Tuesday, June 19, 2012

न्‍यायालयों में लंबित मामलों से निपटना

विशेष लेख                                                                                                 के के पंत
न्‍यायालयों में बड़ी संख्‍या में बकाया और विचाराधीन मामले चिंता का विषय बने हुए हैं क्‍योंकि इससे अदालतों में मामले के निपटारे में देर लग रही है। 3 करोड़ लंबित मामलों में से 74 प्रतिशत 5 साल से कम पुराने हैं। भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश ने 5 साल से अधिक के 26 प्रतिशत पुराने मामलों को निपटाने के लिए न्‍यायिक व्‍यवस्‍था 5+ मुक्‍त करने की आवश्‍यकता बताई है। सरकार न्‍यायपालिका के साथ मिलकर लगातार देश में न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में सुधार का प्रयास कर रही है। इस दिशा में सरकार ने वर्ष 2007 से न्‍यायालयों में कम्‍प्‍यूटरीकरण आरंभ किया है वर्ष 1993-94 से ही न्यायपालिका के बुनियादी ढ़ांचे में सुधार में निवेश किया जा रहा है।  हाल में भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा राष्‍ट्रीय न्‍यायालय प्रबंधन व्‍यवस्‍था की स्‍थापना के बारे में अधिसूचना जारी की गई है। इससे मामले के प्रबंधन, न्‍यायालय प्रबंधन, न्‍यायालयों के प्रदर्शन को मापने के लिए मानक स्‍थापित करने और देश में न्‍यायिक आकंड़ों की एक राष्‍ट्रीय प्रणाली जैसे मुद्दों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

आपराधिक न्‍याय व्‍यवस्‍था में निगोशिएबल इन्‍स्‍ट्रूमेंट्स एक्‍ट 1881 (पराक्रम्‍य लिखित अधिनियम) तथा मोटर वाहन अधिनियम 1988 के मामलों से न्‍यायिक व्‍यवस्‍धा अवरूद्ध हो रही है। इसे अवरोध मुक्‍त करने के लिए प्राथमिकता के तौर पर उन्‍हें विशेष अदालतों, लोक अदालतों और वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र द्वारा निपटाने के गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्‍यों को भी निर्देश दिये गए हैं कि वे 13वें वित्‍त आयोग के तहत इस उद्देश्‍य तथा मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालतें और सुबह और शाम के न्‍यायालयों की स्‍थापना के लिए दिए गए धन का उपयोग करें

न्‍यायालयों में मामलों में देरी और बकाया मामलों में कमी लाने की  सरकार की कोशिश निरंतर जारी है। संरचनात्‍मक परिवर्तन और मामलों के निपटारे में न्‍यायालयों के प्रदर्शन की निगरानी दोनों के लिए पहले भी कई कदम उठाए गए हैं। विशेष अभियानों से भी मामलों के निपटारे में तेजी आई है। इनमें से एक, 1 जुलाई 2011 से 31 दिसम्‍बर 2011 के बीच चलाया गया।

हाल में सरकार ने राष्‍ट्रीय न्‍याय प्रदानकर्ता और विधिक सुधार  मिशन स्‍थापित किया है जो न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में देरी और लंबित मामलों में विलम्‍ब जैस मुद्दों से निपटेगा तथा सभी स्तरों पर विभिन्‍न्‍उपायों द्वारा बेहतर उत्‍तरदायित्‍व स्‍थापित करेगा। इन उपायों में प्रदर्शन मानक की स्‍थापना और इसकी निगरानी, और विभिन्‍न स्‍तरों पर प्रशिक्षण के ज़रिए क्षमतावर्धन शामिल हैं।

इसके अलावा सरकार राज्‍यों को कई प्रकार की सहायता प्रदान कर रही है।  13वें वित्‍त आयोग ने वर्ष 2010-15 के बीच 5 वर्षों के लिए 5  हजार करोड़ के अनुदान की मंजूरी दी है। यह धन राज्‍यों को अनुदान के रूप में कई तरह के पहल के लिए दिये जा रहे हैं। इनमें मौजूदा संसाधनों के उपयोग से न्‍यायालयों में सुबह/शाम/पाली अदालतें चलाकर  कार्य के घंटों को बढ़ाना, नियमित अदालतों के काम के दबाव को कम करने के लिए लोक अदालतों को सहायता पहुंचाना, राज्‍य के विधिक सेवा प्राधिकरणों को अधिरिक्‍त धन उपलब्‍ध कराना जिससे कि वे हाशिेये पर पहुंचे लोगों को कानूनी सहायता में वृद्धि कर उन्‍हें न्‍याय पाने में मदद कर सकें, वैकल्पिक विवाद समाधान व्‍यवस्‍था को बढ़ावा देना जिससे की अदालतों के बाहर भी मामले का कुछ निपटारा हो सके, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए न्‍यायिक अधिकारियों तथा जन और सरकारी वकीलों की क्षमता में वृद्धि और प्रत्‍येक न्‍यायिक जिले और उच्‍च न्‍यायालयों के भवनों में अदालत प्रबंधको के पद सृजित करना शामिल है। इस मद में राज्‍यों को 1353.62 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं।

     केन्‍द्रीय योजना के तहत देश में जिला और अधीनस्‍थ न्‍यायालयों के कम्‍प्‍युटरीकरण और सर्वोच्‍च न्‍यायालय तथा उच्‍च न्‍यायालयों में आर्इसीटी सुविधाओं के उन्‍नयन के लिए केन्‍द्र सरकार द्वारा 100 प्रतिशत धन मुहैया कराया जा रहा है। देश में 31 मार्च 2012 तक 14229 अदालतों में से 9697 न्‍यायालयों को कम्‍प्‍युटरिकृत किया जा चुका है। बा‍की के न्‍यायालयों में कम्‍प्‍युटरीकरण का काम 31 मार्च 2014 तक पूरा हो जाएगा।

नागरिकों को उनके घर तक न्‍याय हासिल कराने के लिए ग्राम न्‍यायालयों के गठन के वास्‍ते ग्राम अधिनियम 2008 बनाया गया है। केन्‍द्र सरकार ग्राम न्‍यायालयों के गठन में गैर आवर्ती खर्च के लिए राज्‍यों को सहायता प्रदान कर रही है जिसकी खर्च की सीमा प्रति ग्राम न्‍यायालय 18 लाख रूपये है। केन्‍द्र सरकार इन ग्राम न्‍यायालयों के परिचालन के लिए पहले तीन वर्षों में हर साल सहायता देगी, जिसकी प्रति ग्राम पंचायत सीमा 3.20 लाख होगी।  राज्‍य सरकार द्वारा दी गई सूचना के आधार पर 153 ग्राम न्‍यायालय पहले ही अधिसूचित किये जा चुके हैं। इनमें से 151 ग्राम न्‍यायालय कार्यरत हैं।

न्‍यायपालिका की बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना वर्ष 1993-94 से चलाई जा रही है जिसके तहत न्‍यायालय भवनों और न्‍यायिक अधिकारियों के आवासों के निर्माण के लिए केंद्रीय सहायता दी जा रही है ताकि राज्‍य सरकारों के संसाधन में बढ़ोत्‍तरी हो सके। इस योजना के तहत केन्‍द और राज्‍य सरकार 75 और 25 के आधार पर खर्च साझा करते हैं।  केवल पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में इसका अनुपात अलग है जहां केन्‍द्र सरकार 90 प्रतिशत खर्च वहन करती है और वहां की राज्‍य सरकारें 10 प्रतिशत।  इस योजना के तहत 31 मार्च 2012 तक अब तक 1841 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं।

   सरकार न्‍यायालयों में मामलों के त्‍वरित निपटारे के लिए वकीलों और न्‍यायाधीशों सहित प्रतिभाशाली और अनुभवी लोगों को नियुक्‍त करने की आवश्यकता से भी अवगत है। 1977 में संविधान के अनुच्‍छेद 312 के तहत संशोधन कर एक अखिल भारतीय न्‍यायिक सेवा-एआईजेएस बनाया गया। बाद में विधि आयोग की रिपोर्टों, प्रथम राष्‍ट्रीय न्‍यायिक वेतन आयोग, केंद्र-राज्‍य सरकार के संबंधों के बारे में बनी समिति और वि‍भाग से संबद्ध संसदीय स्‍थायी समिति ने भी एआईजेएस को अपना व्‍यापक समर्थन दिया। हालांकि एआईजेएस के बारे में राज्‍य सरकारों और उच्‍च न्‍यायालयों के साथ हुए विचार विमर्श में आम सहमति संभव नहीं हो सकी है। पर सरकार का और अधिक  विश्‍वसनीय तथा मान्‍य निरूपण के जरिए इसे जारी रखने का प्रस्‍ताव है।

लेखक पत्र सूचना कार्यालय (दिल्‍ली) में उपनिदेशक हैं।                   
(13-जून-2012 20:26 IST}

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