीडियो कांफ्रेसिंग सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

           केन्द्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और न्यायपालिका में प्रशासनिक सुधारों पर निगाह रखने के लिए बनी ई-कमेटी की कमान देश के प्रधान न्यायाधीश के हाथ में सौंपी है। इस समिति में न्यायिक अधिकारियों और सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों के अलावा अटॉर्नी जनरल और कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं को भी शामिल किया गया है।

           सरकार ने भारतीय न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी की देशव्यापी नीति पर ई-कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तैयार ई-न्यायालय परियोजना को पांच साल में लागू करने के लिए इसे तीन चरणों में बांटा था। पहले चरण में 854 करोड़ रूपए खर्च करके सभी 2,500 अदालत परिसरों में कम्प्यूटर कक्ष और न्यायिक सेवा केन्द्रों की स्थापना हुई। करीब 15,000 न्यायिक अधिकारियों को लैपटॉप उपलब्ध कराने और तालुका स्तर से लेकर उच्चतम न्यायालय तक सभी अदालतों को डिजिटल इंटरकनेक्टीविटी से जोड़ने और उच्चतम न्यायालय तथा सभी उच्च न्यायालयों में ई-फाइलिंग सुविधा शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था। दूसरे चरण में फाइलिंग की प्रक्रिया से लेकर इसके कार्यान्वयन स्तर तक की सारी न्यायिक प्रक्रिया के साथ ही प्रशासनिक गतिविधियों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के दायरे में लाने तथा तीसरे चरण में अदालतों और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों तथा विभागों के बीच सूचना के सहज प्रवाह को सुनिश्चित बनाने का लक्ष्य रखा गया था।

           इस परियोजना के कार्यान्वयन से जहां न्यायिक प्रक्रियाओं को गति प्रदान करने,  मामलों के तेजी से निपटान को सुविधाजनक बनाने मे मदद मिल रही है वहीं मुकदमों की स्थिति, वादियों को मामले पर हुए निर्णय के बारे मे बार के सदस्यों तथा व्यक्तियों को पारदर्शी तरीके से सूचना मिलना संभव हो सका है।

           ई-न्यायालय सेवा के जरिए न्यायालय में मुकदमों के प्रबंधन की प्रक्रिया को आटोमेशन मोड में डाला गया। इस सेवा के दायरे में मुकदमों को फाइल करना, मामलों की जांच पडताल, मामलों का पंजीकरण, मामले का आबंटन, अदालत की कार्यवाही, मामले से संबंधित विस्तृत विवरण, मुकदमे का निष्पादन और स्थानांतरण जैसी जानकारी मुहैया कराई जा रही है। इसी तरह ई-न्यायालय सेवा के तहत न्यायिक आदेश और फैसलों की प्रमाणित प्रति, कोर्ट फीस और इससे जुड़ी दूसरी जानकारियां ऑनलाइन प्राप्त की जा सकती है।

           देश के दूरदराज इलाके में रहने वाले व्यक्ति कही से और कि‍सी भी समय वेब साइट क्लिक करके किसी भी मुकदमे की जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हैं। इस परियोजना के तहत पहले उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और इसके बाद जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में ई-फाइलिंग सुविधाजनक होती जा रही है।

           ई-न्यायालय परियोजना के अंतर्गत एक फरवरी 2012 की स्थिति के अनुसार 9,389 अदालतों का कम्प्यूटरीकरण हो चुका है। कुछ अदालतों में मामला दर्ज करने, पंजीकरण, मुकदमों की सूची तैयार करने जैसी सेवाएं भी शुरू हो गई हैं। ई-न्यायालय परियोजना के कार्यान्वयन के लिए एन.आई.सी. को 487.84 करोड़ रूपए उपलब्ध कराए गए हैं।

           न्यायालयों में उच्च गुणवत्ता वाले कम्प्यूटर, प्रिंटर्स, स्कैनर्स, सर्वर, नेटवर्किग उपकरण और नेटवर्क केबलिंग और व्यवधान रहित बिजली आपूर्ति जैसे उपाय करके सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित संरचना को सुदृढ बनाने के सतत् प्रयास चल रहे हैं। इस काम पर  उच्चतम न्यायालय में तीन करोड़ से अधिक रकम खर्च की जा चुकी है जबकि उच्च न्यायालयों में बंबई  उच्च न्यायालय में सबसे अधिक सात करोड़ 53 लाख और सबसे कम एक लाख रूपए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में खर्च हुए हैं।

           ई-न्यायालय प्रक्रिया का उपयोग करने से पहले इसकी प्रक्रिया को भी समझना जरूरी है। उच्चतम न्यायालय में सिर्फ एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड और व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर करने वाले ही ई-फाइलिंग सुविधा का उपयोग कर सकते हैं। इस सुविधा के इस्तेमाल के इच्छुक व्यक्ति या एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को अपना पता, संपर्क के लिए विवरण तथा ई-मेल का पता देना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को पूरा करने पर ही एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को लॉग- इन आईडी और व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर करने वाले को साइन अप प्रक्रिया से लॉग इन आईडी मिलती है। इस प्रक्रिया के तहत दी जाने वाली कोर्ट फीस का भुगतान सिर्फ क्रेडिट कार्ड से किया जा सकता है। यही प्रक्रिया उच्च न्यायालयों और निचली अदालतें में ई-फाइलिंग के लिए अपनानी होगी।   ***  (पीआईबी)

* स्‍वतंत्र पत्रकार
11-मई-2012 14:22 IST

Saturday, May 12, 2012

मदर्स डे : एक अच्छी पहल//बोधिसत्व कस्तूरिया

१३ मई मदर्स डे मनाया जाता है ! एक अच्छी पहल है कि उस माँ को,जो हम सब की जननी है उसके प्रति हम अपना धन्यवाद ग्य़ापित करते है,परन्तु साथ ही जब वो हमारे आपके घरोंमे आने को लालायित  है, तो हम सभ्य सुसंस्क्रत होते हुये भी भ्रूण-हत्या करवा देते हैं !  यद्दपि पी०सी०पी०एस०डी०टी० एक्ट १९९४ की धारा २३(३) के अन्तर्गत गर्भस्थ शिशु का लिंग परीछण अवैधानिक है!ऐसे व्यक्ति,परिवार,चिकित्सक को ३ से ५ वर्ष का कारागार और रु० ५०००० से १००००० तक के द्ण्ड का प्रावधान है फ़िर भी भ्रूण हत्या से अभिष्पत भारतीय समाज मे नर नारी का अनुपात १०००और ९१४ का हो गया है ! नारी को हम माँ और देवी का प्रतिरूप मानकर भी उसी के असतित्व को नकारते है! इसीलिये कहता हूं:-
मानव का पहला समबोधन "माँ" है!
पीडा का हर  उदबोधन    "माँ है !!
जिस पर नत मस्तक पराक्रमी सब,
उस अबला का अवलम्बन  "माँ"है!!
स्र्ष्टी के हर प्राणी पर अधिकार उसे,
जीवन दात्री का अभिनन्दन "माँ"है!!
प्रतिपल,प्रति छण पूज रहा जिसको,
मानव का निश्चित संवर्धन "माँ" है!
भारतीय संस्क्रति का है यह ह्रास  ,
जन्म अधर मे लटका ,वह"माँ" है!!  
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

Thursday, May 10, 2012

रेड क्रॉस- आशा की एक किरण

विशेष लेख:रेड क्रॉस                                          {पीआईबी}                               *एस.शिवाकुमार 
चित्र आई एम ओ ब्लाग से साभार
रेड क्रॉस दिवस 8 मई को मनाया जाता है। अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो सन् 1963 में अमेरीकी राष्‍ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने इस स्‍वार्थहीन आंदोलन की दुनिया को याद दिलाई और पुरुषों और महिलाओं से इसका हिस्‍सा बनने का आह्वान किया।
    सन् 1963 में रेड क्रॉस की सालगिरह के मौके पर राष्‍ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा था कि ‘’आज रेड क्रॉस अपनी सेवाओं की दूसरी शताब्‍दी में प्रवेश कर रहा है। अत: हम सभी के पास एक मौका है इस मानवतावादी परंपरा का हिस्‍सा बनने का। हमारी मदद के द्वारा ही यह महत्‍वपूर्ण कार्य सम्‍भव हुआ है।‘’
पोलियो एवं मलेरिया-संयुक्‍त अभ्‍यास
    भारत में वैश्विक पोलियो उन्‍मूलन कार्यक्रम में भारतीय रेड क्रॉस की महत्‍वपूर्ण भूमिका को हम याद करते हैं। 13 जनवरी, 2012 को पोलियो उन्‍मूलन के इतिहास में देश एक बड़े मील के पत्‍थर के पास पहुंचा है जहां 12 महीनों की अवधि के दौरान एक भी पोलियो का मामला नहीं पाया गया है। भारतीय रेड क्रॉस के स्‍वयं सेवकों एवं कर्मचारियों ने आम जनता तक बचाव के महत्‍व और बच्‍चों में स्‍थायी विकृति तथा लकवा का कारण बनने वाले पोलियो के वायरस के नियंत्रण एवं निर्मूलन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण सूचनाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाई। भारतीय रेड क्रॉस ने बिहार और उत्‍तर प्रदेश राज्यों में पोलियो कार्यक्रम भी चलाये जहां पोलियो उच्‍च स्‍तर पर था।
    25 अप्रैल विश्‍व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम रही ‘’स्‍थायी लाभ, जीवन रक्षा : मलेरिया में निवेश’’। भारतीय रेड क्रॉस ने वर्ष 2010-11 में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित दो राज्यों - आंध्र प्रदेश और ओडिशा में मलेरिया रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जिसे रेड क्रॉस और रेड क्रेसेन्‍ट सोसाइटीज के अंतर्राष्‍ट्रीय संघ द्वारा सहयोग मिला। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य है- इन दोनों राज्यों में कीटनाशकों से बचाव वाली 40 हजार टिकाऊ मच्‍छरदानियों (एलएलआईएन) का वितरण करना, सरकारी प्रयासों को सहयोग देना और मलेरिया से जुड़ी जानकारियों का प्रसार करना और विशेषकर सामुदायिक स्‍तर पर जागरूकता बढ़ाना। अन्‍य गतिविधियों के साथ-साथ स्‍वयंसेवकों ने घर-घर का दौरा किया, सामुदायिक सदस्‍यों के साथ परस्‍पर बातचीत वाले स्‍वास्‍थ्‍य एवं साफ-सफाई से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए, बीमारी के शीघ्र पता लगाने और लक्षणों पर जोर दिया तथा समुदाय को इस प्राणघातक बीमारी से जुड़ी जानकारी दी ताकि बचाव के उपाय किये जा सके। उत्‍तर प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के राज्‍यपालों ने भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की उपलब्‍धि और प्रयासों के लिए बधाई दी और सराहना की।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद की मान्यता
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद ने एक पूर्व आयोजित विश्व रेड क्रास स्मृति दिवस पर बोलते हुए कहा था कि स्वयं-सेवक रेडक्रास आंदोलन की रीढ़ की हड्डी और भावना की अभिव्यक्ति हैं। वह स्वयं स्वैच्छिक रक्तदान के बड़े अनुयायी थे और उन्हें अगस्त 2010 में लेह में बादल फटने की दुर्घटना के बाद स्वयं-सेवकों द्वारा की गई समर्पित सेवाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर मिला है। लेह की जनता आज भी रेडक्रास स्वयंसेवकों द्वारा स्थापित दो सफाई इकाइयों द्वारा की गई सेवा की दिल से सराहना करती है।
रक्त भंडारण इकाइयों का विकास
 उन्नत भारतीय रेडक्रास माडल रक्त बैंक के बारे में जानकारी देते हुए महासचिव डा. एस पी अग्रवाल ने कहा कि सोसायटी 85 प्रतिशत रक्त स्वैच्छिक दानदाताओं से प्राप्त करती है और इसका शीघ्र ही शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने की योजना है। उन्होंने बताया कि ऑटोमेटिक एलिसा, सिरोलाजी प्रोसेसर, संपूर्ण रक्त की  2000 यूनिटों का 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारण करने के लिए कोल्ड रूम, -40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रोजन प्लाज्मा की 5000 यूनिटों का भंडारण, घटक विलगन के लिए उपकरण, ट्रांसफ्यूजन जन्य संक्रामक मार्कर जैसे नवीनतम उपकरणों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सोसायटी मोबाइल रक्त एकत्र करने वाली वैन की खरीदारी से शत-प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
भारतीय राज्यों की कार्य विधि
भारतीय रेडक्रास सोसायटी की नेल्लौर जिला शाखा (आंध्र प्रदेश) स्वास्थ्य गतिविधियों और चिकित्सा केन्द्र के माध्यम से समाज की सेवा करती है। इसके पास गतिशील टीकाकरण केन्द्र, रक्त बैंक है और स्पास्टिक सेंटर केन्द्र की मदद से इसने कैंसर परियोजना शुरू कर रखी है। यह एड्सक्लीनिक चलाती है और आपदा सहायता के बारे में लोगों को शिक्षित करती है तथा युवाओं को जूनियर रेडक्रास/युवा रेडक्रास में शामिल होने के अवसर भी उपलब्ध कराती है। इसने पिनाकिनी गांधी आश्रम भी स्थापित कर रखा है जो राष्ट्रीय स्तर पर गांधी जी के साबरमती आश्रम के बाद ऐसा दूसरा आश्रम है।

    कोट्टायम (केरल) स्थित रेडक्रास शाखा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में विविध कल्याण गतिविधियां चला रही है। रेडक्रास नर्सिंग एवं रोजगार योजना (आरसीएनईएस) आधुनिक समय में एकल परिवारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य वाली परियोजना है। चुने गए पुरूषों और महिलाओं को प्रति माह रेडक्रास नर्सिंग पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिया जाता है। पूरे जिले के गरीब रोगियों को डाक्टर के नुस्खे के अनुसार मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं। मेडिकल कालेज कोट्टायम में सुसज्जित सेवा पटल कार्य कर रहा है। कोट्टायम रेडक्रास शाखा के पास इच्छुक रक्तदाताओं  की डाइरेक्टरी मौजूद है। पूरे जिले में अनेक नेत्रदान जागरूकता कैम्प भी आयोजित किए गए हैं।

    जूनियर रेडक्रास (जेआरसी) तमिलनाडु में क्रियाशील है। एक दो दिवसीय जेआरसी प्रशिक्षण कैम्प मेलेकोट्टायूर में आयोजित किया गया था जिसमें 54 स्कूलों के 172 जूनियर और 32 काउंसलरों ने भाग लिया। कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, नेत्रदान, व्यक्तित्व विकास के बारे में सत्र आयोजित किए गए तथा इसका समापन जूनियर द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ किया गया है। शैक्षिक जिलों के अधिकारियों- मुख्य शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी जैसे पदाधिकारियों ने भी दो दिवसीय कैम्प में भाग लिया। जेआरसी छात्रों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कैम्प उसीलामपट्टी में 1.3.2012 से 3.3.2012 तक आयोजित किया गया जिसमें 23 स्कूलों से 205 जूनियर और 20 काउंसलर शामिल हुए। इस कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, वैश्विक गर्मी, एड्स जागरूकता, प्राथमिक चिकित्सा और सड़क सुरक्षा के बारे में सत्र आयोजित किए गए।
रेडक्रास और रेड क्रेसेंट आंदोलन का इतिहास
स्विटजरलैंड का युवा व्यवसायी हैनरी डुनांड ‘रेडक्रास’ गतिविधि का जनक था। फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया युद्ध के दौरान इटली में वर्ष 1859 में सौलफिरेनो की युद्ध भूमि में घायल सैनिकों की दुर्दशा देखकर वह बड़े भयभीत हो गए थे। उन्होंने तुरंत स्थानीय समुदाय की सहायता से मदद कार्य शुरू किए। युद्ध की विभीषिका के बाद उनके विचारों पर जो प्रभाव पडा उसका वृतांत फ्रेंच भाषा में लिखी 1962 में प्रकाशित पुस्तक ‘ए सूवेनिअर ऑफ सौलफिरेनो’ में परिलक्षित होता है जो युद्ध की अमानवीयता के विरूद्ध भावुक अपील बन गई। यह आज भी अब तक लिखी गई युद्ध की सर्वाधिक सजीव और मर्मस्पर्शी पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक के जारी होने के एक वर्ष के बाद हैनरी डुनांड के सुझावों पर विचार करने के लिए जिनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस प्रकार रेडक्रास आंदोलन का जन्म हुआ। अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास आंदोलन जिनेवा सम्मेलन अधिनियम 1864 के द्वारा स्थापित किया गया था। रेडक्रास की स्थापना करने वाले देश को सम्मान देने के लिए इस आंदोलन के नाम और प्रतीक को स्विटजरलैंड के राष्ट्रीय ध्वज के उत्क्रमण से लिया गया है।
भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी 
प्रथम विश्‍व युद्ध 1914 के दौरान प्रभावित सैनिकों की देखभाल के लिए सेंट जॉन्‍स एम्बुलेंस एसोसिएशन और ब्रिटिश रेड क्रॉस की एक संयुक्‍त समिति के अलावा और कोई संस्‍था नहीं थी। ब्रिटिश रेड क्रॉस सोसाइटी से स्‍वतंत्र भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की स्‍थापना के लिए 17 मार्च, 1920 को एक विधेयक लाया गया और यह 1920 में कानून बना। 7 जून, 1920 को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के गठन के लिए औपचारिक रूप से 50 सदस्‍यों को मनो‍नीत किया गया और इन्‍हीं में से पहली प्रबंध निकाय चुनी गई। तमिलनाडु शाखा की राष्‍ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रेसेन्‍ट सोसायटी, रेड क्रॉस एवं रेड क्रेसेन्‍ट मूवमेंट संघ, अंतर्राष्‍ट्रीय रेड क्रॉस एवं रेड क्रेसेन्‍ट समिति से राष्‍ट्रीय मुख्‍यालय और व्‍यक्तिगत स्‍तर पर अपनी गतिविधियों के सहयोग के लिए साझेदारी है।
आगे की तैयारी
एक शब्‍द पर्याप्‍त होगा ‘सहभागिता’। वास्‍तव में गुरु गोबिंद सिंह इन्‍द्रप्रस्‍थ  विश्‍वविद्यालय नई दिल्‍ली, रेड क्रॉस सोसाइटी की देखरेख में आपदा तैयारी एवं पुनर्वास के लिए एक व्‍यापक पोस्‍ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम चलाता है जिसका उद्देश्‍य विशेषीकृत अभियोग्‍यता प्राप्‍त करने का अवसर उपलब्‍ध कराना है और जिसे वैश्विक परिदृश्‍य में मान्‍यता प्राप्‍त है। साथ ही साथ इसका उद्देश्‍य ट्रेनिंग के लिए प्रोफेशनल्‍स में क्षमता निर्माण का मंच उपलब्‍ध कराना है। इस सोसाइटी का सदस्‍य बनने के लिए कोई भी इस लिंक पर संपर्क कर सकता है - http://www.indianredcross.org/membership.htm.। जॉन एफ कै‍नेडी के शब्‍द आज भी हमारे कानों में गूँजते हैं।
    रेड क्रॉस सोसाइटी जब कोई और मदद के लिए आगे नहीं आता वहां आगे बढ़ती है, और अपने अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुसार महती भूमिका निभाता है और अद्वितीय कार्य करता है। इसी कारण यह सम्‍पूर्ण मानवता के लिए आशा की एक किरण जगाती है। {पीआईबी}   08-मई-2012 15:42 IST
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8 मई, को रेड क्रॉस दिवस मनाया जाता है
*लेखक स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।
इस लेख में प्रस्‍तुत विचार लेखक के अपने है और आवश्‍यक नहीं कि ये विचार पीआईबी के विचारों से मेल खाते हो।

Monday, May 07, 2012

नई दिल्ली में एक और यादगारी सम्मेलन

राजधानी में श्रमण संघ षष्टि पूर्ति महामहोत्सव का भव्य आयोजन
नई दिल्ली//६ मई २०१२//: राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आज प्रातः 7.30 बजे श्रमण संघ षष्टि पूर्ति महामहोत्सव का आयोजन किया गया. 
समारोह का शुभारम्भ प्रातः सात बजे जैन भवन, 12, शहीद भगत सिंह मार्ग गोल मार्केट से प्रारम्भ होकर ताल कटोरा स्टेडियम तक विशाल शोभा यात्रा के रूप में निकाला गया। इस शोभायात्रा में लगभग एक सौ पच्चीस साधु संत और इकसठ महिलायें मंगल कलश के साथ यात्रा में शामिल हुईं और एक दर्जन से अधिक झांकियों के द्वारा कार्यक्रम की शोभा बड़ाई गई। जैन समाज एवं अन्य समुदायों से करीब दो हजार व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। इस अवसर पर श्रमण संघ के निर्माण पर आधारित एक डाक्यूमेंटरी फिल्म का शुभ मुहूर्त किया गया जिसके निदेशक अनुराज बंसल हैं।   
समारोह में लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़, खेलमंत्री भारत सरकार अजय माकन, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप जैन, हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद जयप्रकाश अग्रवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा समेत अनेक गणमान्य अतिथिगण उपस्थित थे।

कार्यक्रम में लक्की ड्रा आधार पर सोने व चांदी के चमत्कारिक इकसठ सिक्के इनाम स्वरूप भेंट 

Sunday, May 06, 2012

शिव कुमार बटालवी की स्मृति में

शिव के विचारों में क्रांति की तब्दीली आ गयी थी
समय चलता रहता है कभी रुकता नहीं पर वक्त बे वक्त लगे घाव भरने के बाद भी उस वक्त की याद नहीं भूलने देते जिस में चोट लगी थी। दर्द का अहसास उस गुज़रे हुए वक्त को बार बार सामने ला कर खड़ा कर देता है। ऐसा ही दिन था आज का दिन।  भर में पंजाबी शायरी को नई बुलंदियों पर पहुंचाने वाला शायर हमेशां के लिए हम से बिछुड़ गया था। अपने महा काव्य  लूना  में उसने औरत के दर्द को, उसके साथ होने वाल्रे अन्याय को जिस शिद्दत के साथ प्रस्तुत किया उस अंदाज़ की बराबरी किसी और रचना में शायद नजर नहीं आती।आँखों में आंसू आ जाते हैं। दिल में एक रुदन सा उठता है लगता है जैसे किसी ने पकड़ कर झंक्झौर दिया हो। मोहब्बत और औरत के दर्द की बात करने वाला शिव कुमार कविता के मामले में भी पूरी तरह ईमानदार था। अपनी काव्य रचना में वक्त आने पर उसने अपने साथ भी लिहाज़ नहीं किया। उस ने गुरू के आगे स्वीकार किया की मैं शर्मसार हूँ। 

उसने साफ कहा की मेरा कोई गीत नहीं ऐसा जो तेरे मेच आ जावे। उसके विचारों में तबदीली पर बहुत कम लिखा गया है। यह तब्दीली साफ  र्तौर पर किसी क्रांति की तब्दीली थी। अगर शिव कुछ समय भी और जीवित रह जाता तो उसकी रचना उसकी एक नयी छवि को सामने लाती। पर अफ़सोस की ऐसा नहीं हुआ। उम्र ने भी उसके साथ वफा न की। मोहब्बत से क्रांति तक की अंतर्यात्रा  एलान खुल कर नहीं हो सका। उसके दिलो दिमाग में उठा विचारों  तूफ़ान होठों तक तो आया अपर बुलंद नारा न बन पाया।  अगर आपकी नजर में कुछ ऐसा हो तो हमें अवश्य भेजें। उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित करके हमें प्रसन्नता होगी। शिव कुमार बटालवी के विचारों में आई तबदीली उसकी प्रसिद्ध कविता "आरती" नाम के काव्य संग्रह में दर्ज है। इस पर जल्द ही अलग से भी की जाएगी। फिलहाल आप इस खास रिपोर्ट को देखिये और बताईये की यह आपको कैसी लगी। इस वीडियो को यू ट्यूब  से साभार लिया गया है। आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी।-रेक्टर कथूरिया 

Saturday, May 05, 2012

एनसीटीसी की स्थापना

यह राज्य और केन्द्र के आमने-सामने होने का मुद्दा नहीं है: प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनटीसीटी) के लिए बैठक में प्रधानमंत्री का संबोधन
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने दिल्ली में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनटीसीटी) के लिए बैठक को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के संबोधन का अनूदित पाठ इस प्रकार हैः-
 

“राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनटीसीटी) के परिचालन संबंधी बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे पर आयोजित इस बैठक में मैं आप सभी का स्वागत करता हूं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, हमने पहले 16 अप्रैल 2012 को मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में इस मुद्दे पर चर्चा करने का विचार किया था। लेकिन इस मुद्दे के महत्व और कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा जाहिर चिंता के परिप्रेक्ष्य में हमने खास तौर पर सिर्फ इसी विषय पर बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया। मुझे पूरी आशा है कि आज आपकी चर्चाओं के परिणामस्वरुप हम आतंकवाद निरोधक संरचना और इस समस्या से निपटने के लिए अपनी संचालन और सांस्थानिक क्षमताओं में अधिक सुधार लाने में और अधिक प्रगति करेंगे। मुझे यह भी आशा है कि आज कि चर्चा सौहार्दपूर्ण और सहयोग के वातावरण में होगी, जो आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
मैंने जो कुछ पहले कहा है उसे दोहराना चाहूंगा। हमारे संविधान में राज्यों और संघ को प्रदत्त शक्तियों के वितरण को किसी भी प्रकार प्रभावित करना हमारी सरकार की मंशा नही है। एनसीटीसी की स्थापना राज्य और केन्द्र के आमने-सामने होने का मुद्दा नहीं है। एनसीटीसी की स्थापना के पीछे प्रमुख उद्देश्य इस विशाल देश में आतंकवाद निरोधक गतिविधियों में समन्वय स्थापित करना है, जैसा खुफिया ब्यूरो अब तक करता आया है। एनटीसीटी आतंकवाद पर काबू पाने और आतंकी गतिविधियों को दूर करने के हमारे साझा उद्देश्यों के संयुक्त प्रयासों का संचालक होना चाहिए।
आतंकवाद आज हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित बड़े खतरों में से एक है। राष्ट्रीय और राज्य दोनों ही स्तरों पर सशक्त तंत्र के साथ प्रभावी आतंकवाद निरोधक पद्धति को स्थापित करने के संदर्भ में कोई असहमति नहीं हो सकती। केन्द्र और राज्य अकेले इस कार्य को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए सीमा पार और भीतर से प्राप्त होने वाले खतरों से निपटने के लिए करीबी सहयोग और समन्वय आवश्यक है।
मेरा मानना है कि विश्व और हमारे देश के सभी राज्यों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर एक संयुक्त राष्ट्रीय दृष्टिकोण को रुप और आकार देना केन्द्र की जिम्मेदारी है और अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकारों को अपनी विशेषज्ञता, ज्ञान और तंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए तथा केन्द्र और अन्य राज्यों के साथ समन्वय में कार्य करना चाहिए। 

26/11 के बाद से हमने राज्यों और केन्द्र दोनों में अपनी आतंक निरोधी क्षमताओं को बेहद कर्मठता के साथ मजबूत किया है। मेरा मानना है कि आज राज्य और केन्द्र पुलिस तथा खुफिया एजेंसियां सौहार्दपूर्ण तरीके से आपसी समन्वय में कार्य कर रही हैं। इन प्रयासों से काफी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है। बीते कुछ समय में राज्य पुलिस बलों ने कुछ बेहद महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए हैं। कुल मिलाकर सीमा पार आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और धर्म आधारित आतंकवाद समेत विविध आयामी भारत में आतंकवाद के खतरे का सामना करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति और उपायों पर मोटे तौर पर सहमति है।

आतंकवाद से निपटने के लिए हमारी सरकार राज्य सरकारों के साथ काम करने और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता और राज्य पुलिस तथा खुफिया एजेंसियों के प्रशिक्षण सहायता प्रदान करने में सहयोग करते रहे हैं। सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा तथा राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजनाओं को भी हम कार्यान्वित कर रहे हैं। हमारी सरकार इन प्रयासों को मज़बूती से जारी रखेगी।

मंत्रिसमूह और प्रशासकीय सुधार आयोग द्वारा करगिल की घटना से प्राप्त सबक के फलस्वरुप प्रदान संस्तुतियों के तहत एनसीटीसी का प्रावधान किया गया। हमारा मानना है कि अपनी रुपपेखा और परिचालन के पहलुओं के साथ एनसीटीसी राज्यों की आतंकवाद निरोधक क्षमताओँ में सहयोग करेगा न कि इसमें बाधक होगा। एनसीटीसी प्रणाली प्रत्येक राज्य एजेंसी को आतंकी खतरे की बडी तस्वीर प्रदान करेगा जिससे उनकी आतंकवाद निरोधक क्षमताओं को बढ़ाने और आतंकी खतरे से निपटने में संसाधनों को सुगम बनाने में वृद्धि होगी।

लेकिन एनसीटीसी के निर्बाध और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए यह बहुत ज़रुरी है कि इसकी शक्तियों और कार्यों पर विस्तृत आम राय हो। हम चाहेंगे कि इस महत्वपूर्ण पहल में राज्य सरकारें हमारे साथ हों, जो कि हम समझते हैं कि हमारे आतंकवाद निरोधी प्रयासों को मज़बूत करेगी। हम मुख्यमंत्रियों के सुझावों का स्वागत करते हैं। हम उनके विस्तृत ज्ञान, विवेक और अनुभव का लाभ प्राप्त करना चाहेंगे।

गृह मंत्रालय ने हमारी चर्चाओं के लिए तैयारी में, गैर कानूनी गतिविधियां (निवारण) कानून की धारा 43 ए के तहत स्थायी परिषद के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओँ और संचालन शक्तियों के प्रयोग के लिए मसौदे को परिचालित किया है। दोनों मसौदे एनसीटीसी की सांगठनिक व्यवस्था और इसकी प्रस्तावित शक्तियों तथा कार्यों दोनों में केन्द्र-राज्य समन्वय के लिए विस्तृत प्रावधानों को प्रतिबिंबित करते हैं।

इन शब्दों के साथ ही मैं आपकी चर्चाओं के लिए सफलता की कामना करता हूं और मैं एक स्वतंत्र चर्चा की आशा करता हूं। मेरी कामना है कि आज कि चर्चा हमारे देश में आतंकवाद निरोधक संरचना को और अधिक प्रभावी प्रकार से स्थापित करने में हमें आगे साथ मिलकर काम करने में सक्षम बनाए। ” (पीआईबी)  05-मई-2012 14:40 IST