Thursday, August 02, 2012

अँधेरे में चमका पूर्णिमा का चाँद

दृष्टि की अहमियत वही समझ सकते हैं जिनके पास दृष्टि नहीं होती।  आँखों में अँधेरा और दिल में रौशनी से प्यार रौशनी की चाह और सोते जागते बस एक ही सपना रौशनी का। हर पल रौशनी का ध्यान, रौशनी से लगाव, राशनी की ही लग्न।.....इस सब का परिणाम होता है की हर पल अँधेरे में जीने वाले इन लोगों के अंदर एक अलौकिक सी रौश्निरौशनी पैदा हो जाती है। इतनी छोटी सी उम्र में देश के सर्वोच्च पद पर आसीन महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भेंट इस आंतरिक रौशनी का ही करिश्मा है। बहाना बना रक्षा बंधन का पावन दिन और  हुई राष्ट्रपति जी से। देश के प्रमुख को राखी बाँध पाना इन सब बच्चियों के लिए एक यादगारी दिवस बन गया।  इस अवसर पर वहां मौजूद पत्र सूचना कार्यालय के कैमरा मैं ने इन पलों को हमेशां के लिए अपने कैमरे में संजो लिया। बहुतही स्नेह के साथ राखी बंधवा रागे महामहिम मानों पूरे समाज को एक संदेश दे रहे हों ...अँधेरे में जो बैठे हैं।..नजर उन पर भी कुछ डालो।...अरे ओ रौशनी वालो।.....!... --रेक्टर कथूरिता   (PIB 02-August-2012

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