कृषि
और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री शरद पवार ने राज्यों का आह्वान
किया है कि वह 97वें संविधान (संशोधन) अधिनियम के अनुपालन को सुनिश्चित
करते हुए अपने सहकारी अधिनियमों में संशोधन करें। श्री पवार सहकारी
समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को आज सहां संबोधित कर रहे थे। उन्होंने
कहा कि देश में सहकारी समितियों के जनतंत्रीय, स्वायत्ता और व्यावसायिक
कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने हेतु केंद्र सरकार ने इस संवधिान (संशोधन)
अधिनियम को लागू किया है । उन्होंने कहा कि केंद्र ने सहकारी आंदोलन के
विकास के लिए मज़बूत बुनियाद रखने हेतु अनेक प्रयास किए हैं।
श्री पवार ने राज्य सरकारों से ज़ोर देकर कहा कि वे अल्पकालिक सहकारी ऋण ढांचे के पुनर्निमाण के पैकेज के कार्यान्वयन को तेज़ी देने के लिए कार्य करें। जब तक कि किसानों को बैंको के साथ –साथ बैंक सहकारी समितियों द्वारा आवश्यक ऋण सहायता नहीं मिलेगी तब तक उचित परणिाम नहीं निकल कर आएंगे।
सहकारिता क्षेत्र में लोगों के विश्वास का भरोसा फिर से जीतने की आवश्यकता पर श्री पवार ने कहा कि चूंकि अनेक सहकारी समितियां गंभीर समस्याओं का सामना कर रही हैं इसलिए इस मामले में सुशासन का मुद्दा काफी महत्व रखता है।। उन्होंने कहा कि कानूनी और नीति सुधारों के जरिए सहकारिता प्रशासन के ढांचे को नया रूप देने की बेहद ज़रूरत है।
श्री पवार ने कहा कि सहकारिताओं ने वर्ष 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन करके महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता प्रणाली सबसे मजबूत स्तभों में से एक है जिसमें भारत का कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र फल-फूल रहे हैं।
पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने अपने भाषण में सहकारी समितियों की उपलब्धियों खासतौर से उर्वरक वितरण, चीनी उत्पादन, डेयरी, सहकार समितियां , आवासीय सहकारी समितियों, कृषि ऋण आदि की चर्चा की। उन्होंने राष्ट्र के विकास और समुदाय को मजबूत बनाने में सहकारी समितियों की सराहना की। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ सहकारी ढांचों की संभावनाओं का सुझाव दिया था कि ताकि खाद्यान्न, दालों, सब्जियों, फलों और फूलों का उत्पादन बढ़ाया जा सके और किसानों की आमदनी बढ़ सके।
श्री पवार ने राज्य सरकारों से ज़ोर देकर कहा कि वे अल्पकालिक सहकारी ऋण ढांचे के पुनर्निमाण के पैकेज के कार्यान्वयन को तेज़ी देने के लिए कार्य करें। जब तक कि किसानों को बैंको के साथ –साथ बैंक सहकारी समितियों द्वारा आवश्यक ऋण सहायता नहीं मिलेगी तब तक उचित परणिाम नहीं निकल कर आएंगे।
सहकारिता क्षेत्र में लोगों के विश्वास का भरोसा फिर से जीतने की आवश्यकता पर श्री पवार ने कहा कि चूंकि अनेक सहकारी समितियां गंभीर समस्याओं का सामना कर रही हैं इसलिए इस मामले में सुशासन का मुद्दा काफी महत्व रखता है।। उन्होंने कहा कि कानूनी और नीति सुधारों के जरिए सहकारिता प्रशासन के ढांचे को नया रूप देने की बेहद ज़रूरत है।
श्री पवार ने कहा कि सहकारिताओं ने वर्ष 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन करके महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता प्रणाली सबसे मजबूत स्तभों में से एक है जिसमें भारत का कृषि और उससे जुड़े क्षेत्र फल-फूल रहे हैं।
पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने अपने भाषण में सहकारी समितियों की उपलब्धियों खासतौर से उर्वरक वितरण, चीनी उत्पादन, डेयरी, सहकार समितियां , आवासीय सहकारी समितियों, कृषि ऋण आदि की चर्चा की। उन्होंने राष्ट्र के विकास और समुदाय को मजबूत बनाने में सहकारी समितियों की सराहना की। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ सहकारी ढांचों की संभावनाओं का सुझाव दिया था कि ताकि खाद्यान्न, दालों, सब्जियों, फलों और फूलों का उत्पादन बढ़ाया जा सके और किसानों की आमदनी बढ़ सके।
कृषि राज्य मंत्री श्री हरीश रावत और कृषि विभाग में सचिव श्री पी. के. बसु ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। (पीआईबी)
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