Monday, July 02, 2012

हरित अर्थ व्यवस्था

पर्यावरण पर भी विशेष                                                                   *एम.वी.एस. प्रसाद
विश्व पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यावरण से संबंधित मामलों के बारे में विश्व में जागरूकता पैदा करना और इसके प्रति राजनीतिक ध्यान आकर्षित करना और कार्यवाई को प्रोत्साहित करना है। अतीत में आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस विषयक समारोहों में भूमि और जल, ओजोन परत, जलवायु परिवर्तन, मरूस्थलीकरण और टीकाऊ विकास आदि के प्रति विशेष ध्यान आकृष्ट करना शामिल है।

विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1972 में स्थापित किया गया था। यह स्टाकहोम में मानवीय पर्यावरण पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन के उपलक्ष्य में घोषित किया गया था। सन् 2012, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और विश्व पर्यावरण दिवस की 40वीं वर्षगांठ है। साथ ही, ब्राजील में टीकाऊ विकास पर हुए प्रथम संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (पृथ्वी शिखर सम्मेलन) को अब 20 वर्ष पूरे हो गए हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस क्यों मनाएं

     जब हम जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों और पर्यावरण में गिरावट देखते हैं तो उसके लिए आसानी से अन्य लोगों को दोष देने लगते हैं। जैसा कि पर्यावरण संबंधी नीति को प्राथमिकता न देना; कार्पोरेट संगठनों को ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन जैसे मामले उठाने के लिए; पर्यावरण के लिए जोरदार आवाज न उठाने के लिए गैर सरकारी सगंठनों को; और कोई कार्यवाही न करने के लिए व्यक्ति विशेष को आदि। तथापि, विश्व पर्यावरण दिवस एक ऐसा दिन है जब हमें अपने मतभेदों को भुलाकर पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों को मनाना चाहिए।

    विश्व पर्यावरण दिवस मना कर हम अपने आपको और अन्य लोगों को पर्यावरण की देखरेख के महत्व की याद दिलाते हैं। पर्यावरण दिवस समूचे विश्व में अनेक प्रकार से मनाया जाता है जैसे रैलियां, साइकिल यात्रा परेड, हरित संगीत समारोह, स्कूलों में निबंध और विज्ञापन प्रतियोगिताओं का आयोजन, वृक्षारोपण, चीजों को फिर से प्रयोग में लाने के प्रयास, स्वच्छता अभियान आदि। सन् 2012 के लिए विश्व पर्यावरण दिवस का विषय है- हरित अर्थ व्यवस्था : क्या आप इसमें शामिल हैं?

    सरलतम शब्दों में हरित अर्थ व्यवस्था वह है जिसमें कार्बन उत्सर्जन कम हो, संसाधन कुशल हो और सामाजिक रूप में समग्र हो। व्यवहारिक रूप में हरित अर्थ व्यवस्था वह है जिसका आय और रोजगार का विकास ऐसे सार्वजनिक और निजी निवेश से संचालित हो जो कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण कम करें, ऊर्जा और संसाधन कुशलता बढ़ाएं और जैव विविधता तथा परिस्थितिकी प्रणालियों के नुकसान को रोकें। यदि हरित अर्थ व्यवस्था, सामाजिक समानता और समग्रता के बारे में है तो तकनीकी रूप में यह सब हमारे बारे में है।

    हरित अर्थ व्यवस्था हमारे जीवन के लगभग सभी पहलुओं को छूती है और हमारे विकास के बारे में है। यह टिकाऊ ऊर्जा, हरित रोजगार, निम्न कार्बन अर्थ व्यवस्थाओं, हरित नीतियों, हरित भवनों, कृषि, मत्स्य पालन, वानिकी, उद्योग, ऊर्जा कौशल, टिकाऊ पर्यटन, टिकाऊ परिवहन, कचरा प्रबंधन, जल कौशल और अन्य सभी संसाधनों की कुशलता। ये सभी कारक हरित अर्थ व्यवस्था के सफलतापूर्ण कार्यान्वयन से संबद्ध हैं।

    विश्व आज एक बड़े संकट का सामना कर रहा है और हाल के वर्षों में हमने वैश्विक वित्तीय संकट, अनाज संकट, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, परिस्थितिकरण व्यवस्था की गिरावट और जलवायु परिवर्तन में असाधारण परिवर्तन के समन्वय को देखा है। एक-दूसरे से संबद्ध ये संकट मानव जाति की इस ग्रह पर शांतिपूर्ण और निरंतर रहने की योग्यता के लिए चुनौती हैं और इसके प्रति विश्व की सरकारों और नागरिकों को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि जैसे-जैसे विश्व के देश गंभीर आर्थिक मंदी से उबर रहे हैं, यह हरित अर्थ व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।

क्या किया जा सकता है? 

भवन
निर्माण और भवन,  संसाधनों और जलवायु को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ऊर्जा की बचत के इस नुकसान को कम किया जा सकता है।

मत्‍स्‍य पालन
    विश्‍व के अनेक भागों में मछलियों के अत्‍यधिक दोहन से मछलियों के भावी भंडारों के समाप्‍त होने का खतरा है। हम मछली पकड़ने के टिकाऊ प्रणालियों को बढ़ावा देकर इस खतरे को टाल सकते हैं।  इसलिए टिकाऊ समुद्री खाद्य पदार्थों का दोहन करना चाहिए।

वानिकी
    वनों के कटाव से विश्‍व में ग्रीन हाउस गैस  के 20 प्रतिशत तक उत्‍सर्जन होता है।  वनों के टिकाऊ प्रबंधन से पर्यावरण और जलवायु को नुकसान पहुंचाए बिना समुदायों और पारिस्‍थितिकीय प्रणालियों का समर्थन जारी रखा जा सकता है।  कागज के उत्‍पादों की मांग को कम करने के लिए इलैक्‍ट्रॉनिक फाइलों को प्रयोग में लाएं। जब आप वनों के  प्रमाणित, टिकाऊ उत्‍पादों का समर्थन करते हैं तो एक प्रकार से आप स्‍वस्‍थ पर्यावरण और टिकाऊ आजीविका का समर्थन करते हैं।  

परिवहन
    अपनी कार में अकेले यात्रा करना पर्यावरण की दृष्टि से उचित नहीं है आर्थिक रूप से भी यह अकुशल है। कार को आपस में मिलकर प्रयोग में लाने से अथवा सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने से पर्यावरण के प्रभाव कम होते हैं और आर्थिक रूप से भी किफायती होने के साथ-साथ यह समाज को भी सुदृढ़ करता है। थोड़ी दूरी तक जाने के लिए पैदल चलना अथवा साइकिल की सवारी करना आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। जब आप सामान लाने ले जाने के वैकल्पिक तरीकों को अपनाते हैं तो परिवहन क्षेत्र में आप हरित अर्थ व्यवस्था का समर्थन करते हैं।

जल
    विश्व में अरबों लोगों को पीने का स्वच्छ पानी अथवा स्वच्छता की उन्नत सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं और जनसंख्या वृद्धि इस समस्या को और भी जटिल बना देती है। पानी का समझदारी से प्रयोग जैसे छोटे-छोटे उपाय इस अमूल्य संसाधन की बचत करने में सहायक हो सकते हैं। जब आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो पानी के नल को बंद कर दें, अपनी वाशिंग मशीन का उस समय तक प्रयोग न करें जब तक आपके पास धोने के लिए पूरे कपड़े न हो जाएं, नहाते समय फव्वारे का प्रयोग सीमित समय तक करें और वर्षा होने के तुरंत बाद अपने आँगन (लॉन) को न सीचें। संसाधनों का कुशलता पूर्वक प्रयोग हरित अर्थ व्यवस्था की कुंजी है और जल हमारे सर्वाधिक महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है।

कृषि
    विश्व की जनसंख्या 7 बिलियन है और सन् 2050 तक यह 9 बिलियन से भी बढ़ जाएगी। इसका अर्थ हुआ पहले से भीड़ भाड़ वाले शहरों पर और अधिक दबाव। इन शहरों में अब हमारे आधे से भी अधिक लोग रहते हैं और इसका प्राकृतिक संसाधनों पर भी दबाव बढ़ेगा, क्योंकि आबादी के बढ़ने के साथ-साथ अनाज, पानी और बिजली की मांग भी बढ़ेगी। इसलिए, समय आ गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को भोजन उपलब्ध कराने की अपनी योग्यता सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ कृषि का समर्थन करें। अपनी सब्जियां उगाएं और किसानों के स्थानीय बाजारों से खरीदारी करें। जब आप स्थानीय, आर्गेनिक और टिकाऊ खाद्य उत्पाद खरीदते हैं तो आप उत्पादकों को यह संदेश भेजते हैं कि आप कृषि के लिए हरित अर्थ व्यवस्था का समर्थन करते हैं।

ऊर्जा
    ऊर्जा के वर्तमान मुख्य स्रोत जैसे तेल, कोयला और गैस आदि न केवल स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। वे ऊर्जा की बढ़ती हुई आवश्यकताओं के जगत में टिकाऊ भी नहीं हैं। आप ऐसे कारोबार और उत्पादों में निवेश करके स्वच्छ, अक्षय ऊर्जा के विकास का समर्थन कर सकते हैं। ऊर्जा की व्यक्तिगत किफायत में सुधार के उपायों पर विचार करते हुए हम अक्षय ऊर्जा को अपनाने के लिए काम कर सकते हैं। जब आप प्रयोग में नहीं ला रहे हैं तो बत्तियां बुझा दीजिए और उपकरणों के पलग हटा दीजिए।

कचरा
    बचे हुए सामान को फिर से काम में लाने योग्य बनाने और बचे हुए भोजन का कम्पोस्ट तैयार करने से हमारे प्राकृतिक संसाधनों की मांग को कम किया जा सकता है।

    पर्यावरण और टिकाऊ विकास के इस महत्वपूर्ण वर्ष में विश्व के नेता 1992 में रियो डी जनेरियो में हुए ऐतिहासिक पृथ्वी शिखर सम्मेलन के 20 वर्ष बाद अब फिर संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास संबंधी शिखर सम्मेलन में मिलेंगे।

    टिकाऊपन, विकास के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों को संतुलित करके सभी के लिए एक अवसर प्रदान करना है। हमें इस धारणा को गलत सिद्ध करना है कि आर्थिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच विरोधाभास है। सही नीतियों और सही निवेश अपना कर हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं, अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकते हैं, रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं और सामाजिक प्रगति को गति प्रदान कर सकते हैं।

    हरित अर्थ व्यवस्था में टिकाऊ विकास प्राप्त करने और असाधारण रूप से गरीबी समाप्त करने की क्षमता है। विश्व के नेताओं, सिविल सोसायटी और उद्योग को इस परिवर्तन के लिए सहयोग से काम करने की आवश्यकता है। संपदा, समृद्धि और खुशहाली के परम्परागत उपायों पर पुनर्विचार करने और पुन: परिभाषित करने के लिए नीति-निर्माताओं और नागरिकों को निरंतर प्रयास करना चाहिए।  (पीआईबी) 05-जून-2012 16:23 IST**

* संयुक्त निदेशक, पसूका, चेन्नई

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