केंद्रीय अनाज भंडार में 823 लाख मीट्रिक टन से अधिक का भंडारअनाज के भंडारण के लिए और आवश्यकता वाले राज्यों को तेजी से अनाज पहुंचाने के लिए किये गये कई
इस वर्ष अनाज की सबसे अधिक खरीद को देखते हुए खाद्य मंत्रालय ने अनाज के भंडारण के लिए और आवश्यकता वाले राज्यों को तेजी से अनाज पहुंचाने के लिए कई उपाय किये हैं। इन उपायों में मौजूदा भंडारण क्षमता का उपयोग, अतिरिक्त क्षमता का निर्माण, खराब हो रहे अनाज को हटाने की योजना के साथ-साथ दैनिक आधार पर अनाज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की निगरानी जैसे उपाय शामिल हैं। यह जानकारी केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रो.के.वी.थॉमस ने आज यहां एक संवादाता सम्मेलन में दी।
उन्होंने कहा कि अनाज के रिकार्ड उत्पादन और न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के साथ अनाज की खरीद के लिए किये गये बेहतर उपायों से इस वर्ष अनाज की सबसे अधिक खरीद हुई है। 1 जून, 2012 को केंद्रीय अनाज भंडार में 823.17 लाख मीट्रिक टन का भंडार था, जिसमें 501.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 321.48 लाख मीट्रिक टन चावल था।
प्रो.थॉमस ने कहा कि केंद्रीय भंडार के लिये खरीदे गए अनाज का भंडारण भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार तथा इनकी एजेंसियों द्वारा किया जाता है। पिछले पाँच वर्षों में भारतीय खाद्य निगम की भंडारण क्षमता 31 मार्च, 2008 को 238.94 लाख मीट्रिक टन थी, जो लगभग 40 प्रतिशत बढ़कर 31 मार्च, 2012 को 336.04 लाख मीट्रिक टन हो गई।
भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार तथा इनकी एजेंसियां अनाज का भंडारण ढके हुए स्थान पर करती है और अनाज रखने के लिए प्लेटफार्म (चौकी) बनायी जाती है। इसके लिए कैप (CAP-COVER AND PLINTH) और कच्चा कैप भंडारण का तरीका अपनाया जाता है। 1 जून, 2012 को 273.96 लाख मीट्रिक टन गेहूं का खुले में भंडारण किया गया था- वैज्ञानिक कैप में 207.79 लाख मीट्रिक टन और कच्चा कैप में 66.17 लाख मीट्रिक टन।
केंद्रीय भंडार के गेहूं के कुल भंडार में से 87 प्रतिशत ढके हुए और कैप स्टोरेज में किया जाता है और इसे सुरक्षित भंडारण माना जाता है। बाकी का 13 प्रतिशत गेहूं कच्चे स्थानों पर किया जाता है, जिससे नुकसान का खतरा बना रहता है। कच्चे स्टोरेज में रखे गए अनाज में से 65.66 लाख मीट्रिक टन अनाज का भंडारण पंजाब, हरियाणा, मघ्यप्रदेश और राजस्थान में है।
कच्चे स्टोरेज में रखे गए अनाज के संरक्षण के लिए सरकार सभी प्रयास कर रही है, क्योंकि वहां नुकसान का खतरा है। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों की क्षमता के उपयोग में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 30 अप्रैल, 2011 को इसकी क्षमता का उपयोग 77 प्रतिशत था, जो 31 मई, 2012 को बढ़कर 98 प्रतिशत हो गया।
अभूतपूर्व अनाज भंडार की स्थिति को देखते हुए विशेष उपाय के रूप में भारतीय खाद्य निगम ने 18 मई, 2012 को चावल के लिए ढेरी का आकार बढ़ाकर 162 मीट्रिक टन करने और गेहूं के लिए 181 मीट्रिक टन करने के आदेश जारी किये थे, ताकि क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग हो सके। इस तरीके से भारतीय खाद्य निगम 5 से 10 लाख टन अधिक अनाज का भंडारण कर सका।
निगम से कहा गया है कि वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर अतिरिक्त भंडारण की योजना बनाए और निजी भंडारण स्थलों तथा सहकारी चीनी मिलों आदि के भंडारण स्थलों आदि की सूची तैयार करे।
भंडारण क्षमता की कमी वाले क्षेत्रों के महाप्रबंधकों से कहा गया है कि वे वास्तविक उपयोग के आधार पर भंडारण क्षमता किराये पर भी ले सकते है। उन्हें केंद्रीय भंडारण निगम, राज्य भंडारण निगम, एजेंसियों और निजी लोगों से आवश्यकतानुसार अनाज के भंडारण स्थल किराये पर लेने के लिए अधिकार दिये गये है। इसकी रूपरेखा इस प्रकार है:-
अधिक प्राथमिकता- वे स्थल, जहां गेहूं को कच्चे मैदान में और निचाई वाले स्थानों पर रखा गया है।
मध्यम प्राथमिकता- वे स्थल, जहां गेहूं को रोलर फ्लोर मिलों, चावल फ्लोर मिलों, चीनी मिलों आदि में रखा गया है।
कम प्राथमिकता- वे स्थल जहां गेहूं को भारतीय खाद्य निगम/राज्य सरकार के गोदामों के अंदर सड़क के किनारे रखा गया है। ऐसे भंडारण को लम्बे समय तक सुरक्षित माना जाता है।
गेहूं को एक स्थान से हटाकर दूसरी जगह ले जाने के लिए ग्रेडिंग के आधार पर फैसला लिया जाता है और भारतीय खाद्य निगम दैनिक आधार पर इसकी निगरानी करता है। सरकार ने 5 करोड़ 98 लाख टन चावल और गेहूं लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याण योजनाओं के अंतर्गत रखा है। इसमें से गरीबी की रेखा से ऊपर के परिवारों को 60 लाख टन अधिक अनाज तथा गरीबी की रेखा के नीचे के परिवारों को 50 लाख टन अतिरिक्त अनाज दिया जायेगा। इससे गरीबी की रेखा से नीचे के 1.8 करोड़ अधिक परिवारों को लाभ होगा।
इसके अलावा सरकार 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बिक्री के लिए जारी कर रही है। खादय मंत्रालय ने सभी राज्यों के खाद्य सचिवों से कहा है कि वे अनाज भंडारण की आवश्यकता के लिए सरकारी-निजी भागीदारी के अंतर्गत गोदाम बनाने की अपनी योजनाएं बनाएं।
वर्ष 2011-12 में ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष के अंतर्गत गोदाम बनाने के लिए 2000 करोड़ रूपये रखे गए थे, जिसके उपयोग से कुछ राज्यों में लगभग 90 लाख टन अतिरिक्त क्षमता के गोदाम बनाए गए हैं। चालू वित्त वर्ष में इसके लिए 5 हजार करोड़ रूपये रखे गए हैं।
राज्यों से ग्रामीण भंडारण योजना का भी लाभ उठाने को कहा गया है। इसके अंतर्गत 1 अप्रैल, 2001 से अब तक 310 लाख टन क्षमता के लिए 7 हजार से अधिक परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी है।
19 राज्यों में निजी उद्यमों और केंद्रीय तथा राज्य भंडारण निगमों के जरिए गोदाम विकसित करने के लिए शुरू की गई योजना के अंतर्गत 151.96 लाख टन की भंडारण क्षमता विकसित की जानी है। चालू वित्त वर्ष में उम्मीद है और 40 लाख टन की भंडारण क्षमता उपलब्ध हो जायेगी। (पीएआईबी) 21-जून-2012 17:26 IST
इस वर्ष अनाज की सबसे अधिक खरीद को देखते हुए खाद्य मंत्रालय ने अनाज के भंडारण के लिए और आवश्यकता वाले राज्यों को तेजी से अनाज पहुंचाने के लिए कई उपाय किये हैं। इन उपायों में मौजूदा भंडारण क्षमता का उपयोग, अतिरिक्त क्षमता का निर्माण, खराब हो रहे अनाज को हटाने की योजना के साथ-साथ दैनिक आधार पर अनाज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की निगरानी जैसे उपाय शामिल हैं। यह जानकारी केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रो.के.वी.थॉमस ने आज यहां एक संवादाता सम्मेलन में दी।
उन्होंने कहा कि अनाज के रिकार्ड उत्पादन और न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के साथ अनाज की खरीद के लिए किये गये बेहतर उपायों से इस वर्ष अनाज की सबसे अधिक खरीद हुई है। 1 जून, 2012 को केंद्रीय अनाज भंडार में 823.17 लाख मीट्रिक टन का भंडार था, जिसमें 501.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 321.48 लाख मीट्रिक टन चावल था।
प्रो.थॉमस ने कहा कि केंद्रीय भंडार के लिये खरीदे गए अनाज का भंडारण भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार तथा इनकी एजेंसियों द्वारा किया जाता है। पिछले पाँच वर्षों में भारतीय खाद्य निगम की भंडारण क्षमता 31 मार्च, 2008 को 238.94 लाख मीट्रिक टन थी, जो लगभग 40 प्रतिशत बढ़कर 31 मार्च, 2012 को 336.04 लाख मीट्रिक टन हो गई।
भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार तथा इनकी एजेंसियां अनाज का भंडारण ढके हुए स्थान पर करती है और अनाज रखने के लिए प्लेटफार्म (चौकी) बनायी जाती है। इसके लिए कैप (CAP-COVER AND PLINTH) और कच्चा कैप भंडारण का तरीका अपनाया जाता है। 1 जून, 2012 को 273.96 लाख मीट्रिक टन गेहूं का खुले में भंडारण किया गया था- वैज्ञानिक कैप में 207.79 लाख मीट्रिक टन और कच्चा कैप में 66.17 लाख मीट्रिक टन।
केंद्रीय भंडार के गेहूं के कुल भंडार में से 87 प्रतिशत ढके हुए और कैप स्टोरेज में किया जाता है और इसे सुरक्षित भंडारण माना जाता है। बाकी का 13 प्रतिशत गेहूं कच्चे स्थानों पर किया जाता है, जिससे नुकसान का खतरा बना रहता है। कच्चे स्टोरेज में रखे गए अनाज में से 65.66 लाख मीट्रिक टन अनाज का भंडारण पंजाब, हरियाणा, मघ्यप्रदेश और राजस्थान में है।
कच्चे स्टोरेज में रखे गए अनाज के संरक्षण के लिए सरकार सभी प्रयास कर रही है, क्योंकि वहां नुकसान का खतरा है। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों की क्षमता के उपयोग में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 30 अप्रैल, 2011 को इसकी क्षमता का उपयोग 77 प्रतिशत था, जो 31 मई, 2012 को बढ़कर 98 प्रतिशत हो गया।
अभूतपूर्व अनाज भंडार की स्थिति को देखते हुए विशेष उपाय के रूप में भारतीय खाद्य निगम ने 18 मई, 2012 को चावल के लिए ढेरी का आकार बढ़ाकर 162 मीट्रिक टन करने और गेहूं के लिए 181 मीट्रिक टन करने के आदेश जारी किये थे, ताकि क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग हो सके। इस तरीके से भारतीय खाद्य निगम 5 से 10 लाख टन अधिक अनाज का भंडारण कर सका।
निगम से कहा गया है कि वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर अतिरिक्त भंडारण की योजना बनाए और निजी भंडारण स्थलों तथा सहकारी चीनी मिलों आदि के भंडारण स्थलों आदि की सूची तैयार करे।
भंडारण क्षमता की कमी वाले क्षेत्रों के महाप्रबंधकों से कहा गया है कि वे वास्तविक उपयोग के आधार पर भंडारण क्षमता किराये पर भी ले सकते है। उन्हें केंद्रीय भंडारण निगम, राज्य भंडारण निगम, एजेंसियों और निजी लोगों से आवश्यकतानुसार अनाज के भंडारण स्थल किराये पर लेने के लिए अधिकार दिये गये है। इसकी रूपरेखा इस प्रकार है:-
अधिक प्राथमिकता- वे स्थल, जहां गेहूं को कच्चे मैदान में और निचाई वाले स्थानों पर रखा गया है।
मध्यम प्राथमिकता- वे स्थल, जहां गेहूं को रोलर फ्लोर मिलों, चावल फ्लोर मिलों, चीनी मिलों आदि में रखा गया है।
कम प्राथमिकता- वे स्थल जहां गेहूं को भारतीय खाद्य निगम/राज्य सरकार के गोदामों के अंदर सड़क के किनारे रखा गया है। ऐसे भंडारण को लम्बे समय तक सुरक्षित माना जाता है।
गेहूं को एक स्थान से हटाकर दूसरी जगह ले जाने के लिए ग्रेडिंग के आधार पर फैसला लिया जाता है और भारतीय खाद्य निगम दैनिक आधार पर इसकी निगरानी करता है। सरकार ने 5 करोड़ 98 लाख टन चावल और गेहूं लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याण योजनाओं के अंतर्गत रखा है। इसमें से गरीबी की रेखा से ऊपर के परिवारों को 60 लाख टन अधिक अनाज तथा गरीबी की रेखा के नीचे के परिवारों को 50 लाख टन अतिरिक्त अनाज दिया जायेगा। इससे गरीबी की रेखा से नीचे के 1.8 करोड़ अधिक परिवारों को लाभ होगा।
इसके अलावा सरकार 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बिक्री के लिए जारी कर रही है। खादय मंत्रालय ने सभी राज्यों के खाद्य सचिवों से कहा है कि वे अनाज भंडारण की आवश्यकता के लिए सरकारी-निजी भागीदारी के अंतर्गत गोदाम बनाने की अपनी योजनाएं बनाएं।
वर्ष 2011-12 में ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष के अंतर्गत गोदाम बनाने के लिए 2000 करोड़ रूपये रखे गए थे, जिसके उपयोग से कुछ राज्यों में लगभग 90 लाख टन अतिरिक्त क्षमता के गोदाम बनाए गए हैं। चालू वित्त वर्ष में इसके लिए 5 हजार करोड़ रूपये रखे गए हैं।
राज्यों से ग्रामीण भंडारण योजना का भी लाभ उठाने को कहा गया है। इसके अंतर्गत 1 अप्रैल, 2001 से अब तक 310 लाख टन क्षमता के लिए 7 हजार से अधिक परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी है।
19 राज्यों में निजी उद्यमों और केंद्रीय तथा राज्य भंडारण निगमों के जरिए गोदाम विकसित करने के लिए शुरू की गई योजना के अंतर्गत 151.96 लाख टन की भंडारण क्षमता विकसित की जानी है। चालू वित्त वर्ष में उम्मीद है और 40 लाख टन की भंडारण क्षमता उपलब्ध हो जायेगी। (पीएआईबी) 21-जून-2012 17:26 IST
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