Monday, October 10, 2011

हमें माफ़ कर देना सोनी सोरी ,

हमारा लोकतंत्र तुम्हारे लिए नहीं है
इसे करीब एक घंटा पूर्व नरिंदर कुमार जीत ने पंजाब स्क्रीन ग्रुप में पोस्ट किया है. उन का कहना है कि छतीसगढ़ पुलिस की और से एक लडकी पर किये गए अत्याचार से सबंधित यह रचना उन्हें मिली है हिमांशू कुमार से. लीजिये आप भी पढ़िए और बताईये कि आप इस पर क्या सोच रहे हैं.

क्या आपकी कोई बेटी है ?
चलो थोड़ी देर के लिए उसका नाम सोनी सोरी रख देते हैं !

उसे पुलिस वाले बाँध कर घसीट रहे हैं , और वो रोते रोते आपको पुकार रही है ,
पापा मुझे बचा लो !
आप खड़े होकर देख रहे हैं , आपकी मासूम लाडली बेटी को पुलिस वाले घसीटते हुए ले जा रहे हैं !
इस समय आप विवश होंगे या क्रोधित ?
क्या करने का ख्याल आएगा आपके मन में ?
और उन्ही पलों में जब आपकी मासूम बेटी को पुलिस वाले घसीट रहे हैं ,
मैं उसी मनः स्थिति में आपके विचार जानना चाहता हूँ ,
"भारतीय लोकतंत्र " "संविधान" , "महान भारतीय संस्कृतिक परम्पराओं" के बारे में ?
चेहरा उधर मत घुमाइए !
मुझसे आँख मिला कर उत्तर दीजिये !
आपकी बेटी अभी भी चीख कर आपकी ओर आशा से देख रही है !
और आप उसकी चीखों का जवाब नहीं दे रहे हैं ?

सोनी सोरी की चीखें इतिहास हो जायेंगी !
पर हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगी !
हमें माफ़ कर देना सोनी सोरी ,
हमारा लोकतंत्र तुम्हारे लिए नहीं है ,
न संसद, न हमारी दिखावटी नैतिकता और धार्मिकता, 
ये सब हमारे लिए हैं !
तुम आदिवासी हो, 
इसलिए तुम्हारे लिए है,
पिटाई , खुरदुरी ज़मीन पर पशु की तरह घसीटे जाना,
ज़िंदगी भर जेल में बैठकर, अपने तीन बच्चों को याद कर रोना ,
और फिर एक दिन चुपचाप एक गुमनाम मौत म़र जाना !
"सोनी सोरी मेरी बच्ची"
मैं तुम्हे भारतीय राष्ट्र की ओर से अंतिम विदाई देता हूँ !
आदिवासियों के सम्पूर्ण संहार के बाद जब हमारा प्रधान मंत्री,
लाल किले से इस एतिहासिक अपराध के लिए क्षमा मांगेगा ,
तब तुम हमें स्वर्ग से क्षमा कर देना ,सोनी सोरी !
अलविदा अलविदा

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